सुबह की गुनगुनी धूप मीरा के चेहरे को सहला रही थी, समुद्र की लहरों की मीठी आवाज उसके कानों में रस घोल रही थी। सुगंधित हवा के झोंके से मीरा का पूरा शरीर आनंद से सराबोर हो रहा था…बहुत दिनों के बाद मीरा ने इतना सुखद समय का अनुभव किया था। उसकी आंखे खुली, नजरें खिड़की की ओर गई, समुद्र की नमकीन हवा और पेड़ पौधे के फूलों की मिली-जुली खुशबूदार हवा मीरा के तन मन को पुलकित कर गई। वह उठकर खिड़की के पास गई, सामने बहते नीले समुद्र और उसके ऊपर अनंत आसमान को निहारने लगी।
समुद्र के किनारे एक शिप अभी भी खड़ी थी, ऐसी जगह पर जाना मीरा का सपना था…एकाएक कल रात की सारी बातें मीरा को याद आई…चेहरे पर संतुष्टि भरी मुस्कान तैर गई। मीरा ने मोबाइल में टाइम देखा....सुबह के नौ बज रहे थे, ‘’ओह माई गॉड मैं इतनी देर तक कैसे सो सकती हूं, भले ही आज संडे है तो क्या हुआ....मैं तो सुबह पांच बजे उठ जाती हूं, मेरे लिए संडे और मंडे दोनों एक जैसे होते हैं। क्या वह आर्यन भी सो रहा होगा? हां शायद रात में मेरे कारण जाग गया था और फिर बाहर जाकर अपने शिप से सामान भी तो उतरवा रहा था….पता नहीं कितनी देर रात तक उसने काम किया होगा, फिर सोया होगा, अभी मैं क्या करूं?’’
मीरा कमरे में इधर उधर टहलने लगी, बाहर का सुंदर नजारा उसे अपनी ओर खींच रहा था...उसके जी में आ रहा था कि अभी इसी वक्त बंगले से बाहर निकल जाए और समुद्र के किनारे जाकर आती जाती लहरों को देखते हुए टहले। मीरा वॉशरूम से फ्रेश होकर निकली और पैरों में स्लीपर डालकर धीरे से रूम का दरवाजा खोला, इधर उधर देखा, कहीं कोई हलचल नहीं थी, हलचल होती भी कैसे, आर्यन तो सो रहा था और कोई इस घर में था ही नहीं, बाउंसर थे पर बंगले के बाहर ही थे।
इतना बड़ा और शानदार बंगला ऐसे खाली मानो काट खाने दौड़ रहा था, बंगले का बाहरी गेट तो रिमोट से बंद होगा, वह कैसे खुलेगा? बाहर जाकर ही देखती हूं हो सकता है कि वहां कोई बाउंसर मिल जाए तो मैं उससे रिक्वेस्ट करूंगी कि मुझे थोड़ी देर के लिए समुद्र के किनारे टहलने दें, मैं ज्यादा दूर तक नहीं जाऊंगी, मैं वह बड़ा वाला शिप भी देख लूंगी जो वहां खड़ा है।
‘’बाउंसर मुझे मना थोड़ी ना करेगा...आखिर मैं उसके अरबपति बॉस की मेहमान हूं।‘’
सोचकर वह धीर से बाहर निकली और सीढ़ियों से नीचे उतर आई, किचन की ओर उसकी नजर गई…किचन देखते ही मीरा को कॉफी की तलब महसूस होने लगी, सुबह उठते ही उसे ब्लैक कॉफी पीने को चाहिए होती है, पर यहां कोई बात नहीं….मैं अपने लिए बना लेती हूं, क्या पता मेरे कॉफी बनाने की खटपट की आवाज सुनकर आर्यन उठ जाए। वह भी कॉफी पीता होगा, या फिर शायद गर्म नीबूं पानी, जो भी हो मैं उसके लिए बना दूंगी...कल रात उसने भी तो मेरे लिए इतना टेस्टी डिनर बनाया था।
मीरा जानबूझ कर किचन में कप प्लेट कॉफी का डिब्बा और स्पून तेजी से किचन की स्लैब पर रखने लगी, वह चाहती थी कि इनकी आवाज से आर्यन की आंखे खुल जाए...वो किचन में आकर देखे कि मैं उसके लिए कुछ बना रही हूं।
