बचपन में एक खेल खेला करते थे हम सब। आपने भी खेला ही होगा। नहीं खेला होगा तो उसका मैं कुछ नहीं कर सकता। लेकिन सुनिए पहले, उस खेल का नाम था लट्टू नचाना। अब लट्टू नचाना भाई साहब अपने आप में एक आर्ट थी। पहले लट्टू के चारों तरफ डोर लपेटना फिर उसे बड़े ही स्टाइल से जमीन पर नचा देना। अब सारा खेल इस नाचा देने में ही होता था। जितना बढ़िया आपने लट्टू नचाया, उतनी ही देर और तेज लट्टू नाचता था। इस लाइफ में यारों कुछ ऐसा ही होता है। यहां सबके हाथ में एक लट्टू है और इस लट्टू को हमें बार बार नचाना होता है ताकि लाइफ की बत्ती हमेशा जलती रहे।
अब आप चाहे जहाँ कहीं हो, जिस जगह हो, अपना अपना लट्टू ही नाचा रहे हैं. जो जितना बड़ा खिलाड़ी, वो उतना ही अच्छा लट्टूबाज. कोई अपने टीचर को लट्टू की तरह नचा रहा है, कोई अपने बॉस को, कोई अपनी बीवी को नचा रहा है तो कोई अपने हसबैंड को. कोई अपने मकान मालिक को तो कोई अपने किराएदार को. तो समझे हुजुर ए आला. इस दुनिया में हर कोई एक लट्टू बाज ही है. अब जिसका लट्टू नाच गया, वही है असली खिलाड़ी.
और अब देखना यह है कि अपने चुन्नी बाबू उर्फ़ परम प्रतापी जी कितने अच्छे या बुरे लट्टू बाज हैं. हैं भी या बस अपने नाम की ही तरह भारी गोलीबाज हैं.
तो अब तक आपने जाना कि मोची ने चुन्नी को अपनी नौकरी बचाने का एक ख़ास नुख्सा बता दिया है. और वो नुख्सा है कि किसी भी तरह से मिस चड्ढा की तारीफ़ करना, उनकी खुशामद करना और हर तरह से उन्हें खुश करना. और मिस बिड़ला की हमेशा बुराई करते रहना.
लेकिन यह तो तब होगा न जब चुन्नी ने जो चाय काण्ड किया था, मिस चड्ढा उसपर तेज़ाब डालकर उस घटना को भूल जाएँ और चुन्नी को दुबारा काम पर रख लें. तो चुन्नी को एक आइडिया सूझा. और चुन्नी बेधड़क मिस चड्ढा के घर में चला आया. और आते ही मिस चड्ढा से मैडम मैडम मैं उस औरत को छोडूंगा नहीं.
मिस चड्ढा एकदम आग बबूला हो गयी थीं. हाथ में तलवार तो नहीं था लेकिन साक्षात रण चंडी का अवतार बन गयी थीं. उन्होंने सोच लिया था कि इस चुन्नी के बच्चे से एक तो पूरा किचन साफ़ कराउंगी और ऊपर से ओवन की जो हालत हुई थी, उसके पैसे भी भरवाउंगी. समझता क्या है अपने आप को? गंवार कहीं का.
लेकिन यहाँ तो चुन्नी ने आते ही अलग ही आलाप छेड़ दिया. बाहर गेट पर मिस्टर चड्ढा की गाडी नहीं थी, तो चुन्नी को यह समझते देर न लगी कि मिस्टर चड्ढा घर में हैं नहीं. बस फिर क्या था. वो उतनी ही जोर से बोलने लगा, मैडम मैडम, मैं उस औरत को छोडूंगा नहीं. इतनी बुरी औरत मैंने आज तक नहीं देखी.
