गांव की सड़कों पर पसरी भयानक-सी खामोशी, हल्की धुंध और गजरे की महक से सोनू और अन्नू का मन बेचैन था। दोनों को गाँव वालों से सुनने को मिला था कि पिंकी वापस आ चुकी है, . उसका बर्ताव बहुत अलग था। यह सुनकर सोनू के दिल में डर का साया गहराने लगा। 

  

अन्नू 

सोनू, मतलब नूर का अगला शिकार पिंकी? 

  

सोनू 

मुझे नहीं पता, . हमें पिंकी से मिलना होगा 

  

दोनों जल्दी-जल्दी पिंकी के घर पहुँचे। घर का माहौल सर्द और डरावना था। बाहर से सब ठीक लग रहा था। अंदर एक खौफ़नाक सन्नाटा था। सोनू ने दरवाज़े पर दस्तक दी। 

  

सोनू 

पिंकी! मैं हूँ सोनू। दरवाज़ा खोलो। 

  

कोई जवाब नहीं आया। अंदर से धीमी-धीमी सरसराहट की आवाजें आ रही थीं। गजरे की महक अब और तेज हो चुकी थी। सोनू ने फिर दस्तक दी। 

  

सोनू: 

पिंकी, प्लीज दरवाज़ा खोलो! 

 

कुछ पल बाद दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला। सामने पिंकी खड़ी थी। वह वैसी नहीं लग रही थी। उसके कपड़े पुराने ज़माने के कोठे वाले थे-रेशमी साड़ी, भारी गहने और बालों में गजरा। उसकी आंखों में अलग-सी चमक थी और उसके होंठों पर एक डरावनी मुस्कान। 

  

पिंकी 

आ गए तुम दोनों? मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी। 

  

अन्नू 

पिंकी! ये तुमने क्या पहन रखा है? और ये आवाज़... 

  

पिंकी 

पिंकी? नहीं, मैं पिंकी नहीं हूँ। मैं नूर हूँ। 

  

सोनू 

तुम तो प्रियंका के साथ? 

  

पिंकी 

प्रियंका? उसकी बॉडी को तो मैंने कब का छोड़ दिया क्योंकि उससे किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता . पिंकी... वह तो सोनू की होने वाली बीवी है ना। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि सोनू मेरी मदद करता है या नहीं। क्यूँ सोनू, मेरी मदद करोगे न? 

  

सोनू 

नूर, प्लीज पिंकी को छोड़ दो। उसे कुछ मत करो। 

  

पिंकी  

छोड़ दूं? और मेरा बदला कौन लेगा? मैंने इस गाँव के लोगों को मारना शुरू कर दिया है। तालाब के पास कई आत्माएँ अब मेरी क़ैद में हैं। अगर काका आहलूवालिया मुझे नहीं मिले, तो अगला नंबर तुम्हारे पापा, टोनी का होगा। उसके बाद अन्नू के मम्मी-पापा का। 

 

ये सुनते ही अन्नू और सोनू का खून ठंडा पड़ गया। दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा। उनकी आंखों में डर साफ़ झलक रहा था। 

  

अन्नू 

तुम ये सब क्यों कर रही हो? इतने लोगों को मारने से तुम्हें क्या मिलेगा? 

  

पिंकी 

इंसाफ़! मुझे मेरा इंसाफ़ मिलेगा! उस काका आहलूवालिया ने मेरे बेटे को मुझसे छीन लिया। उसे मुझसे दूर कर दिया। मैं मर गई। मेरी आत्मा कभी चैन से नहीं सो पाई। अब मैं यहाँ हूँ, अपने बेटे से मिलना है मुझे। 

  

सोनू 

नूर, हम तुम्हारी मदद करेंगे। हमें पता है कि तुम्हारा बेटा कहाँ हो सकता है। हमें थोड़ा वक़्त दो। 

  

  

पिंकी  

ठीक है। तुम्हारे पास 48 घंटे हैं। अगर तुमने मुझे मेरे बेटे से मिलवा दिया, तो मैं सबको छोड़ दूंगी . अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो इस गाँव में कोई भी ज़िंदा नहीं बचेगा। मैं ख़ुद पिंकी की बॉडी में रहकर इसे अंजाम दूंगी। 

  

सोनू और अन्नू ये सुनकर शॉक में आ गए। 48 घंटे का समय बहुत कम था, . उन्हें कोई रास्ता निकालना था। 

  