आज का ब्रेकफास्ट मैं बनाऊंगी…मैं उसे दिखाना चाहती हूं कि केवल सुंदर कपड़े ही डिजाइन नहीं करती हूं, बल्कि टेस्टी खाना भी बनाती हूं।
मीरा कप प्लेट को तेजी से रखने उठाने का क्रम करती और फिर किचन से उस कमरे की ओर झांकती जिसमें कल रात आर्यन सो रहा था…यह बाहर क्यों नहीं निकल रहा है? इसकी नींद तो बहुत ही हल्की है, क्या यह गहरी नींद में आ गया है? हो सकता है कि शिप से सामान उतरवाते-उतरवाते आलमोस्ट सुबह हो गई हो और मेरे जागने के थोड़ी देर पहले ही सोया हो…तब तो मुझे उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए।
मीरा खुद को ही कोसते हुए बोली…यह मैं क्या गंवारो वाली हरकतें कर रही हूं, ऐसे बरतन उठाना पटकना मुझे शोभा देता है क्या? अगर मुझे उसे जगाना ही है तो सलीके से एक अच्छी लड़की की तरह उसके लिए ब्लैक कॉफी बनाकर उसके रूम में ले जाना चाहिए। पर क्या वह पीएगा? कोई बात नहीं मैं आर्यन के लिए नीबू पानी और ब्लैक कॉफी दोनों बना लेती हूं।
मीरा ने फटाफट दो कप ब्लैक कॉफी और एक गिलास नीबू पानी तैयार कर लिया। एक ट्रे में रखकर ऊपर आर्यन के रूम के बाहर पहुंची…कल रात की तरह वह ऐसे उसके रूम में नहीं जा सकती थी, पर नॉक भी तो नहीं कर सकती थी। मीरा ने एक हाथ से ट्रे को पकड़कर दूसरे हाथ को दरवाजे पर लगाया...उसके हाथ लगाते ही दरवाजा खुल गया।
यह डोर बंद करके क्यों नहीं सोता है? मैं तो ऐसे कभी दरवाजा खोल कर के नहीं सो सकती। मीरा धड़कते हृदय से अंदर जाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाते हुए बोली, ‘’ऐसे चोरों की तरह किसी के रूम में जाना ठीक रहेगा क्या? रात की बात अलग थी…पता नहीं वह किस हाल में सो रहा हो? जब वह उठेगा तब मैं उसे कॉफी और नीबू पानी दूंगी।
कुछ सोचकर मीरा लौट आई…आर्यन के लिए बनाई हुई कॉफी और नीबू पानी को ढककर रख दिया, खुद के लिए बनाई हुई कॉफी पीते हुए पूरा घर देखने लगी। दिन के उजाले में घर की खूबसूरती को निहारने का मजा ही कुछ अलग था। मीरा ने देखा किचन के अंदर ही एक दूसरी ओर बड़ी सी खिड़की थी उसके बाहर एक झीना परदा लगा है वह हवा के झोंके से उड़ रहा था, बाहर का नजारा भी बहुत ही सुंदर लग रहा था।
कॉफी खत्म कर के मीरा ने कप सिंक में डाल दिया और खिड़की के पास आ गई…थोड़े से प्रयास से खिड़की खुल गई। बाहर उड़ रहा झीना परदा मीरा के चेहरे को छूने लगा। मीरा ने वह परदा हटाया और सामने गुलाब के फूलों की मनभावन खुशबू उसके सिर से पांव तक तरोताजा कर गई। किचन के बाहर उस जगह एक सुंदर सा लॉन था, जहां केवल देसी गुलाब के पौधे लगे थे और सभी पर खूब सारे फूल खिले थे।
‘’ओह माई गॉड, यह सब कितना सुंदर है‘’ कहकर मीरा उन गुलाब के पौधों के पास आ गई।
सामने बहता समुद्र, लान के पास ही वो दीवार भी थी जिससे पूरा बंगला घिरा था…एकाएक मीरा ने देखा कि इस दीवार के बीच एक लकड़ी का दरवाजा बना था। शायद यहां से माली के आने जाने का रास्ता था, या फिर कहीं यह वह सीक्रेट डोर तो नहीं जिसके बारे में आर्यन ने कल रात को मुझे बताया था कि रात में कई बार उसके बाउंसर इस बंगले को अंदर से चेक करने के लिए आते हैं फिर एक नजर देखकर वापस लौट जाते हैं, हां हो सकता है कि वही हो।
