शोभित ने दांत पीसते हुए उस बंदूकधारी से कहा, ‘’तुम्हें पता भी है कि मैं कौन हूं, एक ऑन ड्यूटी पुलिस वाले पर दिनदहाड़े बंदूक तानकर उसे धमकी देने की सजा जानते हो?‘’
उनके लीडर ने शोभित से कहा, ‘’पहले तुम अपनी जान बचाओ, आन ड्यूटी और आफ ड्यूटी किसी और को समझाना, अपुन लोग पैसा लेता है काम करता है फिर अपने रास्ते चलते बनता है।‘’
‘’बांध दो इन लोगों को।‘’ लीडर ने मीरा के माथे पर बंदूक की नली लगाते हुए कहा और फिर शोभित को चेतावनी दी मैं फिर से कह रहा हूं अगर कोई स्मार्टनेस दिखाई तो बंदूक की पहली गोली इस लड़की के सिर के आरपार होगी।‘’
वैन में बैठाकर उन दोनों के हाथ पीछे कर के कसकर बांध दिए गए, मुंह पर टेप लगाकर, आंखों में पट्टी बांध दी गई…उनमें से एक ने कहा, ‘’इनकी आंखे क्यों बंद कर रहे हो, हाथ तो हमने वैसे ही बांध दिए है।‘’
उन चारों में से उनका लीडर बोला, ‘’अरे यह पुलिसवाला बड़ा ही शाणा है, रास्ता बड़े ही ध्यान से देखेगा और पता कर लेगा कि हम इसे कहां लेकर जा रहे हैं।‘’
शोभित वैसे हट्टा कट्टा और ताकतवर पुलिस आफिसर था, चाहता तो उन चारों को धूल चटा सकता था लेकिन मीरा साथ थी कुछ भी विरोध करने का मतलब मीरा की जान को खतरा।
मीरा दहशत से कांप रही थी इतनी खतरनाक सेचुएशन का सामना उसने अपनी लाइफ में पहली बार किया था........वह सोच रही थी कि इसमें किसका हाथ हो सकता है, क्या मेरे मामा का... नहीं नहीं वे ऐसा क्यों करेंगे भला...मामा भले ही गुंडागर्दी करते हैं, धमकी भी देते हैं पर पुलिस वाले से पंगा कभी नहीं ले सकते हैं, या शायद कहीं अनन्या का दीदी…कहीं ऐसा तो नहीं कि गेस्ट हाउस में मामा की झूठी शादी के बात पर उन्होंने मेरे मामा से बात की हो और मामा ने ऐसा कुछ होने से मना कर दिया हो.....तो...नहीं नहीं वे इतना बड़ा कदम तो नहीं उठा सकती हैं।
इधर दस दिनों से उसकी लाइफ वैसे ही डिस्टर्ब चल रही थी…आज तो मानों जलजला सा आ गया था। कहीं ये करन के हत्यारे तो नहीं हैं, इनकी बातों से यही लग रहा था, अभी इन्होनें कहा कि एक लाश गिरी है, दो और गिर सकती है, वे जरूर करन की ही बातें कर रहे थे। नहीं..नहीं मुझे ऐसी मौत नहीं मरना, मुझे राघव को ढूंढना है....सच पता करना है...उससे शादी करनी है...उसके साथ पूरी लाइफ बितानी है।’’ अचानक से मीरा काफी इमोशनल हो जाती है।
वह कसमसाने लगती है.....मुंह से ऊं ऊं की आवाज आने लगती है।’’
‘’ऐ लड़की....ज्यादा शाणपट्टी मत कर, वरना गोली भेजे के आरपार होते देर नहीं लगेगी…जैसा हम कह रहे हैं वैसा कर, हम तूझे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।’’
शोभित इतने लाचार थे कि मीरा से कह भी नहीं सकते थे कि वह किसी भी प्रकार का विरोध न करें, ऐसी घटना से मीरा का पाला कभी पड़ा भी तो नहीं था।
शोभित ने ध्यान दिया कि ये लोग यहां के तो नहीं थे, इनका बोलने का लहजा मुंम्बईयां था, जरूर ये सब मुंबई के गुंडे हैं, पर मुंबई के लोग यहां नोएडा में.....मुंबई में तो पांच साल रहा हूं, क्या ये मेरे लिए आए हैं....या मीरा के लिए जो राघव को खोजने के लिए डटी है।’’
आधे घंटे के बाद वैन रूकी, उनकी आंखों से पट्टी हटा दी गई पर हाथ बंधे ही थे मुंह की पट्टी लगी रहने दी।
हालांकि यह सुनसान जगह थी, जहां तक नजर जा रही थी, आधी बनी हुई बिल्डिंगे खड़ी थी, पर इंसान जाति का कोई नामों निशान नहीं था, बस यही छ: लोग यहां दिखाई दे रहे थे। एक लाइन से ढेर सारी कारें खड़ी थी.......