सोनू 

पिंकी को नुक़सान मत पहुँचाना। हम वादा करते हैं कि तुम्हारे बेटे को ढूँढकर लाएंगे। 

  

पिंकी 

याद रखना, अगर तुमने मुझे धोखा दिया, तो अगले 48 घंटे इस गाँव के लिए सबसे खतरनाक साबित होंगे। 

  

 

इतना कहकर पिंकी ने दरवाज़ा बंद कर लिया। सोनू और अन्नू बाहर खड़े रह गए, उनके मन में अनगिनत सवाल थे। वह दोनों काफ़ी डरे हुए थे। अगले दिन शिमला में दोनों फिर से इरफ़ान से मिले और नूर के बारे में और पता लगाने की कोशिश करी। इरफ़ान को फिर पूरी कहानी याद आई 

  

 

साल 1929 में शिमला के एक सरकारी हॉस्पिटल में नूर ने एक बच्चे को जन्म दिया था। उस समय हॉस्पिटल के कमरे में हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी और बेड पर बैठी नूर के चेहरे पर दर्द और थकावट थी। उसकी आँखें आंसुओं से भरी हुई थी। एक नर्स उसके पास खड़ी थी और एक सीनियर डॉक्टर कमरे में मौजूद थे 

नूर ने दर्दभरी आवाज़ में पूछा। 

  

नूर 

मेरा बच्चा... कैसा है? 

  

डॉक्टर  

अभी हमें आपके बच्चे का चेकअप करने है। आप थोड़ी देर वेट कीजिए। 

  

डॉक्टर और नर्स नूर के कमरे से बाहर निकल गए। नूर परेशान होकर बगल में रखे खाली झूले की तरफ़ देख रही थी और उसकी नींद से भारी पलकें धीरे-धीरे बंद हो गईं। वह फिर से नींद कि आगोश में चली गई। वहीं दूसरी तरफ़ हॉस्पिटल की लॉबी में काका आहलूवालिया नशे में धुत्त लेटा था। वह बार-बार एक ही बात दोहरा रहा था 

  

काका आहलूवलिया 

नहीं चाहिए बच्चा, फेंक दूंगा इसको भी 

  

  

वही उसके बगल में नूर के कोठे के मालिक एहसान खान खड़े थे, जिन्होंने नूर को अपनी बच्ची की तरह पाला था। उनकी आंखों में चिंता थी। तभी उनके पास नर्स हाथ में बच्चा लेकर आई और बोली। 

  

नर्स 

बच्चे के पापा कौन है? 

  

एहसान 

जी बताइए। 

  

नर्स 

मुबारक हो। लड़का हुआ है। संभालिये इसे। 

  

एहसान 

नूर कैसी है? 

  

नर्स 

थोड़ी तबीयत ढीली है अभी उनकी। 

 

तभी एहसान को बगल से एक आदमी के रोने की आवाज़ आई, एहसान ने नर्स से पूछा। 

  

एहसान 

इन भाईसाब को क्या हुआ? ये रो क्यों रहे है? 

  

नर्स 

इनको भी लड़का हुआ था पर कुछ ही देर में चल बसा 

  

तभी एहसान हाथ में पकड़े बच्चे को देखने लगा और फिर काका आहलूवालिया की तरफ़ देखा। 

  

काका आहलूवलिया 

ओए एहसान, दे-दे बच्चा किसी को भी, मुझे नहीं चाहिए, समझा तू...  

 

इसके बाद एहसान उस बच्चे को लेकर उस आदमी के पास गया, जिसका नाम किशन कुमार था। वह काफ़ी निराश था। रो-रोकर बेहाल हो रखा था, बेचारा। उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखा। 

  

एहसान 

भाईसाब, क्या आपके साथ एक ज़रूरी बात हो सकती है? 

 

किशन कुमार फूट फूटकर रो रहा था। 

  

एहसान 

जी, मुझे एक ज़रूरी बात कहनी थी। आप तो जानते ही हैं कि मैं शिमला का सबसे फेमस कोठा चलाता हूँ। मेरी बेटी को एक बच्चा हुआ है। आप तो जानते ही हैं कोठे पर कैसी ज़िंदगी होती है। ऊपर से इस बच्चे का बाप भी एक नंबर का शराबी है। ऐसे में बच्चा संभालना मुश्किल होगा। 

  

किशन कुमार 

आप कहना क्या चाहते है साहब? 

