सुबह के छ: बज चुके थे। मुंबई शहर से बाहर उस होटल में जहां पर करन आया था उसके टॉप फ्लोर पर रूम नंबर टेन के बाहर होटल का मैनेजर सुदीप खड़ा था…करन जब भी यहां आता था तो मैनेजर से बोल देता था कि उसे करेक्‍ट साढ़े पांच बजे उठा दिया जाए, उसे किसी जरूरी काम से बाहर जाना होता था। 

इसलिए मैनेजर ने साढ़े पांच बजते ही पहले तो दो तीन लड़को को भेजा, वे सब बेल बजाकर कुछ देर बाद वापस आ गए और मैनेजर से कहा कि सर तो डोर ही नहीं ओपेन कर रहे हैं। 

मैनेजर सुदीप ने उस लड़की के बारे में सोचा जो उसके हिसाब से अभी भी करन के साथ होनी चाहिए थी…जरूर यह उस सुंदरी का जादू है जिसके रूपजाल में करन सर अभी तक फंसे हैं, वरना आज तक जितनी भी लड़कियों को मैंने उनके पास भेजा था वे सब दो तीन घंटो में ही वापस आ जाती थी। करन बहुत देर तक किसी भी लड़की को अपने पास टिकने नहीं देता था। कारण था करन का काम, और उसके पास आने वाले फोन कॉल, चीफ का बाउंसर होने के नाते उसे अपने मौज-मस्‍ती के पलों में भी एलर्ट रहना पड़ता था।

इसलिए सुदीप की नजरों में आज तो दुनिया का आठवां अजूबा हो गया था…करन सर अभी भी उस लड़की के साथ थे। इस लड़की में वाकई मेनका अप्‍सरा वाला जादू है...वही मेनका जिसने विश्‍वामित्र को अपने रूपजाल में फंसा लिया था, अगर यह ऐसे ही काम करती रही तो इसे करोड़ो रूपए कमाने से कोई नहीं रोक सकता। 

वो लड़की जो मारिया थी उसके बारे में सुदीप कुछ अलग ही योजना बनाने लगा…वैसे सुदीप था एक छोटा-मोटा दलाल ही, पहले कोलकाता के एक होटल में बड़े-बड़े लोगों को लड़कियां सप्‍लाई करने का काम करता था। फिर एक दिन होटल पर छापा पड़ा यह तो गनीमत था कि उस दिन सुदीप वहां नहीं था वरना पकड़ा जाता...वह भागकर मुंबई आ गया और कुछ दिन इधर-उधर भटकने के बाद एक व्‍यवसायी से मिला जो एक फाइव स्‍टार होटल बनाकर ज्‍यादा से ज्‍यादा मुनाफा कमाना चाहता था, सुदीप उसके साथ मिल गया। 

होटल बनने से पहले ही होटल मालिक को अच्‍छी कमाई होने लगी थी, पर इस बार सुदीप सावधान था...सावधानी से जांच परखकर कस्‍टमर को रखता था। 

‘’रात को सर ने तंदुरी चिकन के अलावा खाने में और क्‍या क्‍या मंगवाया था?‘’ रूम के बाहर खड़े सुदीप ने अपने स्‍टाफ के एक लड़के से पूछा जो रूम में खाना पहुचाने जाता था। 

वह लड़का बोला, ‘’सर ने तो उस लड़की के जाने के बाद कुछ नहीं मंगाया था, हम तो किचन में रात एक बजे तक इसी इंतजार में बैठे थे कि सर जरूर कुछ खाने के लिए आर्डर करेंगे, बल्‍कि हम में से एक तो सर के रूम के बाहर भी आया था, रूम के अंदर से कोई आवाज नहीं आ रही थी और लाइट भी बंद थी। हमें लगा वे सो गए होंगे तो हम भी सोने चले गए, फिर सुबह साढ़े पांच बजे आपका फोन हमारे पास आया कि जाकर करन सर को जगा दो, तब से हम बेल पर बेल बजा रहे हैं पर कुछ रिस्‍पांस ही नहीं कर रहे हैं।‘

‘’अच्‍छा, बड़ी अजीब बात है, करन सर तो इतनी गहरी नींद कभी नहीं सोते हैं'' कहकर सुदीप ने बेल बजाई। नतीजा वही, अंदर से कोई हलचल नहीं। 

