कैसे हैं भाई लोग. सब चंगा? होना ही चाहिए. धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा. जिन्दगी को चलाना या दौड़ाना या उड़ाना इतना आसान तो नहीं न. भाई सबसे पहले तो यही चाहिए न कि कोई उसे चलाना, उड़ाना या दौड़ाना सिखाये. तब तो बात बनेगी न इसलिए लाइफ का एक मंत्र सीखने का—अपना एक गुरु बनाने का. और उसी से हर पिराबलम का सोल्यूशन जानने का. मैं बता रहा हूँ. ये काम करता है. सीधा सा फंडा है, अपनी लाइफ में अपना एक उस्ताद चुन लेने का. और जब भी कोई दिक्कत हो तो उसके पास भागने का. रुकने का नहीं. रुके तो गए. और हाँ एक और बात. सोच समझ कर ही किसी को उस्ताद बनाने का. दुनिया चालू है न बाबा.
इंद्रपुरी चाहे जैसी जगह हो लेकिन यहाँ उस्तादों की कमी नहीं. हर कोई एक दूसरे का उस्ताद बनने के लिए हमेशा तैयार। चाहे जिसे बना लो। लेकिन ये उस्तादी किसी काम की भी तो नहीं। ऐसा भी तो नहीं था न कि किसी की बात मान लो तो लाइफ सेट हो जाए। लाइफ सेट होने में जिंदगी लग जाती है साहब। आप हैं किस फिराक में। और जब बात अपने चुन्नी की हो तो जरा सोच समझकर ही उस्ताद पकड़ना होता है न। तो अपने चुन्नी बाबू ने सोच समझ कर ही उस्ताद पकड़ा। और उसके उस्ताद बने मोची। मोची की अपनी एक कहानी अलग है। मौका मिला तो जरूर सुनाऊंगा। लेकिन अभी तो यही समझिए या जानिए या जान लीजिए कि ये जो मोची है, अभी तो यही उस्ताद है अपने चुन्नी का। क्योंकि चुन्नी के हर समस्या का समाधान इसी मोची के पास है। और इस मोची का क्या है, समस्या चाहे कोई भी हो, har समाधान का दस रुपया फिक्स है। अब कोई झोलाछाप गुरु थोड़े ही है कि मुफ्त में ज्ञान पेल दे। ज्ञान पेलना आसान काम नहीं। उसके लिए अव्वल दर्जे का हुनर और गोली देने का अनुभव आपके पास होना चाहिए। तभी आप ज्ञान पेल पाएंगे। नहीं तो लहर लहर लहराए मेरा प्यारा तिरंगा गाना तो है ही। गाइए और झूमिए, टेंशन क्या???
और जब चुन्नी जैसे बंदे की बात हो और बात उसकी नौकरी बचाने की तब क्या करेगा इंद्रपुरी का लल्लन लाला, रामकृपा पंडित और क्या करेगी कसूरी बाई? उसके तो वैसे ही जलवे हैं। अपने चुन्नी उर्फ परम प्रतापी को चाहिए था एक गुरु। जो उसे हर एक समस्या से बाहर निकाल दे। और ये जो मोची था, जो वैसे तो दिनभर लोगों के जूते और चप्पल हाथ में लेकर ठोंक पीटकर बढ़िया बनाता था, अपने चुन्नी की नौकरी बचाने का असल ठेकेदार था।
तो भाई लोगों, वहां मिस चड्ढा के किचन में एक धमाका हो चुका है। ओवन फट गया और चाय, सिर्फ चाय क्या, बल्कि चाय पत्ती, चीनी या दूध सबका मिला जुला घोल पूरे किचन में फेल चुका है और अपने मिस्टर चड्ढा और मिस चड्ढा चुन्नी की ऐसी तैसी करने की कसम ले चुके हैं तब अपने चुन्नी बाबू वहां से भागकर आए हैं मोची के पास कि यही है, इसी ने बताया था कि मिस चड्ढा के घर काम मिलेगा और अब यही है जो मेरी नौकरी बचाएगा।
चुन्नी भागते भागते जब मोची के पास आया तब मोची एक खास किस्म के जूते की पोलिश में व्यस्त था। और ये जूता था वो कत्थई लाल का मिला जुले रंग का था। और अपने मोची की चिंता यह थी कि यह जूता जिस बिल्डर का था उसे किसी तरह खुश करना है। और जिस तरह खुश करना है, उसका चाबी था ये जूता। अगर ये भारद्वाज बिल्डर का जूता चमका देगा तो पैसा तो मिलेगा ही और इस इलाके से उसे एम.सी.डी. क्या खुद भारत सरकार भी हटा नहीं सकती।
तो मोची साहब अपने जूते को चमकाने में लगे ही हुए थे कि भागते भागते चुन्नी वहां पहुंचा। और मोची के हाथ से जूता छीनते हुए बोला, गई गई, ये नौकरी गई, सब खत्म