ले चलो इन लोगों को अंदर...’’लीडर ने सबसे कहा
दो बंदूकधारी मीरा और शोभित को धकियाते हुए अंदर की ओर ले जाने लगे। यह एक हल्की रोशनी वाला लम्बा गलियारा था जो हर दस कदम पर कभी दाएं और कभी बांए मुड़ जाता था।
बाहर जितना सन्नाटा था अंदर उतनी ही चहल-पहल, सभी लोगों ने एक जैसे कपड़े पहन रखे थे।
वहां अजीब तरह की बदबू फैली हुई थी, शोभित अपने दिमाग पर जोर डालने लगे की नोएडा का कौन सा इलाका हो सकता है जो मेरी जानकारी में न हो, नोएडा में भी तो कई जगह भू माफियाओं का राज है।’’
एक बड़े से हाल में उन लोगों को ले जाकर बैठा दिया गया...शोभित ने सामने देखा, महाराष्ट्रियन साड़ी पहने एक औरत खड़ी थी, उसके चेहरे पर दुष्टता भरी मुस्कान थी, ऊंगली में चेन जैसा कुछ बंधा था जिसे वह धीरे धीरे घुमा रही थी।’’
शोभित को यह महिला परिचित सी लगी...कहीं तो देखा है इसे......’ शायद उस औरत ने शोभित के मन में चल रही बातों को ताड़ लिया।
कैसा है रे शोभित.....मुंबई के बाद यहां नोएडा में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा है......मुझे धंधा क्यों नहीं करने देता है?’’
शोभित के पैरों तले जमीन खिसक गई...यह तो इरावती देवी है...मुंबई की मशहूर ड्रग माफिया....शोभित ने कई बार इसकी ड्रग की तस्करी को रोका था, करोंड़ो के ड्रग को आग के हवाले कर दिया था। इरावती ने पैसों से शोभित को खरीदना चाहा, पर शोभित नहीं झुका था, केवल ड्रग ही नहीं गौ तस्करी में भी इरावती टॉप पर थी.... शोभित ने एक बार नहीं कई बार गायों से भरा ट्रक पकड़ा था’’
‘’तुम…… तुम यहां कैसे, देखो मेरी तुमसे कोई निजी दुश्मनी नहीं है, जो कुछ किया गर्वमेंट के लिए और गर्वमेट के अंडर रहकर काम किया। मेरा अपना कोई फायदा नहीं था।‘’
पान को थूकते हुए इरावती बोली, ‘’फायदा तो बहुत हुआ ना रे…तेरा प्रमोशन हो गया तेरा सम्मान बढ़ गया, माफिया तस्करों के बीच तू दहशत का दूसरा नाम बन गया, पर तूने अभी इरावती की असली ताकत देखी कहां है।‘’
शोभित कसमसाकर बोला, ‘’जहां तक मुझे लगता है कि इधर कुछ समय से मैं ऐसा कोई काम नहीं कर रह हूं, देखों जो भी कुछ हुआ है मेरे और तुम्हारे बीच हुआ है, इस बेचारी लड़की को बीच में क्यों घसीट रही हो, इसे जाने दो, यह बहुत परेशान है।‘’
‘’अच्छा जाने दूं, जिससे तेरे साथियों को हमारे बारे में बता दे और हमारा बाकी का धंधा चौपट हो जाए।‘’ इरावती दांत पीसते हुए बोली।
‘’तो फिर तुम अब तक कहां थी, इतने समय बाद यह सब करने की क्या जरूरत थी, तुम्हें क्या लगता है कि तुम मुझे ऐसे बांध दोगी तो तुम्हारे सारे नुकसान की भरपाई हो जाएगी, मैं एक इमानदार पुलिस आफिसर हूं इरावती, मुझे जाने दो और तुम भी जाओ।‘’