सुदीप सोचने लगा, ‘’क्‍या वह लड़की भी इतनी ही गहरी नींद में सोती है, पर करन सर तो एक ही आवाज में उठ जाते थे, उठते ही कुछ ही मिनटों में फ्रेश होकर ब्रेकफास्‍ट कर के निकल जाते थे।'' सुदीप लगातार बेल बजाने लगा…पर कोई रिस्‍पांस नहीं। 

फिर सुदीप ने करन का फोन लगाया, तीन-चार बार पूरी की पूरी बेल जा रही थी पर कोई रिसीव ही नहीं कर रहा था, रिसीव होता भी तो कैसे करन का मोबाइल फोन तो होटल से दूर एक जंगल में लावारिस सामान के जैसा पड़ा था। सुदीप के माथे पर पसीने की बूंदे आ गई, उसने लड़के से कहा, तुम इस रूम की मास्‍टर चाबी लेकर आओ। 

पर सर ऐसा करना ठीक रहेगा? किसी के प्राइवेट मामले में ऐसे घुसना,, क्‍या ठीक रहेगा.? मेरा मतलब है कि क्‍या पता सर उस लड़की के साथ और भी वक्‍त बिताना चाहते हों? और अंदर पता नहीं किस हालत में हों?

सुदीप ने लड़के को डांटते हुए कहा, ‘’तेरा दिमाग खराब हो गया है क्‍या? करन सर बेल की आवाज से उठ नहीं रहे है, हमारे आवाज लगाने पर न तो वह लड़की आ रही है और ना ही करन सर...उनका मोबाइल भी नहीं उठा रहे हैं। ऐसे में हम चुपचाप बैठे रहें, जा दौड़, जल्‍दी मास्‍टर चाबी लेकर आ…छ: से ऊपर हो गया, इतने समय में तो करन सर यहां से निकल जाते थे, वे समय के एकदम पाबंद इंसान हैं।’’ 

कहकर सुदीप ने एक बार फिर करन को कॉल किया…उसे करन के साथ कुछ गलत होने की आशंका हो गई, क्‍या हुआ करन सर को? ऐसा तो आजतक कभी नहीं किया था? माना की वह लड़की बहुत ही सुंदर है पर उनका तो मन बहुत जल्‍दी भर जाता था, सुदीप को अफसोस हो रहा था कि उसने न तो उस लड़की का नाम पूछा था और ना ही उसका मोबाइल नंबर लिया था ताकि कम से कम उसे तो फोन कर के पूछ लेता की अंदर क्‍या चल रहा है? 

लड़का चाबी ले आया, सुदीप ने चाबी डालकर डोर खोलने से पहले एक आखिरी बार बेल बजाई कि क्‍या पता करन सर उठ जाएं और ऐसी देरी करने का कारण बता दें, बेल बजाकर एक मिनट रूकने के बाद सुदीप ने चाबी लगाकर घुमा दी और पहले हल्‍का सा दरवाजा खोलकर सुदीप ने अंदर देखे बिना ही दो बार ‘सर सर’ की आवाज लगाई फिर पूरा दरवाजा खोलकर अंदर गया, सुदीप ने सामने जो नजारा देखा उससे उसके होश उड़ गए, दिमाग शुन्‍य हो गया, शरीर वहीं का वहीं जम गया था। 

करन की खून सनी लाश बेड पर पड़ी थी…आंखे और मुंह खुला था, उसके शरीर पर केवल लोअर था। उस लड़के ने भी यह नजारा देखा और उसके मुंह से चीख निकल गई…खून, खून, खून...कहते हुए वह रूम के बाहर आया और नीचे की ओर देखते हुए चिल्‍ला-चिल्‍लाकर सबको बुलाने लगा। 

तुरंत पुलिस को सूचना दी गई...आते ही पुलिस ने पूरे रूम को सील कर दिया और कई एंगल से करन की फोटो और उस रूम में मौजूद फिंगरप्रिंट ले लिए। सुदीप अभी भी सदमें की हालत में था...पुलिस के सवाल उसके सिर पर उड़ते हुए महसूस हो रहे थे। 

कहने की जरूरत नहीं थी कि करन का कत्‍ल उसी सुंदरी ने किया था जिसे करन का मन बहलाने के लिए भेजा गया था। 

अब सुदीप पुलिस को क्‍या कहे कि वह इस होटल में कस्‍टमर को लड़कियां सप्‍लाई करता है, यह बात सामने आते ही इस होटल का लाइसेंस रद होते देर नहीं लगेगी और फिर दोबारा ऐसी पैसे वाली जॉब ढूंढना भी मुश्‍किल हो जाएगा। सुदीप ने फैसला कर लिया कि वह उस लड़की का सच नहीं बताएगा। 

पुलिस इंस्‍पेक्‍टर अजीत भोसलेकर ने अपने सामने बैठे सुदीप के मुंह से कल रात की सारी बातें सुनकर सुदीप पर कड़े स्‍वर में सवाल पर सवाल दागना शुरू कर दिए...कौन थी वह लड़की? क्‍या नाम था उसका? कहां से आई थी? 

