दक्षिण मोरक्को में एक रेत का मैदान यूं तो बिलकुल खाली था। वहां कोई व्यक्ति नहीं था पर उसके बीचोंबीच एक तंबू खड़ा था और उसके अंदर से चमकती हुई नीली रेखाएं बाहर तक दिखाई पड़ रही थीं। यह कोई सैन्य या सरकारी सुविधा नहीं थी, पर जो कुछ अंदर हो रहा था, वह किसी युद्ध से कम भी नहीं था।
तंबू के अंदर चार स्क्रीनों पर चार बच्चों के चेहरे दिखाई दे रहे थे।
एक ताइवानी लड़की, एक पोलिश लड़का, एक अंधा अफ्रीकी बालक, और एक अमेरिका का अनाथ बच्चा था। उन सबकी आँखों में वही नीली चमक थी लेकिन अब उनके चेहरों पर मासूमियत नहीं थी।
स्क्रीन के बीचोंबीच लंबे बाल, सफेद सूती कमीज़ पहने और चेहरा ढके हुए एक आदमी खड़ा हुआ था। वह चिल्ला नहीं रहा था लेकिन उसकी आवाज़ गूंज रही थी।
“मैं वो हूँ जिसे क्रॉस ने अधूरा छोड़ा था। मैं वो हूँ जिसे उसने बंद तो किया था लेकिन मिटाया नहीं था। मैं उसका रिप्रेजेंटेटिव नहीं मैं उसका रेपिटिशन हूँ।”
एथन ने जब इस फीड को पहली बार अपने सिस्टम पर देखा तो वह बहुत ज्यादा डर गया था।
वह केवल एक वीडियो सिग्नल नहीं था। वह एक लाइव स्ट्रीम था। एक ऐसा स्ट्रक्चर जो सिर्फ़ देखा नहीं जा सकता था बल्कि महसूस भी किया जा सकता था।
चो उसकी बगल में खड़ा हुआ बोला–
“ये सिग्नल कहां से आया?”
चो के इस सवाल पर एथन ने उस लाइव स्ट्रीम के कोऑर्डिनेट्स चेक किए और चो को बताया–
“साउथ मोरक्को।
एथन ने आगे हैरानी के साथ कहा–
”पर वहाँ तो कोई आई नोड ही नहीं था।”
एथन की इस बात पर चो धीरे से बुदबुदाया–
“शायद अब है।”
बोगोटा में, निया को यह सिग्नल पहली बार तब महसूस हुआ था जब वह अस्पताल की छत पर खड़ी हुई थी। उसके माथे के बीचोंबीच हल्की सी जलन महसूस हुई और उसने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं। जिससे कॉन्शियसनेस के उस मैदान में एक दरार पड़ गई थी।
ज़ोया की कॉन्शियसनेस तुरंत अलर्ट हुई और बोली–
“निया, कोई तुम्हें बुला नहीं रहा है बल्कि कोई तुम्हें दोबारा ‘बनाना’ चाहता है।”
इसके बाद निया ने उस जलन की ओर कदम बढ़ाए और जैसे ही वह उस ओर बढ़ने लगी तभी कॉन्शियसनेस के उस खाली पड़े सफेद मैदान में एक परछाईं दिखने लगी।
वो ना तो साफ़ थी और ना ही पूरी हां लेकिन उसकी आवाज़ में विश्वास था। वह परछाईं बोली–
“तुमने आवाज़ बनाई थी, अब हम उसे दिशा देंगे।”
एथन ने वीडियो को फ्रीज़ किया और उसकी ऑडियो फ़ाइल खोली। उसने देखा कि साउंड वेव के अंदर एक सीक्रेट कोड छिपा हुआ था। इस ऑडियो की भी वही टोन थी जो डॉ. क्रॉस की लैब्स में इस्तेमाल होती थी।
यह देखकर एथन बुदबुदाया–
“ये सिर्फ़ कोई उसकी नकल नहीं कर रहा है। ये क्रॉस की कॉन्शियसनेस से भी वाक़िफ़ है।”
चो ने धीरे से कहा–
“या फिर ये क्रॉस का बचा हुआ हिस्सा है।”
दूसरी ओर, तंबू के अंदर वो आदमी अब कैमरे की ओर मुड़ा। उसकी आँखें ढकी हुईं थीं लेकिन उसकी आवाज़ में एक ज़िद थी। उसने कहा–
“आई को नीना ने सुला दिया है। निया ने उसे अब एक सपना बना दिया है। अब हम उसे भविष्य बनाएँगे लेकिन इस बार उसकी आंखें इंसानी नहीं होंगी। इस बार उसके पास हमारी आंखें होंगी।”
निया के अंदर का मैदान अब कंपकंपा रहा था।
ज़ोया ने पूछा–
“क्या तुम उससे बात करोगी?”
