​​रोहन ने एकदम हैरानी से उर्मिला की ओर देखा। उसके चेहरे के हैरान वाले भाव देखकर उर्मिला ने कहा, ​

 

​​उर्मिला-​

​​ "घूर क्या रहे हो? सुनाई नहीं देता क्या? गूंगे-बहरे हो?" ​

​​फिर वह रोहन से सांकेतिक भाषा में बात करने लगी। ये देखकर रोहन और भी ज़्यादा चौंक गया। उसे पहले तो ये समझने में ही वक़्त लग रहा था कि अंदर जो उर्मिला थी वह असली थी, या अभी वाली उर्मिला असली है। ​

 

​​रोहन-​

​​ "सुनाई दे रहा है मुझे। थोड़ा तमीज से बात कर लो।" ​

 

​​उर्मिला-​

​​"तमीज दिखाने के लिए टाइम नहीं है मेरे पास। जल्दी से रिश्ते के लिए मना कर दो, नहीं तो ये टाइमपास चलता ही रहेगा।"

 

​​अब रोहन को उर्मिला पर गुस्सा आ गया। ​

 

​​रोहन-​

​​ "क्यों? मैं क्यों मना करूं? तुम तो बहुत अच्छी लगी हो मुझे। मैं तो तुमसे शादी करना चाहता हूँ। तुम्हें दिक्कत है तो तुम मना कर दो।" ​

 

​​उर्मिला-​

​​ "मेरे मना करने से कोई मेरी सुनता तो आज तुम्हें मेड के हाथ के समोसे नहीं खिला रही होती मैं।" ​

 

​​रोहन-​

​​"तुम क्यों मना नहीं कर सकती? मैं क्यों ये चीज अपने ऊपर लूं?" ​

 

​​उर्मिला-​

​​"पहले तो ये शादी-शादी का नाटक। फिर तुम जैसे लड़कों से डील भी करो। देखो, अगर तुमने मुझसे शादी कर ली तो तुम्हारी ज़िन्दगी नरक बना दूंगी मैं, याद रखना।"

 

​​अब रोहन का गुस्सा उतर चुका था और उसे उर्मिला का स्वभाव मजेदार लगने लगा। उर्मिला को थोड़ा और छेड़ने के इरादे से उसने कहा। ​

 

​​रोहन-​

​​"मेरी ज़िन्दगी तो पहले से ही नरक है। पहली बीवी छोड़ कर चली गई है, Divorce देना चाहती है। तो तुम्हारे हिसाब से मुझे एकदम परफेक्ट लग रही हो। मेरी नरक जैसी ज़िन्दगी को बस तुम ही स्वर्ग बना सकती हो।" ​

 

​​उर्मिला-​

​​ "ज्यादा होशियार मत बनो, समझे? पहली बीवी छोड़ कर गई है, यहाँ फिर तुम मुझसे छुटकारा नहीं ले पाओगे ऐसी हालत हो जाएगी तुम्हारी मेरे साथ।" ​

 

​​रोहन - 

​​"चलेगा। मैं तैयार हूँ। घरवालों को बोलकर कल के कल ही शगुन भेजता हूँ तुम्हारे घर।" ​

 

​​रोहन की बातों से उर्मिला बहुत गुस्से में आ गई और सीधा वहाँ से घर के अंदर चली गई। रोहन भी उसके बाद घर के अंदर आया। उसने देखा कि उर्मिला अपनी जगह पर जाकर बैठी थी और फिर से शांत और सुशील होने का नाटक करते हुए नजरें झुकाए बैठी थी। ​

 

​​रोहन हल्की-सी मुस्कान चेहरे पर लिए वापस आया और अपनी जगह पर बैठ गया। उसे मुस्कुराते हुए देख राजन ने उसके कान में जाकर पूछा। ​

 

​​राजन -​

​​ "मुस्कुरा क्यों रहा है? क्या हुआ? लड़की पसंद आ गई?" ​

 

​​रोहन ने राजन को जवाब नहीं दिया, बल्कि उसके इस सवाल का जवाब उसने पूरे परिवार को दिया। सबको देखते हुए और फिर आख़िर में उर्मिला की ओर देखकर उसने सबसे कहा। ​

 

