प्रेताल से मिलने की बाद से ही आरु की बेचैनी बढ़ गयी थी, आरु पहली बार ऐसे बच्चे से मिला था जो उसके जैसा ही ताकतवर था. अब आरु जान चुका था उस जंगल में रहने वाले जीव जंतु भी किसी काले जादू के वश में हैं, इसलिए वो पक्षी आरु की बात नहीं मान रहे थे. धीरे धीरे इस कहानी के रहस्य की परतें खुलनी शुरू हो चुकी थी. अब आरु को ये तो पता चल गया था की उसके ऊपर कौन हमला करवा रहा था. लेकिन अभी भी इस नन्हे से बच्चे को कहानी का पूरा सच नहीं पता था. दूसरी तरफ भीमा को ये फ़िक्र थी की लाल धागे को पार करके आरु ने उस मंत्र की शक्तियों को थोड़ा कमज़ोर कर दिया है, इस मौके का फायदा अब प्रेताल ज़रूर उठाएगा और आरु की उस गलती के बुरे प्रभाव अगले दिन से ही गांव के ऊपर देखने को मिलने लगे थे. आज सुबह जब गांव वाले उठे तो सब ये देख कर हैरान थे की आज इन ऊँचे पेड़ों पर बैठे पक्षी रोज़ के मुकाबले ज़्यादा शोर कर रहे थे. जिनकी आवाज़ कभी अच्छी लगती थी, आज उन पक्षियों की आवाज़ सबके कानों में मानों चुभ रही थी. आरु और भीमा इन पक्षियों की भाषा जानते थे, और इन दोनों को मालूम चल गया था की किसी नकारात्मक ऊर्जा ने इन पक्षियों को बेचैन कर दिया है. ये सब देखते हुए भीमा एक पेड़ के पास जाकर उस पेड़ की जटा पर हाथ रख कर मंत्र जाप करते हैं.
भीमा के मंत्र से उस पेड़ की जटा सुनहरी रंग में चमकती है, जिस से उसमें एक नयी ऊर्जा का संचार होता है. देखते ही देखते सभी पेड़ों की जटाएं सुनहरी रंग में चमकने लगती हैं. इस ऊर्जा के प्रभाव से सभी पक्षी शांत हो जाते हैं और पेड़ों पर आकर बैठ जाते हैं।
सभी गांव वाले ये दृश्य देख भीमा का धन्यवाद करते है ,और अपने अपने काम पर लग जाते हैं. गाँव वालों को ये आम घटना ही लग रही थी क्योंकि ऐसी घटना वो पहले भी देख चुके थे। लेकिन इस बार किसी को ये नहीं पता था की ये आने वाले खतरों का एक संकेत है. भीमा आरु को कुटिया में ले जाते हैं और उस से कहते हैं-
भीमा- आरु उन पक्षियों की बेचैनी का कारन तुम जान चुके हो, ये तुम्हारे लिए भी एक संकेत है. हो सके तो गांव के बहार कहीं घूमने मत जाना और अकेले मत रहना। तुम्हारे साथ कोई न कोई ज़रूर रहना चाहिए फिर चाहे वो कोई तुम्हारी उम्र का बच्चा ही क्यों न हो।
आरू- ठीक है बाबा और आप भी अपना ख्याल रखना।
भीमा- मेरी फ़िक्र मत करो, मैं तो कई वर्षों से जीवित हूँ , पर मैं इस बार तुम्हें खोना नहीं चाहता।
आरू- ऐसा कभी नहीं होगा। मैं हमेशा आपके साथ ही रहूंगा।
भीमा की आँखे नम हो गयी और उन्होंने प्यार से आरु का माथा चूमा। आरु ने पहली बार भीमा की आंखों में पानी देखा था. दोनों एक साथ नदी में स्नान करने चले गए. गाँव के सभी लोग सुबह हुई घटना को भूल चुके थे , पर गांव में कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके मन में बेचैनी उठ चुकी थी. प्रेताल की काली शक्तियों का असर सिर्फ पक्षियों पर ही नहीं। बल्कि इंसानों पर भी होना शुरू हो गया था. आरु सुबह फल खा के भीमा के साथ मैदान में शिक्षा लेने के लिए चला गया, आज भीमा ने आरु को नई शिक्षा देने से पहले कहा-
भीमा- आरु कुछ भी हो जाए तुम इस विघा को सिखने से अपना ध्यान कभी मत भटकने देना, बहुत सी ऐसी घटनाएं हो सकती है , जिनसे तुम्हारा मन विचलित हो सकता है, पर तुम अपना ध्यान कभी भटकने मत देना।
आरू- ठीक है, मैं हमेशा ये ध्यान रखूँगा के विद्या सिखने में कभी कोई चूक न करूँ।
आज का अभ्यास ख़त्म करने के बाद जब आरु और भीमा गांव की ओर आ रहे थे, तभी उन्होंने देखा की एक खेत के पास एक आदमी रो रहा था। कुछ लोग उसे चुप करा रहे थे , तो कुछ लोग आपस में बातें कर रहे थे। भीमा ने उन लोगों से पूछा ।
भीमा- क्या हुआ है यहाँ , ये रो क्यों रहा है?
