समुद्र की लहरों के किनारे से टकराने की आवाज बंगले तक आ रही थी....बंगले के बाहर लगे सुगंधित फूलों की गंध से बंगले का कोना-कोना सराबोर हो उठा था। मीरा, आर्यन की गोद में गिरी पड़ी थी, यह सब कुछ बहुत जल्दी में हो गया था। मीरा ऐसी अप्रत्याशित घटना से बुरी तरह घबरा गई, उसके गीले बालों ने आर्यन के चेहरे को पूरी तरह से कवर कर लिया था, वह केवल दो सेकेंड के लिए था, इन दो सेकेंड में आर्यन ने स्वर्ग के सुख को महसूस कर लिया था।
‘’आई एम सॉरी‘’ मीरा बिजली की गति से आर्यन की गोद से उठी...ऐसा लगा जैसे उसे चार सौ चालीस वॉट का करंट लग गया हो।
आर्यन के चेहरे पर शरारती मुस्कान तैर रही थी, वह अपने चेहरे पर गिरे पानी की बूंदो को जो मीरा के बालों से टपकी? थे उन्हें हाथ में लेकर बोला, ‘’सॉरी, किस लिए सॉरी, मुझे तो जन्नत में होने की फीलिंग हो रही थी।‘’
‘’आप मुझसे फ्लर्ट कर रहे हैं.?’’ मीरा ने बनावटी गुस्से से कहा।
‘’फ्लर्ट..?’ आर्यन ने चौंककर कहा, ‘’मैं तो तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर सकता हूं, चांदनी रात, समुद्र का किनारा, एक सुंदर सा बंगला और सामने अप्सरा जैसी सुंदर लड़की खड़ी हो तो किसी का भी मन डोल जाए।‘’
मीरा कांप उठी…क्या इसलिए वह मुझे इस अनजान जगह लेकर आया है? अपने ड्राइवर और बाउंसर को बंगले के बाहर ही छोड़ा है, हे भगवान, यहां तो सब के सब आदमी ही हैं और सारे आदमी इसी आर्यन के हैं। यह मेरे साथ क्या करने वाला है? कुछ कर लेगा तो किसी को पता भी नहीं चलेगा...मैं तो भाग भी नहीं सकती, मैं क्यों इसके साथ आई?
अचानक आर्यन हंस पड़ा, मीरा ने अपनी भौंह सिकोड़ ली।
आर्यन उठकर खड़ा हो गया और मीरा के माथे पर हल्की सी चपत मारकर बोला, ‘’जरा अपने आप को शीशे में तो देखो...कैसे डर के मारे भीगी बिल्ली बनकर कांप रही हो...जरूर तुमने मेरे बारे में कुछ उल्टा सीधा सोचना शुरू कर दिया है, क्या मैं तुम्हें ऐसा लगता हूं? आर्यन देशमुख इतना गिरा हुआ नहीं है कि तुम्हारी जैसी प्यारी लड़की के बारे में ऐसा सोच भी सके....अरे मैं तो मजाक कर रहा था, अब तुम नार्मल हो जाओ।‘’
मीरा अब भी थोड़ी डरी हुई सी लग रही थी…अब यह खूबसूरत बंगला उसे लुभा नहीं रहा था।
‘’ओके, चलो तुम्हारा डर कम देते हैं...’’ कहकर आर्यन उठा, आलमारी के एक ड्राअर से एक छोटी सी पिस्टल निकाली और मीरा के पास आकर उसे मीरा के हाथों में थमाकर बोला, ‘’यह लो।‘’
‘’यह.…यह पिस्टल किस लिए?‘’ मीरा के स्वर में अभी भी लड़खड़ाहट थी।
‘’सेल्फ डिफेंस के लिए…अगर तुम्हें लगे कि मैं तुम्हें फिजिकली नुकसान पहुंचा सकता हूं तो तुम बिना किसी डर के बिना किसी हिचक के मुझ पर चला सकती हो।‘’ ये कहकर आर्यन ने अपनी मैरून कलर की शर्ट के दो तीन बटन खोल दिए, ‘’तुम मुझे डायरेक्ट यहां गोली मार सकती हो‘’ आर्यन ने अपना कसा हुआ कसरती सीना मीरा को दिखाते हुए कहा।
मीरा ने वह बंदूक देखी...मानो उसके हाथ में एटम बम का रिमोट हो, मीरा ने अपनी लाइफ में पहली बार बंदूक पकड़ी थी, फिर उसने आर्यन को देखा जो अपना सीना खोले उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। मीरा ने वह बंदूक सोफे पर फेंक दी।
‘’यह क्या अभी तो तुम बहुत डर रही थी?’’ आर्यन ने बंदूक को सोफे पर देखकर कहा।
‘’हां, क्योंकि मैं यह सब नहीं कर सकती, किसी का मर्डर तो बिल्कुल नहीं।‘’
‘पर अभी तो बहुत ज्यादा डर गई थी….
