राहुल, पहले राजवीर की टीम में ही काम करता था, उसे जब से पता लगा हैं कि राजवीर के लोग एक प्राचीन मंदिर में ख़जाने की ख़ोज में गए हैं। उसके मन का लालच जाग गया। लालच के चलते ही वह पहले भी एक बार राजवीर को धोखा दे चुका था।
राहुल की वाइफ स्नेहा, उसको समझाने की कोशिश कर रही थी कि वह उस ख़तरनाक जंगल में न जाये, लेकिन राहुल नहीं माना। स्नेहा ने उसको साथ लेकर जाने की शर्त रखी। राहुल ने पहले इंकार कर दिया, लेकिन बाद में उसको शर्त माननी पड़ी और अब ये दोनों भी, ख़जाने की ख़ोज में मंदिर तक पहुँच गए।
उधर अर्जुन, अपनी टीम को चक्र-व्यूह से बाहर निकालने के लिए जल्दी से पहेली सुलझाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पूरी टीम में से कोई भी उस पहेली का सही ज़वाब नहीं दे पा रहा था।
डॉ मीरा: मास्टर, अगर हम और थोड़ी देर में इस पहेली को सुलझा नहीं पाए, तो सब मारें जायेंगे।
पूरी टीम घबराकर पहेली सुलझाने की कोशिश में लगी थी, लेकिन बहुत देर तक कोशिश करने के बाद भी सही जवाब नहीं मिला, तब अर्जुन ने अपने आप को शांत किया और अपना पूरा ध्यान अपने दिमाग़ पर लगा दिया। अर्जुन ने कॉन्फ़ीडेन्स के साथ कहा,
अर्जुन: प्राचीनता का ज्ञान! सहीं ज़वाब हैं, प्राचीनता का ज्ञान।
अर्जुन का ज़वाब सहीं था, दरवाज़ा खुल चुका था। टीम ने थोड़ी देर राहत की साँस ली, क्योंकि टीम अभी मौत के मुँह से बच कर आई थी।
उधर राजवीर के लोग भी टीम "अर्जुन" की तरह ही उस चक्र-व्यूह में फँस गए थे, लेकिन उनको पहेली सुलझाने की समझ नहीं थी। वे उस भूल-भुलैया में और भी ज़्यादा अंदर जाते जा रहे थे। उनकी टीम का कैप्टन मानसिंह, चक्र-व्यूह के बाहर ही था। वह कुछ लोगों के साथ इधर-उधर ख़जाना ढूँढने के लिए पसीना बहा रहा था।
मानसिंह ने कहा "चारों तरफ़ फैल जाओ, एक भी जगह छूटनी नहीं चाहिए और सबसे पहले कोई इन जहरीलें सांपों को ख़त्म करो, वरना ये हम सब को ख़त्म कर देंगे" इसके बाद उसकी पूरी टीम ख़जाने की ख़ोज में हर तरफ़ फैल चुकी थी, लेकिन उसके दो आदमी, बलवीर और संजय को ऐसे समय में भी मज़ाक सूझ रहा था।
उन्होंने एक सांप को मारकर अपनी टीम के कुछ लोगों पर फेंक दिया था। टीम में भगदड़ हो गयी और मौका देखकर, राहुल और स्नेहा भी, मानसिंह के लोगों के बीच में घुस गए। स्नेहा, ने लड़कों के कपड़े पहन रखे थे, इसलिए उस पर किसी को शक भी नहीं हुआ। राहुल ने मौका देखकर स्नेहा को अपने पास बुलाया और कहा,
"हमें इन लोगों को रास्ते से हटाने के लिए जल्दी ही कुछ करना होगा, अगर इन लोगों ने हम दोनों को पहचान लिया, तो फिर हमारा यहाँ से बचकर निकलना मुश्किल हैं।"
इसके बाद राहुल और स्नेहा ने मिलकर एक प्लान बनाया। स्नेहा अपने असली अवतार में वापस आई। उसने मानसिंह के एक आदमी को अपने रूप के जाल में फंसाया और उसको एक सुनसान जगह पर लेकर गयी। राहुल वहाँ पहले से तैयार बैठा था। राहुल ने उस पर पीछे से कटार से हमला किया और उसको मौत के घाट उतार दिया। इसी तरह उन दोनों ने मानसिंह के 8-10 लोगों को मार दिया था।
उधर अर्जुन और उसके लोगों ने चक्रव्यूह का एक दरवाज़ा खोल लिया था, पर उन पर से ख़तरा अभी टला नहीं था। चक्र-व्यूह को इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि एक बार सिक्योरिटी सिस्टम एक्टिव होने के बाद थोड़ी-थोड़ी देर के बाद लगातार हमले होते रहते थे, इसलिए अर्जुन इस चक्र-व्यूह से बाहर निकलने की योजना बनाने लगी।
सम्राट ने अपने मन में सोचा, "मैंने अपनी लाइफ में बड़े-बड़े दरवाज़े खोलें हैं, फिर इस चक्र-व्यूह के दरवाज़े क्यों नहीं खोल सकता? कम से कम कोशिश तो कर ही सकता हूँ। मास्टर के भरोसे बैठे रहेंगे तो यहीं पर मारे जायेंगे। सम्राट उठकर गया और उसको खोलने के कोशिश करने लगा।"
विक्रम: सम्राट! तुम उस दरवाज़े से हाथ नहीं लगाओगे, ये सब तुम्हारी वज़ह से ही हो रहा हैं। तुम अब कुछ नहीं करोगे, वरना हम सब मारें जायेंगे।
सम्राट: तो फिर बैठे रहो हाथ पर हाथ रखकर, मास्टर के भरोसे। क्या तुम गारंटी ले रहें हो? हमें बचाने की?