गांव का एक आदमी -बाबा देखो इसकी फसलों में अजीब से कीड़े पड़ गए है. पूरा खेत खराब हो गया है, हमने इसके खेत के चारों तरफ की फसल काट कर हटा दी है, और आस पास खाद और औषधि डाल दी है, ताकि ये कीड़े साथ वाले खेतों की फसल को खराब ना कर दें.
भीमा ने सबको अपने खेतों का ख्याल रखने के लिए कहा, और रोते हुए आदमी को समझाया-
भीमा- तुम फ़िक्र मत करो पूरा गांव तुम्हारे साथ है, तुम्हारी फसल ही खराब हुई है पर बाकी लोगों की फसल तो ठीक है ना, मैं सरपंच से कह दूंगा के गांव के हर किसान की फसल का थोड़ा हिस्सा तुम्हें दें, ताकि तुम्हारे घर अनाज की कोई कमी ना हो.
भीमा ने ये कहते ही आरु का हाथ पकड़ा और दोनों कुटिया की और चल दिए, रास्ते में चलते चलते आरु ने भीमा से सवाल किया -
आरू- बाबा आपके पास तो इतनी शक्तियां है, क्या आप उस किसान की फसल दोबारा ठीक नहीं कर सकते थे? सुबह आपने उन पेड़ों में भी ऊर्जा डाली थी न.
भीमा- बेटा शक्तियों की भी कुछ सीमा होती हैं, जहां सम्भव हो वहां में समाधान कर देता हूँ और उस किसान के खेतों पर कुदरत की मार नहीं पड़ी थी, बल्कि वो बुरी शक्ति के प्रभाव से खराब हुए हैं.
आरू- मतलब प्रेताल ने उन खेतों को खराब किया है?
भीमा- हां ये सब उसी का कारनामा है।
आरू- यानि कि वो गाँव में आया था?
भीमा- नहीं वो गांव में नहीं आ सकता, उसकी शक्तियों की भी सीमा है पर उसके भेजे हुए प्रेत यहाँ आकर नुकसान ज़रूर कर सकते है.
आरू- ऐसे तो वो सभी खेत खराब कर देगा!
भीमा- नहीं मैंने वहां बाकी के खेतों पर मन्त्र जाप से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ा दिया था, अब बाकी की फसलों को ज़्यादा नुकसान नहीं पहुंचेगा।
भीमा की ये बात सुनकर आरु अब मन ही मन में प्रेताल की शक्ति से प्रभावित हो रहा था, पर उसे ये समझ नहीं आ रहा था के प्रेताल के अगले वार की जानकारी कैसे मिलेगी। दूसरी तरफ अब गाँव में कुछ लोगों ने आरु के ख़िलाफ़ भी बातें करनी शुरू कर दी थी. उन्हें ऐसा लग रहा था मानो आरु की शक्तियां अब कम होनी शुरू हो गयी हैं. अभी किसान के खेत वाली घटना को एक दिन भी नहीं हुआ था, की नदी के जिस हिस्से में लोग स्नान करने जाते थे वहां हज़ारों की संख्या में मरी हुई मछलियां मिली। इस घटना की खबर मिलते ही भीमा और अरु के साथ सरपंच भी नदी के किनारे पहुंचा, ये भयंकर दृश्य देख कर सरपंच ने घबराते हुए भीमा से कहा
सरपंच- बाबा ये कैसी घटनायें शुरू हो गयी हैं गांव में, पहले खेत और अब ये नदी का किनारा दूषित हो जाना, इसका क्या समाधान है?
भीमा- ये सब कुदरती रूप से हुआ है, हो सकता है किसी बड़े तूफान की चपेट में इन मछलियों का झुण्ड फंस गया हो और ये सब मृत अवस्था में नदी के भाव के साथ यहाँ आ गयीं हो।
सरपंच- पर बाबा अब लोग नदी का पानी कैसे इस्तेमाल करेंगे?