मोची सकपका गया। उसे कुछ समझ ही नहीं आया।समझ आएगा क्या? समझ आने लायक कोई बात पता तो हो। तो बात समझने के लिए मोची ने चुन्नी से पूछा कि क्या हुआ क्यों बन्दर की तरह हरकत कर रहे हो। देख रहे हो कितने जरूरी काम में लगा हूं। और तुम मेरे इस एकदम जरूरी काम को अपने हाथ में लेकर हांफ रहे हो। क्या बात है? और सारी बात एक तरफ पहले आज के और कल का हिसाब करो पूरा। तब आगे की बात चलेगी।
चुन्नी ने वही जूता जो अपने हाथ में लिया था से खुद को मारने लगा। और कहने लगा कि गुरु बचा लीजिए मुझे। आप ही मेरे गुरु हैं उस्ताद हैं आप जो कहेंगे सब करूंगा। बस किसी तरह बचा लीजिए मुझे।
मोची को कुछ समझ ही न आए। क्या बला उठा लाया ये नालायक।
तब चुन्नी ने खुद ही सारी कहानी कह दी, कि क्या क्या साहब ने समझाया था, क्या क्या मैडम ने हिदायत दी थी और मैं क्या करके आया हूं। अब तो मैडम मुझे कहीं का नहीं छोड़ेगी। यार एक बता बताओ इसमें मेरी क्या गलती। मैं एक ऐसी जगह से आया हूं जहां चूल्हे के अलावा मैने कुछ देखा नहीं। भई खाना तो चूल्हे पर ही पकता ही है न। मुझे क्या पता कि इनके घर में चूल्हे जितनी जगह भी नहीं होगी। जाने क्या ये खाते हैं, जाने क्या पकाते हैं।
मोची ये सुनकर हल्का सा मुस्कराया। उसे ज्यादा कुछ तो अभी भी समझ नहीं आया था। वो तो बस पूरी राम कहानी सुनना चाहता था। तो उसने छेड़ते हुए अंदाज में कहा, तो हुआ क्या?अब हुआ क्या, ये पूरी कहानी अपने चुन्नी उर्फ परम प्रतापी जी ने पूरे प्रताप से कह सुनाई। कैसे मिस्टर चड्ढा से मिला, कैसे उसने लंबी लंबी हांकी है, कैसे उसने बढ़िया चाय बना कर पिलाने का वायदा करके ओवन फोड़कर आया है, सारी कहानी सुना दिया मोची को।
और मोची के पैरों में गिरते हुए बोला, भाई आप ही भगवान हैं, कुछ तरकीब निकाल दें, बचा लें मेरी नौकरी। सब आपके हाथ में है आप ही भगवान हैं। आप ही ने मुझे इस घर में भेजा था। अब आप ही कुछ बताएंगे कि कैसे इस घर में दुबारा जाऊं।
अब भैया अपने मोची खेले खिलाए आदमी। वो कोई इंद्रपुरी के नागरिक थोड़े थे। हां ये बात अलग है कि इंद्रपूरी के एकदम पास ही एक खोली में अपने मोची रहते थे, ये तो अलग बात हुई न। भाई अपना दिनभर शहर में रहता है। हजारों लोगों से दिनभर मिलता है। कई तरह के अनुभव झेलता है, सीखता है। जानता है कि कैसे खुद का महत्व बढ़ाना है।
तो मोची जी ने पहले तो चुन्नी को शांत कराया। समस्या समझी, और पूरी कहानी सुनने के बाद माथा ठोंकते हुए बोले, अबे झंडू लाल, जब नहीं जानता था कि ओवन में नहीं बनाना है चाय तो किस गधे ने कहा था कि चाय बनाओ। मैने कहा था क्या?
चुन्नी ने कहा, गलती हो गई भैया। आइंदा नहीं होगी।
होनी भी नहीं चाहिए। समझ गए कि नहीं। आज के बाद ये बेवकूफी इंद्रपुरी में छोड़कर आओगे। और हां एक और बात, आज से तुम दस रुपए नहीं, इस हफ्ते रोज बीस रुपए दोगे। तुम्हारी नौकरी पक्की समझो। घबराने की बात नहीं है। हमने बड़े बड़े केस सुलझा दिए, तुम हो किस फिराक में।
चुन्नी को सहारा मिला, चैन, मिला, चुन्नी खुश हुआ। उसे लगा उस्ताद का रेट महंगा है लेकिन क्या हुआ, उस्ताद ही काम आयेंगे। उसने लगभग हाथ जोड़ते हुए कहा कि रुपए आपके आपको मिल जाएंगे पहले ये बताइए कि इस संकट से कैसे निकलें।
तो मोची ने कहा कि खामोश, इस दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसे मैं नहीं सॉल्व कर सकता और तेरी समस्या तो एकदम बचकानी है। अभी के अभी सुलझाए देता हूं। पर ध्यान रहे, आज के बाद दस नहीं बीस रुपए रोज का लेगा मैं। मंजूर हो तो कहो वरना रास्ता तो खाली है ही।
चुन्नी ने कहा, प्रभु, बच्चे की जान न लीजिए। उपाय बताइये.