‘’तू कितनी आसानी से ये सब बातें कर लेता है रे, भूल गया तू दो हफ्ते पहले तूने दो ट्रक मोबाइल फोन का डिब्बा पकड़ा था।‘’
शोभित के शरीर में सनसनाहट दौड़ गई, उन्हें याद आया कि दो हफ्ते पहले इन्फॉरमेशन मिली थी कि समुद्र के रास्ते से मुंबई में हजारों मोबाइल फोन अवैध तरीके से उतारे गए हैं और उन्हें अब देश के कोने कोने में बेचने के लिए भेजा जा रहा है।‘’
‘’ओह तो वह तुम्हारा था, कितनी चोरियां करती हों, तुम्हें पता है तुम्हारे इन तरीकों से कम्पनियों और दुकानदारों का कितना नुकसान होता है।‘’
‘’यह तो बिजनेस का तरीका है, मेरा यही तरीका है, अब हीरो मत बन, सीधे सीधे बता दे वे सारे फोन कहां हैं, मेरा करोड़ो का नुकसान हो जाएगा।‘’
‘’पहले मुझे यह बताओ की करन को तुमने क्यों मरवाया है।‘’
‘’कौन करन?‘’
जिसकी मौत आज सुबह हुई है, नोएडा के सेक्टर बारह के रोड के पास।‘’
‘’ए हमने किसी को नहीं मरवाया।‘’
तो फिर तुम्हारे आदमियों ने हमसे क्यों कहा कि अभी एक लाश गिरी है और दो लाशें और गिर जाएगी।‘’
‘’वह हवलदार सम्पत कुमार की बात कर रहे थे...मजबूरी में हमें मारना पड़ा।‘’
शोभित का सिर चकरा उठा, ‘’सम्पत कुमार को तुमने मार दिया, मुझे तो बताया गया है कि वो अपने पूरे परिवार के साथ गांव गया है।‘’
‘’उसका परिवार मेरे कब्जे में है और सम्पत की लाश किसी गटर में सड़ रही है।‘’
‘’तुम्हें मैं फांसी पर लटका दूंगा।‘’
‘’उसके लिए तेरा जिंदा रहना जरूरी है, सम्पत ने ही हमारा ट्रक रोका था और तुम्हें फोन किया था, उस दुष्ट को हम पांच लाख दे रहे थे, दो कौड़ी का हवलदार फालतू में इमानदारी झाड़ रहा था। पांच लाख ले लेता तो अपने परिवार के साथ देश की किसी अच्छी जगह छुट्टियां मना रहा होता, पर नहीं उसे तो कुत्ते की मौत मरना था। मुझे विश्वास है कि तू ऐसी मौत नहीं मरना चाहेगा, इरावती को कत्ल करना अच्छा नहीं लगता है, सीधे सीधे बता दो कि मेरा माल कहां रखा है, उसके आधे घंटे के अंदर अंदर तुम लोगों को वहीं पहुंचा दिया जाएगा जहां से हमारे आदमियों ने पकड़ा था।‘’
शोभित बेबसी भरे स्वर में बोले, ‘’इरावती पहली बात तो यह है कि मैं केवल एक पुलिस इंस्पेक्टर हूं, वह सारा सामान मेरे सीनियर के अंडर में कहीं रखा गया है और मुझे सच में नहीं पता।‘’
कोई मेरा समय बरबाद करे यह मुझे पसंद नहीं...’’ फिर इरावती अपने एक हथियारबंद आदमी से बोली, ‘’ए, इस लड़की का भेजा उड़ा दो, जब इसकी खोपड़ी इस इंस्पेक्टर के सामने बिखरेगी तो इसे समझ में आएगा और शायद यह अपना मुंह खोल दे।‘’
‘’नहीं इरावती, इसका इन सबसे कोई लेना देना नहीं है, मुझे छोड़ दो मैं अपने सीनियर आफिसर से पता कर के तुम्हें बता दूंगा।‘’ शोभित विक्षिप्त सा होकर चिल्लाया।
