संडे की सुबह नौ बजे मुंबई की बिजी सड़क पर मानो काले मर्सिडीज कारों का जलजला सा आ गया था। उसके कुछ देर पहले तकरीबन सुबह आठ बजे, जब चीफ गहरी नींद में सो रहा था…उसका फोन बजा।
अभिजीत का फोन था, ’’...चीफ....... चीफ... एक बुरी खबर है।‘’
चीफ ने अलसाए हुए स्वर में कहा, ‘’तुम हो कहां? कल रात तो मेरे घर पर ही थे…’’
अभिजीत ने कहा, ‘’बॉस में आपके घर के बाहर बने लॉन से बोल रहा हूं, न्यूज ही कुछ ऐसी मिली है कि अंदर आकर नहीं दे सकता।‘’
‘’क्या हुआ? चीफ ने अंगड़ाई लेते हुए कहा।
‘’बॉस…बॉस वो करन का किसी ने मर्डर कर दिया’’ अभिजीत ने डरते-डरते कहा।
‘’व्हाट?’’ सुनते ही चीफ बेड से ऐसे उछला मानों उसपर आसमान बरस पड़ा हो।
‘’कौन करन? मारा जाबांज कमांडो करन..?’’
‘’जी बॉस। चीफ के लिए भी यह विश्वास करना मुश्किल था कि करन जैसे कमांडो का किसी ने कत्ल कर दिया।
‘’तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? लगता है रात को कुछ ज्यादा ही चढ़ा ली थी, अगर नशा न उतरा हो तो किचन में जाओ दही खा लो और फिर भी न उतरे तो ठंडे पानी से नहा लो, पर मेरी सुबह मत खराब करो, करन कौन है तुम्हें पता होना चाहिए…’’
अभिजीत को चीफ से ऐसी ही प्रतिक्रिया की उम्मीद थी, वह बोला, ’’बॉस मैं एकदम होश में हूं, मैं आपको एक फोटो भेजता हूं जो मुझे करन की डेडबॉडी के पास खड़े एक इंस्पेक्टर ने भेजी है।‘’ कहकर अभिजीत ने चीफ को करन की वह फोटो भेज दी, देखते ही चीफ की आंखे इतनी फैल गई मानो वह अभी फट पड़ेंगी।
‘’कहां हुआ है यह सब? चीफ लगभग चीख पड़ा।
नवी मुंबई के बाहर चीफ, वहां एक नया होटल बन रहा है वही पर...
‘’ओके सबको रेडी करो, डाक्टर विशाल को साथ लेकर चलो, हम अपने सामने करन का चेकअप करवाएंगे, करन इतनी आसानी से नहीं मर सकता।
इस समय मुंबई की सड़क पर एक जैसी दो दर्जन से भी ज्यादा गाड़ियां दौड़ रही थी…आज ट्रैफिक नियम की धज्जियां भी उड़ गई थी, चीफ का एक बाउंसर चीफ की गाड़ी से बहुत आगे जाकर उनके लिए रास्ता बना रहा था। लगभग घंटे भर के बाद वे लोग उस होटल के पास पहुंचे, इतनी सारी गाड़ियों को देखकर सुदीप, इंस्पेक्टर अजीत भोसलेकर हैरान रह गए, उन्हें समझ में आ गया था कि मरने वाला कोई साधारण इंसान नहीं था। और चीफ तो बिजनेस वर्ल्ड के बादशाहों में से एक था।
भोसलेकर ने चीफ को नमस्ते किया। चीफ ने उसे इग्नोर करते हुए सख्त स्वर में पूछा, ‘’करन कहां है?