तो सुनो। मोची अब एकदम गुरु के अंदाज में आ गया। और बोलना शुरू किया, सुनो तुम पहले ऐसे आदमी नहीं हो जो इस घर में इस तरह के नुकसान कर रहे हो। यहां ऐसे ही लोग आते रहे हैं। खुद मैं न जाने कितने वर्षों से देखता आ रहा हूं। तुमसे पहले जो कामवाली थी, उसका तो जवाब ही नहीं था। वो जिस दिन इस घर की नौकरानी बनी थी उसी दिन से मैंने कसम खा लिया था कि आज के बाद इस घर का कोई जूता नहीं लूंगा। लेकिन क्या करें भाई? गरीब लोगों को कसम नहीं लेना चाहिए। सो मैने उस कसम को गंभीरता से नहीं लिया। अब ये मत पूछना कि मैने क्यों ये कसम ली थी। वो बाद में बताऊंगा।
फिलहाल तुम मेरी ये बात एकदम ध्यान से सुनो। अबतक तुमने जो किया, उसे भूल जाओ। अब आगे बढ़ो। तुमसे पहले वाली जो काम वाली थी वो बस्ती से भागकर आई थी। तुम्हारी तरह ही काम मांग रही थी सड़कों पर। वो तो मैं था जिसकी नजर उस कमसिन अनारकली पर पड़ी। वरना इस दुनिया में कौन है जो किसी की मदद करता है। जैसे कुछ दिन पहले तुम लोगों से भटक भटक कर काम मांग रहे थे वैसे ही वो भी लोगों से काम मांग रही थी। तो मैंने ही उसे इस घर के बारे में बताया।
और देखिए साहब, मेरे देखते ही देखते उसने इस घर में कब्जा कर लिया और क्या मिस चड्ढा और क्या मिस्टर चड्ढा, सब के सब उसके गुलाम हो गए। कोई बिना पूछे उससे करेला तक नहीं खरीदते थे।
ये बातें सुनकर चुन्नी को लगा जैसे उसके लिए कोई रास्ता निकल रहा है, उसने बेहिचक पूछ डाला, हां हां तो बताओ न गुरु उस कामवाली ने ऐसा क्या कर दिया था जिससे मिस चड्ढा और मिस्टर चड्ढा इतना ज्यादा खुश हो गए थे।
तब मोची ने कहा कि भरोसा।
उस कामवाली ने भरोसा दिला दिया था दोनों को।
तब चुन्नी ने पूछा कि कैसा भरोसा?
मोची ने कहा देखो, ज्यादा होशियार बनोगे तो यही जूता जो तुम्हारे हाथ में है, कब तुम्हारे सर पर होगा, समझ नहीं पाओगे।
चुन्नी ने अपने गुरु उर्फ मोची के पैर पकड़ते हुए कहा, गुरु जी, आप जो कहें, बस मुझे ये बता दें कि कैसे मैं इस घर की नौकरी पक्का कर सकता हूं।
तब गुरु उर्फ मोची ने कहा कि बता तो रहा हूं लेकिन तुम उस कामवाली की तरह मत निकलना जो बिना गुरु दक्षिणा दिए निकल भागी।
चुन्नी ने जो मोची के पैर पर पहले से ही झुका था, पैर को थोड़ा और दबाते हुए कहा कि विश्वास करिए। तब मोची ने कहा कि अच्छा सुनो तुम हो निरे बेवकूफ। इस घर में मिस्टर चड्ढा की एकदम नहीं चलती। जो हैं वो मिस चड्ढा। तुम्हें उनकी तारीफ के कसीदे पढ़ने हैं। समझे? नहीं समझ. आज से तुम्हारे लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत और हसीन महिला है मिस चड्ढा। क्या समझे? कौन है खूबसूरत? मिस चड्ढा.
और दुनिया की सबसे बदसूरत औरत है?
मिस बिड़ला?
वाह गुरु तुम तो सब समझ गए। आगे कैसे खेलना है ये तुम्हारा काम. लेकिन देखो, इसमें मेरा नाम नहीं आना चाहिए। इस घर में अगर अपनी नौकरी पक्की चाहते हो तो मिस बिड़ला की बुराई करनी शुरू कर दो।
चुन्नी ने कहा, एकदम उस्ताद. आज से मेरी मंजिल एकदम साफ़ है. मिस बिड़ला की बुराई और जी खोलकर मिस चड्ढा की खूबसूरती की तारीफ़.
मोची ने कहा, गुड वैरी गुड. अब जाओ और जाकर अपनी किस्मत आजमाओ.
तो साहिबानों अपने चुन्नी को मिल गए हैं उनके उस्ताद. अब यही सिखायेंगे उन्हें लाइफ के गुरु मंत्र और देखना ये है कि क्या वाकई इस गुरु मंत्र में चुन्नी की नौकरी बच पायेगी? जानने के लिए पढिए अगला एपिसोड.
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