चक्रधर। जल्लाद चक्रधर। फिर से हाज़िर हूँ।
आपको पता है शेर और औरत के बारे में एक बात कहते हैं। आपके यहाँ कहते हैं, पता नहीं। मेरे यहाँ तो कहते हैं।
कहते हैं कि ज़ख्मी शेर और ज़ख्मी औरत...इन्हें कभी भी कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। क्योंकि जब ये पलट कर वार करते हैं तो बड़े-बड़े खिलाड़ी ज़ीरो पर आउट हो जाते हैं।
उस दिन मेरी जेल में भी एक ज़ख्मी औरत आई थी। मेरे लिए ज़ख्मी थी, हो सकता है आपके लिए कुछ और हो जाए जब आपको पता लगेगा कि उसका पेशा क्या था। बहुत संभल-संभल कर मैंने उससे बात करने की कोशिश की थी...और जब की तो उसके जैसी औरतों के लिए दिल में इज़्ज़त और बढ़ गई।
देखने में वह एक साधारण लड़की थी, जिसका नाम सृष्टि था। सृष्टि की ज़िंदगी ने उसे बचपन से ही कई मुश्किलें पकड़ा दी थीं। वह एक ऐसे परिवार में पैदा हो गई थी जहाँ उसकी माँ, नंदनी, पेशे से एक वेश्या थी। नंदनी अपने काम में माहिर थी, लेकिन उसने अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ सहा था। उसकी मुश्किलों ने सृष्टि को एक ऐसी दुनिया में धकेल दिया, जहाँ वह जाना नहीं चाहती थी, लेकिन मजबूरी ने उसे वहाँ पहुँचा दिया।
सृष्टि की माँ ने हमेशा अपनी बेटी को एक अच्छी ज़िंदगी देने की कोशिश की, लेकिन समाज ने उन दोनों को कभी नहीं अपनाया। जब सृष्टि छोटी थी, तो उसकी माँ ने उसे हमेशा यह सिखाया कि पैसे की ताकत क्या होती है। नंदनी ने उसे बताया कि जीवन में सबसे ज़रूरी चीज़ पैसा है। वह कहती थी, "बेटा, पैसे के बिना कुछ नहीं है। यह तुम्हें सब कुछ दिला सकता है।"
जब सृष्टि 18 साल की हुई, उसकी ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने उसकी दुनिया बदल दी। एक रात जब नंदनी अपने धंधे से वापस आ गई थी, कुछ लोग उसके घर में घुस आए। उन्होंने सृष्टि को पकड़ लिया और बिना बात उसकी पिटाई शुरू कर दी। उन गुंडों को देखकर नंदनी तुरंत समझ गई थी कि ये सृष्टि के लिए नहीं, बल्कि उसके लिए आए हैं। लेकिन उन्होंने पकड़ सृष्टि को लिया था। नंदनी ने अपनी बेटी को बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी। वह चिल्लाई, "मेरी बेटी को मत छुओ, मुझसे जो चाहो, वह ले लो।"
लेकिन उन लोगों ने नंदनी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने सृष्टि की ठीक-ठाक पिटाई कर दी और फिर नंदनी की तरफ़ बढ़े। एक गुंडा बोला, "बहुत गर्मी है तुझमें। करती धंधा है लेकिन नखरे हीरोइन वाले दिखाती है।" सारे गुंडे नंदनी के ऊपर टूट पड़े और उसके साथ ज़बरदस्ती करने लगे। सबने बारी-बारी अपनी हवस पूरी की। अधमरी सृष्टि अपनी आधी खुली आँखों से सब देख रही थी। सृष्टि की माँ के बाद उन्होंने फिर से सृष्टि को पकड़ा और उसके साथ भी ज़बरदस्ती करने लगे।
नंदनी चीखती रही, पर कोई नहीं रुका। उसके मुँह में शराब की बोतल डाल दी थी उन बदमाशों ने, ताकि उसकी आवाज़ भी बंद हो जाए।