शायद यहां से बाहर निकला जा सकता है या फिर हो सकता है कि इसके बाहर भी कोई रिमोट से खुलने और बंद होने वाला गेट हो, देखने में क्या बुराई है, बंद होगा तो वापस आ जाउंगी, वैसे इस लॉन में बैठकर इसकी सुंदरता निहारने का भी अपना अलग सुख है। मैं तब तक बैठी रहूंगी जब तक आर्यन सोकर उठ नहीं जाता और यहां आकर मुझे ढूंढ नहीं लेता।
मीरा उठी एक नजर वापस किचन की खिड़की से अंदर देखा, कहीं आर्यन किचन में आकर उसे झांककर देख तो नहीं रहा है, उसकी आदत है कि वह अचानक पीछे से आ जाता है।
किचन एकदम खाली पड़ा था, हवा के झोंके से झूमते गुलाब के फूलो पर नजर डाली...मीरा के मन में एक मीठी लहर उठी, उसका मन कर रहा था कि एक सुगंधित गुलाब तोड़ ले....वैसे तो वह खिले फूलों को तोड़ना पसंद नहीं करती थी पर यह ताजा खिला गुलाब मीरा को अपनी ओर खींच रहा था। एक तोड़ लेने में क्या हर्ज है? वैसे भी इतने सारे तो खिले हैं, आर्यन नाराज ही तो होगा ना, मैं सॉरी बोलकर मना लूंगी या फिर इन गुलाब के फूलों से उसके लिए एक अच्छा सा बुके बनाकर दे दूंगी।
फूल तोड़कर मीरा ने नाक के पास लगाकर एक लंबी सांस खीची उसकी अनोखी खुशबू को अपनी सांसो के कोने-कोने में महसूस किया फिर दीवार के बीच बनी हुई लकड़ी के दरवाजे की ओर कदम बढ़ाने लगी, दरवाजा इतना छोटा था कि उसमें से झुककर ही बाहर निकला जा सकता था, अब तो मीरा श्योर हो गई कि यह जरूर यहां के बाउंसरो के आने जाने के लिए सीक्रेट दरवाजा होगा, पर यह लकड़ी का क्यों बना है? और इतना कमजोर की किसी तगड़े आदमी के एक वार से ही आसानी से टूटकर गिर जाए।
मीरा ने उस दरवाजे की कुंडी खोली...दरवाजे को खोलने के बाद झुककर बाहर देखने लगी, उसकी आंखे आश्चर्य से फैल गई…सामने नारियल के अनगिनत पेड़ और समुद्र का किनारा देखकर हैरानी से मीरा ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया। मतलब यहां कोई रिमोट से चलने वाला गेट ही नहीं था।
यह तो पूरा खुला है, मीरा झट से झुककर बाहर निकली। समुद्र की लहरों से टकराकर आती समुद्री हवा को उसने अपने रग-रग में महसूस किया। वैसे तो वह अक्सर ही मरीन ड्राइव बीच घूमने निकल जाती थी पर यहां की बात तो एकदम अलग थी। मरीन ड्राइव बीच पर तो हर समय लोगों की चहल पहल रहती थी, यहां तो दूर-दूर तक किसी आदमजात का नामोनिशान नहीं था।
यहां तो दूर-दूर तक एकदम सन्नाटा पसरा था, केवल वह शिप थी जिसे उसने कल रात को आते हुए देखा था। मीरा उत्साहित होकर आगे बढ़ती ही जा रही थी। समुद्र का किनारा और इतना गहरा सन्नाटा, दार्शनिक स्वभाव वाले और अकेलापन पसंद करने वालों या फिर कविता कहानी लिखने वालों के लिए तो ऐसी जगह स्वर्ग होती है।
मैं भी ऐसी ही जगह पर बैठकर सुंदर-सुंदर ड्रेस के डिजाइन बना सकती हूं। चारो ओर की सुंदरता को निहारते हुए मीरा उस शिप के पास पहुंची। उसके आसपास कोई नहीं दिख रहा था, हो सकता है कि इस शिप के लोग कहीं गए हो, रात को शिप लेकर जाएं, मुझे इससे क्या?