सम्राट ग़ुस्से में फट पड़ा। उसको अब अपने मास्टर की क़ाबिलीयत पर भरोसा नहीं था। उसने ग़ुस्से में सुरंगों की दीवारों पर हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए।
अचानक से सुरंगों की ज़मीन हिलने लगी और ऊपर से छत गिरने लगी। टीम अर्जुन संभल पाती उससे पहले ही उन पर फिर से हमला हो गया। टीम के पास कोई ऑप्शन नहीं था। सम्राट दरवाज़ा खोलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हमले बढ़ते ही जा रहे थे, तभी एक इंसान उनके सामने अचानक से आया।
उसको देखकर पूरी टीम सावधान हो गयी थी। उनको लग रहा था, ज़रूर ये हमारा दुश्मन हैं, लेकिन तभी उसने कहा, "जल्दी मेरे साथ चलों" वरना यहीं मारें जाओगे।
अर्जुन को उस पर भरोसा नहीं था। उसने कड़कती आवाज़ में पूछा "कौन हो तुम?"
उसने कहा, "वो सब में बाद में बताऊंगा, पहले तुम सब अपनी जान बचाओ।"
टीम को उस पर भरोसा नहीं था, लेकिन उनके पास और कोई ऑप्शन भी नहीं था, इसलिए वे उसके पीछे-पीछे भागे। वह आदमी उनको उस सुरंग से निकाल कर एक दूसरी सुरंग में ले आया। डॉ मीरा हमले में तीर लगने से घायल हो गयी थी और दर्द से चीख़ रही थी। टीम को अभी भी उस आदमी पर भरोसा नहीं था, इसलिए विक्रम ने उसको ऊपर से नीचे तक देखा और पूछा-
विक्रम: वैसे तुम हो कौन? और हमारी हेल्प करना क्यों चाहते हो?
“मेरा नाम विद्वान हैं।”मैं एक इतिहासकार हूँ, इसलिए मुझे इस प्राचीन मंदिर का इतिहास और इसकी संरचना के साथ-साथ इसके बहुत सारे गुप्त रास्तों के बारे में भी पता ह॥ मैं यहाँ पास में ही रहता हूँ, मैंने यहाँ इतने लोग आते देखे और आवाजें सुनी तो मैं यहाँ चला आया।
अर्जुन: हम चोर-डाकू भी तो हो सकते हैं न? इतना भरोसा हम लोगों पर, क्यों?
