रेशमा की चीख इतनी दर्द भरी थी कि आसमान तक थर्रा गया था लेकिन वहां खड़े लोग इस चीख का मज़ा ले रहे थे. वो जिस शख्स को देख कर चीखी थी वो छुन्नू और अभिराज थे. जो अभी अभी उसके घर के आँगन में दाखिल हुए थे. 

रेशमा की चीख सुन कर अभिराज ने छुन्नू के कान में बेशर्मों की तरह कहा

अभिराज: “लगता है हमें देख इसकी यादें ताजा हो गयी हैं. फिर से चलें क्या.”

इस पर छुन्नू बहुत ज़ोर से हंसा. उसकी हंसी इतनी तेज थी कि कोई बहरा भी कोशिश करे तो सुन पाए लेकिन वहां खड़े लोगों को ना उसकी हंसी सुनाई दे रही थी ना उसकी हैवानियत दिख रही थी. 

रेशमा के अंदर का गुस्सा छुन्नू की इस बेशर्म हंसी के बाद और तेज हो गया. वो लड़खड़ाते क़दमों के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके पिता ने उसे रोक लिया. ऐसा पहली बार था जब उसके पिता ने उसको कुछ करने से रोका था और रेशमा भी रुक गयी थी. बाहर खड़े सिपाही घर के अंदर घुसने वाले थे लेकिन तभी छुन्नू ने उन्हें रोका. वो बोला

छुन्नू: “हवलदार साहब, बेचारी पहले ही परेशान है. किसी ने इज्जत लूट ली है. क्यों उसे और परेशान कर रहे हैं. जाइए, अब हम इस मामले को सम्भाल लेंगे.”

पुलिस वाले छुन्नू के कहने पर ही तो आये थे, उसी के कहने पर लौट भी गए. सुजाता अभी भी बाहर ही थी, घर के बाहर, चबूतरे पर बैठी कभी अपना सिर पीट रही थी तो कभी खड़ी हो कर दीवार पर लिखा मिटाने की कोशिश कर रही थी. ऐसा करते करते उसके हाथ छिल गए थे. 

इधर छुन्नू ने आगे बढ़ते हुए कहा

छुन्नू: “बताओ हरिया, हम तुम्हारे कितने बड़े शुभचिंतक हैं, पुलिस का मामला भी निपटा दिए और तुम हो हमको दुश्मन माने बैठे हो. चलो अब ज़रा हमको बिटिया की हालत देखने दो, देखें तो सही उन दरिंदों ने कैसा हाल किया है उसका.”

भले ही हरिया ने उसे बस में ना देखा हो मगर वो जानता था कि इसके पीछे वही है. उसका मन कर रहा था कि उसे जान से मार दे लेकिन वो बेबस है. वो जानता है कि छुन्नू अभी उसके परिवार समेत उसका घर जला देगा और यहाँ खड़ा एक भी शख्स उसकी मदद के लिए आगे नहीं आएगा. ऐसे में उसके गुस्सा दिखाने का कोई फायदा नहीं.

हरिया छुन्नू के पैरों में गिरते हुए बोला

हरि: “बहुत हो गया मालिक. अब और बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे. हम वचन देते हैं रेशमा कभी पढ़ाई का नाम तक नहीं लेगी. ना घर से निकलेगी. हम भी अपनी गलती मानते हैं. पूरी जिंदगी आपकी सेवा में लगा देंगे. बस अभी हम लोग को चैन से अपना दुःख मनाने दीजिये.”

हरिया और रेशमा के घमंड को अपने पैरों में देख छुन्नू एक घमंड भरी हंसी हंसा. वो बोला

छुन्नू: “ठीक है अभी हम जा रहे हैं, तुम लोग चैन से रो लो लेकिन बिटिया का हाल चाल लेने आते रहेंगे. खुद को अकेला मत समझना.”

हाल चाल लेने आते रहेंगे से उसका मतलब था तुम्हारे जख्मों को कुरेदने आते रहेंगे. 

धीरे धीरे वहां से भीड़ भी हट गयी. हरि बाहर जा कर सुजाता को जैसे तैसे अंदर ले आया. वो अभी भी दीवार पर लिखी गालियों को ही मिटा रही थी. हरि ने उसके छिले हुए हाथ देखे तो फूट फूट कर रो पडा. अंदर रेशमा रसोई में रखी पानी की बाल्टी से खुद पर पानी डालते हुए खुद को पागलों की तरह रगड़ रही थी. उसे अभी भी लग रहा था जैसे लाखों कीड़े उस पर रेंग रहे हों. उसने अपने बड़े नाखूनों से कई जगह से अपना शरीर छील लिया था. 