इंस्पेक्टर ने कहा, ‘’जी वह डेड बॉडी तो टॉप फ्लोर के रूम नंबर टेन में है।‘
चीफ मानो फट पड़ा, उसने इंस्पेक्टर की वर्दी का कॉलर पकड़कर अपनी ओर खींचा और उसकी आंखो में आंखे डालकर कहा, ‘’खबरदार अगर मेरे कमांडो को डेड बॉडी कहा तो, वह तब तक नहीं मर सकता जब तक कि मैं न चाहूं।‘’
भोसलेकर सन्नाटे में आ गया...वह बहुत ही ताकतवर इंसान के सामने खड़ा था। वे लोग जल्दी से उस रूम में पहुंचे जहां करन की लाश अभी भी वैसे ही पड़ी थी, मोर्चरी से उसकी डेडबॉडी लेने के लिए वैन भी आ गई थी, पर चीफ के डर से अभिजीत ने करन की बॉडी को ले जाने से मना कर दिया था।
चीफ ने करन की ऐसी हालत देखी तो उसकी आंखो में खून उतर आया, मकरंद और अभिजीत ने अपनी मुटठियां भींच ली, युग को अंदर ही अंदर खुशी तो हो रही थी पर मारिया के खतरनाक अंजाम के बारे में सोचकर वो थर्रा उठा था, क्योंकि करन को मारकर मारिया ने सीधे-सीधे चीफ को चुनौती दे दी थी….अब उसका बचना नामुमकिन था।
चीफ ने डाक्टर विशाल से करन का चेकअप करने के लिए कहा, विशाल के तो होश फाख्ता हो गए, क्योंकि डाक्टर होने के नाते तो वह देखकर ही बता सकता था कि इंसान की मौत कितनी देर पहले हुई थी और ऐसे औधे मुंह पड़े करन में तो जीवन के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे थे ऊपर से उसकी बॉडी से हल्की सी स्मेल भी आनी शुरू हो गई थी। उसकी बॉडी के सड़ने की स्मेल और देखकर लग रहा था कि करन को मरे हुए करीब सात आठ घंटे हो चुके हैं।
विशाल को ऐसे चुपचाप खड़े देख चीफ गुर्रा उठा, अब भले ही करन मर चुका था पर चेक तो करना था। विशाल ने चीफ के सामने करन की नाक चेक की, खून से सने उसके सीने के बाई ओर हाथ रखकर प्रेस करने की नाकाम कोशिश की…बाहर सुदीप और भोसलेकर के साथ उनका बुलाया हुआ एक डाक्टर भी खड़ा था जिसने सबसे पहले करन को मृत घोषित किया था।
विशाल ने बड़े ही विवशता से चीफ की ओर देखा और अफसोस भरे स्वर में कहा, ‘आई एम सो सॉरी चीफ, ही इज नो मोर।‘
ये सुनते ही चीफ अपना चेहरा ऊपर कर के ऐसे चीखा मानो भूकंप आ गया…जो जहां खड़ा था वहीं पर सहमकर जम गया। सुदीप का तो हलक सूख गया, करन इतने बड़े आदमी का साथी था….अब तो उसे अपने होने पर ही अफसोस हो रहा था।
चीफ ने आगे बढ़कर विशाल का कॉलर पकड़ लिया...वह विशाल जो न केवल चीफ का फैमिली डाक्टर था, चीफ का दोस्त भी था।
चीफ चीखते हुए बोला, ‘’तुम्हें पता भी है कि तुम क्या कह रहे हो, करन एक कमांडो था, इंटरनेशनल लेवल का कमांडो...इसने रशिया जैसी कंट्री में ट्रेनिंग ली है…इसे कोई कैसे मार सकता है? वह भी सामने से आकर ऐसे कैसे शूट कर सकता है? गुस्से के मारे चीफ का जबड़ा कसा हुआ था और माथे पर ढेर सारी सिलवटें पड़ गई थी।
विशाल ने कहा,’’अभी तुमने क्या कहा चीफ पता है ना? करन एक कमांडो था....था चीफ था....सच को मान जाओ।‘’
जैसे ही विशाल ने यह लाइन कही चीफ के हाथ बेदम हो गए...उसने विशाल का कॉलर छोड़ दिया। विशाल ने एक लंबी सांस लेते हुए चीफ के कंधे पर हाथ रखा। चीफ होटल की स्टाफ को अपनी जलती हुई आंखो से घूरकर देखकर बोला, ‘’किसने किया है यह सब? वह कौन है जिसे अपनी जान प्यारी नहीं है...वह कौन है जिसे दुनिया में सबसे बुरी मौत मरनी है...किसने मारा है करन को?‘’