मीरा को जिस बात का डर था वह उसके सामने घटित हो रहा था, वो काले ड्रेस और मास्क पहने हाथ में बंदूक लिए इरावती का गुंडा इस समय साक्षात यमराज का दूत लग रहा था।
बंदूकधारी मीरा के सिर पर बंदूक की नाल रखने ही वाला था कि मानों जैसे धरती हिल उठी, एक के बाद एक लगातार कुछ ब्लास्ट होने की आवाजें आने लगी।
इरावती झट से अपनी कुर्सी से उठ खड़ी हुई और अपने गुंडो से चिल्लाकर बोली, ‘’यह क्या हो रहा है,
‘लगता है कहीं बम बलास्ट हुआ है मैडम।‘’
‘’लगता है नहीं, सच में बम बलास्ट हुआ है मूर्ख, यह जरूर हमारा दुश्मन और पुराना पाटर्नर मूंगा गैंग होगा, मुझे ढूंढते हुए यहां तक पहुंच गया।‘’ फिर इरावती ने शोभित और मीरा की ओर संकेत करते हुए अपने आदमियों से कहा, इन दोनों को कोठरी में बंद करो, अपनी अपनी बंदूकों के साथ तैयार रहो, आज तो मैं इस मूंगा के बच्चे को जिंदा जमीन में गाड़ दूंगी।‘’
उसी समय इरावती का एक आदमी दौड़ते हुए अंदर आया, वो इरावती से बोला, ‘’मैंम, यह लोग मूंगा के आदमी नहीं हैं।‘’
‘’तो कौन हैं, पुलिस वाले।‘’ इरावती ने शोभित को तीखी दृष्टि से देखकर पूछा।
‘’नहीं मैडम पुलिस वाले भी नहीं लग रहे हैं, वे यहीं कहीं आसपास के लग रहे हैं, और वे हमारी कारों को ग्रेनेड से उड़ा रहे हैं जिससे हम कहीं भाग न जाए।‘’
‘’चलो देखते हैं, अगर मूंगा नहीं है तो इरावती से पंगा लेने के लिए कौन मर्द पैदा हो गया, इरावती ने देखा, उसके आदमी मीरा और शोभित का हाथ पकड़े वहीं खड़े थे, वे अपने आदमियों पर चिल्लाई, ऐ इन्हें अंदर क्यों नहीं ले जाते, इनका हिसाब हम बाद में करेंगे।‘’
अचानक वह कमरा हल्के धुंए से भरने लगा, सब लोग खांसने लगे.....वे अंदर तक आ गए है, अपना अपना निशाना लगाने के लिए तैयार हो जाओ।’’ इरावती ने रूमाल से अपना चेहरा ढकते हुए अपने आदमियों से कहा,
गोलियों और बम धमाकों के बीच एक आदमी की तीखी आवाज गूंजी, जो मीरा के लिए जानी पहचानी थी, ‘छोड़ दो मेरी भांजी को।‘’
यह मीरा के अनुज मामा थे। अपने मामा को देखकर जितनी हैरानी मीरा और शोभित को हुई उससे ज्यादा आश्चर्य इरावती को हुआ।’’
दूसरा झटका मीरा को तब लगा जब इरावती ने अनुज को उसका नाम लेकर बुलाया...’’अनुज तू, तू अभी तक जिंदा है, मैंने तो सुना था कि तू बम बलास्ट में मारा गया।‘’
‘’क्या इरा दीदी…अफवाहों को सच मान लेती हो अरे वो तो तुम्हें निश्चित करने के लिए ड्रामा किया गया था, खैर वो सब बातें बाद में, तुमने मेरी भांजी का अपहरण कर के ठीक नहीं किया।‘’ अनुज ने इरावती को आंख मारते हुए कहा।
इरावती, मीरा की ओर देखकर बोली, ‘’ओह तो यह तेरी भांजी है, तब तो तेरी गरदन मेरे हाथ में है, यह दुनिया सच में बहुत छोटी है।’’
‘’जरा अपना कान लगाकर ध्यान से सुनना दीदी.....सायरन की आवाज सुनाई नहीं दे रही है क्या?’’