सुदीप ने इंस्‍पेक्‍टर से यह झूठ बोला कि करन सर अपने साथ एक लड़की लेकर आए थे वह रात भर उनके साथ थी और सुबह दरवाजा खोलने पर केवल करन सर की लाश थी। 

मुआयना करते समय खुली हुई खिड़की और खिड़की के बगल में पाइप से बंधा कपड़े का टुकड़ा जो मारिया की साड़ी का हिस्‍सा था, आधा जला हुआ मिला…सुदीप ने उस साड़ी के बचे हुए हिस्‍से को देखा और शिनाख्‍त कर दिया कि हां यह साड़ी का टुकड़ा था और यही उस लड़की ने पहनी थी। 

सुदीप डरते-डरते बोला...सर जैसा मैंने आपको पहले ही बताया कि वह सर के साथ आई थी, तो हम अपने कस्‍टमर के पर्सनल मैटर में इतना नहीं घुसते हैं।

‘’यहां सीसीटीवी कैमरे क्‍यों नहीं लगे हैं?‘’ इंस्‍पेक्‍टर भोसलेकर ने पूरा होटल देखकर सुदीप से सख्‍ती से पूछा। 

‘’सर अभी यह बन रहा है, पूरी तरह से बन जाने पर ही सीसीटीवी कैमरे लगेंगे‘’ सुदीप को पछतावा हो रहा था कि उसने अपने मालिक की बात क्‍यों नहीं मानी?

मालिक ने बहुत पहले ही कहा था कि जब होटल स्‍टार्ट हो गया है तो कुछ खास जगहो पर तो सीसीटीवी लगवा ही देनी चाहिए, जैसे पार्किंग में, बेसमेंट में, लिफ्ट में, रिशेप्‍सनिस्‍ट वाली जगह, अगर इनमें से किसी भी जगह पर कैमरा लगा होता तो शायद उस लड़की को ढूंढना आसान हो जाता। 

‘’इस मरे हुए लड़के का फोन कहां पर है?'' इंस्‍पेक्‍टर ने करन की लाश की ओर इशारा करते हुए पूछा। 

‘’हमें नहीं पता सर, पर लगता है कि शायद उस लड़की के पास भी नहीं है, क्‍योंकि फोन की पूरी रिंग जा रही है पर कोई उठा नहीं रहा है।‘’ 

'ठीक है तुम उसका नंबर हमें दो हम नंबर के जरिए उसका मोबाइल ट्रेस करवाते हैं, क्‍या पता मोबाइल के मिलने से कुछ तो सुराग मिल जाए। फिर भोसलेकर ने अपने एक सहायक से पूछा, ‘’मौका-ए-वारदात पर चोरी के भी सबूत हैं क्‍या?‘’ 

वह सिपाही बोला, ‘सर ऐसा लगता तो नहीं है, क्‍योंकि इस आदमी के गले में मोटी सोने की चेन है जिसकी कीमत आज के सोने के रेट के हिसाब से तीन से चार लाख के बीच होगी, उनकी घड़ी भी करीब दस लाख की होगी और तीन ऊंगलियों मे हीरे की अंगूठियां पहन रखी है कुल मिलाकर तो इस समय उस मरे हुए आदमी ने पचास लाख की चीजें पहनी है, और पर्स में भी करीब दस हजार कैश मिले हैं, साथ में डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी है।’

‘’अच्‍छा….भोसलेकर ने भौंह उठाकर कहा, ‘’तो इसका मतलब कत्‍ल का कारण कुछ और हो सकता है, हो सकता है कि रात में उन दोनों के बीच कोई झगड़ा हो गया हो...पर झगड़ा इतना हो गया कि लड़की को कत्‍ल करना पड़ा। 

करन के फोन की पूरी रिंग जा रही थी…उसी आधार पर करन का फोन ट्रेस किया जाने लगा। फोन की लोकेशन होटल के पीछे वाले जंगल की ओर सड़क के किनारे दिखा रही थी। 

