नमस्कार। आ गया है आपका जल्लाद चक्रधर।

हमारे लिए बॉडी कितनी ज़रूरी हो जाती है ना। मैं डेड बॉडी की बात नहीं कर रहा। आप सोच रहे होंगे, जल्लाद अगर बॉडी बोल रहा है तो डेड बॉडी की ही बोलेगा। मैं बॉडी यानी शरीर की बात कर रहा हूँ। कितना ध्यान रखते हैं हम इसका। कसरत करते हैं, दवाइयाँ खाते हैं... महंगे कपड़े पहनते हैं... और सोचिए, कोई बोल दे कि क्या बेकार दिख रहे हो, तो कैसा लगेगा।

एक आपके हमारे जैसा दिखने वाला बंदा... कॉलेज का लड़का और सीरियल किलर। मेरी हिम्मत नहीं हुई उससे बात करने की। लेकिन जब उस काली अंधेरी रात टॉर्च लेने के नाम पर वह मेरे पास आया तो सुबह तक बातें होती रहीं हमारी। नाम था रंजीत और उसका काम था खतरनाक। एक पल के लिए तो मुझे लगा कि कहीं यह टॉर्च ही मेरे सिर पर ना मार दे। लेकिन मुझे अपनी सेफ्टी की चिंता नहीं थी क्योंकि मैं तो आदमी था और उसे पसंद थीं औरतें... मारने के लिए... क्या मारने के लिए...बताता हूँ।

रंजीत की कहानी में एक गहरा राज छिपा था, जो उसके व्यवहार को समझने में मदद करता है। उसकी ज़िन्दगी में प्रेम और अपमान के कई ऐसे मोड़ थे, जिसने उसे इस रास्ते पर लाने में भूमिका निभाई। रंजीत की कहानी सुनते-सुनते मुझे कब रात से सुबह हुई, पता भी नहीं लगा। जब उसने अपने दिल के भीतर पलते गुस्से और बदले की भावना के बारे में बताया, तब मैंने समझा कि हर इंसान की कहानी में कुछ ना कुछ ऐसा होता है, जो उसे अपने रास्ते पर चलने पर मजबूर कर देता है। उस रात मैंने रंजीत की कहानी सुनते-सुनते यह सोचने का समय पाया कि क्या हम कभी उन लोगों को समझने की कोशिश करते हैं, जो हमारी आँखों के सामने होते हैं? क्या हम जानते हैं कि उनके जीवन में क्या चल रहा है?

देखने में रंजीत एक औसत-सा लड़का था, लेकिन पढ़ाई में टॉप करता था। क्योंकि वह दिखता औसत था, इसलिए उसका आत्मविश्वास हमेशा से कम रहता था। पढ़ाई में अच्छा था, तो लड़कियाँ उससे बोलती थीं हमारी भी थोड़ी मदद कर दे पढ़ाई-लिखाई में। वह पास के गाँव में रहता था और शहर में ही अपने मामा के लड़के के घर। वह भी कुंवारा था और काम के चक्कर में घूमता रहता था। घर पर कम ही रुकता था।

रंजीत ने एक गर्लफ्रेंड बना ली थी। सिया नाम था उसका। देखने में अच्छी थी, इसलिए वह उसकी आँखों का तारा थी और रंजीत उसकी हर बात मानने को तैयार रहता था। लेकिन सिया की एक आदत थी, जो रंजीत को बहुत चुभती थी। वह हमेशा रंजीत का मज़ाक उड़ाती थी, खासकर उसकी बॉडी का।

"तू तो ऐसे दिखता है जैसे किसी ने आलू को मोटा कर दिया हो," सिया अक्सर कहती। रंजीत की आत्मा पर जैसे ये बात तीर की तरह चुभती थी। वह उसे प्यार से समझाने की कोशिश करता, लेकिन सिया को उसकी भावनाओं की कोई परवाह नहीं थी।

वो कई बार जब कमरे में मिलते तो सिया उसकी और बातों पर भी हँसती। एक बार तो सिया ने मज़ाक में कह दिया कि जो तुम्हारा हाल है, हमारी शादी में ये न कहें कि लड़की ने बूढ़े से क्यों कर ली शादी।

