शिमला की ठंडी हवा अब हल्की-हल्की धुंध में बदलने लगी थी। अन्नू और सोनू एक जीप में बैठे, साधुपुल की ओर बढ़ रहे थे। दोनों के मन में नूर के बच्चे का रहस्य गहराता जा रहा था। 

  

अन्नू 

सोनू क्या लगता है कि काका आहलूवलिया हमें सच बताएंगे? अगर नूर की आत्मा सही है और उसका बच्चा ज़िंदा है, तो ये बात कितनी बुरी हो सकती है। 

वैसे काका का ट्रैक रिकार्ड ठीक नहीं लग रहा अब। 

  

सोनू 

पता नहीं, अन्नू। पर काका से सच जानना ज़रूरी है। वह नूर से प्यार करते थे, . दुनिया के डर से उन्होंने जो किया, वह सिर्फ़ गुनाह नहीं, पाप था। 

  

अन्नू 

पाप नहीं, पापों का बाप है यह, शराब, शबाब और काका बर्बाद। 

 

  

सोनू 

पापों का ओलिंपिक्स होता तो काका को गोल्ड मेडल मिलता 

 

जीप का ड्राइवर भी उनकी बातें सुन रहा था, उसे ये दोनों किसी पागल खाने से आए लोग लगे। . उसने चुप रहना ही बेहतर समझा। रास्ता अब सुनसान हो गया था। 

  सोनू 

मुझे लगता है, नूर सिर्फ़ अपने बच्चे के लिए तरस रही है। मैं नहीं मानता कि वह बदला लेना चाहती है। अन्नू, एक आत्मा जब इतने सालों तक दर्द सहती है, तो उसका गुस्सा सनी देओल से भी ज़्यादा घातक हो जाता है 

  

अन्नू 

तुझे कैसे पता? 

  

सोनू 

काका से साथ रह कर थोड़ा बहुत सीख रहा हूँ, तू भी ध्यान दिया कर उनकी बातों पर, आगे जा कर अंग्रेज़ी फ़िल्मों की तरह गोस्ट हंटर्स बन गए तो यह सब काम आएगा 

  

अन्नू 

जिस तरह से दिन चल रहें हैं हमारे, इन भूतों और चुड़ैलों से निपटते-निपटते हम न निपट जाएँ 

  

सोनू 

अब मुह से भी हगना शुरू कर दिया है तूने, चुप रह थोड़ी देर 

 

साधुपुल गाँव के करीब आते-आते, ड्राइवर ने जीप की रफ़्तार धीमी कर दी। सामने एक पुराना पुल दिखाई देने लगा। सोनू और अन्नू ने देखा कि पहाड़ों की इस खामोशी में कुछ ऐसा था जो उन्हें बेचैन कर रहा था। अभी भी गाँव कुछ दूरी पर था 

  

 वहीं दूसरी तरफ़ गाँव में पिंकी वापस आ गई थी। पिंकी, सोनू की गर्लफ्रेंड, जो दिल्ली में एयरहोस्टेस की पढ़ाई कर रही थी, अब छुट्टियों में घर वापस आ चुकी थी। . आज का माहौल कुछ अलग था। 

  

तभी पिंकी एक टैक्सी से उतरती है, जो उसे गाँव के बाहरी इलाके में छोड़ देती है। शाम का सूरज ढलने वाला था और हल्की धुंध चारों ओर फैली हुई थी। पिंकी ने अपने आने के बारे में किसी को नहीं बताया था वह चाहती थी की वह सोनू को और घर पर सबको सर्पराइज़ दे। पिंकी अपने बैग के साथ धीरे-धीरे गाँव की ओर बढ़ रही-रही थी, उसने गाँव की ताज़ी हवा में सांस लेते हुए कहा। 

  

पिंकी 

घर वापस आना कितना अच्छा लगता है! सोनू और सभी को देखे बिना ये 1 महीना कैसे गुजरा...ये बस मुझे ही पता है॥ 

  

पिंकी की ये ख़ुशी जल्द ही एक ख़ौफ़नाक मंज़र में बदलने वाली थी। जैसे ही पिंकी गाँव के किनारे पहुँची, एक अजीब-सा डर उसे घेरेने लगा। गाँव की सड़क पर अचानक एक पेड़ के पास पिंकी के क़दम धीमे हो गए और उसकी नजरें पेड़ पर पड़ी। 

पेड़ के पास पहुँचते ही पिंकी को एक अजीब एहसास हुआ। एकदम से पेड़ के आसपास का माहौल बदल गया। पिंकी की नजरें उस तरफ़ गई और उसकी धड़कनें एकदम से तेज हो हुई। 

  

पिंकी: 

ये... ये क्या है? 

  

पिंकी की पीठ पर एक ठंडी लहर दौड़ गई। अचानक, पेड़ के पीछे से एक काले साया की तरह नूर का भूत बाहर आया और पिंकी के पास आकर खड़ा हो गया। 

नूर का भूत अब पिंकी के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था। उसकी आंखों में अजीब चमक और चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी और हवा में वही गजरे की महक आ रही थी। 

  

नूर: 

तुम सोनू की दोस्त हो न? क्या नाम है तुम्हारा? 

  

पिंकी ने डरते हुए हल्के से कहा। 

  

पिंकी 

हाँ। मैं पिंकी हूँ।  तुम कौन हो? 

  

नूर 

मैं नूर हूँ, प्रियंका का शरीर छोड़ दिया, अब तुम्हारे शरीर को मैं अपना हिस्सा बना दूंगी! 