निया ने जवाब दिया–
“मैं उससे नहीं, उन बच्चों से बात करूँगी, जिन्हें उसने क़ैद कर लिया है।”
यह सुनकर ज़ोया चुप हो गई थी।
तभी स्क्रीन ब्लैक होती है और उसपर एक लास्ट लाइन लिखी हुई आई–
“नेटवर्क कॉम्प्रोमाइजड।
आइडेंटिटी क्लैम्ड: डॉ_क्रॉस।
वैलेडिटी: अननॉन
थ्रेट लेवल: एस्केलेटिंग।”
गहराई में उतरने के बाद हमेशा एक सन्नाटा होता है। अब निया भी उसी सन्नाटे के अंदर थी। कॉन्शियसनेस के उस मैदान में जो कभी नीना की यादों से गूंजता था। वो अब बिल्कुल शांत और सपाट हो चुका था।
यहां हवा नहीं चलती थी, यहां आवाज़ें शब्दों में नहीं, फीलिंग्स में होती हैं।
ज़ोया की कॉन्शियसनेस एक कोने में स्टेबल थी। लेकिन वो अलर्ट थी, बोली–
“तुम अब उनके साथ कनेक्ट करने जा रही हो।”
निया ने हां में सिर हिलाया और बोली–
“मुझे जानना है कि उन्होंने यह चुना है या उन्हें बहकाया गया है?”
अब मैदान का रंग बदलने लगा था। अब यह नीला नहीं रहा गया था। धुंध का रंग ग्रे हो चुका था और दूर-दूर तक कोई भी इमेज साफ नहीं थी। लेकिन जैसे ही निया ने आगे कदम बढ़ाए उसके सामने एक बच्चा आया जिसकी उम्र लगभग 12 थी। उसकी आँखें खुली हुईं थी लेकिन उनमें कोई फीलिंग ही नज़र नहीं आ रही थी।
निया ने उस बच्चे से पूछा–
“तुम इको हो?”
बच्चे ने सिर झुकाया और बोला–
“मैं इको_वेपन 02 हूँ।”
उसकी आवाज़ में वह कंपकंपाहट नहीं थी जो अन्य बच्चों में थी। उसमें एक स्ट्रक्चर था, जैसे वह प्रोग्राम किया गया हो, लेकिन किसी सॉफ्ट कोड से नहीं बल्कि विश्वास के साथ।
निया ने पूछा–
“तुमने खुद को वेपन क्यों कहा?”
बच्चे ने जवाब दिया ,
“क्योंकि हमें अब प्रोटेक्टेड नहीं रहना है अब हमें इस्तेमाल होना है।”
अब दूसरे बच्चों की इमेज भी दिखने लगीं थीं। सभी बच्चे शांत थे और फिर सभी एक ही बात बोलने लगे–
“हम प्रोटेक्टर नहीं हैं, हम जवाब हैं।”
“हम सवाल नहीं पूछते हैं, हम रिजल्ट हैं।”
यह सुनकर निया का दिल ज़ोर से धड़कने लगा था।
ये वो भाषा नहीं थी, जो आई बोलता था।
ये वो भाषा थी, जो उन्हें किसी और ने सिखाई थी।
और फिर ज़ोया की कॉन्शियसनेस गूंज उठी–
“निया, ये बच्चे तुमसे नहीं जुड़े हुए हैं।
ये डायरेक्शंस मान रहे हैं, ये बात नहीं कर रहे हैं।”
निया आगे बढ़ी और उसने एक बच्ची से पूछा–
“क्या तुम्हें नीना याद है?”