मिस चड्ढा ने देखा कि किस आदमी के चहरे पर ज़रा भी पछतावा नहीं. कोई गिल्टी नहीं. मिस चड्ढा को बड़ा अजीब लगा. उन्होंने कहा, मैडम के बच्चे पहले ये बता कि आज तूने ये क्या रायता फैलाया है मेरे किचन में? मेरा इतने कीमती ओवन का तूने सत्यानाश कर दिया, पूरे किचन को मच्छी बाज़ार बनाकर यहाँ से भाग गया था. तेरी हिम्मत कैसे हुई इस घर में दुबारा आने की?
चुन्नी अपनी बात कहता इससे पहले ही उसने कि यही समय है बेटा, सबसे पहले मिस चड्ढा के पैरों में गिरकर माफ़ी मांगी जाए और उसके बाद मोची के बताये गुरु मंत्र पर काम किया जाए. तो चुन्नी ने ऐसा ही किया. सबसे पहले वो पैरों में गिर गया और जोर जोर से रोने लगा :
मुझे माफ़ कर दीजिये मैडम, माफ़ कर दीजिये, बहुत भूल हुई मुझसे मैडम, आप तो देवी हैं, साक्षात पार्वती माता हैं, लक्ष्मी हैं, आपके साथ बुरा करके मेरा कहीं भला नहीं होने वाला मैडम. गरीब आदमी हूँ मैडम. मुझे माफ़ कर दो मैडम. आज के बाद आपको कभी शिकायत का मौक़ा नहीं दूंगा. पता नहीं कैसे मैं उस औरत के बहकावे में आ गया था.
औरत शब्द सुनते ही मिस चड्ढा के कान खड़े हो गए. ये प्रतापी जब से आया है, औरत औरत किया जा रहा है, आखिर ये बला क्या है?
मिस चड्ढा ने कहा, कौन औरत? किस औरत के बहकावे में आ गया तू?
मिस चड्ढा ने जब यह सवाल पूछा तो पैर में पड़े पड़े ही चुन्नी के चहरे पर मुस्कान आ गयी. चुन्नी को लगा हाँ ये हुई न बात. चल बेटे परम प्रतापी. समय आ गया है अपना प्राताप दिखाने का. लेकिन चुन्नी ने भी कोई कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं. जो एक दो बार पूछने पर ही सब बोल दे. गोंडा के गाँव से भागना, ट्रेन में अपना नाम बदलना, इंद्रपुरी में आकर गिरना और जगह की धूल फांकना, कोई आसान काम नहीं है. और इन अजीबोगरीब अनुभवों ने चुन्नी को वो सब सिखा दिया था, जिससे वो अपनी लाइफ को आगे बढ़ सके.
जब मिस चड्ढा के बार बार पूछने पर भी चुन्नी पैरों में ही पड़ा रहा और कुछ नहीं बोला तब मिस चड्ढा ने कहा कि अगर अब भी तूने रोना बंद करके उस औरत के बारे में नहीं बताया, तो अभी के अभी इस घर से निकल जा. मैं अपने लिए कोई दूसरा नौकर खोज निकालूंगी. वैसे भी जब से तू आया है मेरे घर का सत्यानाश कर दिया है.
चुन्नी इसी मौके के इंतजार में था. तुरंत खड़ा हो गया. एकदम उस फौजी की तरह जिसे अभी अभी मेडल पहनाया जाना हो. और खड़े होते ही लगभग सेल्यूट ठोंकने के अंदाज़ में बोला,
मैडम, वो औरत! उसे मैं एकदम नहीं जानता था मैडम. जब मैं सुबह आया तो आपके घर के बाहर सबसे पहले वही औरत मिली थी मोची की दूकान में. मैं तो मूरख हूँ मैडम. गाँव से आया हुआ. ये शहर की बातें मेरी खोपड़ी में नहीं घुसतीं. मोची से दुआ सलाम करने गया था. और मोची उस औरत से मेरे बारे में बताने लगा कि बहुत ही शरीफ हूँ मैं, ये हूँ मैं वो हूँ मैं. पहले तो मुझे समझ ही नहीं आया मैडम कि वो औरत है कौन जिससे मोची मेरी तारीफ़ कर रहा था. फिर मुझे लगा कि हो सकता है आपकी जानने वाली हैं तो मैंने उन्हें भी सलाम किया. जब मैं वहां से आने लगा तब उस औरत ने मुझे बुलाकर कहा कि ओवन में एक अच्छी चाय पिलाकर मिस चड्ढा को जरूर पिलाना.
