गाड़ी में मैं हैप्पी था। मेरा मतलब है गाड़ी में मैं और हैप्पी दोनों थे। दोनों ऑफिस के लिए निकल चुके थे। आज घर से ऑफिस जाते हुए रास्ता तो same था लेकिन फीलिंग कुछ अलग थी। ऑफिस बॉय रवि से सीईओ रवि बनते ही पहला फोन कॉल मुझे सीधा लंदन से आया। मैं तो सोचने लगा कि भाई लक्जरी गाड़ी, लंदन से कॉल उफ्फ। लेकिन उस कॉल पर आती हुई आवाज ने फोन उठाते ही 440 वोल्ट का झटका दिया। क्योंकि यह फोन कॉल हमारे एक्स सीईओ अतुल सिंघानिया के बेटे का था। उसने मुझे बताया कि उसका नाम है रवि, रवि सिंघानिया!
रवि सिंघानिया ने मुझे बताया कि उसके बाप अतुल सिंघानिया ने मरने से एक रात पहले ही उसे फोन पर कहा था कि वो अगले दिन ऑफिस में सीईओ के तौर पर उसके यानी रवि सिंघानिया के नाम का अनाउंसमेंट करेंगे। लेकिन ऑफिस में टेक्निकल प्रॉब्लम की वजह से सबको मेरे यानी रवि सिंह के नाम का ही मेल गया। और अतुल सिंघानिया को जब इस गलती के बारे में पता चला तो उन्हें तुरंत ही दिल का दौरा पड़ गया।
इसके बाद अतुल सिंघानिया के बेटे ने मुझे धमकी दी, कि वो जल्द ही लंदन से वापस आकर उस ऑफिस में सबके सामने सच बताएगा। और ऐसा कहकर अतुल सिंघानिया के बेटे रवि ने... फोन काट दिया।
मुझे सारा खेल समझने में ज्यादा देर नहीं लगी। और यह भी समझ आ गया कि उस दिन अतुल सिंघानिया ने मेरे नाम की तारीफ क्यों की थी। और तो और वो अस्पताल में अपनी आखिरी सांसें गिनते हुए, मेरी तरफ इशारा क्यों कर रहे थे !! एक छोटी ही सही लेकिन कन्फ्यूजन की वजह से यह सब कुछ हुआ था।
अगले ही पल मुझे ख्याल आया कि इस छोटी सी गलती के चक्कर में अतुल सिंघानिया को हार्ट अटैक आया था। जो कि अच्छा तो नहीं हुआ था। मैं इमोशनल हो गया और मैंने फैसला किया कि यह खबर सिंघानिया साहब का बेटा आकर बताए, उससे पहले मैं खुद ही ऑफिस पहुंचकर सबको सच्चाई बता दूंगा। आखिर मुझे क्या पड़ी है। मुफ्त का सीईओ बनने की…. फिर इसके बाद रवि सिंघानिया ही लंदन से आकर कंपनी संभाले। मैं तो इसी नौकरी में खुश हूं यार।
ये सोचते सोचते मैं कब ऑफिस पहुंच गया पता ही नहीं चला। गाड़ी ऑफिस के बाहर रुकी और मैं गाड़ी से उतरने की कोशिश करने लगा। मैं भागकर ऑफिस के अंदर पहुंचकर सबको सच्चाई बता देना चाहता था। मैंने गाड़ी का दरवाजा खोलने के लिए जैसे ही दरवाजे पर लगा बटन दबाया, तुरंत ही गाड़ी का शीशा खुल गया। क्या करूं पहली बार गाड़ी में बैठा था वो भी इतनी बड़ी। इतने में छलांग मारता हुआ एक नौजवान लड़का मेरी गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए मुझे सलाम कर देता है। बदले में मैं भी सलाम कर देता हूं। ये देखकर वो इतना खुश हो जाता है कि मेरे बिना पूछे ही अपना नाम बताता है।
सनी : हेलो सर माईसेल्फ सनी ! मैं यहां का नया ऑफिस बॉय हूं।
नया ऑफिस बॉय, इतनी जल्दी इन्होंने मेरी जगह किसी और को रख लिया !?