सुजाता जब घर के अंदर आई तो उसने अपनी बेटी को पागलों की तरह अपना शरीर नोचते देखा. वो उसे देख अपने सदमे से बाहर आ गयी और जाकर उसके पास बैठते हुए उसे गले लगा कर रोने लगी. सुजाता ने रोते रोते उसके जख्मों पर तेल लगाया, उसे नहलाया और उसके कपडे बदले. 

हरि अपनी बेटी को इस हालत में और नहीं देख सकता था. वो बाहर आँगन में जाकर बैठ गया और खुद की चीखें दबा कर रोने लगा. आज का ये भयानक दिन और ये डरावनी रात जैसे तैसे कट गयी थी. 

अब गाँव समाज के पास रेशमा के लिए ऐसा मरहम है जिसमें दवा नहीं बल्कि मिर्च लेप है. खुद को इस परिवार का हमदर्द बताने वाले लोग अपनी झूठी दिलासा के साथ धीरे धीरे हरि के घर पहुंच रहे हैं. रेशमा अपने पिता से बहुत कुछ कहना चाहती है. वो उन्हें हर जगह खोज रही है लेकिन हरि आज सुबह से ही घर नहीं आया है. वो अपनी बेटी से बचता फिर रहा है. 

हरि इस बात के लिए शर्मिंदा था कि एक पिता हो कर वो उसे बचा नहीं पाया. और तो और उसे अपनी बेटी के साथ दरिंदगी करने वालों के पैर तक पड़ने पड़े. उसे लग रहा था कि उसे अपनी जान दे देनी चाहिए. खुद को उसका हमदर्द बताने वाले कुछ गांववालों ने उसे सलाह दी कि उसे जल्द से जल्द गाँव छोड़ देना चाहिए. वहीं कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि उसे जितनी जल्दी हो सके रेशमा की शादी कर देनी चाहिए. एक ने तो उसे ये तक सुना दिया कि उसकी जगह कोई और होता तो परिवार समेत खुदखुशी कर ली होती. लेकिन इनमें से कोई ऐसा नहीं था जिसने उसके साथ खडा होकर ये कहा हो कि छुन्नू सेठ गलत है और उसे सजा मिलनी चाहिए. हरि भी सबकी बातें चुपचाप सुनता रहा. 

रेशमा के ज़हन में कल का हादसा हमेशा के लिए छप गया था. वो इस समय अपने दर्द को सहन करने की कोशिश में लगी हुई थी. उसे अपने बाबा के सिवा किसी से बात करने का मन नहीं कर रहा था. उसका दोस्त मृदुल जो उसे हर मुसीबत में याद आता था आज उसका ख्याल भी दूर दूर तक नहीं था. 

रेशमा की कुछ सहेलियां उसका दुःख बांटने उसके पास आई थीं लेकिन उनकी बातें दुःख बढाने वाली थीं. पहले तो उसकी चार सहेलियों ने उसे खामोश देख कर हैरानी जताई. उन्हें लगा था कि रेशमा फूट फूट कर रो रही होगी लेकिन वो एक दम शांत थी. सहेलियां हो कर भी वो समझ ना सकीं कि रेशमा शांत नहीं है बल्कि लाश बन चुकी है. उसे देखते ही गले लगा लेने वाली ये सहेलियां आज उससे ऐसे दूर बैठी थीं जैसे मानों उसे छूत की बीमारी हो. सच तो ये था कि इनका रेशमा के घर आना ही बड़ी बात थी क्योंकि लोग तो अपनी बेटियों को इनके घर की तरफ देखने तक से मना कर चुके थे. 

कुछ देर की चुप्पी के बाद एक सहेली ने कहा “तुझे तो हमने पहले ही कहा था ना कालेज जाने का सपना छोड़ दे. मगर तूने ही नहीं मानी.”

उसके हिसाब से रेशमा ने ही कॉलेज जाने का सपना देख कर गलती की. दूसरी बोली, “वो पक्का करमजला छुन्नू ही होगा जिसने तेरी ये हालत बनायी. वही था ना”

इस सहेली को उस दुष्कर्मी का नाम जानने की जल्दी थी जिसने रेशमा के साथ गलत किया था. 

एक और सहेली ने रेशमा के ज़ख्मों पर मिर्च का लेप लगाते हुए कहा कि अब तो ये गाँव वाले उसे जीने नहीं देंगे. जहाँ से वो निकलेगी लड़के गन्दी और भद्दी बातें करेंगे. उसने बताया कि जब वो लोग रेश्मा के घर की तरफ आ रहे थे, तब सूरज ने कहा था कि उसे कहना मन ना भरा हो तो मुझे बता दे.