  

एहसान 

मुझे आपके सामने एक बात रखनी है। इन दोनों का जो बच्चा है, उसे मैं कोठे पर नहीं पाल सकता और मुझे नर्स ने बताया कि आपको भी बच्चा हुआ था, . वह 

बच नहीं पाया। ऊपर वाले की माया देखो। मैं चाहता हूँ की आप इस बच्चे को अपना ले और इसे अपना नाम दे। 

 

ये बोलकर एहसान ने उस बच्चे को किशन कुमार को देने लगा। किशन कुमार ने बच्चे को ध्यान से देखा, उसकी आँखें चमक उठीं। आबकी बार उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू आ गए। 

  

एहसान 

अगर आप चाहें, तो इस बच्चे को अपनाकर इसे भी अच्छा घर दे सकते हैं... आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। 

  

किशन कुमार 

साहब, क्या ये सही रहेगा? ये बच्चा... इसकी मां? 

  

एहसान  

मैं जानता हूँ, भाईसाब। ये आपके लिए एक मुश्किल घड़ी है . अगर आप इसे अपना बच्चा मानकर पालेंगे तो इस बच्चे की ज़िन्दगी बन जाएगी। 

  

किशन कुमार ने बच्चे को धीरे-धीरे अपनी गोदी में लिया और उसे प्यार से देखा। 

  

किशन कुमार 

साहब, मैं वादा करता हूँ कि मैं इस बच्चे की अच्छी देखभाल करूंगा। 

  

एहसान 

शुक्रिया। आपने मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है। अब आप इसको ले जाइए, वैसे आपका नाम क्या है? 

  

किशन कुमार 

मैं किशन कुमार हूँ। 

  

 

इसके बाद किशन कुमार ने वह मरा हुआ बच्चा एहसान को दे दिया और नूर का बच्चा लेकर चले गए। एहसान ने जाकर काका को बताया की उनका बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ है जिसे सुनकर काका आहलूवालिया भी रोने लगा। 

इसके बाद दोनों नूर को बिन बताए उस बच्चे को पास के कब्रिस्तान में दफना आए. जहाँ पर नूर अभी भी दर्द में लेटी हुई थी। नूर ने उन्हें देखा और उसकी आंखों में उम्मीद थी। 

  

नूर 

कैसा है मेरा बच्चा? कहाँ है मेरा बच्चा? 

  

काका आहलूवालिया 

नूर, वो...... वह हमारा बच्चा नहीं रहा॥ 

  

  

नूर 

क्या? नहीं... ये झूठ है, ये कैसे हो सकता है? मैने ख़ुद उसके पैदा होने पर उसकी रोने की आवाज़ सुनी थी। 

  

एहसान 

उसकी तबीयत खराब हो गई थी... डॉक्टर ने बहुत कोशिश की... संभाल नूर अपने आप को। देख नूर, मुझे भी बहुत दुख है, . अब तुम्हें आगे बढ़ना होगा। ये सब तो भाग्य का खेल है। सब खुदा के हाथ में होता है। 

  

  

नूर 

मैं किसी खुदा को नहीं मानती। मैं वैश्या हूँ, इसलिए मेरे पापो की सजा खुदा ने मेरे बच्चे को दे दी। खुदा ने ऐसा क्यों किया? मेरा बच्चा॥॥ 

  

काका आहलूवालिया

नूर संभाल ख़ुद को, नूर मैं हूँ तुम्हारे पास। रो मत। 

  

 

ये बोलकर काका ने नूर को गले से लगा लिया। नूर काका से चिपककर रो रही थी। काका की आंखो में भी आंसू थे। जहाँ एक तरफ़ नूर की ज़िन्दगी में ग़म का सैलाब आ गया था, वही दूसरी तरफ़ शिमला के एक गाँव में किशन कुमार के घर ख़ुशी का माहौल था। किशन कुमार ने बच्चे को अपने घर के एक छोटे से कोने में सुलाया। वह और उसकी पत्नी, बच्चे को देख-देखकर खुश हो रहे थे। 

 

इरफान की कहानी सुनने के बाद सोनू और अन्नू शिमला के सरकारी अस्पताल की तरफ़ निकल गए। वक़्त तेज़ी से बीत रहा था। 

  

क्या सोनू और अन्नू मिलकर इस बच्चे के बारे में पता लगा पाएंगे? क्या वह पिंकी को नूर से आजाद करा पाएंगे? आगे क्या होगा ये जानने के लिए पढ़िए  अगला एपिसोड। 

 

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