सनी : सर जी, आप भी तो किसी और की जगह पहुंच गए ना। लाइए सर आपका बैग मुझे दे दीजिए।
"नहीं नहीं भाई बैग मैं ही ले लेता हूं क्या है एक लंच बॉक्स में तोड़ चुका हूं। बीवी बहुत गुस्सा करती है मेरी।"
इसके बाद सनी मेरे पीछे पीछे चलने लगा। ये सब होता देख मुझे याद आया कि अभी 2 दिन पहले ही इस ऑफिस का ऑफिस बॉय मैं हुआ करता था। मेरी तरह आगे सिंघानिया साहब और पीछे सनी की तरह मैं उनका बैग लेकर चलता था। मेरी लाइफ का ये 180 डिग्री चेंज मुझे फील गुड करा रहा था। लेकिन ये खेल तो अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था।
ऑफिस के अंदर एंट्री लेने के लिए मैं आगे बढ़ा। और ये क्या … एंट्री गेट पर पहुंचने से पहले ही पोन ने मेरे लिए गेट खोल दिया। ऑफिस गेट के उस पार कई लोग मेरा इंतजार कर रहे थे। किसी के हाथों में बुके, किसी के हाथ में गिफ्ट्स। मैं वापस मुड़ गया लेकिन मुड़ते ही पीछे नए ऑफिस बॉय सनी को देखा। उसे देखते ही मुझे मेरी याद आ गई। अभी 2 दिन पहले मैं वहीं खड़ा, वहीं काम कर रहा था। तब सला कोई मुझे पहचानता तक नहीं था। और आज देखो, ये सारे मेरे लिए कैसे खड़े हैं। मैंने सोचा सच्चाई तो मैं वैसे भी बताने वाला हूं पहले अंदर तो चला जाए।
एंट्री लेते ही सबसे पहले स्विफ्टेक सॉल्यूशंस कंपनी के बोर्ड ऑफ मेंबर्स ने मेरा स्वागत किया। एक से बढ़कर एक अंग्रेजी बोलने वाले मिले, कॉन्ग्रेचुलेशन्स, गुड विशेज, बेस्ट विशेज, ग्रीटिंग्स और कॉम्प्लिमेंट्स का दौर जारी था। मिसेज शालिनी कपूर भी मुझसे मिलीं।
शालिनी कपूर: कॉन्ग्रेचुलेशन्स रवि, हमें तुमसे बहुत उम्मीदें हैं। यह मौका तुम्हें भगवान की ओर से एक उपहार के रूप में दिया गया है। अपना बेस्ट देने की कोशिश करो।
आ... आ... यस यस, ओके मैडम।
शालिनी कपूर (मुस्कराते हुए): ठीक है मैं समझती हूं, तुम्हें हिंदी में बात करना आसान लगता है। तो अब से तुम अपनी बातें मुझसे कभी भी कह सकते हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम अंग्रेजी सीखोगे नहीं।
शालिनी कपूर सभी का भला सोचने वाले लोगों में से थीं। लेकिन सभी आपका भला सोचते हों, भला ऐसा भी कैसे हो सकता है।
संजय राव शालिनी से (टॉन्टिंग): वेल आई फील बिफोर लर्निंग टू स्पीक इंग्लिश, ही शुड लर्न टू स्पीक एट ऑल। डॉन्ट यू थिंक मिसेज कपूर?
मुझे समझ आ गया कि इसने अभी-अभी मेरी फिरकी ली है, इसलिए मैंने भी इसे इसी के तरीके से जवाब देना सही समझा।
'आ... संजय सर, इंग्लिश से याद आया आपकी कॉफी का टाइम हो गया है, अब वो मैं तो आपको दूंगा नहीं और आपको वो नए ऑफिस बॉय सनी को बोलना पड़ेगा। और हां। उसे हिंदी बोलना पड़ेगा आपको, वो क्या है कि... इंग्लिश आती नहीं न उसे!'
ऐसा लगा संजय राव, अब रो देगा। लेकिन एक सड़ी हुई स्माइल मारकर रह गया। इतने में अनीता वर्मा ने मुझे छोटा सा बुके मेरे हाथ पर जोर से थमाते हुए कहा।
अनीता वर्मा (गुस्से में): लुक, मिस्टर रवि, मैं नहीं जानती ये तुमने कैसे किया। लेकिन मैं इस बात की सच्चाई का पता लगा के रहूंगी।
अनीता मैडम, मैंने कुछ किया नहीं… तब भी मैं सीईओ बना दिया गया हूं। कुछ किया होता तब तो पक्का आप लोग मुझे भगवान बोलके मेरे नाम का पुतला बना देते।
अनीता वर्मा: टेल मी मिस्टर रवि, इससे पहले तुमने कभी कहीं असिस्टेंट की प्रोफाइल पर भी काम किया है। या ऐसा कोई भी ऑफिशियल वर्क जिससे मैं तुम्हें अपना बॉस मान सकूं!?