भीमा- आज से गांव वाले नदी के दक्षिण के घाट पर जाकर स्नान करेंगे, ‘भंवर’ तुम कुछ लोगों की सहायता करो और इस घाट से मछलियों को निकलवा दो। गांव के बहार वाली खली पड़ी ज़मीन पर एक बड़ा गड्ढा बनवाकर, इन मछलिओं को उसमें दबा दो। अगर ये ज्यादा दिन यहाँ पड़ी रही, तो गांव में बीमारी और महामारी फैल सकती है।
भीमा के कहने पर सरपंच गाँव के कुछ लोगों की मदद से नदी का तट साफ़ करवाना शुरू कर देता है, इन घटनाओं ने गांव वालों के मन में डर पैदा करना शुरु कर दिया था।वे सब सोच रहे थे आरु के कदम रखने पर जो नदी साफ़ हो गयी थी, आज आरु की उपस्थिति में भी वो नदी दोबारा दूषित हो गयी थी। इस घटना से उदास हो चुका आरु शाम को कुटिया से निकल कर अकेला घूमने चला जाता है, ख्यालों में खोया हुआ आरु उस खेत के पास पहुंच जाता है, जहां की फसल काले कीड़े खा रहे थे। भीमा ने आरु को अकेले कहीं भी जाने से मना किया था। पर आरु ये बात भूल गया था और इस गलती का नतीजा भी अब उसके सामने था, सूरज ढलने को था हल्का हल्का अँधेरा छा रहा था. आरु ने खेतों की तरफ गौर से देख रहा था के अचानक उसके कान के पास एक आवाज़ गूंजती है।
“लगता है भीमा से काफी कुछ सीख गए हो, पर याद रखना पहले भी भीमा तुम्हें नहीं बचा पाया था और इस बार भी नहीं बचा पायेगा हा हा हा हा”
आरु को ये आवाज़ जानी पहचानी लगी थी, आरु ने उस आवाज़ से सवाल किया
आरू- कौन हो तुम सामने आओ?
पर आरु को दोबारा कोई आवाज़ सुनाई नहीं दी, सोचने वाली बात ये थी के आरु ने जो सुना था वो एक ऐसा रहस्य था , जिसके बारे में भीमा ने भी अभी तक कुछ नहीं बताया था, आरु भागता हुआ कुटिया में पहुंच कर भीमा से कहता है-
आरू- भीमा ने तो बताया था के मैं पिछले जन्म में गांव भाग गया था पर ये साया कह रहा है के मुझे भीमा बचा नहीं पाया था, आखिर क्या है मेरा सच ?
आरु को साये की बात ने फिर से बेचैन कर दिया था , वो सीधा कुटिया में गया और भीमा से उसने सवाल किया।
आरू- बाबा आप सच क्यों नहीं बता रहे, मेरे साथ पिछले जन्म में क्या हुआ था ?
भीमा ने प्यार से आरु को अपने पास बैठा कर समझाते हुए कहा।
भीमा- बेटा मैंने हमेशा तुम्हें समझाया है, की हर चीज़ का एक वक्त होता है, पर अभी वो वक़्त नहीं आया की तुम्हें सब बातें बता सकूं। फ़िलहाल तुम बस अपनी शिक्षा पर ध्यान दो, ये शैतानी ताकतें तुम्हारा ध्यान भटकना चाहती हैं. चलो अब हाथ धो लो सरपंच के घर से खाना आ गया है आओ खाते हैं.
अभी भीमा और आरु ने अपना खाना ख़त्म किया ही था, की बहार से चिल्लाने की आवाज़ आयी. गांव के एक घर में अचानक आग लग गयी थी, उस घर के सभी लोग सुरक्षित बहार आ गए थे।
भीमा और बाबा जब वहां पहुंचे , तो गांव में से एक आदमी ने भीमा से सवाल किया
गांव का एक आदमी- बाबा गाँव में ये कैसी घटनायें शुरू हो गयी हैं, पहले वो खेत की फसल खराब होना, फिर नदी का पानी और अब इस घर में अचानक आग लगना, क्या ये कोई अशुभ संकेत हैं?
ये बात सुनते ही भीमा ने सबको हौसला देते हुए कहा -
भीमा- गांव वालो घबराना नहीं है, हम पहले भी ऐसी मुसीबतों से बहार निकले हैं, और आगे भी हम खुशहाल ज़िन्दगी ही जियेंगे।
गांव का एक आदमी- पर बाबा जब आरु यहां आया था तो सब ठीक होना शुरू हो गया था, पर अब फिर से गांव में मुसीबतें आ रही हैं, क्या अब आरु की शक्तियां कमज़ोर हो रहीं हैं.
उस आदमी की बात से भीमा को बहुत दुख हुआ, पर भीमा ने अपने जज़्बात ज़ाहिर नहीं किये, और उन्होंने फिर से उस आदमी को समझते हुए कहा
भीमा- इसमें इस छोटे बच्चे का क्या कसूर, कुछ घटाएँ हमारे अपने कर्मों के साथ भी सम्बन्ध रखती हैं, आप सब घबराइए मत सब जल्द ठीक हो जायेगा, आप सब पानी डालकर जल्द ये आग बुझाओ।
भीमा ने पहली बार आरु के खिलाफ कोई बात सुनी थी, गांव में बढ़ रही इन घटनाओं ने गाँव को दो हिस्सों में बांट दिया है. कुछ लोग आरु के समर्थन में थे ,तो कुछ लोग ये सोचने लगे थे की शायद आरु के आने से जो कुछ ठीक हुआ था अब आरु की वजह से वो सब पहले से भी ज्यादा बर्बाद हो रहा हो. काली शक्तियों ने गांव वालों पर अपना प्रभाव डालना शुरू कर दिया था.
क्या ये शैतानी शक्तियां आरु के लिए कोई नयी मुसीबत लाएंगी? क्या आरु गांव वालों का विश्वास दोबारा जीत पायेगा?
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