अब मैं तो मैडम गाँव से आया हुआ हूँ. मुझे क्या पता ओवन क्या चौवन क्या? लेकिन मेरी मोटी बुद्धि में ओवन रह गया. मुझे लगा शहर में लोग ओवन में ही खाना बनाते होंगे इसलिए मैंने उसकी बात मानकर ओवन में चाय बना दी. मैडम मुझे क्या पता था कि उस औरत ने मेरी नौकरी को आग में झोकने के लिए भेजा था. नौकरी तो बाद की बात मैडम. अगर मैं वहीं ओवन के पास खड़ा रहता तो अब तक भगवान् को प्यारा हो चुका होता. ऊपर से आपपर मजदूर पार्टी के लोग जो केस चलाते वो अलग कि काम करा कराकर एक बेचारे गरीब नौकर को मार डाला मिस चड्ढा ने. और मैडम आप जैसी सीधी, सुन्दर और सुशील स्त्री के ऊपर ऐसे आरोप लगें ये मेरे जीवित रहते तो क्या मेरे मरने के बाद भी संभव नहीं. मैंने आपका नमक खाया है मैडम. ये बोलकर चुन्नी ने झूटमूट के आँखें पोछने लगा.
मिस चड्ढा चुन्नी की बातें बहुत ध्यान से सुन रही थीं और चुन्नी की बातों में फंसती भी जा रही थीं. और उन्हें वाकई ये समझ में आ गया कि गलती आखिर चुन्नी की नहीं है. वो तो गाँव से आया है. उसे क्या पता कि ओवन क्या है? इन्डक्शन क्या है? कम से कम चुन्नी को हर चीज़ अच्छे से समझानी चाहिए थी. मिस चड्ढा को चुन्नी के ऊपर दया सी आई. और गुस्सा शांत किया अपना.
तब चुन्नी से कहा, रुको रुको. ज्यादा चिंता मत करो अपनी मैडम की. रुको पहले मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाऊं.
वो किचन से एक सैंडविच ले आई. और चुन्नी को देते हुए पूछा कि उस औरत का नाम बता सकते हो?
चुन्नी जो जन्म जन्मान्तर से भूखा ही है, सैंडविच को देखकर तो उसके मुंह में पानी आ गया. हालांकि आज तक उसने कभी सैंडविच खाया नहीं था लेकिन कुछ खाने की चीज़ इससे अच्छी क्या बात हो सकती है. उसने मन ही मन मोची को सलाम किया और सैंडविच पर टूट पड़ा.
उसे यूं भेडियो की तरह खाता देख तो एकबार को मिस चड्ढा के मुंह में भी पानी आ गया.
लेकिन अपने मुंह के पानी को मुंह में रखते हुए मिस चड्ढा ने चुन्नी से पूछा कि अच्छा प्रतापी! उस औरत का नाम क्या था? कुछ याद है?
नाम? नाम तो नहीं याद मैडम? और उसका नाम लेना ही नहीं चाहता मैं। बहुत ही बुरी औरत है मैडम, वो तो आपका दिल बहुत बड़ा है, वरना आज जो मैंने किया है, अगर किसी और के साथ करता तो जेल में चक्की पीस रहा होता। आप देवी हैं मैडम।
इतना सुनते ही तो मिस चड्ढा तो जैसे सातवें आसमान पर पहुंच गई , बताइए, आजतक भला किसी को इतना ईमानदार और सीधा नौकर मिला है। वो तो मैं हूं मैं, मिस चड्ढा, जिसका मन गंगा के पानी की तरह साफ है तभी ऐसा प्यारा प्रतापी मुझे मिला है। वरना आज के नौकर तो घर के मालिक को चूना लगाने में ही लगे रहते हैं।
मिस चड्ढा गर्व से फूल ही रही थीं कि तभी सैंडविच का मजा लेते हुए चुन्नी ने कहा कि
किडला हां किडला नाम था उस औरत का।
मिस चड्ढा ने पूछा, किडला? ये कैसा नाम हुआ किडला ? ये भी भला कोई नाम हुआ?
