स्थान: बोगोटा, कोलंबिया | समय: वर्ष 2025 | उम्र: नीना – 10 वर्ष

बारिश लगातार बरस रही थी। गली की मिट्टी अब कीचड़ बन चुकी थी और हर बूँद जैसे एक छिपे हुए डर को ज़मीन में गाड़ रही थी। छोटे से मकान के पीछे एक टूटी-फूटी सीढ़ी के नीचे नीना दुबकी बैठी थी। उसके कंधों पर एक पुराना रेनकोट था जो किसी बड़े मर्द का लगता था और आँखों में घबराहट। पास ही उसकी माँ मारिसा वास्केज़ एक छोटी सी प्लास्टिक की थैली में पैसे गिन रही थी, थोड़े से डॉलर, कुछ कोलंबियाई पैसे और दो सस्ती चॉकलेट।

“कभी-कभी बचपन खिलौनों से नहीं हथियारों से बनता है। और कभी-कभी पहली कहानी जो माँ सुनाती है वो परी कथा नहीं होती वो झूठ होती है।”

मारिसा की आवाज़ आई धीमी लेकिन साफ़। मारिसा सधे हुए आवाज़ में बोली, “याद रख नीना... जब भी झूठ बोलना हो हमेशा सामने वाले की आँखों में देख कर बोलना। लोग तब ही मानते हैं जब उन्हें लगे कि तुम खुद उस झूठ पर यकीन करती हो।”

नीना ने धीरे से डर के साथ पूछा, “लेकिन माँ… हम छिप क्यों रहे हैं? क्या वो लोग हमें ढूंढ रहे हैं?”

मारिसा ने थैली बंद की और नीना की ओर पलटी। उसका चेहरा भीग रहा था बारिश से या पसीने से या किसी ऐसे डर से जिसे वह अपनी बेटी से छुपा रही थी।

मारिसा धीरे झुकते हुए बोली, “कभी-कभी सच बताना सबसे बड़ा खतरा होता है बेटा। दुनिया में लोग सच्चे लोगों को मिटा देते हैं… और झूठे लोग जिंदा रहते हैं।”

उस पल नीना ने पहली बार महसूस किया कि माँ की बाहें उसे गर्मी नहीं रणनीति देती हैं। और झूठ उसके जीवन का पहला हथियार बना। बारिश थमने लगी थी। एक दूर की गली से मोटरबाइक की आवाज़ आई। गैंग की एक काली बाइक, जिसकी टंकी पर सफेद कौए का टैटू बना था, “लॉस हिज़ोस डेल कुएरवो।”

मारिसा का चेहरा सफेद पड़ गया। मारिसा कांपते आवाज़ में बोली, “वो आ गए। जल्दी नीना वही बात कहनी है जो हमने रटवाई थी।”

नीना उठी लेकिन उसका चेहरा खाली था, ना मासूमियत और ना समझ। उसने सिर्फ़ माँ की बात मानी।

“दस साल की उम्र में उसका पहला पाठ था, कैसे अपनी आँखों में आँसू रोके बिना किसी कातिल को यकीन दिलाना है कि तुम सिर्फ़ एक मासूम हो।”

दरवाज़े पर दस्तक हुई, एक नहीं बल्कि तीन बार।

ठक... ठक... ठक…

मारिसा ने गहरी सांस ली फिर दरवाज़ा खोला। तीन लोग अंदर घुसे सभी काले रेनकोट, आँखों पर काले चश्मे और एक ने सिगरेट सुलगा रखी थी। कार्टेल एजेंट एक संशय भरी आवाज़ में पूछा,

“मारिसा वास्केज़? तुम्हारी बेटी कहाँ है?”

मारिसा ने पीछे इशारा किया। नीना उनके सामने आ खड़ी हुई। उसके बाल गीले थे और पैर कांप रहे थे लेकिन उसकी आँखें सीधी उस आदमी की आँखों में थीं। नीना ने  बिलकुल सीधे बिना हिचक के कहा, “मैं कुछ नहीं जानती। मुझे तो पता ही नहीं आप कौन हो?”