इंस्पेक्टर ने कहा, ‘’मिस्टर....मिस्टर....’’ डर के मारे इंस्पेक्टर भोसलेकर की आवाज गले में अटक रही थी। ’’होटल के मैनेजर के मुताबिक वह एक लड़की थी…कॉलगर्ल टाइप की लड़की, जिसे करन अपने साथ लेकर आया था, उसने ही करन को मारा और अपनी साड़ी को इस खिड़की के बगल में लगे पाइप से बांधकर नीचे उतर गई और उसने करन को क्यों मारा यह सब तो केवल वह लड़की ही बता सकती है।‘’
डर के मारे सुदीप की घिग्घी बन गई थी, उसने झूठ बोला था कि करन ही अपने साथ लड़की लेकर आया था जबकि सच तो यह था कि सुदीप ही मारिया को करन के लिए लेकर आया था। कितना पागल था मैं, वह तो सुंदरी के भेष में नागिन थी...क्या उसकी करन से पहले से ही दुश्मनी थी? अगर सच पता चल गया तो ये साहब तो मेरी बोटी बोटी करवाकर कुत्तों को खिला देंगे...नहीं चाहे कुछ भी हो जाए मुझे अपनी बात पर अड़े रहना है।‘’
‘’ए यहां आओ, चीफ ने सुदीप को उंगली के इशारे से अपने पास बुलाया।
सुदीप की टांगे कांप रही थी…एक-एक कदम उठाना उसके लिए भारी पड़ रहा था, उसे सामने चीफ नहीं बल्कि अपनी मौत नजर आ रही थी।
‘’जी जी सर...उसने कांपते स्वर में पूछा।
‘’कौन थी वह लड़की?‘’ चीफ ने दहाड़ते हुए पूछा।
‘सर सर मुझे मुझे नहीं पता था वो करन सर हमारे खास मेहमान थे, वे हमेशा यहां आते थे और उनके साथ कोई ना कोई लड़की होती थी। इस बार भी एक नई लड़की थी साहब, हमने उसे बहुत ध्यान से नहीं देखा था क्योंकि सर कार से निकलकर चाबी लेकर सीधे रूम में चले गए थे फिर डिनर और शराब आर्डर की और सुबह साढ़े पांच बजे उठाने के लिए कहा था, सुबह जब हम उन्हें उठाने गए तो खिड़की खुली थी, सर ऐसे बेड पर पड़े थे वह लड़की गायब थी।’’
चीफ ने होटल के पूरे स्टाफ को बुलवा लिया, उस रिशेप्सनिस्ट को भी। सभी का डर और दहशत के मारे बुरा हाल था, चीफ के आने के पहले सुदीप ने मौका देखकर सारे स्टाफ को यह झूठ बोलने के लिए कह दिया था कि करन सर ही उस लड़की को लेकर आए थे हमें उसके बारे में कुछ नहीं पता, क्योंकि सच पता चलने का मतलब था इस होटल का खंडहर में बदल जाना और उन सभी का कुत्तों से भी बुरी मौत मरना।
‘’क्या तुम लोगों में से किसी ने उस लड़की को ध्यान से देखा है, उसका हुलिया कैसा था?‘’ चीफ ने एक-एक को कड़ी नजरों से देखकर कहा।
किचन स्टाफ का वह लड़का जिसने मारिया को वाटर बॉटल दी थी, उसने चीफ से कहा, ‘सर हम तो किचन में काम करते हैं, कौन होटल मे आता है कौन नहीं हमें नहीं पता सर।
रिशेप्सनिस्ट ने अपनी धड़कनों को काबू में करते हुए कहा, ‘’सर मैंने भी उस लड़की को बहुत ध्यान से नहीं देखा था, क्योंकि जब सर चाबी लेने आए थे तो उसका चेहरा दूसरी ओर था, और उसके बहुत ही लम्बे घने बाल थे और मैं लोगों पर इतना ध्यान भी नहीं देती हूं।
इंस्पेक्टर, चीफ के पास आकर बोला, ‘’आई एम सॉरी...इन लोगों की सबसे बड़ी गलती यह है कि इन लोगों ने एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगवाया है, अगर कैमरा लगा होता तो वह लड़की अब तक हमारी गिरफ्त में होती।‘