‘’मैं डरती नहीं हूं‘’ मीरा ने आर्यन के सामने निडर होने का दिखावा करते हुए कहा।
‘’तो फिर चलो मेरे साथ डिनर बनाओ।‘’
‘’डिनर...?’’ मीरा चौंक गई।
‘’हां, डिनर...तुम डिनर नहीं करती हो क्या?‘’
‘’हां मैं करती हूं, पर आप.…आप डिनर भी बनाते हैं क्या?‘’
‘’मैं तो बहुत कुछ करता हूं शायद तुम्हें नहीं पता, खासकर इस बंगले में।‘’
अब तक मीरा कुछ सहज हो चुकी थी, वह बोली...’’डिनर के बाद आप मुझे मेरे घर तक पहुंचा देंगे ना.? मेरा मतलब है मेरी सोसाइटी के बाहर तक।‘’
मीरा नहीं चाहती थी कि उसका फिर से रजनीश के साथ सामना हो, वह कमीना तो आज भी अपने डांस बार से निकलकर उसी की ताक में होगा।
‘’किसने कहा तुम्हें कि मैं तुम्हें घर छोड़ने जा रहा हूं?‘’
‘’मतलब....? मीरा ने परेशानी भरे भाव से आर्यन को देखा।
‘’मतलब कि तुम आज रात यहीं रूकने वाली हो, हमारी पहली मुलाकात में भी तो तुम मेरे घर में एक पूरी रात रूकी थी।‘’
मीरा हिचकिचाई, ’’उस रात की बात अलग थी…तब आपके घर में कई फीमेल स्टॉफ भी था..।’’
आर्यन ने मीरा की बात पूरी की…यहां तुम अकेली हो, तुम जवान हो खूबसूरत हो, मैं हैंडसम हूं….कुछ भी हो सकता है ना.....वैसे लोग लड़कों पर ही शक क्यो करते हैं.? नीयत तो लड़कियों की भी खराब हो सकती है ना, तुम भी तो मेरे साथ कुछ ऐसा....वैसा कर सकती हो।‘’
मीरा ने आर्यन को घूरकर देखते हुए कहा, ‘’मैं आपको ऐसी लड़की लगती हूं?‘’
‘’बिल्कुल नहीं, मैं तो मजाक कर रहा था, इस बंगले में कई सारे रूम हैं, जिसमें चाहे तुम सो सकती हो, कल मैं तुम्हें तुम्हारे घर पहुंचा दूंगा.…वैसे भी कल संडे है।‘
मीरा के पास अब कोई चारा नहीं था, जब आर्यन ठान लेता है वह कर के ही रहता है...यहां रूकने के अलावा मीरा के पास कोई विकल्प ही नहीं था। वह चाहकर भी भाग नहीं सकती थी....एक तो रिमोट से खुलने वाला बंगले का गेट, फिर गेट के बाहर चारों ओर खड़ी कम से कम दस फीट की लम्बी दीवार और उसके बाहर आर्यन के बाउंसर....एक नहीं कई अड़चने हैं।
यह आदमी सच में दुनिया की नजरों में कुछ और है और रियल में कुछ और…..क्या सारे बिजनेस मैन ऐसे ही होते हैं.? अच्छा हुआ कि मैं हूं अगर मेरी जगह आर्यन का पाला किसी रिपोर्टर से पड़ा होता तो उसे आर्यन के ऐसे-ऐसे रूप देखने को मिलते जिनके बारे में छापते-छापते शायद उसका न्यूज पेपर भर जाता और टीआरपी के मामले में वह नंबर वन बन जाता।
‘’अब चले किचन में, खड़े खड़े मेरी पर्सनालिटी के बारे में सोचते रहने से खाना नहीं बनेगा।‘’
सोच में डूबी मीरा का ध्यान भंग करते हुए आर्यन ने कहा।
इधर राघव दिल्ली एयरपोर्ट के बाहर निकला और एक गहरी सांस ली...पांच साल से भी ज्यादा का समय हो गया था, इस शहर को छोड़े हुए। उस समय पता नहीं था कि वह कितना कुछ खोकर यहां से जा रहा है, वह अपने परिवार, अपने प्यार मीरा की सलामती के लिए यहां से गया था, उस प्यारे से मासूम बच्चे को बचाने के लिए दिल्ली छोड़कर गया था, राघव ने उन परिचित हवाओं को एक बार फिर से महसूस किया जिससे वह पांच साल से वंचित था। अब वह इन हवाओं में अपनी सांसो को घोलने के लिए फिर से आ गया था...वह पूरी तैयारी के साथ आया था, अब वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था। उस चीफ की बरबादी के लिए, नैना से हिसाब चुकता करने के लिए, अमरीश को उनकी जगह याद दिलाने के लिए, मीरा के मन में एक बार फिर से अपने लिए इज्जत बनाने के लिए....वह जानता था कि वह मीरा को हमेशा के लिए खो चुका है, पर जिस कारण उसने मीरा को खोया था अब उस कारण को ही समाप्त करने का समय आ गया था।