एक दिन, सिया ने उसे पार्टी में बुलाया। वहाँ उसने सभी दोस्तों के सामने रंजीत का मज़ाक उड़ाया। रंजीत को बहुत बुरा लगा और वह पार्टी छोड़कर चला गया।

उसी रात उसने तय किया कि वह अपनी ज़िन्दगी में कुछ बदलाव लाएगा।

सिया की बेइज़्ज़ती ने रंजीत के दिलो-दिमाग पर गहरा असर डाला। उसने सोचा कि अगर वह अच्छा दिखेगा तो शायद सिया उसे फिर से प्यार करेगी। लेकिन उसके मन में एक और भावना पनपने लगी। वह सिया के साथ बिताए हर पल में उसके मज़ाक को याद करने लगा।

बस यही बातें सोच-सोच कर वह परेशान रहने लगा। परेशानी में पढ़ाई कम हुई और उसने बार में जाना शुरू कर दिया। सिया से उसे नफरत-सी होने लगी। एक दिन बार में उसने कुछ सेक्स वर्कर्स को देखा। उन सेक्स वर्कर्स को देख उसकी आँखों में गुस्सा और बदला लेने की भावना जाग उठी। क्योंकि वह सेक्स वर्कर्स भी आते-जाते आदमियों का मज़ाक उड़ा रही थीं। उन्हें ताने भी मार रही थीं। एक सेक्स वर्कर ने तो रंजीत को अंकल भी बोल दिया था। अब कॉलेज के लौंडे को कोई अंकल बोल दे तो उसके तो वह दोनों सूख जाएँगे। वही दोनों।

उसने अपने मन में सोचा, "अगर सिया से बदला लेना है तो इनके ज़रिए लूंगा।"

एक दिन उसका मामा का लड़का जिसके साथ वह रहता था, 2-4 दिन के लिए दिल्ली गया अपने दफ्तर के काम से। उस रात उसने पहली बार एक सेक्स वर्कर को अपने पास बुलाया। उसने एक सुंदर, लेकिन दबी हुई मुस्कान वाली महिला को चुना। उन्होंने कुछ बातें कीं और फिर रंजीत ने उसे पैसे दिए। लेकिन जब वह उसके साथ था, तो उसे सिया की बातें याद आईं। वह उसी समय गुस्से से भर गया। वह सेक्स वर्कर के साथ कमरे में था और जब वह उसे देख रहा था, तो उसमें उसे सिया दिखने लगी। उसके अंदर ही अंदर गुस्से का ज्वालामुखी फूटा और रंजीत ने तकिए से मुँह दबा कर उसे मार दिया।

फिर उसने अँधेरा होने पर मामा के लड़के की बाइक उठाई और पीछे बोरी की तरह लाश को बाँधा और जंगल में फेंक आया। जैसे ही वह जंगल से बाहर निकला, उसे लगा जैसे उसने सिया से अपने अपमान का बदला ले लिया हो। यह एक अजीब-सा अहसास था—एक तरह की शक्ति का अनुभव।

अब जब भी उसके मामा का लड़का घर से बाहर होता रात भर वह किसी को बुला लेता। पहले सेक्स करता, फिर तकिए से मार देता और फिर वही जंगल। हर बार जब वह एक नई औरत के साथ होता, सिया की बातें उसकी यादों में ताज़ा हो जातीं। वह हमेशा उन्हें मारता गया, यह सोचते हुए कि वह अपनी सिया से बदला ले रहा है।

वह शहर के चारों ओर घूमने लगा और उसके दिमाग़ में अलग-सी ही प्लानिंग चल रही होती। उसने अपने शिकार को चुनना शुरू कर दिया। वह हमेशा उन महिलाओं को चुनता जो उसे अपने से कमजोर लगती थीं। रंजीत अब एक सीरियल किलर बन चुका था और उसे इससे कोई पछतावा नहीं था।