  

पिंकी 

मुझे जाने दो 

 

पिंकी की आवाज़ कांप रही थी, . उसकी हिम्मत अब भी उसे बचाने की कोशिश कर रही थी। वही नूर का भूत उसकी आत्मा को अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहा था। एकदम से पिंकी की आंखों में अजीब-सी चमक आ गई। 

  

पिंकी

अब तुम्हें मेरे साथ आना होगा। तालाब के पास चलो और देखो, जो तुम कभी नहीं भूलोगी। 

  

पिंकी, जो अब पूरी तरह से नूर के कंट्रोल में थी, तालाब की ओर बढ़ने लगी थी। उसकी चाल में आत्मविश्वास और उसके चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी। उसकी आँखें अब एक डरावनी चमक से भरी हुई थीं और उसके कपड़े अब बिल्कुल वैसे हो गए थे जैसे नूर 1930 में अपने कोठे पर पहनती थी। पिंकी पूरी तरह से नूर की जैसी दिख रही थी। सड़क पर चलती हुई पिंकी के हर क़दम में एक ख़ास तरह की अदाएँ थी। गाँव की रात की खामोशी अब डरावनी हो चुकी थी। 

  

जैसे ही पिंकी तालाब के पास पहुँची, उसने देखा कि वहाँ रात की गहरी धुंध फैल रही थी, 

तालाब के किनारे पर पहुँचते ही, पिंकी ने अपने आप को एक नई पहचान में पाया। उसने देखा कि एक लड़का तालाब के किनारे टहल रहा है, उसने पिंकी की ओर ध्यान दिया। पिंकी से गजरे की ख़ुशबू आ रही थी। 

  

लड़का 

तुम कौन हो? यहाँ इस समय? 

  

पिंकी ने अपने हाथों से लड़के की ओर इशारा किया और उसको करीब आने को कहा। लड़के की आँखें अब उस पर जमी हुई थीं, जैसे वह एक खूबसूरत सपने को देख रहा हो। 

  

पिंकी 

आओ, मेरे साथ आओ। तुम्हारी आत्मा अब मेरी होगी। 

  

लड़का, जैसे किसी जादू से कंट्रोल हो चुका था, उसके क़दम अब खुद-ब-खुद तालाब की ओर बढ़ रहे थे। जैसे ही लड़का तालाब के किनारे पर पहुँचा, पिंकी ने उसकी तरफ़ हाथ फैलाया। लड़के ने महसूस किया कि उसके चारों ओर एक ठंडी और सर्द हवा बह रही थी और उसका शरीर एक ठंडेपन से भर गया था। लड़का एकदम से ज़ोर से चिल्लाया, . उसकी आवाज़ किसी के कानों तक नहीं पहुँची। एक अजीब-सी काली चादर उसके ऊपर ढक गई और लड़के का शरीर हवा में झूलने लगा। पिंकी ने धीरे-धीरे लड़के को तालाब के पानी में धकेल दिया। तालाब का पानी लड़के की चीखों को निगल गया और उसकी आत्मा अब नूर के कब्जे में चली गई। अब पिंकी ने अपनी नजरें चारों ओर फैलाई। उसकी हंसमुख मुस्कान अब एक भयानक हंसी में बदल गई थी। उसे अब अपने अगले शिकार की तलाश थी। रात की धुंध में एक और औरत तालाब के पास बैठी थी। पिंकी ने एक और भयानक हंसी हंसते हुए महिला की ओर इशारा किया। 

  

पिंकी 

तुम्हारे लिए एक ख़ास जगह है मेरे पास। अब तुम भी आजाद हो जाओ। 

 

महिला ने पिंकी की डरावनी नजरों को देखा और ज़ोर से चीखी, . जैसे ही उसने तालाब के पास क़दम रखा, पिंकी ने उसकी ओर बढ़ते हुए उसे भी पानी में धकेल दिया। तालाब का पानी महिला की चीखों को निगल गया और उसकी आत्मा भी नूर के कब्जे में आ गई। तालाब अब एक डरावना और काले पानी से भर चुका था। हर जगह लाशों का काला धब्बा फैल रहा था और पिंकी का हंसते हुए चेहरा अंधेरे में चमक रहा था। नूर के प्रभाव में पिंकी अब एक ख़ौफ़नाक शक्ति के रूप में बदल चुकी थी। 

  

जैसे ही रात की गहराइयाँ और अंधेरी हो गईं, पिंकी का भयानक खेल जारी रहा। तालाब के पास, अंधेरे में एक और शिकार की तलाश में, पिंकी ने डर और मौत के एक नए खेल की शुरुआत कर दी थी। इस रात का रहस्य और डर अब पूरे गाँव में फैल चुका था और कोई नहीं जानता था कि इस अंधेरी रात के अंत में क्या होगा। पिंकी तलाब के कोने में खड़ी थी और तालाब में अपने आप को देख रही थी। अपना चेहरा देखते हुए उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी, पिंकी ने हल्के से कहा। 

  

पिंकी 

काका आहलूवलिया  मेरा बच्चा कहाँ है? मैं आ रही हूँ॥। तू तैयार रह॥ 

 

पिंकी ने क़दम गाँव की तरफ़ बढ़ाए। हर गली हर नुक्कड़ को बारीकी से देखती चली जा रही थी। चलते-चलते कभी अपने बाल सवारने लगती, तो कभी एक दम से रुक कर हसने लगती। पिंकी का शरीर इस्तेमाल कर रही नूर का सिर्फ़ एक ही टारगेट था, काका आहलूवलिया और उसे पाने के लिए नूर कुछ भी कर सकती थी, कुछ भी। सोनू और अन्नू भी कुछ ही देर में गाँव पहुँचने वाले थे और उनके सामने मुसीबतों का पहाड़ नहीं माउंट एवरेस्ट खड़ा था। क्या होगा पिंकी का? नूर अब आगे क्या आतंक फैलाने वाली है? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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