​​दो हफ्ते बीत चुके थे। बीच में कई बार केस के सिलसिले में मीरा का नीरज से मिलना हुआ। नीरज उसे अच्छा लगने लगा था। उसका शांत और शर्मीला स्वभाव मीरा को बहुत भा गया था लेकिन उसे अब तक यह नहीं पता चल पाया था कि क्या नीरज भी उसके लिए यही सब महसूस करता है। ​

 

​​बातों-बातों में मीरा उसे संकेत देने की भी कोशिश करती थी। लेकिन नीरज ने आज तक मीरा से काम के अलावा कभी कोई दूसरी बात नहीं की, ना ही उसके बर्ताव में कभी ऐसा कुछ आया जिससे मीरा को पता लग सके कि वह उसके लिए कुछ महसूस करता भी है या नहीं। ​

​​नीरज हर मीटिंग के साथ केस को आगे बढ़ा रहा था। कोर्ट में लड़ने की पूरी तैयारी कर रहा था लेकिन हर मीटिंग के साथ अब मीरा का कोर्ट में लड़ने का फ़ैसला कमजोर होता जा रहा था और उसकी वज़ह था नीरज। ​

​​वो नीरज को पसंद करने लगी थी और उसके साथ बात आगे बढ़ाना चाहती थी और वह नहीं चाहती थी कि ये कोर्ट, ये तलाक की लड़ाई अब उसके और नीरज के बीच में आए। ​

​​एक दिन ऐसे ही नीरज के साथ वह उसके ऑफिस में बैठी थी। हमेशा की तरह आज भी उसका केस की बातों पर कोई ध्यान नहीं था। फिर अचानक से उसने अपना मन बनाया और नीरज से कह दिया। ​

 

​​मीरा-​

​​तुम मुझ पर गुस्सा तो नहीं करोगे, अगर मैंने कह दिया कि मुझे कोर्ट में नहीं लड़ना है और मुझे म्यूचूअल डिवोर्स  चाहिए।

 

 

​​पहले तो नीरज ने हैरान होकर मीरा की तरफ़ देखा और फिर उसके केस की फाइल बंद करके मुस्कुराते हुए उसने मीरा से कहा। ​

 

 

​​नीरज-​

​​ ये तो और भी अच्छी बात है। मैं तो चाहता ही था कि आप म्यूचूअल डिवोर्स  लेकर ख़त्म करें। इसमें आप ही परेशानी कम होगी और ज़िंदगी आसान। आपका फ़ैसला सुनकर अर्जुन सर बहुत खुश होंगे। वह तो पहले से ही आपको यही कह रहे थे।

 

​​मीरा-​

​​ एक और बात। ये इस केस से रिलेटेड नहीं है। बहुत हिम्मत कर के कह रही हूँ और आज अभी कह रही हूँ। क्योंकि इसके बाद मैं फिर से ये बात कह पाऊँ या न कह पाऊँ, मुझे नहीं पता। ​

 

​​नीरज-​

​​ कहिए ना। आप बेझिझक कोई भी बात मुझसे शेयर कर सकती हैं। ​

 

​​मीरा-​

​​ये बात तुम्हारे बारे में है। ​

 

​​नीरज-​

​​मेरे बारे में? मुझसे कोई गलती हो गई है क्या? आप साफ-साफ कह सकती हैं मुझसे। ​

 

 

​​मीरा ने झट से टेबल पर रखा पानी का ग्लास उठाकर पानी पिया और फिर कुछ पल के लिए आँखें बंद करके उसने लंबी साँस ली, आँखें खोलीं और ...​

 

​​मीरा-​

​​क्या तुम मेरे साथ डेट पर चलना पसंद करोगे? ​

 

 

​​मीरा का सवाल नीरज के लिए एकदम अनेक्सपेक्टेड था। उसके चेहरे पर जो मुस्कान थी, वह एकदम से गायब हो गई और फिर वह वापस से मुस्कुराने लगा। ​

 

 

