हर रिश्ते में एक ऐसा फेज़ आता है, जिसे लोग “हनीमून फेज़” कहते हैं। ये वो वक्त होता है, जब हर छोटी-छोटी चीज़ जादू जैसी लगती है। हर मुलाकात में वक्त धीमा चलने लगता है, और हर मुस्कान एक नई कहानी बुनती है। संकेत और श्रेया के रिश्ते में भी अब यही वक्त आ चुका था। शुरुआत में, दोनों ने ये तय किया था कि वो धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे। पर प्यार की रफ्तार कौन रोक पाया है? अब, हर दिन उनके लिए पहले से थोड़ा और खास हो गया था।
कॉलेज के गेट से लेकर क्लासरूम तक, संकेत और श्रेया की मुलाकातें पहले से ज़्यादा खास और थोड़ी अलग लगने लगी थीं। पहले जो कैज़ुअल हेलो-हाय हुआ करती थी, उसकी जगह हल्के-फुल्के चुपके से एक-दूसरे को देख लेने वाले मोमेंट्स ने ले ली थी। और ये देखना बड़ा दिलचस्प था कि कैसे दो लोग, जो पहले सिर्फ दोस्त थे, अब एक-दूसरे के लिए पूरी दुनिया बनते जा रहे थे।
संकेत की सबसे बड़ी जीत ये थी कि अब श्रेया उसकी हर छोटी बात पर ध्यान देने लगी थी। क्लास में वो अक्सर उसकी तरफ चोरी-छुपे देखती, और जब संकेत कुछ लिखने की बजाय उसकी ओर देखकर मुस्कुरा देता, तो श्रेया का चेहरा हल्का गुलाबी हो जाता।
ऐसा नहीं था कि सब कुछ अचानक बदल गया था। पर अब उनके हर दिन में एक नई चमक थी। लाइब्रेरी में एक साथ बैठकर पढ़ाई करने का बहाना, कैंटीन में एक-दूसरे की पसंदीदा कॉफी लाना, और गार्डन में टहलते हुए उन अनकहे पलों को महसूस करना... ये सब उनके रिश्ते की नई आदतें बन गई थीं।
एक दिन की बात है। कैंटीन में बैठकर श्रेया अपने नोट्स में कुछ लिख रही थी। संकेत, जो हमेशा की तरह श्रेया के सामने बैठा था, उसे चुपचाप देख रहा था। कुछ देर बाद, उसने अपनी कॉफी का आखिरी घूंट लिया और धीरे से बोला...
संकेत:
"श्रेया, तुम्हें पता है कि तुम्हारी वजह से मुझे आजकल मेरी ब्लैक कॉफी भी मीठी लगने लगी है।"
श्रेया ने उसकी इस बात पर पेन नीचे रखा और उसे हल्की सी नाराज़गी भरी नजरों से देखा।
श्रेया:
"हा हा हा! तुमने अभी-अभी पिकअप लाइन्स का कोई कोर्स किया है क्या?"
संकेत कहां रुकने वाला था।
संकेत:
"पिकअप लाइन नहीं है, मैडम। ये तो मेरे दिल की बात है।"
श्रेया उसकी इस बात पर हंस पड़ी, पर उसकी आंखों में वो चमक थी जो इस बात का सबूत थी कि वो भी इन हल्की-फुल्की बातों का मज़ा ले रही थी।
गार्डन में उनके वॉक अब और भी खास हो गए थे। पहले वो बस साथ बैठा करते थे। पर अब उनके बीच की खामोशियां भी एक-दूसरे के लिए मायने रखने लगी थीं। संकेत अक्सर गार्डन की बेंच पर बैठकर श्रेया से उसके बचपन की बातें पूछता।
कैसे वो अपने पापा के साथ छोटे-छोटे ट्रिप्स पर जाया करती थी। कैसे उसकी मम्मी उसे पढ़ाई के लिए डांटती थीं। और कैसे उसकी हर छोटी खुशी, उसकी सबसे बड़ी ताकत थी। श्रेया भी संकेत की हर बात को बड़े गौर से सुनती। वो कैसे अपने बचपन के दिनों में दोस्तों के साथ शरारतें किया करता था। कैसे वो हर बात पर अपनी मम्मी से डांट खाया करता। और कैसे उसने अपने हर डर को धीरे-धीरे आत्मविश्वास में बदल लिया।
ऐसी ही एक शाम, संकेत और श्रेया कॉलेज के गार्डन के एक कोने में, बड़े से गुलमोहर के पेड़ के नीचे बैठे थे।
संकेत:
"तुम्हें पता है, श्रेया? जब पहली बार मैंने तुम्हें देखा था, तो मुझे लगा था कि तुम बहुत सख्त और रिज़र्व हो।"
श्रेया:
"और अब? क्या मेरी ये 'डरावनी' इमेज बदल गई है?"
संकेत:
"बिल्कुल! अब मैं जानता हूँ कि तुम सिर्फ सख्त नहीं हो, बल्कि छुपकर बहुत केयरिंग और सॉफ्ट भी हो।"
श्रेया:
"छुपकर? मतलब, तुम कह रहे हो कि मैं खुलेआम बहुत रूड हूँ?"
संकेत:
"अरे नहीं! मेरा मतलब था कि तुम हमेशा अपने इमोशन्स को छुपाने की कोशिश करती हो। पर मैं वो देख सकता हूँ जो शायद और कोई नहीं देख पाता।"
संकेत की यह बात सुनकर श्रेया थोड़ी झेंप गई। पर उसने खुद को संभाला और मुस्कुराई।
श्रेया:
"शायद इसलिए, क्योंकि तुम भी बाकी लोगों से थोड़े अलग हो।"
संकेत:
"अरे वाह! ये तो तुमने मेरी तारीफ कर दी। ये आज सूरज कहाँ से निकला!"
शाम की हवा अब थोड़ी ठंडी हो चुकी थी। पेड़ की शाखाएँ हल्की-हल्की हिल रही थीं।
उनकी हंसी हवा में घुल गई। उस शाम, बेंच पर बैठा वो जोड़ा शायद अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था। उनकी बातों के साथ सूरज ढलने को था। आसमान नारंगी और गुलाबी रंगों से सराबोर हो चुका था।
संकेत ने धीरे से अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और एक घूंट लिया। उसकी नज़रें सामने के तालाब पर टिक गईं, जहाँ हल्की-हल्की लहरें बह रही थीं। पर उसका मन... वो श्रेया के करीब होने के एहसास में डूबा हुआ था। श्रेया, अपने घुटनों पर एक किताब खोले, एक पैर हल्का सा मोड़कर बैठी थी।
कई बार, प्यार को कहने के लिए शब्दों की ज़रूरत नहीं होती। वो चुप्पियाँ, वो हल्की मुस्कानें, वो नज़रें जो एक-दूसरे से बचने की कोशिश करती हैं, पर हर बार टकरा जाती हैं... यही सब प्यार की सबसे खूबसूरत भाषा बन जाती हैं।
क्या इस रिश्ते की मिठास इसी तरह बनी रहेगी?
क्या उनकी ये नज़दीकियां उन्हें हर मुश्किल से पार ले जाएंगी?
या फिर वक्त के साथ कोई नया मोड़ उनकी कहानी में दस्तक देगा?
जाने के लिए पढ़िए .. “कैसा ये इश्क है” का अगला एपिसोड।
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