चीफ ने इंस्पेक्टर को अपनी दर्द भरी गहरी आंखो से देखकर कहा, ‘’गिरफ्त में तो होगी इंस्पेक्टर साहब…चाहे कैमरा लगा हो या ना लगा हो, उसे अपनी सांसो पर अफसोस होगा, इस दुनिया में आने पर अफसोस होगा। चीफ की नजरों से कोई नहीं बच सकता है, और उसने तो मेरे एक साथी की जान ली है उसका मैं क्या हश्र करूंगा यह कोई सोच भी नहीं सकता है।
चीफ इस समय आग का एक गोला बन चुका था, जो किसी भी समय विस्फोट हो सकता था। चीफ इस समय कितने दुख गुस्से और क्षोभ में था यह वही जानता था। करन उसका कमांडो, बॉडीगार्ड बाउंसर ही नहीं उसके शरीर का एक हिस्सा भी था, चीफ को ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसके शरीर का एक हिस्सा ही काटकर उससे अलग कर दिया गया है। वह खुद को अपंग सा महसूस कर रहा था, वह अपने दुश्मनों के बारे में सोच रहा था...कि इनमे से कौन हो सकता है जिसे करन के मरने से फायदा हो।
चीफ हम उसे कैसे ढूंढे...समझ में नहीं आ रहा है कि कहां से शुरूआत करें?‘’ चीफ का ध्यान भंग करते हुए अभिजीत ने कहा।
चीफ अपने ऑफिस में बैठा था, करन की लाश पोस्टमार्टम के लिए गई थी, यह तो चीफ का पॉवर था इसलिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट जल्दी से जल्दी देने के लिए कहा गया। चीफ की चुप्पी पर अभिजीत झुंझला गया, वह फिर बोला, चीफ यह हम सबको पता है कि करन हर हफ्ते किसी अनजान होटल में नई लड़की के साथ जाता था...’’
अभिजीत आगे कुछ कहता कि चीफ ने उससे पूछा, ‘’यह बात कितने लोगों को पता थी कि करन हर हफ्ते एक लड़की के साथ जाता है?‘’
अभिजीत भौंचक्का सा चीफ को देखकर बोला, ‘बॉस मेरे ख्याल से आपके सारे बाउंसरो को पता है और भी बहुत से लोगों को पता है आप शायद यह कहना चाहते हैं कि हमारे ही स्टाफ में से किसी ने गद्दारी की है, कोई है जो हमारे दुश्मनों से मिला है और आपका नुकसान करना चाहता है। वह जो भी है, बचेगा नहीं, मुझे उसे अपने हाथों से मारना है, तड़पातड़पाकर मारना है।
उसी मुंबई शहर में चीफ की ऑफिस से थोड़ी ही दूरी पर एक होटल में मारिया सिगरेट का कश खींच रही थी...इस समय वह आंखे बंद कर के चीफ की हालत का मजा ले रही थी। न जाने कैसे उसे यह आभास हो रहा था कि इस समय चीफ क्या कर रहा होगा और क्या सोच रहा होगा? वह मन ही मन बोली, ‘मुझ तक पहुंचना इतना आसान नहीं है मिस्टर चीफ…काश मैं उस होटल में रहती और अब तक तुम्हारा असली चेहरा देख लेती, शुक्र मनाओ वहां कैमरा नहीं था, पर तुम मेरी नजरों से बच नहीं सकते हो, तड़पकर तो तुम मरोगे चीफ…जैसे तुमने जॉन को मारा, जॉन जैसे अनेक बेगुनाहों को मारा। तुम्हें अंदाजा हो जाना चाहिए कि तुम्हारे पाप का घड़ा भर चुका है, खैर यह टाइम तो सेलिब्रेट करने का है, मैं मीरा के पास जाउंगी और उससे यह कहूंगी कि चीफ की मरी हुई गर्लफ्रेंड के बारे में बहुत सारी जानकारियां मिली हैं, अब चीफ को सामने लाना नामुमकिन नहीं है। चीफ अब तुम अपना दोहरा रूप छिपाकर नहीं रह सकते...’’ कहते हुए मारिया की आंखो में खून तैर आया।
क्या चीफ को पता चल पाएगा कि सुदीप झूठ बोल रहा है?
क्या युग की गद्दारी चीफ के सामने आ पाएगी?
क्या मारिया चीफ का सच मीरा के सामने लाकर रहेगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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