कैसे संभाओगे तुम ये इतनी बड़ी कंपनी।
"मैडम ये मैं कब तक संभालूंगा, ये आपको जल्दी ही पता चल जाएगा। और रही बात मेरे काम की। तो मैं मानता हूं कि आप जितना काबिल तो मैं नहीं हूं लेकिन। काम करना मुझे अच्छे से आता है। पानी पिलाने से लेकर साफ-सफाई तक मैंने सब ईमानदारी से किया है। आगे भी ईमानदारी से ही काम करता रहूंगा।"
अनीता वर्मा: और अपनी इस ईमानदारी से अब तुम सीईओ बनकर करोगे क्या। अपने ऑफिस की डस्टिंग? या स्टाफ को चाय पिलाओगे।
इतने में नया ऑफिस बॉय सनी मेरे पीछे से चाय लेकर ही आया और बोला…
सनी: रवि सर, आपकी चाय ! मुझे पता है आपको कॉफी से ज्यादा चाय पसंद है ना।
सनी के हाथ में चाय की ट्रे देखकर मैं चौंक गया और उससे बोला, (कम आवाज में चिल्लाते हुए) "अरे यार सनी, ये क्या किया तूने…"
सनी: क्या हुआ सर?
सनी भाई, यार ये नया वाला कप ऑफिस के खास मेहमानों के लिए इस्तेमाल होता है, इसे ऐसे मत निकाला कर सब देख लेंगे तो कल से इसी नए कप में कॉफी मांगने लगेंगे यार।
सनी: लेकिन सर आज के खास मेहमान तो आप ही हो। और मैं अब किसी का ख्याल रखूं न रखूं आपका तो ध्यान रखना ही पड़ेगा।
क्या बोला भाई फिर से बोल ज़रा।
सनी: आपका तो ध्यान रखना ही पड़ेगा।
पहली बार पता चला बटरफ्लाईज़ सिर्फ वो नहीं जो आपको बाहर दिखती हैं। इसके बाद सभी मुझे अंदर ले गए। एकदम से इतनी अटेंशन मेरी शादी में भी मुझे किसी ने नहीं दी थी, मेरी बीवी ने भी नहीं।
मिसेज शालिनी कपूर के साथ-साथ ऑफिस के कई लोग मेरे साथ अंदर आए। मैं सबके आगे आगे और बाकी सब मेरे पीछे चल रहे थे मेरी तेजी से कदम बढ़ाता हुआ आदतन पैंट्री एरिया में पहुंच गया। बाकी लोग भी मेरे पीछे आए।
शालिनी कपूर (हिचकिचाते हुए): आ रवि… आज से आप यहां नहीं अपने खुद के केबिन में बैठकर काम करेंगे। प्लीज़ आईए हमारे साथ। हम आपको आपका केबिन दिखा देते हैं।
मिसेज शालिनी कपूर मुझे लेकर सीधा सिंघानिया के केबिन में गई। वहां मुझे मेरी सीट पर बिठाकर अपने अपने काम पर वापस चले गए। सभी के जाने के बाद ऑफिस के केबिन में लगे शीशे पर मेरी नज़र पड़ी। शादी का सूट पहने मैं, सीईओ की कुर्सी पर एकदम साहब लग रहा था। मुझे बार-बार वो बात परेशान कर रही थी कि इस कुर्सी पर वैसे तो रवि सिंघानिया को होना चाहिए था, यहां तक कि एक मिसअंडरस्टैंडिंग की वजह से खुद अतुल सिंघानिया भी हार्ट अटैक का शिकार हो गए। मैं इस सोच में डूबा ही था कि तबhi मेरे सामने टेबल पर ढेर सारा नाश्ता और जूस पीने को रख दिया गया। फिर सोचा हटाओ यार पहले नाश्ता कर लेते हैं। सिंघानिया का बेटा जब यहां आकर ये सच बताएगा, तब की तब देख लेंगे। ज़िंदगी ने यूटर्न लिया और अचानक इस ऑफिस में आज मुझे मज़ा आ रहा है
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