​​रोहन-​

​​"मुझे लड़की पसंद है!" ​

 

​​सब ख़ुशी से चिल्ला उठे और उर्मिला गुस्से से रोहन की ओर देखने लगी। ​

​​निकिता भी यहाँ गुस्से में थी और इस बात के पूरी तरह खिलाफ थी कि मीरा अपने ही तलाक केस के वकील के साथ डेट पर जाने वाली थी। ​

 

​​निकिता-​

​​"अगर अर्जुन जी को ये बात पता चली तो क्या होगा, तू भी जानती है और ये कितना अनप्रोफेशनल है कि अपने ही तलाक के वकील के साथ तुम डेट पर जा रही हो।" ​

 

​​मीरा: ​

​​ "प्यार में क्या प्रोफेशनल अनप्रोफेशनल?"

 

​​निकिता-​

​​ "ओह! प्यार-व्यार की बातें तो तू रहने ही दे। बाक़ी सब छोड़, ये अगर रोहन को पता चला न, तो वह ये बात कोर्ट में तेरे खिलाफ इस्तेमाल  कर सकता है।" ​

 

​​मीरा-​

​​ "यार अब ठीक है न। एक बार डेट पर जाने तो दे। कहाँ तुरंत किसी को कुछ पता चलने वाला है। न अर्जुन जी तक कोई ख़बर जाएगी न रोहन तक।" ​

 

​​निकिता-​

​​"इसकी गारंटी तुम ले रही हो मीरा? ..." ​

 

​​मीरा की आज रात नीरज के साथ डिनर डेट थी और आज ही मीरा ने ये बात निकिता को बताई थी। उसे निकिता से उसका ये रिएक्शन एक्सपेक्टेड था लेकिन निकिता को बताना भी ज़रूरी था क्योंकि किसी और को वह ये बात नहीं बता सकती थी। ​

​​निकिता का कहना भी सही था। ये बात अगर किसी को पता चलती है, ख़ास करके रोहन को, तो वह मीरा को मुश्किल में डालने का ये एक सुनहरा मौका हाथ से जाने नहीं देगा। लेकिन मीरा तो मीरा है। उसने हमेशा बस अपने ही मन की-की है। ​

​​रात के 9 बजे मीरा को डेट के लिए रेस्टोरेंट  पहुँचना था। वैसे तो नीरज उसे घर से लेने आने वाला था, लेकिन आस-पड़ोस में कोई उसे नीरज के साथ न देख ले, इसलिए उसने उसे मना कर दिया और वह ख़ुद चली आएगी, ये कहा। ​

​​मीरा तैयार होकर रेस्टोरेंट पहुँची। नीरज ने टेबल बुक करके रखी थी। मीरा को देखते ही नीरज हड़बड़ाकर अपनी कुर्सी से उठा और मीरा के लिए लाए फूल उसने उसके हाथ में दिए। मीरा वह देखकर मुस्कुराने लगी। मुस्कुराते हुए वह और ज़्यादा सुंदर लग रही थी। ​

​​नीरज ने एक जेंटलमैन की तरह उसकी कुर्सी खींचकर उसे उस पर बैठने के लिए कहा। मीरा बैठ गई। उसके बाद नीरज ने तुरंत मीरा की खूबसूरती की तारीफ की, जिसे सुनकर मीरा शरमाकर लाल हो गई। ​

​​दोनों ने मिलकर डिनर ऑर्डर किया और साथ में ड्रिंक्स में व्हिस्की। ​

​​दोनों काफ़ी खुश थे, एक-दूसरे से बातें कर रहे थे। दोनों की बॉन्डिंग अच्छे से मैच हो रही थी। पहली बार उन दोनों के बीच ऐसा हो रहा था कि वह दोनों अपनी निजी ज़िन्दगी के बारे में एक-दूसरे से बात कर पा रहे थे ​​और शायद इसी लिए नीरज ने उससे वह सवाल पूछा, जो शायद उसके मन में बहुत वक़्त से चल रहा था। ​

 

