प्रिया : (चिंता के साथ) अब कैसे चलेगा? एक तरफ़ तुम्हारी नौकरी और दूसरी तरह यह घर!

जिस चिंता भरे स्वर में प्रिया ने रोहन से अपनी बात को कहा, उसे सुनकर रोहन डबल टेंशन में आ गया। उसके चेहरे पर आने वाले भाव अलग ही कहानी बयान कर रहे थे। रोहन ने तुरंत सवाल किया, ‘’क्या हुआ प्रिया, तुम परेशान क्यों लग रही हो। घर को क्या हुआ?''

प्रिया : (चिंता भरे स्वर में) तुम्हारे जाने के बाद, मकान मालिक आया था। उसने घर को खाली करने को कहा है, वह भी इसी हफ्ते।

यह सुनकर रोहन के पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गई। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसके घर का मालिक उसे इस तरह अचानक घर खाली करने को कह देगा। अभी थोड़े दिन पहले तो उसकी मकान मालिक से बात हुई थी। घर का किराया भी उसने हमेशा समय पर दिया था, फिर अचानक ऐसा क्या हुआ..  इस बात से उसका टेंशन और बढ़ गया। तभी प्रिया ने सवाल करते हुए कहा, ‘’तुम्हारी नौकरी का क्या हुआ? वह तो है ना, कहीं  ऐसा तो नहीं कि पहले दिन लेट होने की वजह से तुम्हें वहां से भी निकाल देंगे?''

रोहन : (परेशानी वाले भाव) अभी कुछ नहीं कह सकता, मुझे इस बारे में मनोज भाई से बात करनी होगी।

मनोज उसी आदमी का नाम था जिसने रोहन को काम पर लगाया था। बड़ी ही सिफारिश के बाद रोहन को यह नौकरी मिली थी। मनोज ने पहले ही सचेत कर दिया था कि एक भी दिन लेट नहीं होना, मगर वह तो पहले दिन ही लेट हो गया था। इस बात पर प्रिया ने कहा, ‘’तो फिर इंतजार किस बात का कर रहे हो? जल्दी जाओ और उनसे मिलकर आओ।''

 

रोहन : (चिढ़ते हुए) जा रहा हूं, साँस तो लेने दो। अभी आया हूं, थोड़ी देर तो आराम करने दो... तुम तो मेरे सर पर चढ़ गई।

अपने घर के नाज़ुक हालात को देख कर ही प्रिया ने रोहन से मनोज के पास जाने की बात कही थी मगर रोहन ने उसकी बात पर चिढ़ते हुए कुछ उल्टा ही जवाब दे दिया। उसने जिस अंदाज़ से अपनी पत्नी से बात कही थी वह प्रिया को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। प्रिया ने रोहन के सामने घर की परिस्थिति को रखते हुए कहा, ‘’अगर तुम्हारी नौकरी नहीं होगी तो घर का खर्चा कैसे चलेगा? सुबह दूध वाला भी आया था, उसके भी कुछ पैसे बाकी है। मकान मालिक ने कहा है कि घर छोड़ने से पहले बिजली का बिल भी क्लियर कर देना।''

इस बार रोहन ने प्रिया की बातों का जवाब नहीं दिया, उसकी बातों को सुनता रहा जिनमें  घर की परिस्थिति को लेकर चिंता के भाव साफ नज़र आ रहे थे।  मर्द होने के नाते उसकी यह जिम्मेदारी बनती थी कि प्रिया और घर को संभाले मगर सुबह से उसके साथ जो कुछ हुआ, उसे याद करके रोहन थोड़ा चिड़चिड़ा हो रहा था। प्रिया भी अपनी हद जानती थी, उसने रोहन से ऊँची आवाज़ में बिल्कुल भी बात नहीं की। यह समय दोनों के लिए बड़े ही संयम के साथ बात करने का था।

वह समझ गया कि अगर घर पर रहा तो थोड़ी देर बाद दोनों का आपस में झगड़ा शुरू हो जाएगा। ना रोहन चाहता था कि उसके और प्रिया के बीच कोई वाद विवाद हो और ना ही प्रिया चाहती थी कि वह उसके साथ गुस्सा या बहस करे। उसने समझदारी दिखाते हुए कहा, ‘’प्रिया, तुम ठीक कह रही हो, मैं एक बार मनोज भाई से मिल कर आता हूं, हो सकता है वह आगे का कोई रास्ता सुझा दे।''