इस घटना ने जहाँ माँ-बेटी को पूरी तरह से हिला कर रख दिया था, वहीं अब सृष्टि ने अपनी ज़िंदगी को एक नए मोड़ पर ले जाने का फ़ैसला किया। उसने ठान लिया कि वह अपने दर्द को छुपाने के बजाय ख़ुद को और ज़्यादा मज़बूत बनाएगी। उस रात के बाद नंदनी कई दिनों तक अपने काम पर नहीं जा सकी। किसी ने उनकी मदद नहीं की। करता भी कौन, जब समाज उन्हें पहले ही नीची नजरों से देखता था।
इस दर्दनाक हादसे ने सृष्टि के दिल में इंसानियत के खिलाफ एक भयंकर नफ़रत भर दी। वह अपनी माँ की मौत के बाद बदले की आग में जल रही थी और उसने तय कर लिया था कि अब उसे मर्दों से बदला लेना है।
बस, सृष्टि ने फ़ैसला किया कि अब वह अपनी माँ का काम आगे बढ़ाएगी। उसने वेश्या बनने का सोचा, लेकिन एक ज़ख़्मी वेश्या। एक ज़ख्मी वेश्या, जिसने अपनी मासूमियत और इंसानियत को खो दिया था। सृष्टि अब वही नहीं रही जो कभी थी। उसका जिस्म ज़िंदा था, लेकिन आत्मा मर चुकी थी।
उसकी माँ अक्सर रोते हुए उसे कहती थी, "जब मैं उनके सामने थी, उन्होंने तुझे क्यों गंदा किया? मुझसे एक से क्या उनकी भूख नहीं मिट रही थी?"
दूसरी तरफ, उस रात के ज़ख़्म नंदनी सह नहीं पाई और एक रात नींद में ही चल बसी।
सृष्टि ने ठान लिया था कि जो भी ग्राहक उसे इंसान नहीं समझेगा, वह उसे मार देगी। जैसे उस रात उन गुंडों ने उसे इंसान नहीं समझा था। उसे अब इस दुनिया से बदला लेना था। बदले की आग में वह भीतर ही भीतर जल रही थी। सृष्टि अब अपने पेशे में पूरी तरह ढल चुकी थी, उसकी आंखों में नफ़रत की आग हमेशा जलती रहती थी। जो भी ग्राहक उसे एक औरत के रूप में नहीं बल्कि एक सामान की तरह समझेगा, वह उसे सबक सिखाएगी।
उसकी योजना थी कि वह उन सभी मर्दों को ख़त्म कर दे, जो उसके जैसे लोगों का शोषण कर रहे थे।
सृष्टि ने अपने पहले शिकार के लिए एक ऐसे ग्राहक को चुना, जिसने उसके पैसे देने से मना कर दिया था। उसने पहले तो बहुत पैसे देने का वादा किया, लेकिन बाद में बोला, "एय धंधे वाली, पैसा तब मिलेगा जब तू एक बार और करेगी।" सृष्टि ने कहा, "उसका डबल लगेगा।" इस पर वह बोला, "आधे की औक़ात नहीं, डबल चाहिए तुझे।" बस, सृष्टि ने ये सुना और अपने पर्स से मिर्च वाला परफ्यूम निकाला, उसकी आँखों में डाला और फिर घोंप दिया चाकू उसके पेट में।
इस मर्डर ने सृष्टि को एक अद्भुत सुख दिया। एक मज़ा दिया। उसने महसूस किया कि उसने एक ऐसे आदमी को मारा है जिसने उसे कभी भी इंसान नहीं समझा।
इसके बाद, उसने इसी तरह से और भी ग्राहकों को निशाना बनाना शुरू किया। जब भी किसी ऐसे ग्राहक को देखा, जो उसकी बेइज्जती करता था, वह उसे अपना शिकार बना लेती। सृष्टि के लिए यह एक खेल बन गया। हर बार जब वह किसी को मारती, उसे एक सुकून मिलता। उसकी अंतरात्मा उसे शाबाशी देती।