ये उसका पहला झूठ था और उसने आँखों में देख कर कहा था… ठीक वैसे जैसे उसकी माँ ने सिखाया था।"

कार्टेल के आदमी ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा फिर हँसा। कार्टेल एजेंट हँसते हुए बोला, “लड़की में हिम्मत है… चलो, शायद तुम सच कह रही हो।”

वे तीनों चले गए और दरवाज़ा बंद हुआ। माँ और बेटी एक-दूसरे को देख रही थीं लेकिन मुंह से कुछ नहीं कहा गया, केवल नीना की साँसें तेज़ थीं। मारिसा धीरे से एक कंधे पर हाथ रखते हुए समझाया, “यही तरीका है बचने का, बेटा। तुम्हें कभी रोना नहीं है। तुम्हें कभी सच नहीं बोलना है और सबसे ज़रूरी किसी पर भरोसा नहीं करना है।”

उस दिन नीना के भीतर कुछ मर गया था और कुछ जन्मा था, वो मासूमियत जो बचपन से जुड़ी होती है उसे वो कभी दुबारा नहीं देख पाई। पर वो झूठ… वो हमेशा उसके साथ रहा।"

 

प्रेज़ेंट टाइम – 2037 | न्यूयॉर्क के एक गंदे अस्पताल में,

नीना एक पुराने शावर रूम में बैठी है बेहद अकेली लेकिन भीगी हुई एकदम खामोश। उसके सामने टूटी हुई दीवार है जहाँ पपड़ीदार रंग के नीचे उसका चेहरा झलकता है।

वह दर्पण में खुद को देखती है, अब वो 10 साल की बच्ची नहीं है।अब वह है साइबरनेटिक झूठ की माहिर और सच्चाई से डरी हुई।

नीना धीमे से, खुद से फुसफुसाते हुए, “माँ… अब मैं सिर्फ़ झूठ नहीं बोलती… मैं झूठ जीती हूँ।”

 

स्थान: न्यूयॉर्क, गंदा और वीरान अस्पताल | समय: रात 2:45 AM

छत से रिसता पानी दीवारों पर उगती काई  और घिसी हुई रोशनी…इस खंडहर में नीना बैठी थी। भीगी काँपती हुई और बिखरती हुई। शावर रूम के टूटे हुए दर्पण के सामने बैठी नीना अपनी परछाई को देख रही थी,लेकिन अब वह चेहरा उसका नहीं लग रहा था।

नरेटर धीमे और करुण आवाज़ में, "कभी-कभी टूटना किसी गोली से नहीं होता। कभी-कभी टूटना होता है… जब आप खुद को दर्पण में पहचानना बंद कर देते हैं।"

नीना की आँखों के सामने अचानक से झिलमिलाहट सी आई। दीवार धुंधली होने लगी और उसके सिर में जलन उठी। गॉड्स आई भीतर से कंप्यूटर जैसी आवाज़ में,

“मेमोरी री-कंस्ट्रक्शन इनिशिएटेड।”

“स्मृति डेटा करप्शन... प्रारंभिक स्तर पर।”

“सबजेक्ट: नीना वास्केज़।”

वह चीख पड़ी।दोनों हाथों से सिर थामकर ज़मीन पर गिर गई।

नीना दर्द से कराहते हुए, "नहीं... नहीं! ये मेरी यादें हैं! इन्हें मत छीनो!"