एक तरह अपनी बात को कह कर रोहन घर से निकल गया था तो वहीं दूसरी तरफ़ अपर्णा की माली हालत को देखते हुए सुषमा ने जो सुझाव दिया था वह उनके साथ-साथ हरि को भी बहुत अच्छा लगा। इसीलिए उन्होंने अच्छे किरायेदार को ढूंढने की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं दोनों को सौंप दी।

सुषमा ने बिना समय गवाए अपने पति से एक बड़ा सा चार्ट पेपर लाने को कहा। हरि तुरंत गया और कई सारे चार्ट पेपर ले आया। उसके पास पहले से ही स्केच पेन टेबल पर रखा हुआ था। उसने तुरंत स्केच पेन को उठाया और चार्ट पेपर पर कुछ लिखने लगी। अपर्णा और हरि की नज़रें उस पेपर पर टिकी हुई थी। तभी हरि ने कहा,''सुषमा, यह तुम कागज और पेन से क्या कर रही हो?''

कुछ इसी तरह का सवाल अपर्णा के मन में भी था मगर हरि ने जब सुषमा से सवाल कर लिया तो उसने कोई जवाब नहीं दिया, खामोश अपना काम करती रही। दोनों उसके करीब खड़े हुए उसे बराबर देख रहे थे, लेकिन उसने भी सोच लिया था कि अपने काम को खत्म करने के बाद ही हरि के सवाल का जवाब देगी। थोड़ी ही  देर में उसने अपने काम को अंजाम दे दिया, स्केच पेन को वापस टेबल पर रखा और अपने हाथों में पकड़ उस पेपर को अपर्णा की तरफ़ दिखाते हुए कहा, ‘’अब देखना दीदी, इसको पढ़ने के बाद किराएदारों की लाइन लग जाएगी। एक एक करके सबका इंटरव्यू लेंगे, जो अच्छा होगा उसे रख लेंगे।''

बात तो सुषमा ने बिल्कुल सही कही थी। जो रास्ता उसने चुना था, वह भी ठीक था मगर जैसे ही अपर्णा की नज़र उस पेपर पर गई, वह ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी। उनको हंसते देख हरि के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी। जैसे जैसे वह उस कागज़ पर लिखे शब्दों को पढ़ रही थीं, वैसे वैसे उनकी हंसी और बढ़ती जा रही थी।

दोनों को हंसता देख, सुषमा थोड़ी असहज गई। उसे महसूस होने लगा कि ज़रूर उसने कागज़ पर कुछ गलत लिखा है। हरि को तो इंग्लिश बिल्कुल भी नहीं आती थी। उसके कुछ कहने का मतलब ही नहीं बन रहा था। अपने सामने दोनों को हंसता हुआ देख, सुषमा का चेहरा बहुत छोटा सा हो गया। उसने सवाल करते हुए कहा, ‘’दीदी, मैंने कागज़ पर कुछ गलत लिख दिया क्या?''

 

अपर्णा : (हंसते हुए) तुम्हारी मंशा बिल्कुल सही है, मगर शब्द गलत हो गए। To Let का मतलब होता है किराए के लिए जगह खाली होना।

सुषमा: (तुरंत जवाब) दीदी मैंने भी तो यही लिखा है।

इस बात के साथ ही उसने पेपर पर लिखे शब्दों को भी दोहराया। जैसा उच्चारण अपर्णा ने किया था वैसा ही उसने भी किया। हरि ने सोचा कि उसकी पत्नी ने सही कहा और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। सुषमा का हाथ इंग्लिश में थोड़ा तंग था, मगर फिर भी उसने अच्छा प्रयास किया था, यही बात अपर्णा को बहुत अच्छी लगी, इसीलिए उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उन्होंने अपनी हँसी को कम करते हुए कहा, ''एक character की वजह से शब्द बदल जाते है और शब्द बदलने से उनके अर्थ भी… तुम्हारे साथ भी यही हुआ। एक “I” की वजह से मायने ही बदल गए।''