लेकिन सृष्टि का यह मर्डर वाला खेल बहुत लंबा नहीं चल सका। उसके अपराध बढ़ते गए और धीरे-धीरे पुलिस को उसके बारे में पता चलने लगा। कई लोगों ने गायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराई और मरने वालों के फ़ोन रिकॉर्ड्स और मोबाइल कॉल्स की जांच में पुलिस को सृष्टि का पता लगा। उसे पकड़ा नहीं, लेकिन उस पर नज़र रखी जाने लगी।
एक रात, सृष्टि एक नए ग्राहक के पास गई। वह एक अमीर बिजनेसमैन था। उसने सृष्टि को बहुत सारे पैसे का लालच दिया और सृष्टि ने सोचा कि यह एक आसान शिकार होगा। लेकिन उस रात सब कुछ बदल गया। जब सृष्टि अपने ग्राहक को मारने के लिए तैयार हुई, तभी अचानक से पुलिस ने छापा मारा। सृष्टि को समझ नहीं आया कि यह क्या हो रहा है। पुलिस ने उसे पकड़ लिया और हिरासत में ले लिया। असल में वह ग्राहक पुलिस का ही आदमी था।
2-4 दिन की पूछताछ हुई और सृष्टि ने सब उगल दिया। सृष्टि को अदालत में पेश किया गया, जहाँ उसकी सजा सुनाई गई। वह चुपचाप बैठी रही, अपने किए पर पछताते हुए। वह जानती थी कि उसने जो किया, वह ग़लत था, लेकिन वह समझती थी कि यह सब उसके साथ हुई घटनाओं का परिणाम था। अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई। उसे जेल में भेज दिया गया, जहाँ वह अपनी फांसी का इंतज़ार कर रही थी।
मैं अक्सर उससे बातें करने की कोशिश करता, लेकिन वह टाल देती। उसे शायद मर्दों से ही नफ़रत हो गई थी और यह सही भी है। जो उसके और उसकी माँ के साथ हुआ, किसी को भी हो जाए तो नफ़रत हो सकती है। मुझे भी हो जाती। इसलिए मैंने उसके बात न करने को कभी बुरा नहीं माना और जो मरने वाला है, उसके लिए क्या अच्छा और क्या बुरा।
सृष्टि ने अपनी सारी यादों को समेटा। उसने अपने जख्मों को याद किया, अपने बचपन को याद किया। उसे एहसास हुआ कि वह अपनी माँ की तरह बन गई थी, जिसने अपनी जान बचाने के लिए अपने शरीर को बेचने का फ़ैसला किया था। अब, सृष्टि को समझ आ गया था कि इस दुनिया में एक महिला का जीवन कितना मुश्किल होता है।
उसे धीरे-धीरे समझ आया कि हर एक हत्या ने उसे अंदर से और भी ज़्यादा खोखला बना दिया। वह उस बच्ची को याद करती थी, जो अपनी माँ की गोद में खेलती थी, लेकिन अब वह ख़ुद एक निर्दय हत्या करने वाली बन गई थी।
आखिरी रात, जब उसने अपनी कोठरी में बिताई, तो उसके मन में विचारों का सैलाब उमड़ रहा था। उसने अपने किए पर पछतावा किया, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। सृष्टि ने सोचा कि उसे अपने पापों का फल भुगतना होगा और उसने अपनी आत्मा को शांति देने का फ़ैसला किया।
आखिरकार, वह दिन आ गया जब उसे फांसी दी जानी थी। जेल के अधिकारी उसे ले जाने के लिए आए। सृष्टि ने अपनी आँखों में आँसू भरे हुए, अपनी आखिरी यात्रा की तैयारी की। उसने सोचा कि यह उसका अंत है, लेकिन क्या यह वास्तव में उसका अंत था, या एक नई शुरुआत थी?