पुलिस की सर्च टीम ने करीब एक घंटे के अंदरृ-अंदर करन का फोन बरामद कर लिया। उसमें केवल सुदीप के अनगिनत मिस कॉल ही नहीं बल्‍कि और भी दो तीन नाम थे जिनके मिस कॉल करन के फोन पर पड़े थे। सुदीप के अलावा और जो तीन लोगों के मिस कॉल थे वे कमांडो नंबर टू, कमांडो नंबर तीन और कमांडो नंबर चार के नाम पर थे। 

इंस्‍पेक्‍टर के साथ खड़ा सिपाही मनसुख लाल ने कहा, ‘’बड़े ही अजीब नाम से इसने नंबर सेव कर रखे हैं, किसी एक को मिलाइए सर और बता दीजिए कि इस फोन के मालिक के साथ क्‍या हुआ है।‘’

सुदीप के पहले करन के मोबाइल में जिसका मिसकॉल आया था वह कमांडो नंबर टू के नाम से था, तो भोसलेकर ने उसे ही कॉल किया।

पहली ही रिंग में फोन रिसीव हुआ, करन ने अभिजीत का नाम कमांडो नंबर टू रखा था, अभिजीत ने फोन उठाते ही कहना शुरू कर दिया, ‘’करन .…कहां हो तुम? तुम्‍हें पता है ना बॉस की मीटिंग है, उनकी सिक्‍योरिटी से इम्‍पॉटेंट कुछ भी नहीं है और दो घंटे से तुम्‍हें फोन ट्राई कर रहा हूं तुम फोन क्‍यों नहीं उठा रहे हो?‘’

इधर से इंस्‍पेक्‍टर भोसलेकर ने कहा, ‘ हैलो, क्‍या मैं आपका नाम जान सकता हूं?‘

‘’ऊधर से अभिजीत ने कहा, सॉरी...कौन हैं आप? करन का फोन…कौन है?’’ 

इंस्‍पेक्‍टर ने गहरी सांस ली और कहा, ‘क्‍या आप नवी मुंबई के बाहरी इलाके में आ सकते हैं?’ 

अभिजीत ने कहा, ‘नवी मुंबई...पर क्‍यों?‘ 

इंस्‍पेक्‍टर भोसलेकर ने कहा, ‘’मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है मिस्‍टर कमांडो नंबर टू जी की...’’ 

‘’एसक्‍युज मी, आप मुझे कमांडो नंबर टू क्‍यों बुला रहे हैं? भोसलेकर की बात पूरी होने के पहले ही अभिजीत ने खीजते हुए पूछा, उसे पता ही नहीं था कि वह एक इंस्‍पेक्‍टर से बात कर रहा है। 

‘’क्‍योंकि आपके इस दोस्‍त के फोन में इसी नाम से आपका नंबर सेव है, क्‍या आप मरहूम करन के दोस्‍त हैं?‘’ 

अभिजीत ने कहा, हां हूं, तभी जैसे अभिजीत के शरीर में करंट दौड़ गया, क्‍या कहा आपने मिस्‍टर...मिस्‍टर...?’’

मिस्‍टर अजीत भोसलेकर, पुलिस इंस्‍पेक्‍टर अजीत भोसलेकर।

इंस्‍पेक्‍टर सुनकर अभिजीत फिर से चिहुक उठा...''आपने करन को मरहूम क्‍यों बोला? इसका मतलब भी जानते हैं आप इंस्‍पेक्‍टर साहब?‘’ 

‘’जी हां मिस्‍टर मुझे पता है...कल रात आपके दोस्‍त करन का किसी ने कत्‍ल कर दिया, उनके दिल पर किसी ने गोली मारी है।‘’ 

‘’क्‍या बकवास कर रहे हैं आप.? आपको पता भी है कि करन कौन है? करन एक कमांडो है, एक जाबांज कमांडो उसे इतनी आसानी से कोई मार नहीं सकता है।‘’ 

‘’ओके मिस्‍टर कमांडो नंबर टू...मैं आपको इस आदमी की फोटो भेजता हूं। 

एक मिनट के अंदर-अंदर अभिजीत के फोन पर करन की खून से तर लाश डाउनलोड हो गई थी, अभिजीत के पैरों तले मानो जमीन ही खिसक गई।

हाऊ इज़ दिस पॉसिबल…कहकर अभिजीत सोफे पर ढह गया। यह क्‍या हो गया अब चीफ को इसके बारे में कैसे बताउं?

 

क्‍या अभिजीत यह बात चीफ को कहने की हिम्‍मत कर पाएगा? 

क्‍या सुदीप का झूठ पकड़ा जाएगा? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया  मोहब्‍बत।

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