राहुल ने, राजवीर को रास्ते से हटाने का अपना प्लान मानसिंह से शेयर किया। राहुल का इरादा जानकर, मानसिंह बहुत डर गया था। वह लालची तो था, लेकिन राजवीर की हत्या करना उसके बस की बात नहीं थी।

उधर अर्जुन और उसकी टीम, वापस विद्वान के पास आ गए थे। उनकी टीम के 2 लोग घायल थे और पूरी टीम का कॉन्फ़िडेन्स टूट चुका था। विद्वान ने सिचवेशन को समझते हुए उनको, मंदिर के गर्भगृह तक पहुँचने की सलाह दी। टीम ने तुरंत ही विद्वान की सलाह मान ली।

विद्वान ने कहा "हमें इसी दरवाज़े से आगे बढ़ना होगा, क्योंकि यही मंदिर के गर्भगृह का दरवाज़ा है।"

अर्जुन, विद्वान पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहता था, लेकिन उसकी टीम के लोगों को उस पर भरोसा हो गया था, इसलिए अर्जुन को उनके साथ जाना पड़ा। उन्होंने टीम राजवीर को रोकने के लिए सुरंग को अंदर से एक बड़े से पत्थर से बंद कर दिया था और मंदिर के गर्भगृह की तरफ़ जाने के लिए आगे बढ़ गए थे।

टीम ख़ुश थी, लेकिन अर्जुन अभी भी टेंशन में लग रहा था।

अर्जुन: तुम सब ज़्यादा ख़ुश मत हो, क्योंकि अभी काम बाक़ी है, वह पत्थर उन्हें ज़्यादा देर नहीं रोक पाएगा और वह लोग हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगे।

टीम उस गलियारे में सम्भल कर आगे बढ़ रही थी, एक के पीछे एक सब चल रहे थे। विद्वान पर अभी भी पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता था, इसलिए सबसे आगे विद्वान था। कुछ दूरी तय करने के बाद उन्हें पत्थरों के टकराने की आवाज़ आना बंद हो गयी। अब उस गलियारे में सिर्फ़ उनके कदमों की आवाज़ें गूंज रही थी।

अर्जुन चलते-चलते अचानक से रुक गए, तो उनके पीछे चलने वाले सभी लोग रूक गए।

सम्राट: इतना सन्नाटा क्यों है भाई, हम रुके क्यों है आगे चलो ...सब लोग चुप क्यों गए। हँसो यार सब लोग हम बच गए है।

अर्जुन: शशश... तुम लोगों ने कुछ आवाज़ सुनी, राजवीर के लोग उन पत्थरों को हटा रहे हैं। वह लोग कभी भी आ सकते है। जल्दी भागो।

टीम अर्जुन तेजी से आगे भगाने लगी। कुछ देर बाद भागते हुए वह उस गलियारे से बाहर निकल आए... वहाँ पर रोशनी फैली हुई थी।

मीरा : मास्टर ये तो कमाल है।

अर्जुन को अपनी आँखों पर यक़ीन नहीं हो रहा था। सभी लोग सामने बड़े से दरवाज़े को देखकर हैरान थे। उस दरवाज़े पर दो बड़े साँप बने थे और उनके सर पर जड़ी मणियों से रोशनी निकल रही थी।

विद्वान ने कहा "यही है गर्भगृह, मैंने कहा था ना आपसे।"

जैसे ही अर्जुन आगे बढ़े, एक तीर उनकी बाई तरफ़ से उनके बालों को छूकर निकल गया। विक्रम ने उन्हें पीछे खींच लिया, उस जगह जाल बिछा हुआ था... तभी दरवाज़े पर बने पत्थर के साँप घूमने लगे और उनके सामने ज़मीन से एक विशालकाय शिला उभर कर आयी। सब लोग डर गए।

शिला पर एक पहेली लिखी हुई थी...डॉक्टर मीरा ने बताया कि ये शिला लेख क़रीब-क़रीब 7000 साल पहले लिखा गया होगा। अर्जुन ने आगे बढ़कर देखा, उसी शिला पर नीचे अलग से लगे कई छोटे-छोटे पत्थर लगे हुए थे और हर पत्थर पर एक-एक शब्द लिखा हुआ था।

अर्जुन: मेरे हिसाब से शिलालेख पर संस्कृत में लिखी इस पहेली का जवाब, इन्हीं पत्थरों में से एक पर लिखा है...जो भी सही जवाब होगा उस पत्थर को हमें दबाना है, शायद इसी से ये दरवाज़ा खुलेगा।

आइशा: मास्टर वह पहेली क्या है, बताइए।

अर्जुन: इस पहेली का सवाल है... "अगर मनुष्य का जीवन आकस्मिक घटना है तो प्राकृतिक क्या है?"