सामने एयरपोर्ट के बाहर उसका दोस्त जतिन ऊर्फ यशवर्मन, राघव के नाम का नेमप्लेट लेकर खड़ा था, इस समय वह सादे कपड़ो में बिना किसी सिक्योरिटी के था, चेहरे पर मास्क लगा रखा था और माथे पर बाल बिखेर रखे थे, आंखों पर काला चश्मा चढ़ा था जिससे आसपास आने जाने वाले लोग यह अंदाजा लगा ही नहीं सकते थे कि एयरपोर्ट के बाहर आम आदमी के जैसा नेमप्लेट लेकर खड़ा यह आदमी कोई और नहीं दिल्ली के पॉवरफुल लोगों में से एक है, दिल्ली पुलिस कमिशनर है।
वह पुलिस कमिश्नर जिससे दिल्ली के चीफ मिनिस्टर भी डरते हैं...जब-जब दिल्ली में कुछ भी गलत होता है तो उसकी जिम्मेदारी लेने में यशवर्मन कभी पीछे नहीं हटता। वैसे तो राघव जतिन को पहचानता था, पर एयरपोर्ट पर जतिन को मास्क लगाकर आना पड़ा वह राघव को किसी और के द्वारा नहीं बुला सकता था।
उसने राघव को पहले ही बता दिया था कि एयरपोर्ट पर मैं ही तुम्हें रिसीव करूंगा और तुम्हारे नाम का नेमप्लेट लेकर चेहरे पर मास्क लगाकर खड़ा रहूंगा।
पहले तो राघव ने हंसते हुए मना कर दिया कि इसकी कोई जरूरत नहीं है....मैं आ जाऊंगा, मैं दिल्ली का चप्पा चप्पा जानता हूं….वैसे दिल्ली का कमिश्नर ऐसे भेष बदलकर आए मुझे अच्छा नहीं लगेगा।‘’
जतिन ने कहा, मुझे पता है और यह भी जानता हूं कि दिल्ली को मुझसे ज्यादा अच्छे से तुम जानते हो...पर राघव तुम पर नैना की नजर है - दिल्ली और नोएडा ही नहीं, मुंबई में भी उसके पालतू गुंडे फैले हुए हैं। शुक्र मनाओ तुम्हारी फोटो उसके पास नहीं है वरना अब तक तो तुम शायद उसके शिकंजे में होते।
तुमने ही तो मेरी सारी फोटोज को ढूंढ-ढूंढकर कहीं छिपा दिया था…यहां तक कि मेरे कॉलेज फ्रेंड और मेरी फैमिली से भी मेरी सारी फोटोज ले ली थी।‘’
‘’यह इतना आसान नहीं था राघव....पांच साल पहले तुमने जो कसम ली थी, उसके लिए यह सब करना जरूरी था। तुम्हारी सारी पहचान मिटानी जरूरी था, वरना तुम्हारा अंडरकवर ऑफिसर बनना इम्पासिबल होता।‘’
राघव ने सहमति में गरदन हिलाई और कहा, ‘’यह सब तुम्हारे कारण हुआ है, तुम न होते तो शायद यह सब पॉसिबल नहीं होता…उस समय मुझे ऐसा कोई नहीं मिला था जिस पर मैं भरोसा कर सकता था.। एक मीरा को छोड़कर सारी दुनिया मुझे झूठी, कपट, छल और मक्कारी से भरी हुई लग रही थी। हर ओर धोखेबाज और कातिल नजर आ रहे थे…ऐसे में तुमने मेरी मदद की और कबीर के साथ सुरक्षित दिल्ली से बाहर निकाला।
‘’मैंने कुछ नहीं किया है, उससे ज्यादा एहसान तुमने मेरे ऊपर किया है…मैं आईपीएस की ट्रेनिंग में था और तुमने मेरे बेटे रेयांश की देखभाल की, दो अलग-अलग जगहों पर कबीर और रेयांश की देखभाल करते रहे.।’’
राघव ने कहा, ‘’हां, पर अब दोनों दोस्त हैं, सबकुछ साथ-साथ ही करते हैं - साथ सोना साथ उठना, साथ ब्रेकफास्ट करना, साथ स्कूल जाना...अब तो वे दोनों स्कूल जाना इंजॉय करने लगे हैं।‘’