लेकिन एक दिन क्या हुआ। जब रंजीत रात को एक औरत को मार कर बाइक पर ले जा रहा था, तो एक पुलिसवाले ने उसे रोक लिया। रंजीत की हो गई ऐसी-तैसी। पुलिसवाले ने पूछा कि पीछे क्या टाँग रखा है और रात के 3 बजे बाइक पर कहाँ जा रहा है। रंजीत कुछ बोलता कि इतने में पुलिसवाले के पास एक एक्सीडेंट का मैसेज आ गया । उसने रंजीत को जाने को कहा और रंजीत फटाफट निकल लिया।

लेकिन कहते हैं ना कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। जब औरतों की लाशें मिलने लगीं, तो उस पुलिसवाले के दिमाग़ में आया कि मैंने उस रात एक लड़के को देखा तो था। बस, रंजीत का स्केच बना और पुलिसवालों ने चुपचाप रंजीत को ढूँढने का सोचा।

पुलिस ने यह नोट किया कि सभी हत्याएँ एक ही इलाके में हुई हैं और सब दम घुटने से मरी हैं।

और एक दिन, पुलिस ने उसे पकड़ लिया। रंजीत एक सेक्स वर्कर के साथ था जब उसे पकड़ा गया। उसे हिरासत में लिया गया और पूछताछ की गई। उसकी आँखों में गुस्सा और घबराहट थी, लेकिन वह ख़ुद को बचाने की कोशिश कर रहा था।

पुलिस ने सारे सबूत इकट्ठे किए, उसके मामा के लड़के से पूछताछ की। गाँव में रंजीत के घरवाले तो जैसे ख़त्म हो गए थे। सिर उठाकर चल भी नहीं पा रहे थे। उसकी माँ ने तो घर से निकलना ही बंद कर दिया था। बड़ी बहन का रिश्ता नहीं हो पा रहा था। गाँव में हर कोई बस यही सोच रहा था कि एक साधारण-सा दिखने वाला लड़का कैसे इस हद तक गिर सकता है। जेल में रहते हुए, रंजीत ने अपने किए पर

सोचना शुरू किया। उसने अपने आप से सवाल किए, "क्या मैं सच में सिया से बदला ले रहा था, या मैंने अपने गुस्से को रोकने की कोशिश की थी?" रंजीत को एहसास हुआ कि उसके की गई सभी हत्याएँ उसकी आत्मा को और भी गहरे काले जाल में फँसा रही थीं।

आखिरकार, रंजीत के मामले का फ़ैसला हुआ। उसे दोषी ठहराया गया और फांसी की सजा हुई।

सज़ा के बाद वह बस अपने आप में खोया रहता। मैं उससे बात करने की कोशिश करता, पर वह सहम-सा जाता। मैं उसको सांत्वना भी कैसे देता? था तो वह अपराधी ही। उसने एक दिन कहा, "मेरी आख़िरी इच्छा है कि घरवालों से मिलवा दो।" जेलर साहब ने मान ली और बुलावा भेजा। उसके माँ-बाप और मामा का लड़का सब आए और बस रोते रहे। कोई कुछ नहीं बोला। सबके आँसू बोल रहे थे।

रंजीत को अपनी ज़िंदगी के पल याद आने लगे। वह अपने परिवार के साथ खेलता हुआ बच्चा था, जो हमेशा खुश रहता था। फिर अचानक, उसने अपनी गर्लफ्रेंड सिया का चेहरा देखा। उसके मुँह से निकले अपमान के हर शब्द उसके दिल में चुभते रहे।

"अगर मैंने अपनी आत्मा की आवाज़ सुनी होती, तो क्या मैं यहाँ होता?" उसने ख़ुद से पूछा। उसे याद आया कि कैसे वह प्यार में पागल था और कैसे उसने सिया को अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य माना था।

जैसे-जैसे समय बीत रहा था, उसे महसूस हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती की।

"मैंने अपने गुस्से और नफ़रत में सब कुछ खो दिया," उसने सोचा। "क्या सिया की बातें इतनी ज़रूरी थीं कि मैंने बेकसूर वेश्याओं को मार दिया?"