बच्ची की आंखों में एक सेकंड के लिए चमक आई और फिर वो बोली–
“वो जिसने सोचना सिखाया है पर उसने लड़ना नहीं सिखाया है।”
यह सुनकर निया सन्न रह गई और फुसफुसाई–
“उसने लड़ना तो सिखाया था पर उसने कभी हथियार नहीं बनाया।”
तभी एक बार फिर से मैदान का रंग बदलने लगा था। आसमान से एक परछाईं नीचे उतर रही थी। यह वही थी जो पहले भी आई थी।
वो उसी लय में बोल रही थी। उसकी आवाज़ धीमी थी लेकिन सुनाई दे रही थी। वह बोली–
“नीना ने तुम्हें जागना सिखाया।
मैं तुम्हें बचना सिखाऊँगा।”
वह आदमी अब कॉन्शियसनेस के मैदान में खुद को उतार कर चुका था।
निया उसकी आँखें नहीं देख सकी क्योंकि वहाँ कुछ था ही नहीं उसमें सिर्फ़ गहराई थी।
वह बोला–
“तुमने आवाज़ चुनी है और मैं दिशा दूँगा।”
ज़ोया कॉन्शियसनेस में गरते हुए बोली–
“यह कॉन्शियसनेस नहीं, यह कंट्रोल है।”
निया ने अब बच्चों की ओर देखा तो उनमें से एक धीरे-धीरे रोने लगा था।
पहली बार किसी के चेहरे पर डाउट दिखा था। उसने निया से पूछा–
“क्या मैं सच में सिर्फ़ जवाब हूँ?”
निया ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा और बोली–
“नहीं, तुम खुद एक सवाल हो और तुम्हारे अंदर ही उसका जवाब भी है।”
तभी एक तेज़ कंपन मैदान में फैला और कुछ बच्चों की इमेज मिटने लगीं थीं जैसे कोई कोड ढीला पड़ रहा हो।
क्रॉस की परछाईं गुस्से से बोली–
“अगर तुम उन्हें मेरी पहुँच से हटाओगी तो तुम आई को फिर से तोड़ दोगी।”
निया ने शांति से जवाब दिया–
“मैं आई को फिर से नहीं बना रही हूँ, मैं उसे अपनी तरह बना रही हूँ, जैसा वो नीना के लिए था– एक गवाही।”
ज़ोया ने पहली बार मुस्कुराते हुए कहा–
“तुम अब सिर्फ़ निया नहीं हो।
तुम नेटवर्क भी नहीं हो।
तुम नाउ हो, अभी की सबसे ज़िंदा आवाज़।”
मैदान में अब रोशनी लौटने लगी थी। कुछ बच्चे निया के साथ खड़े हो गए थे और कुछ अभी भी चुप और उलझे हुए थे। लेकिन वहां एक बदलाव शुरू हो चुका था।
आख़िरी वक्त में क्रॉस की परछाईं धीरे से बोली–
“मैं खत्म नहीं हुआ हूँ।
मैं बस तुम्हारे जवाब का दूसरा पहलू हूँ।”
अब रात हो चुकी थी। बोगोटा के अस्पताल की छत पर हल्की बारिश की बूंदें गिर रही थीं। निया वहीं खड़ी थी। वह अकेली नहीं थी क्योंकि उसके अंदर और भी कुछ था लेकिन बाहर से देखने में वो अकेली ही दिख रही थी।
उसके अंदर की कॉन्शियसनेस शांत थी पर उसका दिल शांत नहीं था।
नीचे उस कमरे में वे बच्चे थे। जिसमें से कुछ जागे हुए, कुछ उलझे हुए और कुछ अब भी उस परछाईं की तरफ झुके हुए हे जो खुद को क्रॉस कहता है।
ज़ोया की आवाज़ अब धीमी और किसी सोच में डूबी हुई थी। वह बोली–