​​मीरा जो अपनी बात बोलकर यहाँ घबराए हुए नीरज के जवाब का इंतज़ार कर रही थी, वह नीरज के कन्फ्यूजिंग एक्सप्रेशन देखकर और घबरा गई। उसे लगा कि अब नीरज उसे पक्का रिजेक्ट कर देगा और उसकी शिकायत अर्जुन जी के पास कर देगा। ​

 

 

​​मीरा-​

​​बुरा मत मानना प्लीज। आई एम सो सॉरी, मुझे ये सब पूछना ही नहीं चाहिए था। मुझे लगता है अब मुझे निकलना चाहिए। ​

 

 

​​मीरा हड़बड़ा कर अपनी कुर्सी से उठकर जाने लगी। नीरज भी उसके साथ उठकर खड़ा हो गया। ​

 

​​नीरज-​

​​ मीरा जी, रुकीए ...​

 

​​मीरा ने रुक कर पीछे देखा। ​

 

​​नीरज-​

​​आपने सवाल पूछा, लेकिन ... मेरा जवाब जाने बिना ही आप वापस जा रही हैं। ​

​​असल में, मैं शायद ही कभी आपको ये बोल पाता लेकिन ... मैं आपको पहले दिन से पसंद करता हूँ और ये बात मैं आपको कभी नहीं बताता। पर आज आपने सामने से ही कह दिया, इसलिए मैं थोड़ा-सा शॉक्ड था। बाक़ी आपने जो सवाल पूछा है, उसका जवाब मेरी ओर से हाँ है। ​

 

 

​​नीरज बोलते वक़्त बस शर्मा रहा था और यहाँ उसका जवाब जानकर मीरा की जान में जान आई थी। ​

 

​​मीरा-​

​​ तो मैंने इतने दिनों में इतने सारे Signal देने की कोशिश की तुम्हें। तुमने कभी मुझे पता क्यों नहीं लगने दिया कि तुम्हारे मन में क्या है? ​

 

​​नीरज-​

​​कैसे मैं कुछ कहता? आप मेरी क्लाइंट हैं। आपके साथ ऐसी कोई बात आगे बढ़ाना, मेरे प्रोफेशन के हिसाब से सही नहीं लगा मुझे। ​

 

​​मीरा-​

​​ लेकिन अब हम दोनों ही राज़ी हैं, तो मुझे उम्मीद है ये चीज़ अब बीच में नहीं आएगी? ​

 

​​नीरज-​

​​नहीं आएगी। ​

 

​​नीरज ने मुस्कुरा कर कहा और मीरा उसके जवाब से शर्मा गई। ​

 

​​मीरा-​

​​ठीक है फिर। डेट की जगह और टाइम तुम डिसाइड करना, मैं आ जाऊँगी। ​

 

 

​​इतना कहकर और नीरज को एक स्माइल देकर मीरा वहाँ से चली गई। ​

 

 

​​वहाँ रोहन की ज़िन्दगी में उसके मम्मी-पापा ने अलग ही हड़कंप मचा रखा था। वह लोग ज़िद पर अड़ चुके थे कि उनकी दिखाई लड़की को रोहन एक बार मिल ले। लेकिन रोहन जानता था कि वह लड़की को मिलकर रिजेक्ट भी कर देगा, तो उसके मम्मी-पापा उसके सामने किसी नई लड़की का रिश्ता लेकर आएँगे और तब तक नहीं रुकेंगे जब तक वह किसी एक लड़की को पसंद नहीं कर लेता। ​

 

​​उसके मम्मी-पापा ने एक दिन देखकर लड़की के घर जाकर लड़की से और उसके घरवालों से मिलने का प्लान भी बना लिया और रोहन को भी उस प्लान में जबरदस्ती शामिल कर लिया। ​

 

​​आज ही वह दिन था। रोहन सुबह उठा भी तो उसकी मम्मी के कॉल से। वह अभी तक सो रहा है देखकर उसने सबसे पहले तो उनकी जमकर डाँट खाई, फिर उन्होंने उसे एक घंटे में तैयार होकर रेडी रहने के लिए कहा, क्योंकि वह उसे लेने उसके घर आ रहे थे। ​

 