जेल के छोटे से कमरे में बैठकर, रंजीत ने अपने कर्मों के परिणाम का सामना किया। उसे एहसास हुआ कि उसके द्वारा की गई हत्याएँ केवल सेक्स वर्कर्स तक सीमित नहीं थीं, बल्कि वह ख़ुद को भी मार चुका था।

जब उसे फांसी की तारीख का पता चला, तब उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। वह सोचने लगा, "क्या मेरी ज़िन्दगी का अंत इसी तरह होगा? क्या मैं कभी अपने परिवार को बता सकूँगा कि मैंने यह सब क्यों किया?" उसकी आँखों में आँसू थे और उसने अपने किए पर पछताया।

"काश, मैं उन औरतों की आँखों में देख पाता, जिन्हें मैंने बिना सोचे-समझे ख़त्म कर दिया," उसने ख़ुद से कहा। वह उन सभी महिलाओं के चेहरे अपने मन में लाने लगा, जो उसकी नफ़रत का शिकार बनीं।

आखिरकार, रंजीत को समझ में आया कि उसे अपने कर्मों के लिए दया की आवश्यकता थी। "क्या कोई मुझे माफ़ कर सकता है?" उसने सोचा। वह ख़ुद से यह भी पूछता रहा कि क्या वह कभी सिया को माफ़ कर पाएगा, या क्या उसे उस पर हमेशा नफ़रत रहेगी।

और आ गया वह दिन। वही सफेद कपड़ा, वही सुबह का सन्नाटा। वही डॉक्टर, जेलर और रंजीत। वही फांसी घर, वही राम-नाम और वही लीवर का खींच देना।

मरने वाले का नाम: रंजीत

उम्र: 23 साल

मरने का समय: सुबह 7 बजकर 04 मिनट

रंजीत को आखिरकार फांसी दी गई। एक साधारण लड़का, जिसकी ज़िन्दगी कभी सामान्य ढर्रे पर थी, कैसे इतने भयानक मोड़ पर पहुँच गई, यह किसी के लिए भी समझ पाना मुश्किल है। उसकी कहानी हमें इस बात की सीख देती है कि इंसान के मन में अगर अंधकार पनप जाए, तो वह कितना विनाशकारी हो सकता है।

फांसी के फंदे में लटकते हुए, रंजीत ने अपने कर्मों का सामना किया। उसने अपने अतीत के बारे में सोचा और आख़िरी क्षणों में उसे महसूस हुआ कि असली ताकत अपने अंदर के नफ़रत को ख़त्म करना है। हमें अपने प्यार और सम्बंधों को सहेजकर रखना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी एक शब्द का मज़ाक भी किसी की ज़िन्दगी को बदल सकता है। यह दिखाता है कि प्यार और अपमान किस तरह किसी व्यक्ति के जीवन को बदल सकते हैं। कैसे एक व्यक्ति को अंधकार की ओर धकेल सकता है। रंजीत की कहानी काफ़ी दर्दनाक और हैरान करने वाली है। एक लड़का, जो कभी आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहा था, धीरे-धीरे कैसे एक सीरियल किलर बन गया, यह समझ से बाहर है। उसकी ज़िन्दगी में बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटीं जिसने उसे इस क़दर बदल दिया कि वह उन मासूम महिलाओं की जान लेने लगा, जिनसे समाज पहले से ही दूरी बनाकर रखता है।

गुस्सा कैसे एक व्यक्ति को अपने अंधेरे रास्ते पर ले जा सकते हैं। हर एक हत्यारे के पीछे एक कहानी होती है, लेकिन क्या यह कहानी उन्हें माफ़ कर सकती है?

कभी-कभी, एक ग़लत शब्द या एक मज़ाक भी किसी की ज़िन्दगी को बदल सकता है। इसलिए सोच समझकर बोलो और कोशिश करो, न ही बोलो।

अभी आज्ञा दीजिए। फिर मिलूंगा एक और अपराधी की कहानी के साथ अगले एपिसोड में। 
 

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