मीरा ने शिप के उपरी हिस्से को ध्यान से देखा, उसमें ब्राउन कलर के बड़े-बड़े डिब्बे रखे हुए थे। शायद इसमें आर्यन की कम्पनी या उसके बिजनेस से रिलेटेड कोई सामान हो…न जाने कितना काम करता है यह आदमी।’’
तभी मीरा ने अपनी गरदन के पीछे वाले हिस्से में किसी की गर्म सांसो को महसूस किया…मीरा के बदन में सुरसुरी सी दौड़ गई, मीरा को ज्यादा सोचने की जरूरत ही नहीं पड़ी कि पीछे कौन हो सकता है, ‘’हे भगवान...आर्यन उठ गया...मुझे ढूंढते हुए यहां तक आ गया, उसे कैसे पता कि मैं इधर आई हूं...मैंने तो उसके घर के सीक्रेट दरवाजे को देख लिया है...वह जरूर मुझे डांट लगाएगा।
मीरा ने गहरी सांस ली, अपने होंठ दबाए और अपने चेहरे के डर को काबू करते हुए पीछे मुड़ी...वह मुसकुराता हुआ मीरा को देख रहा था, उसके हाथ में वही ब्लैक कॉफी थी जिसे मीरा अभी थोड़ी देर पहले ही किचन में ढककर आ गई थी।
‘’कॉफी बहुत टेस्टी है‘’ आर्यन ने कॉफी का सिप लेते हुए कहा।
मीरा ने भौंहे सिकोड़ी, ‘’व्हाट…ब्लैक कॉफी और टेस्टी…इसमें ऐसा क्या है जो इतना टेस्टी है, केवल काफी पाउडर और गर्म पानी, ऐसा तो कोई भी बना लेगा।
‘’कोई भी नहीं, डिपेंड करता है कि कौन बना रहा है किस परपज से बना रहा है….वैसे नींबू पानी भी बहुत टेस्टी था।‘’
क्या आपने नीबू पानी भी पी लिया, ओह आई एम सॉरी एक्चुली मुझे पता ही नहीं था कि आप सुबह क्या पीते हैं तो दोनों बना दिया….पर आपको दोनों पीने की क्या जरूरत थी?
तुमने इतने प्यार से बनाया तो छोड़ कैसे देता मैडम….वैसे तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगी, रात में भी मेरे घर का मुआयना कर रही थी और अब सुबह भी…तुमसे चैन से बैठा नहीं जाता क्या?’’
मीरा को पता था कि यह ऐसा ही कुछ कहेगा।
‘’नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, वो नींद खुल गई थी और बाहर का नजारा इतना सुंदर था कि मुझसे रहा नहीं गया, इसलिए यहां वॉक करने चली आई, वैसे भी यहां बात करने के लिए भी कोई नहीं है, क्या करती?‘’
''तुम अपने घर में भी तो अकेले रहती हो, वहां कौन है तुमसे बात करने वाला?''
मीरा ने कहा, 'हां पर वहां मेरे ऑफिस का ढेर सारा काम भी तो रहता है।''
एकाएक आर्यन ने मीरा का अपनी ओर खींचा.…बिल्कुल वैसे ही जैसे कल शाम को उसके ऑफिस के नीचे सड़क के किनारे खींचा था, मीरा हतप्रभ रह गई…आर्यन की सांसे मीरा की सांसो से टकरा रही थी। गुलाब के फूल की वह सुगंध भी इन दोनों की सांसो में घुल रही थी, आर्यन ने मीरा की आंखो में देखते हुए पूछा, ‘’तो कैसा लगा मेरा यह बंगला मैडम..? मीरा एकटक आर्यन को देखे जा रही थी।
मैडम, शब्द सुनकर मीरा चौंक गई….यह मुझे मैडम क्यों कह रहा है? आर्यन ने फिर से पूछा…बताओ ना मैडम कैसा लगा? मीरा ने आंखे बंद कर ली। …..मैडम मैडम की आवाज मीरा के कान में बजने लगी, फिर एक तेज और झुंझलाई आवाज मीरा की कान में पड़ी…मैडम जी, आप ठीक तो हैं ना.? क्या हुआ आप कुछ बोल क्यों नहीं रही हैं?
यह तो आर्यन की आवाज नहीं लग रही, मीरा ने आंखे खोल दी…सामने आर्यन नहीं था। मीरा से चार कदम दूर काले कपड़ो में आर्यन का एक बाडीगार्ड खड़ा था, वह मीरा को हैरानी से देख रहा था। मीरा भी उसे देखकर सकते में आ गई…वह दिन में खुली आंखो से सपना देख रही थी, चंद सेकेंड का मीठा सपना…आर्यन की वो आवाज, आर्यन की वो गर्म सांसे, उसका करीब आना….वह एक भ्रम था, मीरा के शरीर में मीठी झुरझुरी दौड़ गई।
क्या आर्यन और मीरा का रिश्ता अब नया मोड़ लेगा?
क्या मीरा राघव को भूलकर आर्यन को अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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