आइशा: इफ़ लाइफ़ इस ऐक्सिडेंटल टु मैन...देन व्हाट इज़ नेचर?

सब बहुत तनाव में थे...सबने काफ़ी सोचा, सारे फेक्ट्स डिस्कस किये। लास्ट में इस पहेली के दो जवाबों पर आइशा और अर्जुन सहमत हो गए, जो सही हो सकते थे। यह जवाब उन दो अलग-अलग पत्थरों पर लिखे थे। अब सब की जान आइशा और अर्जुन के हाथों में थी... वहाँ सभी के चेहरे पर परेशानी और ड़र था। अर्जुन और आइशा दोनों की बातें सुनकर सब की टेंशन और बढ़ रही थी। क़रीब आधे घंटे वह दोनों अपने-अपने फेक्ट्स डिस्कस करते रहे।

अर्जुन: "मौत" और "आत्मा" में से सही जवाब आत्मा है... मैं तुम्हें सारी पॉसिबिलिटी बता चुका हूँ, क्योंकि बिना आत्मा के लाइफ़ नहीं हो सकती...आत्मा होगी तभी मनुष्य का जीवन हुआ।

आइशा: नहीं मास्टर...सही जवाब "मौत" है इसके पीछे का फेक्ट है... अगर इंसान पैदा हुआ है तो उसका मरना नेचरल है। आत्मा नहीं मरती वह हमेशा रहती है। फ़ैसला आपका है आप लीडर है और संस्कृत जानते है।

सम्राट: आप दोनों ये बहस बंद करो नहीं तो मैं हार्ट अटैक से मार जाऊँगा...मुझे हार्ट अटैक से नहीं मारना...मुझे तीर खाकर मरना मंज़ूर है, योद्धाओं की तरह! वैसे कितना अच्छा लगता है सुनकर "महान योद्धा सम्राट" ...वाह मज़ा ही आ जाएगा।

विक्रम: जय हो महान योद्धा सम्राट की।

सम्राट की ठिठोली से माहौल में कुछ देर के लिए टेन्शन कम हो गयी थी। कुछ देर बाद सबने अर्जुन को फ़ैसला करने का कहा। आइशा ने आखिरी तक ट्राई किया उन्हें मनाने का कि उसका जवाब ज़्यादा सही था, लेकिन सब जानते थे अर्जुन हमेशा उनके दिल की ही करते थे।

इसलिए आइशा ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह जो भी जवाब देंगे सब उसमें उनके साथ खड़े रहेंगे। अर्जुन ने फ़ैसला कर लिया था, सभी पीछे हट गए थे। डॉक्टर मीरा ने अपनी आँखें हाथों से बंद कर ली थी। जैसे-जैसे अर्जुन का हाथ शिलालेख की तरफ़ बढ़ रहा था, सबके दिल की धड़कने तेज़ होती जा रही थी। मास्टर ने एक पत्थर को दबा दिया...वहाँ खामोशी छा गई।

आइशा: कुछ हुआ क्यों नहीं मास्टर?

विक्रम: गाय्ज़, क्या हम अब तक ज़िंदा है?

विक्रम-मैंने चट्टान को पुश तो किया था...कुछ तो गड़बड़ है!

सम्राट: लगता है इनका रिमोट ख़राब हो गया, शायद जंग लग गयी।

अचानक से वहाँ सबको वाइब्रेशन फ़ील हुआ। उनके पैरों के तले ज़मीन हिलने लगी। शिलालेख फिर से ज़मीन में चला गया...दरवाज़े पर लगे साँप हिलने लगे और दोनों मणियाँ आपस में मिल गई। ज़ोरदार आवाज़ के साथ दरवाज़ा खुला।

मीरा: आपने कर दिखाया मास्टर, आपके जैसा कोई नहीं है।

विक्रम: वॉव! मज़ा आ गया मास्टर।

विद्वान ने, अर्जुन की तारीफ़ करते हुए कहा "आप बहुत काबिल आदमी है अर्जुन जी।"

सम्राट: गाय्ज़, मैं बता दूँ मुझे तीर से बहुत ड़र लगता है...मैं तीर खा कर नहीं मरा...थैंक यू मास्टर।

अर्जुन: अरे भाई मुझे नहीं, आइशा को थैंक यू बोलो उसी का जवाब सही निकला।

आइशा: मास्टर आपने मेरे जवाब से दरवाज़ा खोला।

मास्टर की बात सुनकर सभी लोग हैरान रह गए। आइशा और अर्जुन ने आज मिलकर सब की जान बचा ली थी। टीम कुछ देर बाद मंदिर के गर्भगृह में पहुँच गयी, जहाँ बीच में एक शिवलिंग था, वहीं उन्हें प्राचीन शिलालेख, कलाकृतियाँ और कुछ पांडुलिपियाँ मिली। डॉक्टर मीरा और अर्जुन उन संकेतों और पांडुलिपियों को समझने की कोशिश कर रहे थे।