तब चुन्नी ने कहा, मैडम मुझे क्या पता. वो तो मोची ने ही कहा था कि यह मिस किडला मैडम हैं. पड़ोस में रहती हैं. बहुत अच्छी हैं. पहले तो मुझे भी लगा कि अच्छी हैं. लेकिन अब समझ में आ गया है. तौबा तौबा. भगवान् दूर ही रखे ऐसी औरतों से.
तब मिस चड्ढा को ज़रा खटका सा लगा. उन्होंने आँखें चढाते हुए पूछा, कहीं मिस बिड़ला तो नहीं ?
चुन्नी को तो पता ही था. उसने झट से कहा, हाँ हाँ मैडम. मिस बिड़ला ही. देखिये आप कितनी समझदार हैं. आपने एक झटके में पहचान लिया. आप जैसी स्मार्ट मैडम कौन ही होगी इस शहर में. लेकिन मैडम एक बात कहूँ, इतनी अच्छी होते हुए भी आपको रत्ती भर भी इस बात का घमंड नहीं है. और एक वो मिस किडला, क्या बोला आपने? मिस बिड़ला? उसके तो हर हाव भाव में घमंड झलकता है मैडम.
अब मिस चड्ढा को समझ आ गया कि ये सारा खेल मिस बिडला का है. खूब जोर जोर से बोलने लगी. इतना जोर से कि पड़ोस वाले कोठी तक आवाज जाए जिसमें वाकई मिस बिडला रहती थी. ताना मारने की अंदाज़ में मिस चड्ढा बोलने लगी: अब तो इस सोसाइटी में रहना भी मुश्किल है. भाई इतनी ही जलन है तो एक नौकर रख लो न. लेकिन भगवान देखता है सब कुछ. मन साफ़ हो, अच्छा हो तब तो कोई नौकर मिलेगा न. मन में ही जब तीन पांच भरा हुआ हो तो मेरे प्रतापी जैसा भोला नौकर कैसे मिल सकता है?
उधर मिस चड्ढा ताने पर ताने कसी जा रही थी, इधर अपना चुन्नी उर्फ़ प्रतापी जी सैंडवीच के स्वाद में खोये हुए थे. इतनी बढ़िया चीज़ उसने पहली बार खाई थी और खाली पेट इतना हेवी ग्रिल्ड सैंडविच खाकर किसे नींद नहीं आती...अपने चुन्नी को भी आ गई, सो चुन्नी सो गया था.
अब मैं आपको एक बात बताऊं तो हंसियेगा नहीं. चुन्नी ने तो हवा हवाई बातें की थीं. लेकिन अपनी मिस चड्डा इतनी सीरियस हो गयी थी, कि चाय काण्ड को एकदम भूलकर वो अब चुन्नी उर्फ़ परम प्रतापी को देख रही थी सैंडविच खाकर एकदम चैन से सो रहा है और उन्हें उसपे दुलार आया. उन्होंने उसे आराम से वहीँ सोने दिया सिर्फ ये सोचकर कि उठेगा तो किचन और घर की अच्छे से सफाई कराउंगी.
तो समझे न भाई लोगों. जिन्दगी को एक मंत्र चाहिए. और ऐसा मंत्र जो चुन्नी को मिल गया था. ऐसा मंत्र अगर आपको भी मिल जाये तो आपके सपने भी जल्द ही पूरे होंगे. हाहा, भाई देखो मैं ज्योतिष नहीं. आप भी जाकर अपनी लाइफ के अपने मंत्र की खोज में जुट जाइए.....और मैं भी निकलता हूं कहानी में आगे क्या हुआ, ये खोजने के लिए।
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