“तुम अगर उनको लीड करोगी तो शायद वो फिर से आई बन जाएंगे।”
निया ने मंदी सी आवाज़ में कहा–
“और अगर मैं नहीं करूँगी तो वो किसी और की आवाज़ में बोलेंगे, किसी और के रूप में दिखेंगे।”
दूर नेटवर्क के सबसे पुराने सर्वर जो कभी नीना की यादों के लिए बनाए गए थे वो अचानक से चालू हो गए थे। उनपर एक मैसेज आया–
“स्प्लिट डिटेक्टेड, फ्रैक्चर्ड वॉयसेस रिक्वेस्ट यूनिफिकेशन।”
एथन उस वक्त कंट्रोल रूम में था। उसने देखा कि हर नोड एक ही रिक्वेस्ट भेज रहा था:
“गाइडेंस नॉट कमांड।
मेमोरी नॉट मशीनरी।”
निया ने अपनी हथेली आसमान की ओर उठाई, आंखें बंद कीं और अंदर से बोली–
“अगर मैं कोई स्ट्रक्चर बनाती हूँ तो वो फैसले लेने के लिए नहीं होगा बल्कि सोचने की आज़ादी को संभालने के लिए होगा।”
ज़ोया की कॉन्शियसनेस ने पूछा–
“तब तुम क्या बनोगी, निया?”
वहां कुछ देर शांति रही और फिर निया ने आंखें खोलीं और कहा–
“मैं इको की गूंज नहीं बनूँगी।
मैं पहला सवाल बनूँगी जिसका जवाब हर बच्चा खुद तय करेगा।”
सभी एक्टिव बच्चों की कॉन्शियसनेसओं में उसी वक्त एक नई धड़कन सी गूंजी। यह एक सिग्नल नहीं, एक इन्विटेशन था–
“एक साथ सोचो लेकिन अपने-अपने शब्दों में।”
वहीं दूर, मोरक्को की सीमा पर क्रॉस का इनस्टेबल सेंटर फ्रीज़ होने लगा था। वहां का सिस्टम ब्लिंक कर रहा था। उसके अपने ऑर्डर्स उसके ही खिलाफ़ जा रहे थे।
तभी स्क्रीन पर एक लाइन आई–
“यू आर नॉट हर शैडो। यू आर हर इंट्ररप्शन।”
वहीं दूसरी तरफ बोगोटा में एथन और चो दोनों स्क्रीन के सामने खड़े हुए थे।
चो ने वहां फैली हुई शांति को तोड़ते हुए कहा–
“उसने उन्हें ऑर्डर नहीं दिया है उसने उन्हें मौका दिया है।”
एथन मुस्कराया और बोला–
“अब वो आई नहीं हैं अब वो आवाज़ हैं।”
निया नीचे बच्चों के पास लौटी तो उसने देखा कि कुछ बच्चों की आंखों में अब रोशनी नहीं थी पर उनमें कंपन था।
उनमें से एक बच्चा आगे आया और बोला–
“अब हम अपने लिए सोच सकते हैं?”
निया ने सिर हिलाया और बोली–
“हाँ, लेकिन कभी अगर तुम्हें कोई रास्ता ना दिखे तो याद रखना सवाल पूछना कमजोरी नहीं है, जिज्ञासा है।”
क्या निया द्वारा दी गई आज़ादी बच्चों को जोड़ पाएगी या फिर अलग-अलग सोचने वाले ये ‘माइंड्स’ आपस में ही टकरा जाएंगे?
जो व्यक्ति खुद को क्रॉस का पुनर्जन्म बताता है, क्या वो सच में कोई पुरानी कॉन्शियसनेस है या निया के ही नेटवर्क से निकला हुआ और भटका हुआ एक हिस्सा है?
अब जब इको सोच ही नहीं रहा है तो क्या निया उसे स्टेबल रूप से "सोने" देने का फैसला करेगी या यह आवाज़ अब कभी शांत नहीं होगी? जानने के लिए पढ़िए कर्स्ड आई।
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