अपर्णा ने सुषमा को खुलकर समझाते हुए कहा कि To Let मतलब, किराए के लिए जगह खाली और Toilet का मतलब होता है, शौचालय। ग़लती से उसने to-let की जगह toilet लिख दिया था। जिस तरीके से उन्होंने उस को समझाया, उसने भी हंसते हुए अपने हाथ को माथे पर मार लिया। हरि भले ही पढ़ा लिखा नहीं था मगर अपर्णा की सारी बात उसकी समझ में भी आ गई तो वह भी मुस्कुरा दिया।

यह तो अच्छा था कि हरि एक नहीं, बल्कि कई सारे चार्ट पेपर्स लाया था। सुषमा ने तुरंत अपने लिखे हुए कागज़ को उठाया और उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए। उसके बाद उसने दूसरे कागज़ पर अपर्णा का बताया लिखा और उनके सही ठहराने पर, सभी चार्ट पेपर्स पर To Let लिख दिया। हरि को पकड़ाते हुए बोली, ‘’आप इन सभी पेपर को ऐसी जगह चिपका दीजियेगा, जहां आते जाते लोगों की नज़रें पड़े।''

हरि : (जवाब देते हुए) ठीक है।

हरि ने उन पेपर्स को सुषमा के हाथों से लिया और वहां से जाने लगा, एक कदम आगे ही गया था कि अपर्णा ने उसे रोक दिया। इस बार उनके चेहरे की हंसी पूरी तरह गायब थी। अचानक से उनकी आवाज़ ने सुषमा को चौंका दिया, उसके मन में आया, “कहीं फिर से कोई गलती तो नहीं कर दी”। उधर रोहन जब थोड़ी देर बाद मनोज से मिल कर आया तो उसका मुंह लटका हुआ था। उसके उदास चेहरे को देख कर प्रिया ने तुरंत कहा, ‘’क्या हुआ? हो गई मनोज भाई से बात, क्या कहा उन्होंने?''

रोहन ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह खामोशी के साथ उसके सामने खड़ा रहा। उसकी नज़रें नीचे झुकी हुई थी। इस टेंशन में प्रिया उसकी हिम्मत बनना चाहती थी, ना कि उसे और ज़्यादा टेंशन देना। वह उसके पास गई और कंधे पर हाथ रखकर बड़े ही नर्म लहजे में कहा, ‘’क्या हुआ रोहन, कुछ बताओगे भी या नहीं।''

रोहन: (दर्द भरी आवाज़ में) मुझे माफ कर दो प्रिया।

कम शब्द होने के बावजूद उनमें निराशा साफ़ नज़र आ रही थी। उसकी झुकी हुई नज़रों से साफ़ पता चल रहा था कि वह बुरी तरह टूट चूका है। प्रिया के हाथ जो अभी तक रोहन के कंधे पर थे, अब उसके हाथ के पास आ गये… उसने अपने हाथ में अपने पति के हाथों को कसकर पकड़ते हुए उसे हिम्मत दी।

प्रिया ने फैसला कर लिया कि वह रोहन को बिल्कुल भी टूटने नहीं देगी, उसके साथ, उसकी  हिम्मत बन कर आखिर तक खड़ी रहेगी। उसने एक लंबी सांस लेकर अपने अंदर आत्मविश्वास भरा और रोहन की तरफ देखते हुए कहा, ‘’कोई बात नहीं रोहन! वैसे भी इतना बड़ा शहर है, यह नौकरी ना सही, दूसरी मिल जाएगी।''

उसकी इन बातों से रोहन के अंदर जान आ गई, उसकी हिम्मत को बल मिल गया। उसने प्रिया की तरह आत्मविश्वास भरी नज़रों से देखा और एक नए जोश के साथ उसे गले से लगा लिया। प्रिया की आंखे नम हो गई थी, भले ही उसकी हिम्मत से रोहन का मनोबल बढ़ा था मगर अंदर ही अंदर, वह रोहन की जॉब को लेकर बहुत परेशान थी लेकिन ज़ाहिर नहीं करते हुए वह बोली, ‘’आओ, मैं तुम्हारी परेशानी का हल देती हूँ।''

 

क्या हल था प्रिया के पास रोहन की परेशानी का ?  

रोहन को नयी नौकरी किस तरह मिलेगी?

दोनों के लिए घर का मसला किस तरह हल होगा?

आखिर अपर्णा ने हरि को क्यों रोक लिया था?

क्या फिर सुषमा से लिखने में कोई गलती हो गई थी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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