दूसरी तरफ़ राजवीर के आदमी के आदमी अभी भी उसी चक्र-व्यूह में फंसे हुए थे। उसको अर्जुन और उसकी टीम कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। राजवीर पूरी तरह से बौखला गया था, लेकिन वह चाहकर भी कुछ कर नहीं पा रहा था।

टीम अर्जुन अपने काम में जुटी हुई थी। डॉक्टर मीरा ने गर्भगृह में बनी सभी कलाकृतियाँ देखी और उनसे आगे के सुराग का पता लगाने की कोशिश में लग गई। विक्रम और सम्राट दरवाज़े पर खड़े होकर पहरा दे रहे थे। अभी भी राजवीर के आदमियों से उनको ख़तरा था। उस जगह मिली पांडुलिपियाँ हज़ारों साल पुरानी थी। अर्जुन को वहाँ आगे के लिए कई सुराग मिले। उन्होंने अपनी डायरी में कई चिह्न और कलाकृतियाँ दर्ज़ कर ली। अचानक से डॉक्टर मीरा उनके पास एक किताब लेकर आयी, जो उसे वहाँ एक बक्से में मिली।

मीरा: मास्टर आपको क्या लगता है ये मंदिर किसने बनवाया होगा। इसमें यूज़ की गयी टेक्नॉलजी उतनी भी पुरानी नहीं है...क्या हम वह पहले इंसान है जो इसे बनाने वालों के बाद गर्भगृह में आए है।

अर्जुन: मैं समझ गया, मुझे भी डाउट है? क्या तुम ये कहना चाहती हो कि इस मंदिर में जो जाल बिछे है, जो इसमें दरवाज़ों की भूल-भुलैया बनायी गयी है, वह मंदिर के बनने के बहुत बाद में बनाई गयी थी।

मीरा: हाँ मैं यही कहना चाहती हूँ...यहाँ कुछ शिलालेख सात हज़ार साल पुराने है, कुछ पाँच हज़ार साल पुराने है...आप ये पांडुलिपि देखिए मास्टर ये महज़ दो हज़ार साल पुरानी है। मैंने मंदिर की शिलाओं को देखा तो पता चला इस मंदिर को बने हुए दो हज़ार साल हुए है और यहाँ जो जाल बिछा है वह क़रीब बारह से चौदह सौ साल पहले बिछाया गया होगा।

अर्जुन: अगर ये सच है तो फिर...ओह माई गोड...ये वह जगह नहीं है जिसकी हमें तलाश थी। ये बस एक जानकारी का मंदिर है, जहाँ से हम उस अनंत ज्ञान की असली जगह तक पहुँचेंगे।

विद्वान के मुस्कुराते हुए कहा "आपकी टीम बहुत काबिल है अर्जुन जी... आपने बिल्कुल सही समझा। मैं आपको एक और राज़ बताता हूँ। इस पूरे द्वीप के सम्राट विक्रमादित्य ने, यह मंदिर बनवाया था। कई सौ साल बाद मेरे पूर्वजों ने इसमें सुरक्षा की व्यवस्था की थी। जिससे केवल वही अनंत ज्ञान तक पहुँच सके जो उसे संभालने के काबिल हो।"

विद्वान की बात सुनकर सब हैरान खड़े थे, उनके चेहरे की हवाइयाँ उड़ गयी। सबके मन में सवाल था कि विद्वान इतना सब कैसे जानता है। अचानक राजवीर के आदमी मंदिर के गर्भगृह में घुसने की कोशिश करने लगे।

विद्वान ने अर्जुन को वह पांडुलिपियाँ लेकर भागने को कहा, जिसमें आगे के सफ़र की जानकारी थी। विद्वान ने मंदिर के गर्भगृह के पीछे एक दरवाज़ा खोल, जिसे देखकर सब चौंक गए, विद्वान ने सब को उस दरवाज़े से बाहर निकाला।

"मैं तुमसे बाद में मिलूँगा अभी तुम जाओ।" ये कहते हुए विद्वान ने अर्जुन की टीम को बाहर निकाला।

अर्जुन: हाँ ठीक है लेकिन तुम्हें यहाँ के ख़ूफ़ियाँ दरवाज़ों के बारे में कैसे पता।

विद्वान ने हँसते हुए कहा-मेरे पूर्वजों ने ही ये सब दरवाज़े बनवाए थे, जिसकी जानकारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती है। बाक़ी सब बाद में बताता हूँ।

आख़िर कौन थे विद्वान के पूर्वज? वह अर्जुन की मदद क्यों कर रहा था? अर्जुन की टीम जिस खज़ने की ख़ोज कर रही थी क्या वह सच में था भी? जानने के लिए पढ़ते रहिए। 

 

 

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