​​रोहन उठा और इच्छा न होते हुए भी ढंग के कपड़े पहन कर तैयार हो गया। लग तो वह अच्छा रहा था, लेकिन उसे इस पूरी बात का ही कोई पॉइंट समझ नहीं आ रहा था कि जब उसे दूसरी शादी करनी ही नहीं है तो क्यों ये सब करना है और अभी तक तो उसका मीरा के साथ डिवोर्स भी फाइनल नहीं हुआ था लेकिन अब उसने अपने मम्मी-पापा की ज़िद के आगे हार मान ली थी, खासकर अपनी मम्मी के आगे। क्योंकि हमेशा की तरह अपनी बात मनवाने के लिए उसकी मम्मी ने उसे इमोशनल ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था। उनका दिल रखने के लिए वह आज लड़की वालों के घर जाने के लिए तैयार हुआ था। ​

 

​​कुछ देर बाद वह अपने मम्मी-पापा और राजन के साथ लड़की वालों के घर पहुँच गया। वहाँ अकेले बोर न होना पड़े, इसलिए उसने राजन को भी अपने साथ बुला लिया। राजन के लिए तो ये लड़की देखने का पूरा प्रोग्राम ही एक एंटरटेन्मेंट था, इसलिए वह तुरंत रेडी हो गया। ​

रोहन ने एक बार भी जानने की कोशिश नहीं की कि लड़की कौन है, कैसी दिखती है। उसे ये सब जानने का कोई मन भी नहीं था। ​

​​जाते ही लड़की तो देखने को मिली नहीं। उसके घरवालों के मुताबिक, वह लड़के वालों के लिए सुबह से किचन में समोसे और कचौरी बनाने में लगी हुई है। ​

 

​​राजन : ​

​​ चल, लड़की पसंद आए न आए, समोसे और कचौरी तो खाकर ही जाएँगे, इस बात में ख़ुशी मान लेते हैं।

 

​​रोहन: ​

​​यहाँ मेरी लाइफ की लगी पड़ी है और तेरा फोकस समोसे और कचौरी पर है? ​

 

​​उतने में लड़की हाथ में समोसे और कचौरी की प्लेट्स लेकर बाहर आई, जो उसके घरवालों के हिसाब से उसने अपने हाथ से बनाई थी। ​

​​जैसे ही वह बाहर आई, राजन ने अपनी कोहनी से रोहन को धक्का देकर उसका ध्यान लड़की की ओर घुमाया। ​

​​रोहन ने लड़की को देखा। लड़की बेहद खूबसूरत थी। ​

​​लड़की ने प्लेट्स सारे मेहमानों के सामने रख दीं और वह भी सबके साथ आकर बैठ गई। लड़की ने लाल रंग की सलवार-कमीज़ पहनी हुई थी और पूरे वक़्त उसकी नज़रें झुकी हुई थीं। लड़की काफ़ी सीधी-सादी लग रही थी। ​

​​लड़की के बैठते ही उसके पापा ने रोहन और उसके मम्मी-पापा से कहा, ​

 

​​लड़की के पापा: ​

​​ये उर्मिला है। उर्मिला बेटा, ये देखो, ये रोहन है और ये उसके मम्मी-पापा और दोस्त हैं। ​

 

​​उर्मिला ने धीरे से ऊपर नज़र करके देखा। लेकिन उसने रोहन की ओर न देखते हुए और शरमाते हुए सबको नमस्ते कहा। ​

​​रोहन की मम्मी को तो लड़की देखते ही पसंद आ गई थी। ​

 

​​उर्मिला की मम्मी ने भी उसकी जमकर तारीफ करना शुरू किया। ​

 

​​उर्मिला की मम्मी: ​

​​हमारी उर्मि खाना बहुत अच्छा बना लेती है। आप लोगों को आज ही उसके हाथ के समोसे-कचौरी खाकर पता लग जाएगा। साथ ही साथ बहुत शांत स्वभाव की है। एकदम सर्वगुण संपन्न। ​

 

​​ये सब चल ही रहा था, तभी राजन ने समोसे की प्लेट हाथ में लेते हुए कहा, ​

 

​​राजन: ​

​​लड़की तो है सर्वगुण संपन्न। वाह! क्या समोसे बनाए हैं। ​

 