‘’तुम्हें लगता है कि तुम मुझे पुलिस के हाथों पकड़वा दोगे...मैं मरूंगी तो साथ में तुम्हें और तुम्हारी इस भांजी को भी ले डूबूँगी।‘’ कहकर वे रिवाल्वर ताने मीरा की ओर बढ़ी,
दोनों ओर गोलियों की तड़तड़ाहट से वो हाल गूंज उठा। इमारत के बाहर खड़ी पुलिस भी एक्शन में आ चुकी थी। अनुज पेशेवर, कुशल और निमर्म शूटर था, उसने पलक झपकते ही इरावती की कलाई में गोली मार दी जिससे वे बंदूक न चला सकें।
और अगले चार पांच सेकेंड में उनके बाकी शूटरों को भी घायल कर दिया। अनुज ने अपने आदमियों को पहले ही चेतावनी दी थी कि हमें किसी को जान से नहीं मारना है, केवल घायल कर के मीरा को बचाना है...बाकी का काम पुलिस कर लेगी।
बाहर से पुलिस हवाई फायरिंग करती हुई अंदर आई और सबको सरेंडर कर देने का आदेश दिया। इरावती बुरी तरह फंस चुकी थी, उसे अनुज के बारे में पता कर लेना चाहिए था।
अनुज ने मीरा और शोभित के हाथ खोले और बाहर जाने का इशारा किया।
‘मामा आपको कैसे पता कि हम यहां हैं?’’
‘’बाहर जाओ सब पता चल जाएगा।‘’
बाहर निकलते ही मीरा को एक सुखद आश्चर्य हुआ, सामने काव्या खड़ी थी…उसकी बेस्ट फ्रेंड काव्या...मीरा को देखते ही काव्या बोली, ‘थैक गॉड तुम ठीक हो।‘’
‘’तुम तुम यहां कैसे?‘’ मीरा को विश्वास नहीं हो रहा था।
मुझे तुम्हारे बारे में पता चला, बहुत बुरा हुआ मीरा....कैफे के बाहर मैंने इन गुंडो के साथ तुम्हें और इंस्पेक्टर अंकल को देखा, और तुम्हारे घर पर फोन किया, तुम्हारे मामा ने न जाने कैसे यह सब पता कर लिया और उनहोंने तुरंत पुलिस को फोन किया, मुझे यहां लेकर आ गए। राघव के बारे में मुझे पता चला.....उसे बहुत दिनों से धमकियां मिल रही थी.…उसकी पत्नी नैना....’’
मीरा पर जैसे बिजली गिर गई।
‘’क्या..... क्या कहा तुमने राघव शादीशुदा है?’’
‘’हां, वह शादीशुदा है…नैना उसकी पत्नी है।‘’
‘’तो राघव मेरे साथ प्यार का नाटक क्यों कर रहा था?’’
‘’नहीं पता, पर उसे तुम्हें छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, शायद तुम्हारे कारण उसकी फैमिली खतरे में आ गई थी।‘’
मीरा टूट गयी, मैं उसे कभी माफ नहीं करूंगी...’’
काव्या ने मोबाइल ऑन किया और विडियो चलाकर मीरा को दिखाने लगी, ‘’यह राघव का मैसेज तुम्हारे लिए।‘’
क्या काव्या सच कह रही है?
क्या राघव ने वाकई अपने परिवार के लिए मीरा को छोड़ा?
क्या मीरा राघव की खोज करना बंद कर देगी?
इरावती की जगह करन को किसने मारा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
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