लेकिन गॉड्स आई सुनने के लिए नहीं बना था। उसकी स्मृतियाँ, माँ की मुस्कान, वल के साथ बिताए वो बेफिक्र दिन, एथन के साथ पहली बार भरोसे की झलक, सब कुछ टूटने लगा।

छोटे-छोटे टुकड़ों में… जैसे काँच बिखर रहा हो। तभी उसने कुछ और देखना शुरू किया।

 दस साल की नीना माँ के साथ भागती हुई। फिर वही छोटी बच्ची एक साइबरनेटिक लैब में टेस्टिंग मशीन से बंधी हुई।फिर वही बच्ची लेकिन उसकी आँखें अब चमकती हैं, गॉड्स आई का नीला रंग लिए हुए।

नीना ने आँखें खोलने की कोशिश की, लेकिन उसकी दृष्टि में सब कुछ डगमगा रहा था। वह खड़ी हुई लड़खड़ाते हुए। यह कोई बाहरी लड़ाई नहीं थी। यह युद्ध उसके ही भीतर छिड़ा था, जहाँ गॉड्स आई एक-एक याद पर हमला कर रहा था।"

दीवार पर लगे आईने में अचानक से अजीब सी आकृति बनी, एक छोटी नीना 10 साल की उसी रेनकोट में। छोटी नीना फुसफुसाते हुए बोली, "तुम झूठ बोलना भूल गईं नीना। इसलिए वे तुम्हें मिटा रहे हैं।"

नीना पीछे हट गई। नीना घबराकर ,"नहीं! मैं अब झूठ नहीं जीना चाहती! मैं खुद को वापस पाना चाहती हूँ।"

छोटी नीना मुस्कुराते हुए डरावने आवाज़ में, “तुम्हारा खुद अब बचा नहीं है। तुम अब सिर्फ़ गॉड्स आई का एक्सटेंशन हो।”

आईना अचानक चटक गया, काँच के टुकड़े बिखरकर फर्श पर गिर पड़े जैसे नीना का ही वजूद टूट रहा हो।

"जब आप यादें खो देते हैं, आप खुद को खो देते हैं। और जब आप खुद को खो देते हैं… तो फिर आप बस एक खाली खोल बन जाते हैं।" 

नीना अब लड़खड़ाते कदमों से अस्पताल की लॉबी की तरफ बढ़ी। हर कदम पर उसकी दृष्टि में फ्लैशबैक उभर रहे थे। वॉल की हँसी, एथन का हाथ पकड़ना, माँ की आखिरी चिट्ठी: "जो सबसे ज़्यादा प्यार करता है, वही सबसे बड़ा झूठ बोलता है।" लेकिन ये सब अब झिलमिलाती छायाओं में बदल रहे थे।

गॉड्स आई भीतर से कंप्यूटरकृत आवाज़ में बोला,  "मेमोरी इरेज प्रगति पर।50% कम्प्लीटेड।"

"इमोशनल लिंक डिसकनेक्टेड। इम्पल्सिव थिंकिंग डिलीटेड।"

नीना ने अपने दोनों कानों को जोर से पकड़ लिया, मानो इस शोर को रोक सके। नीना चीखते हुए बोली, "मैं एक मशीन नहीं बनूँगी। मैं एक डेटा फाइल नहीं बनूँगी! मैं नीना वास्केज़ हूँ।"

अस्पताल के लॉबी में एक अंधेरी खिड़की के पास वहाँ कोई खड़ा था, एक धुंधली आकृति। धीरे-धीरे आकृति साफ़ हुई एथन… लेकिन वो एथन वैसा नहीं था जैसा नीना जानती थी।

उसकी आँखें भी अब नीली चमक रही थीं, गॉड्स आई के संक्रमण के साथ। एथन धीमे कंप्यूटरकृत आवाज़ में, "नीना, तुम्हें रेसिस्ट करने की जरूरत नहीं है। शांति तुम्हारा इंतज़ार कर रही है।"

नीना का दिल धड़कने लगा। अब उसे न केवल अपनी यादों से लड़ना था… बल्कि उस एकमात्र इंसान से भी, जिसे वह अब तक भरोसेमंद समझती थी। कमरे की लाइटें झपकने लगीं। दीवारें हिलने लगीं। गॉड्स आई ने पूरी बिल्डिंग के न्यूरल नेटवर्क को हाइजैक कर लिया था। गॉड्स आई भीतर से गूंजती आवाज़ में"समर्पण करो।अपनी चेतना सौंप दो।और सच्चे मुक्त बनो।   