​​उसने समोसे को चखते हुए फुसफुसा कर रोहन से कहा। ​

​​रोहन ने अभी तक समोसे या कचौरी में से किसी को भी हाथ नहीं लगाया था। वह बस उर्मिला की ओर देखकर ये सोच रहा था कि दाल में कुछ तो काला है। ​

 

​​रोहन: ​

​​ राजन, एक समोसा खाकर कोई सर्वगुण संपन्न है ये पता नहीं चल जाता। तो तू चुप रह और समोसे पर फोकस कर। ​

 

​​रोहन, राजन से ये कह ही रहा था कि उतने में उसकी मम्मी ने उससे पूछा, ​

 

​​रोहन की मम्मी: ​

​​ रोहन बेटा, क्या कहते हो? ​

 

​​रोहन: ​

​​ हाँ? ​

 

​​रोहन ने उसके पहले उन लोगों की क्या बातें चल रही थीं, उस पर ध्यान ही नहीं दिया था। ​

​​उसने राजन की तरफ़ देखा, लेकिन राजन को भी कोई आइडिया नहीं था कि रोहन की मम्मी उससे किस बारे में पूछ रही थीं। ​

​​रोहन की मम्मी ने फिर से पूछा, ​

 

​​रोहन की मम्मी: ​

​​तुम और उर्मिला, एक बार अकेले में बात कर लो। है न? सबकी यही राय है। यहाँ सबके सामने तुम लोग खुलकर बात कर नहीं पाओगे। इसी बहाने उर्मिला उसका गार्डन भी दिखा देगी तुम्हें।

 

​​अब उसे कहाँ फँसाया जा रहा है, इतना ही ख़्याल उस वक़्त रोहन के मन में था। ​

​​वो हाँ या ना बोल पाता, इसके पहले ही सब लोग उसे और उर्मिला को अकेले में जाकर बात करने के लिए फोर्स करने लगे। ​

​​रोहन ने राजन की तरफ़ देखा कि वह तो कुछ करे। ​

 

​​राजन: ​

​​मेरी तरफ़ क्या देख रहा है। सब बोल रहे हैं, तो जा। ​

 

​​रोहन ने राजन को गुस्से से देखा और फिर झूठी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए सबसे कहा, ​

 

​​रोहन: ​

​​इसकी क्या ज़रूरत है? क्या ही बात करेंगे अकेले में? ​

 

​​रोहन की बात सुनकर सब लोग अब और भी ज़्यादा फोर्स करने लगे कि वह दोनों जाएँ और अकेले में बात करें। ​

​​अब रोहन उन्हें मना नहीं कर पा रहा था। ​

​​उसने उर्मिला की ओर देखा। वह पूरे वक़्त नीचे नज़रें झुकाकर बैठी थी। ना वह हाँ बोल रही थी, ना वह ना बोल रही थी। ​

​​इसलिए जब रोहन ने उससे अकेले में बात करने के लिए हाँ कही, तब उर्मिला उठी और उसके पीछे-पीछे वह उनके घर के गार्डन की तरफ़ चला गया। ​

 

​​दोनों जब गार्डन में पहुँचे, तब रोहन सोचने लगा कि वह उर्मिला से क्या बात करे और बात की शुरुआत कहाँ से करे? ​

​​लेकिन उतने में उर्मिला ने रोहन की ओर एकदम आँखों में आँखें डालकर देखा और कहा, ​

 

​​उर्मिला: ​

​​अपनी फैमिली को बोलो और चले जाओ यहाँ से और रिश्ते के लिए तुम सामने से मना कर देना। ​

 

​​उर्मिला अभी तक एकदम शांत और नज़रें झुकाकर बैठी थी और फिर उसके बाद उसका ये रूप? ​

​​रोहन हैरान रह गया और उसकी ओर आश्चर्य से देखता रहा। ​

 

​​उर्मिला का ये एकदम बदलता हुआ रूप कहाँ से आया? उसने रोहन को सामने से रिश्ते के लिए मना करने के लिए क्यों कहा? क्या इसके पीछे भी कोई नई कहानी है? ​
 

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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