‘’थैंक गॉड अब हम दोनों अपना काम आसानी से कर सकते हैं, चलो कल मैं तुम्हें एयरपोर्ट पर मिलता हूं‘’ कहकर जतिन यानी यशवर्मन ने फोन रख दिया।
अपना नेमप्लेट देखकर राघव ने मास्क धारी जतिन को देखकर हाथ हिलाया…जैसा जतिन ने कहा था कि अब राघव को अपना हुलिया बदलना होगा, दाढ़ी मूछें बढ़ानी होगी, बाल भी लम्बे करने होंगे, आंखो का रंग बदलना होगा, इससे कम से कम नैना को तो धोखा मिल जी जाएगा।‘’
राघव ने अपनी काली आंखो पर हल्के हरे रंग की लेंस चढ़ा रखी थी, जिससे उसकी आंखे काली न होकर हरे रंग की नजर आ रही थी।
राघव को यह अजीब लग रहा था, सावंले चेहरे पर हरी आंखे…पर उसे अलग और अजीब दिखना ही था। एक अंडरकवर आफिसर जिसके पास एक खास मिशन है और अब एक खास काम पर जाना था उसके लिए अजीब तो दिखना ही था और दूसरी बात नैना के पास तो राघव की कोई फोटो भी नहीं थी तो वह जरूर राघव का स्क्रेच बनवाती, उसे ढूंढने का प्रयास करती। अब कम से कम राघव और जतिन निश्चित थे कि नैना जो स्केच बनवाएगी वह आज के राघव से एकदम अलग होगा…नैना के गुंडे उसे शायद ही कभी पकड़ पाएं।
‘’तुम्हें तो मैं भी नहीं पहचान पा रहा हूं‘’ राघव से गले मिलते हुए जतिन ने कहा।
‘’तो अभी हम कहां जा रहे हैं?’’ राघव ने पूछा।
“मंत्री बलवंत जी के घर...उनकी बेटी किडनैप हुई है।”
राघव ने विस्मय से जतिन को देखते हुए पूछा, ‘’बलवंत जी की बेटी...जहां तक मैंने सुना है बलवंत जी की कोई बेटी नहीं है, दो बेटे हैं जो कहीं विदेश में शिफ्ट हैं, क्या उन्होंने दूसरी शादी की है?‘’ राघव ने बड़े आश्चर्य से पूछा।
जतिन ने पहले ही बता दिया था कि उसे मंत्री बलवंत सिंह जी के लिए काम करना है, तो राघव ने गूगल और फेसबुक के जरिए बलवंत सिंह और उनके परिवार वालों के बारे में सबकुछ पता कर लिया था।
जतिन ने राघव का सूटकेस कार की डिग्गी में डालकर अपने मुंह पर ऊंगली रखकर चुप रहने का इशारा करते हुए कहा, ‘’श श श श...ऐसी बातें ऐसे पब्लिक प्लेस में नहीं बोलते, हमे भी पता है कि उनकी कोई बेटी नहीं है…पर यह दुनिया की नजरों में, इन मंत्रियों के चरित्र के बारे में तुम नहीं जानते...लोगों की नजरों में यह इनकी गोद ली हुई बेटी है लेकिन एक्चुली में उनकी अपनी ही है, बहुत साल पहले इनकी एक पर्सनल सेक्रेटरी हुआ करती थी जो बहुत ही सुंदर थी।’’
राघव ने जतिन को अपनी पूरी बात कहे बगैर कहा, ‘’ओह अब समझा…तो यह बात है।
अपनी गोद ली हुई बेटी को छुड़ाना चाहते हैं, बिना किसी हो हल्ला के, अब तुम फटाफट फ्रेश हो जाओ जिससे आज से ही हम इस मिशन पर लग जाए, वैसे तुम्हें अपने भाई रमन की शादी में भी जाना होगा...नैना की नजर तुम्हें जरूर ढूंढेगी, उसे चकमा कैसे दोगे?
राघव ने कहा, ‘इसमें तो और मजा आएगा‘’ और कहते ही जतिन के साथ कार में बैठ गया।
’’थैक गॉड अब यहां मीरा नहीं है‘’ राघव ने मन ही मन सोचा।
क्या राघव का दिल्ली आना सफल होगा?
क्या वह अपना भेष बदलकर नैना को चकमा दे पाएगा?
क्या आर्यन और मीरा और करीब आ पाएंगे?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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