अर्जुन की बात सुनकर विद्वान ज़ोर से हँस पड़ा। चोर-डाकू अपने साथ लड़कियाँ लेकर जंगल में नहीं आते, तुम लोग ज़रूर रिसर्चर वगैरह कुछ हो, इतना तो मैं तुम लोगों को देखकर ही समझ गया था। मैंने तुम लोगों को मंदिर में अंदर आते समय ही देख लिया था, विद्वान ने कहा। उसकी बात सुनकर टीम हैरान रह गयी। टीम को अब विद्वान पर थोड़ा भरोसा हो गया था। आइशा ने उससे बाहर निकलने में उनकी हेल्प मांगी। विद्वान ने उन्हें कहा,
"मैं एक गुप्त रास्ता जानता हूँ, तुम उससे बाहर निकल सकते हो। वह रास्ता आगे जाकर इसी चक्र-व्यूह में जाकर मिल जायेगा, लेकिन तुमको बाहर निकलते समय सावधान रहना होगा, क्योंकि मैंने तुम लोगों के बाद लगभग 15-20 लोगों मंदिर में अंदर घुसते हुए देखा था। उनमें से कुछ लोग मुख्य-द्वार पर मारें भी गए थे।"
विद्वान की बात सुनकर अर्जुन सोच में पड़ गया था, लेकिन अभी उनके लिए बाहर निकलना सबसे ज़रूरी था। वह लोग विद्वान को थैंक्स बोलकर एक गुप्त रास्तें से बाहर निकल गए। वे फिर से चक्र-व्यूह में आ गए थे, लेकिन इस बार विद्वान् ने उनको बाहर निकलने का तरीक़ा बता दिया था।
उधर राजवीर को पहले भी कई लोग धोख़ा दे चुके थे और वह ये बात बहुत अच्छी तरह जानता था, इसलिए इस बात वह रिस्क नहीं लेना चाहता था। राजवीर ख़ुद ही मंदिर पहुँच गया था, लेकिन उसके आने से मानसिंह ख़ुश नहीं था और वह मानसिंह से, क्योंकि उसके अधिकतर आदमी मारें गए थे। कुछ की लाशें मंदिर की बाहर पड़ी थी, उनको गिद्ध और कौवे नोच रहे थे। कुछ लोग ज़हरीले साँपों का शिकार हो गए थे और कुछ को राहुल-स्नेहा ने मार दिया था।
राजवीर आते ही एक्टिव हो गया था। उसने मंदिर में हर तरफ़ घूमकर देखा और फिर मंदिर के शिखर पर चढ़ गया। मंदिर के शिखर पर एक जाली लगी थी, जिससे पूरा चक्र-व्यूह दिखाई देता था। राजवीर, चक्र-व्यूह में फँसी हुई टीम अर्जुन और अपने आदमियों को देख तो सकता था, लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था।
टीम अर्जुन पर तीरों से हमला होते, एक आदमी का अचानक आकर अर्जुन की टीम को बचाना और अपने आदमियों का इधर से उधर भटकना, राजवीर ने सब-कुछ देख लिया था।
इधर अर्जुन और उसके साथी गुप्त रास्ते से निकल कर चक्रव्यूह में आ गए थे। अभी वे कुछ ही दूर चले थे कि उनको राजवीर के लोग उनकी तरफ़ आते दिखाई दिए। इससे पहले टीम अर्जुन कुछ समझ पाती, राजवीर के लोगों ने उन-पर हमला कर दिया। डॉ मीरा पहले से ही घायल थी और अब विक्रम भी घायल हो गया था। वे लोग जैसे-तेरे बचकर फिर से उसी सुरंग में घुस गए थे। विद्वान अभी तक वहाँ बैठा था।
टीम को अब अपने मास्टर की काबिलीयत पर शक होने लगा था, क्योंकि वे जब से यहाँ आये थे तब से अर्जुन हर-बार उनको बचाने में फेल हो रहा था। विक्रम समझ गया था, टीम अर्जुन, भागकर वापस क्यों आयी थी।
उधर राजवीर के आने के बाद मानसिंह की कोई वेल्यू नहीं बची थी। वह परेशान होकर कुछ सोच रहा था, तभी उसकी नज़र उसके एक आदमी पर पड़ी जो कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा था। मानसिंह छिपते हुए उसके पास पहुँचा तो देखकर हैरान रह गया था।
वो कोई आदमी नहीं बल्कि एक ख़ूबसूरत लड़की थी, स्नेहा। स्नेहा उसको देखकर डर गयी और भागने लगी लेकिन मानसिंह ने उसको पकड़ लिया। राहुल, दोनों को दूर से देख रहा था। मानसिंह ने स्नेहा से पूछा-"बता कौन हैं तू? और यहाँ क्या कर रही हैं? बता... वरना..."
"वरना क्या करेगा तू? मानसिंह।" पीछे से आयी एक अनजानी आवाज़ सुनकर वह चौंक गया। उसने पीछे मुड़कर देखा, वह राहुल था। मानसिंह ने उसको पहचान लिया था, क्योंकि वह दोनों पहले एक साथ ही राजवीर के लिए काम किया करते थे। राहुल को मानसिंह के मंसूबे पता थे और मानसिंह को राहुल के।
राहुल ने स्नेह को छुड़वाने के लिए मानसिंह को एक प्लान बताया, जिसे सुनकर ही मानसिंह डर से काँप गया था।
क्या प्लान बताया था राहुल ने मानसिंह को? क्या वे दोनों मिलकर राजवीर को रास्ते से हटाने वाले हैं या अर्जुन को? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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