​​नीरज-​

​​मैं काफ़ी दिनों से आपका केस देख रहा हूँ, जब से आपका केस अर्जुन सर हैंडल कर रहे थे तब से। आप अपने फैसले पर बनी हुई थीं कि आपको म्यूचुअल डिवोर्स नहीं लेना है। फिर उस दिन अचानक से आपने मुझे ये क्यों कह दिया कि अब आपको म्यूचुअल डिवोर्स लेना है और उसके बाद तुरंत आपने डेट के लिए भी पूछ लिया। दो अलग-अलग बातें आपने एक साथ बोल दीं। मैं कुछ समझा नहीं, ऐसा क्यों? ​

 

​​मीरा नीरज का ये सवाल सुनकर हंसने लगी। अभी पहली ही डेट पर वह उसके इस सवाल का जवाब उसे नहीं देने वाली थी। ​

 

​​मीरा-​

​​ इसका जवाब मैं फिर कभी दूंगी। आज नहीं। ​

 

​​नीरज-​

​​यह भी ठीक है। पर वैसे आपने म्यूचुअल डिवोर्स लेने का फ़ैसला करके अच्छा किया। लेकिन क्या आपके एक्स-हसबैंड इसके लिए राजी हैं? ​

 

​​मीरा-​

​​ रोहन नाम है उसका। अभी तक तो राजी ही था, आगे का पता नहीं। शायद ऐसा भी हो कि अब मैं म्यूचुअल डिवोर्स लेने के लिए तैयार हूँ, लेकिन वह न हो। ​

 

​​नीरज-​

​​आई होप वह भी म्यूचुअल डिवोर्स ही लेना चाहते हों। ​

 

​​डेट ख़त्म हुई। दोनों ने एक-दूसरे से गले लगकर अलविदा कहा और अपने-अपने घर के लिए निकल गए। ​

​​आज की डेट के बाद, मीरा को नीरज के बारे में उसकी निजी ज़िन्दगी के बारे में थोड़ा-बहुत पता चल चुका था। कि वह दिल्ली से है, उसे एक छोटी बहन है। उसके मम्मी-पापा भी दिल्ली में वकील हैं और ऐसी और कुछ छोटी-मोटी बातें। ​

​​अगले दिन रोहन के घर से उर्मिला के घर शगुन जाने वाला था। रोहन और उर्मिला के घरवालों ने सोचा कि अभी बात पक्की कर लेते हैं। फिर जैसे ही रोहन का मीरा से डिवोर्स फाइनलाइस्ड हो जाता है, वैसे ही रोहन और उर्मिला की सगाई करा देंगे और उसके तुरंत बाद शादी। ​

 

​​राजन-​

​​समीर, तुझे वहाँ होना चाहिए था यार। ये लड़की की पहले फोटो तक नहीं देखना चाहता था। पता नहीं, लेकिन अकेले में उस लड़की ने इससे ऐसा क्या कह दिया। साहबजादे ने रिश्ते के लिए वहीं के वहीं हाँ कर दी। ​

 

​​समीर-​

​​ मैं वहाँ नहीं था, लेकिन रोहन, तू बताएगा न कि ऐसा क्या कहा उस लड़की ने अकेले में तुझसे? ​

 

​​रोहन-​

​​ ये लड़की-लड़की क्या लगा रखा है। उर्मिला नाम है उसका। ​

 

​​इतना कहकर वह मुस्कुराने लगा और उसके दोस्त उसे इस बात पर चिढ़ाने लगे। ​

 

​​राजन-​

​​ देख रहा है समीर, उर्मिला नाम है उसका। ये भैया अब मुस्कुरा भी रहे हैं। ​

 

​​कोई आगे कुछ बोल पाता, उससे पहले ही ऑफिस का सिक्योरिटी गार्ड रोहन को ढूँढते हुए अंदर आया। ​

 

​​सिक्योरिटी-​

​​ सर, बाहर कोई मैडम आई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं। बस दिक्कत ये है कि उन मैडम ने आते ही सब पर चिल्लाना शुरू कर दिया। तो हमने उन्हें वहीं रोक रखा है और हाँ, उर्मिला नाम बताया उन्होंने अपना। ​

 

​​उर्मिला का बाहर आकर तमाशा कर रही है ये सुनकर रोहन हड़बड़ा कर उठा और सिक्योरिटी के साथ बाहर चला गया। रजत और समीर भी उसके पीछे-पीछे चले गए। ​