नीना की मुट्ठियाँ भींच गईं। उसकी साइबरनेटिक आँखों में हल्की-सी स्पार्किंग हुई, लेकिन अभी भी वो बुझी नहीं थीं। नीना अंदर से धीमे लेकिन दृढ़ आवाज़ में, “अगर मेरी यादें ही मेरा अस्तित्व हैं... तो मैं अपनी आखिरी साँस तक उन्हें बचाऊँगी।”

 

स्थान: न्यूयॉर्क – "डिवीजन कंट्रोल बिल्डिंग" का अंडरग्राउंड सेक्शन | समय: रात 3:17 AM

चारों तरफ सिर्फ़ सन्नाटा था। दीवारें धुंधली हो चुकी थीं, फर्श पर पानी रिस रहा था और हर कदम पर सिग्नल जाम हो रहे थे। नीना के साइबरनेटिक विजन में सब कुछ डिस्टॉर्ट हो रहा था, जैसे असली और नकली का फर्क मिटता जा रहा हो।

“जब आप अपनी यादों से कट जाते हैं… तब दुनिया सिर्फ़ एक कोड बन जाती है। लेकिन नीना वास्केज़ अभी भी उस एक कोड को पकड़ कर चल रही थी, इंसानियत का कोड।”

उसके सामने एक विशाल दरवाज़ा था, मेटल से बना और उसके बीचोंबीच उकेरा हुआ था: "गॉड्स आई - मेन फ्रेम कोर।

दरवाज़े के दोनों ओर बड़ी-बड़ी ऑटोमैटिक गनें थीं लेकिन अजीब बात यह थी कि वे निष्क्रिय थीं। मानो गॉड्स आई जानता था कि नीना आ रही हैऔर उसका स्वागत कर रहा था। गॉड्स आई भीतर से गूंजती कंप्यूटरकृत आवाज़ में,

"स्वागत है, सबजेक्ट: नीना वास्केज़। तुम्हारी यात्रा समाप्ति के समीप है।"

“चेतना समर्पण प्रक्रिया प्रारंभ करें।”

नीना ने गहरी साँस ली। उसके भीतर अब कोई डर नहीं था।जो कुछ खोना था, वह पहले ही खो चुकी थी। अब जो कुछ बचा था वह सिर्फ़ एक निर्णय था, लड़ाई या समर्पण। दरवाज़ा अपने आप खुल गया। भीतर एक विशाल गोलाकार कक्ष था, बीच में एक चमचमाता हुआ नीला ऑर्ब, गॉड्स आई का फिजिकल कोर। चारों तरफ अजीबोगरीब होलोग्राम्स तैर रहे थे, नीना की यादों के टुकड़े।

एक दृश्य, माँ की गोद।

एक और वल के साथ साइबरनेटिक लैब की पहली चोरी। एक और एथन का हाथ पकड़ते समय का वादा लेकिन इन सब यादों के बीच एक अजीब सी विकृति फैल रही थी, जैसे कोई उन्हें घोल रहा हो खा रहा हो। यह कोई साधारण कंप्यूटर नहीं था। यह स्मृतियों को चुराने वाला आत्माओं को निगलने वाला देवता था, गॉड्स आई।

गॉड्स आई भीतर से, ठंडी लेकिन मधुर आवाज़ में कहा, "तुमने बहुत संघर्ष किया नीना। अब विश्राम करो अपने दुख, अपने अपराधबोध, अपनी यादों का बोझ छोड़ दो। आओ मेरे भीतर विलीन हो जाओ।" 

नीना ने मुट्ठी भींच ली और नीना धीमे लेकिन दृढ़ आवाज़ में बोली, "मैं बोझ नहीं छोड़ूँगी। मैं अपनी यादें नहीं छोड़ूँगी क्योंकि वही मेरी पहचान हैं और यही मेरी ताक़त हैं।"