खुद को रेशमा की सबसे अच्छी सहेली बताने वाली उस लड़की ने सलाह दी कि रेश्मा को जल्दी से शादी कर लेनी चाहिए जैसा भी लड़का मिले बस शादी कर के यहाँ से निकल जाना चाहिए. कुछ सालों में सब लोग भूल ही जायेंगे. 

रेशमा का मन हुआ कि ज़ोर से चिल्लाए और इन्हें यहाँ से दफा हो जाने के लिए कहे लेकिन उसमें अभी इतनी हिम्मत भी नहीं बची थी कि चिल्ला सके. उसे समझ आ गया था कि अब उसे ऐसी बातें सुनने की आदत डाल लेनी चाहिए.

बाहर आँगन में आस पड़ोस की औरतें सुजाता को दिलासे के साथ साथ अपनी मुफ्त की सलाह दे रही थीं. पड़ोस की मीना ने कहा ki जो हुआ वो भगवान की मर्जी थी. ऐसे पागल होने से बात नहीं बनेगी. अब आगे क्या करना है ये सोच चाहिए.

सुजाता की सहेली अंजू ने मीना की बात को आगे बढ़ाया और कहा कि रेश्मा के हाथ पीले कर के विदा कर देना चाहिए, नहीं तो उसका ये रूप ऊपर से ये बदनामी उसे जीने नहीं देगी. अब तो सब मर्दों की हिम्मत बढ़ जायेगी. कोई भी कभी भी.. वो बोलते-बोलते रुक गई, तीसरी औरत ने अपनी इंसानियत दिखाते हुए इससे आगे और गंदा बोलना उचित नहीं समझा. 

रेशमा के साथ हुए हादसे को अपने लिए अवसर मानती हुयी इरावती ने सोचा कि क्यों ना इसकी शादी वो अपने दूर के मामा के लड़के से करा दे. उसने सुजाता के सामने अपनी बात रखते हुए उसे बताया कि उसका एक भाई है, उनके परिवार के पास बहुत पैसा है, उन्हें उसकी शादी के लिए दुल्हन की तलाश है. दिक्कत बस इतनी ही है कि लड़के की उम्र 51 साल है. उसकी दो शादियां हो चुकी हैं, वो अपनी दोनों बीवियों से बहुत प्यार करता था लेकिन दोनों की मौत हो गयी. अब वो उनके गम में वो दिन रात शराब के नशे में डूबा रहता है. इरावती ने उसकी शराब की लत को जायज बताने के लिए ये भी कहा कि आज कल शराब तो राजसी ठाठ है. जिसके पास पैसा होगा वही ना पिएगा. बाकी रेशमा अपने प्यार से उसकी ये लत भी कम करवा देगी. 

सुजाता रेशमा की जल्दी शादी कराने वाली बात से सहमत हो भी जाती लेकिन इरावती के बताये रिश्ते के बारे में सुन कर उसका खून खौल गया. उसने इरावती से गुस्से में कहा

सुजाता: “मैं कोई इसकी सौतेली माँ नहीं हूँ जो इसे एक बुड्ढे शराबी के पल्लू से बांध दूं.” 

इरावती भी इस पर चिढ़ गयी उसने कहा कि रेशमा की इज्जत जाने के बाद उसका फायदा उठाने वाले हज़ार मिल जायेंगे मगर उसका हाथ थमने वाला कोई एक भी नहीं मिलेगा.

शाम होने के बाद हरि घर लौटा. रेशमा रोते रोते सो गयी थी. सुजाता इरावती की बात सुनने के बाद लगातार उसे गालियां दिए जा रही थी. हरि ने उससे पूछा कि वो गुस्से में क्यों है जिसके बाद उसने इरावती की कही सारी बात उसे बता दी. कुछ देर सोचने के बाद हरि ने सुजाता से कहा. वो इरावती के यहाँ जाए और उससे रिश्ते की बात आगे बढ़ाने के लिए कहे. उसे ये रिश्ता मंजूर है. 

सुजाता ने ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था कि हरि अपनी लाडली बेटी के लिए ऐसा कुछ सोच सकते हैं. आज उसकी बात ने उसे हैरान कर दिया था. उसने हरि को बहुत समझाया कि ऐसा ना करे लेकिन हरि ने कहा कि अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा. 

क्या सुजाता हरि का फैसला बदल पाएगी? 

क्या सच में रेशमा की शादी कर दी जाएगी? 

क्या रेशमा पूरे गाँव को खुल कर बता पाएगी कि उसका अपराधी छुन्नू सेठ है? 

जानेंगे अगले चैप्टर में!

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