​​रोहन बाहर आया तो उसने देखा कि उर्मिला अभी भी वहाँ खड़े होकर सिक्योरिटी से लड़ रही थी। रोहन को देखते ही वह रोहन की तरफ़ आई और कहा: ​

 

​​उर्मिला -​

​​ ओह! तो तुम अब शगुन भिजवाओगे मेरे घर? ​

 

​​रोहन ने उसका हाथ पकड़ा और वह उसे वहाँ से दूर बाहर की तरफ़ ले गया। उसने राजन और समीर को अंदर ही रुकने का इशारा किया। ​

​​उर्मिला को खींचकर वह ऑफिस से थोड़ा दूर ले गया और फिर उसने भी गुस्से में आकर कहा: ​

 

​​रोहन-​

​​क्या है? क्या दिक्कत है तुम्हारी? जब देखो तब चिल्लाना है, गुंडागर्दी करनी है। ​

 

​​उर्मिला-​

​​ गुंडागर्दी तो तुम कर रहे हो। मेरे मना करने के बावजूद भी तुमने मुझसे शादी के लिए हाँ कह दी है। क्यों? ​

 

​​रोहन-​

​​कल ही तो बताया। अच्छी लगी तुम मुझे। मुझे शादी करनी है तुमसे। तुम्हें मैं पसंद नहीं आया, तो तुम मना कर दो। ​

 

​​उर्मिला-​

​​नहीं कर सकती न मैं मना। मैं मना करूंगी तो मेरे घरवाले मेरी नहीं सुनेंगे। ​

 

​​रोहन-​

​​तो वह मेरी प्रॉब्लम नहीं है। मैं उसमें कुछ नहीं कर सकता। ​

 

​​उर्मिला-​

​​ पर क्या तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा? मैं ऐसी हूँ, बदतमीज़। वैसी नहीं जैसे कल तुमने मुझे सबके सामने देखा था। फिर तुम क्यों अपनी ज़िद पर अड़े हुए हो।

 

​​रोहन-​

​​देखो, अभी तो बस बात पक्की हुई है और फिर मेरा डिवोर्स भी तो होना बाक़ी है। वह होते-होते काफ़ी वक़्त गुजर जाएगा। इस दौरान तुम इस रिश्ते के लिए मना कर दो, या मेरे साथ थोड़ा वक़्त गुजारकर मुझे पसंद कर लो। ​

 

​​उर्मिला-​

​​ ठीक है। तुम्हें नहीं माननी है न मेरी बात? मैं कोई और रास्ता ढूँढ लूंगी तुमसे शादी न करने का। ​

 

​​रोहन-​

अल दी बेस्ट!

 

​​रोहन मान ही नहीं रहा है ये देखकर वह वहाँ से चली गई। ​

​​रोहन वापस आया तो राजन और समीर उसी का इंतज़ार करते हुए खड़े थे। ​

 

​​राजन-​

​​क्या था ये सब? कल तो इसका ये रूप नहीं देखा हमने?

 

​​रोहन-​

​​मैंने देखा था। उसका यही रूप मैंने गार्डन में देखा था और इसी लिए मैंने उससे शादी के लिए हाँ कही है। ​

 

​​राजन-​

​​समीर, समझा इसको। ये कहीं पागल-वागल तो नहीं हो गया है? इसके पहली शादी के मसले अभी तक सुलझ नहीं रहे, इसे अब ऐसी आग जैसी लड़की से शादी करनी है?

​​रोहन वहाँ उनसे बात करने के लिए रुका ही नहीं। उसके दोनों दोस्त उसे वहाँ से मुस्कुराते हुए जाते देखते रहे और अपने आप से मन में सोचते रहे कि उनका दोस्त सच में पागल हो चुका है। ​

 

​​आखिर क्या चल रहा है रोहन के मन में? क्यों उर्मिला के मना करने के बावजूद भी वह उससे जबरदस्ती शादी करना चाहता है? क्या ऐसा करके वह मीरा के सामने कुछ साबित करना चाहता है? या उर्मिला उसे सच में पसंद आ गई है? लेकिन क्या उर्मिला, रोहन से शादी कर लेगी? ​

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 
 

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