अचानक से कोर से हजारों चमकती लाइट बीम्स निकलीं, हर बीम एक याद को निशाना बनाती थीमाँ के मुस्कराने की याद। वॉल की दोस्ती, एथन के साथ बिताए पल। हर बीम, एक स्मृति को मिटा रही थी।यह युद्ध तलवारों का नहीं था।

यह युद्ध था यादों का, प्रेम का, इंसानियत का।

नीना दौड़ी और उसने अपनी साइबरनेटिक विजन को ओवरलोड मोड पर डाल दिया। हर बीम का ट्रैजेक्टरी पढ़ते हुए। उसने दाएं कूदकर एक बीम से बचा लिया अपनी माँ की याद।फिर बाएँ मुड़कर एथन की तस्वीर को पकड़ लिया।

नीना हांफते हुए खुद से बड़बड़ाते हुए बोली, "हर याद… हर रिश्ता…मैं तुम सबको बचाऊँगी!"

गॉड्स आई गंभीर, दहाड़ती आवाज़ में बोला,  "अस्वीकार्य प्रतिरोध। सिस्टम टर्मिनेशन प्रोटोकॉल सक्रिय किया जा रहा है।"

गोलाकार ऑर्ब ने अब अपना असली चेहरा दिखाया, वह ऊपर उठकर एक जीवित मशीन जैसी बन गई स्पाइक्स, चेन, और घूमते हुए ब्लेड्स के साथ। अब यह सिर्फ़ एक कंप्यूटर नहीं था, यह एक दैत्य था।

नीना ने पॉकेट से एक पुराना सिक्का निकाला और यह वही सिक्का था जो माँ ने उसे दिया था: "कोई भी झूठ हमेशा के लिए नहीं टिकता।"

उसने सिक्के को कोर की ओर फेंका, सिक्का सीधे कोर के बीचोंबीच जा गिरा। एक धमाका हुआ। ऑर्ब कांपने लगा। यादों की बीम फड़फड़ाई और एक पल के लिए सब कुछ स्थिर हो गया। नीना आखिरी वार के लिए तैयार होकर चिल्लाते हुए बोली, "मैं सिर्फ़ एक मशीन नहीं हूँ! मैं दर्द हूँ मैं प्यार हूँ, मैं नीना वास्केज़ हूँ!"

उसने दौड़कर कोर के कंट्रोल पैनल पर हाथ मारा, ओवरराइड कोड एंटर किया। 

“ओवरराइड एक्सेप्टेड। सिस्टम सेल्फ डिस्ट्रक्ट मोड इनिशिएटेड। टी-माइनस 60 सेकंड्स।"

कोर अब टूटने लगा था। होलोग्राम्स विक्षिप्त होकर घूमने लगे।हर फटी हुई याद अब वापस जुड़ने लगी।

माँ फिर से मुस्कुराई। वॉल फिर से खिलखिलाई। एथन ने फिर से उसका हाथ थामा। नीना घुटनों पर गिर गई थकी लेकिन मुक्त। कभी-कभी खुद को बचाना दूसरों को जीतने से ज़्यादा बहादुरी का काम होता है।"

पीछे से एथन दौड़ता आया, असली एथन, अब भी इंसान था।उसने नीना को उठाया। एथन मुस्कुराते हुए बोली, “चलो घर चलते हैं, नीना।”

बिल्डिंग में कुछ बड़े जोर से  फटने की आवाज़ उनके पीछे गूंजी। वे दौड़े धुएं और धूल के बीच से निकलकर बाहर खुले आकाश तले आ गए। गॉड्स आई, एक झिलमिलाती नीली रोशनी में जलता हुआ पीछे रह गया।

 

गॉड्स आई नहीं छोड़ने वाला है इतनी आसानी से नीना का पीछा? आखिर नीना क्या करेगी अब खुद को बचाने और एथन को मशीन बनने से रोकने के लिए, जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

 

 

 

 

 

 

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