जब वह फांसी के तख्ते पर खड़ी हुई, तो उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसने अपने सभी पापों को भगवान के सामने पेश किया। उसे अपनी माँ का चेहरा याद आया, जो उसे बचाने के लिए हमेशा तैयार रहती थी।
जैसे ही फांसी का फंदा उसके गले में पड़ा, उसने एक गहरी सांस ली। उसे लगा कि यह एक अंतिम मुक्ति है, एक ऐसी मुक्ति जो उसे अपने पापों से छुटकारा दिला देगी। उसकी कोई आखिरी इच्छा नहीं थी, माँ ही थी जो जा चुकी थी... किसके लिए क्या मांगती और मैंने हर बार की तरह लीवर खींच दिया।
मरने वाले का नाम: सृष्टि
उम्र: 20 साल
मरने का समय: सुबह 5 बजकर 04 मिनट
जैसे ही फंदा खींचा गया, उसकी आँखों के सामने उसके जीवन की सभी यादें तेजी से गुज़रने लगीं—वह छोटी बच्ची जो अपनी माँ के साथ खेलती थी, वह महिला जो अपने सपनों की खोज में थी और वह कातिल, जिसने अपनी आत्मा को खो दिया था। उस पल में, सृष्टि ने अपने अंदर की शक्ति को महसूस किया।
जब सृष्टि ने फांसी के फंदे को अपने गले में महसूस किया, तो उसे एहसास हुआ कि यह केवल एक अंत नहीं है। यह उसके पापों की सजा थी, लेकिन शायद यह उसके लिए एक नई शुरुआत भी थी। उसने ख़ुद से वादा किया कि अगर उसे अगले जन्म में मौका मिलता है, तो वह अपनी माँ के सपनों को पूरा करेगी और उन लोगों की मदद करेगी जो उसकी तरह ही कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
इस दुनिया में कभी-कभी परिस्थितियाँ हमें ऐसी राह पर ले जाती हैं, जहाँ हम अपने मूल्यों को खो देते हैं। एक निर्दोष बच्ची ने अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना करते-करते एक खतरनाक रास्ता चुन लिया। उसके द्वारा किए गए अपराधों ने उसे अंधकार में धकेल दिया, लेकिन उसके मन में एक दबी हुई आवाज़ थी जो उसे अपनी माँ के लिए, अपनी खोई हुई मासूमियत के लिए और अपने जीवन के लिए पछताने को मजबूर कर रही थी।
सृष्टि की कहानी केवल एक हत्या और अपराध की दास्तान नहीं रह गई। यह एक चेतावनी बन गई उन सभी के लिए जो समाज के अंधेरे में फंसे हुए थे। उसकी मृत्यु ने समाज को सोचने पर मजबूर किया।
सृष्टि की कहानी एक दर्दनाक बात को उजागर करती है। यह हमें यह समझाने की कोशिश करती है कि हर इंसान की कहानी में टेढ़ी-मेढ़ी राहें होती हैं। हमारे समाज में जो भी हो रहा है, उसकी जड़ें गहराई में हैं। हमें उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए, जो हमारी आँखों के सामने होते हैं, लेकिन हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। यदि हम समाज के इस अंधेरे को ख़त्म करना चाहते हैं, तो हमें एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी। जीवन में कभी भी सही और ग़लत के बीच की रेखा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हमें अपने कर्मों के परिणामों का सामना करना होगा, चाहे वह कितने भी मुश्किल क्यों न हों।
सृष्टि की यात्रा केवल उसके लिए नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए एक आवाज़ है, जो इस समाज में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। हमें यह समझने की ज़रूरत है कि हर इंसान का जीवन कीमती है और हमें एक बेहतर समाज की दिशा में काम करने की ज़रूरत है, जहाँ हर व्यक्ति को सम्मान और स्वतंत्रता मिले।
सृष्टि की कहानी एक अंत है, लेकिन यह एक नई शुरुआत की ओर भी इशारा करती है। यह हमें याद दिलाती है कि हर अंत, एक नई शुरुआत का संकेत होता है और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपनी ज़िंदगी को सही दिशा में ले जाएँ।
अभी आज्ञा दीजिए। मिलूंगा एक और अपराधी की कहानी के साथ अगले एपिसोड में.
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