रात का वक्‍त…

शादी की रात और उसके बाद तो कुछ उम्‍मीद थी कि राघव मिल जाएगा और मीरा उससे सवाल-जवाब करेगी पर वह चला गया है, उसे छोड़कर बिना बताए....मीरा के चेहरे के भाव कह रहे थे कि अब सबकुछ खत्‍म हो गया है।

मीरा अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ी थी, सुबह से छाए काले बादल अब तक आसमान में थे, बादलों ने चांद को छुपा रखा था ऐसा लग रहा था कि बादल अब चांद को निगल ही जाएंगे।

 

‘’तुम्‍हें मुझसे कहना चाहिए था राघव...मैं कोई खिलौना नहीं हूं जो इस्‍तेमाल किया और छोड़ दिया।‘’ 

आज मीरा की आंखे और आसमान में छाए बादलों में कम्‍पटीशन हो रहा था कि कौन ज्‍यादा बरस सकता है। 

 

काव्‍या अपने मोबाइल पर राघव का वो आखिरी वीडियो दिखा रही थी, जो उसने मीरा के लिए बनाया था। राघव के चेहरे पर दर्द था, छटपटाहट थी, पता नहीं यह सब असली था या नकली, राघव ने अपनी मरजी से यह विडियो बनाया था या किसी के दबाव में? 

राघव कह रह था...मीरा हमारा मिलना एक्‍सीडेंट था और बार-बार मिलना संयोग। हमारा प्‍यार हमेशा के लिए था ही नहीं, यह तो तुम्‍हें भी पता है कि प्‍यार कोई खेल नहीं...शुरू से ही हमारे प्‍यारे से रिश्‍ते के बीच कई सारी अड़चने आई थी…और हमने इन अड़चनों को पार किया है, पर फिर भी कुछ तो है जो शायद अजीब है, मैं इतना जानता हूं हमारी शादी कभी एक सफल शादी नहीं हो सकती - हमारा क्‍लास अलग है, लेवल अलग है...बेशक मुझे तुम्‍हें यह सब कुछ पहले ही बता देना चाहिए था, शादी के ठीक एक दिन पहले नहीं......जानता हूं तुम मुझे कभी माफ नहीं करोगी, पर अगर मैं सबकुछ पहले ही बता देता तो तुम कुछ न कुछ कर के मुझे मना ही लेती...जैसा तुमने मुझे हर बार मनाया है। तुम्‍हारे सामने आकर मैं कमजोर पड़ जाता, मगर सच यह है कि तुमसे भी इम्‍पॉटेंट मेरी लाइफ में कोई और है, और मेरा दिल उसी की ओर जाने के लिए कह रहा है। 

                                           अलविदा मीरा..........

 

एक हिचकी लेकर मीरा रोने लगी….‘’मैंने तो तुम्‍हारे बिना जीने का सोचा ही नहीं था राघव, कितनी आसानी से सबकुछ कह दिया…कट सकती अगर ये जिंदगी अकेले तो साथी की जरूरत ही क्‍यों होती।‘’

हर बार की तरह इस बार भी मीरा को अकेला छोड़ दिया गया था, उसे अपने एक और दुख से उबरने के लिए।

वहीं घर में नीचे….

नीता, अनुज को बार-बार धन्‍यवाद कर रही थी...’’भैया आज अगर आप न होते तो वह चुड़ैल तो मेरी बेटी को मार ही डालती…सही समय पर पहुंचकर आप मीरा को सही सलामत घर ले आए।‘ 

‘’कैसी बात कर रही हो दीदी........तुम्‍हारा भाई अगर गुडां मवाली है तो बस नाम का नहीं है, और ये सब बंदूक बम यूं ही दिखाने डराने धमकाने के लिए नहीं रखे है, अफसोस इस बात का है कि उस दुष्‍ट इरावती को मैं अपने हाथों नहीं मार पाया।‘’ कहकर अनुज ने अमरीश की ओर देखा, पहली बार उनकी आंखो में अनुज के लिए कृतज्ञता के भाव थे, अनुज ने जो किया उसका एहसान अमरीश पूरी जिंदगी नहीं उतार सकते थे, उनकी लाड़ली बेटी को मौत के मुंह से निकाल कर ले आए थे... अनुज की पहुंच कहां है, अनुज की ताकत क्‍या है, आज अमरीश ने देख लिया। वे अनुज को गले लगाना चाह रहे थे पर उनका अहम उनके आड़े आ रहा था, जिस इंसान को उन्‍होंने पूरी जिंदगी पसंद नहीं किया अचानक से उसका एहसान मानने में अमरीश को हिचक सी हो रही थी।

 

नीता ने कहा, ‘’मैं आपके काम में दखलदांजी नहीं करती भैया - मारपीट, धमकी देना, उठवा लेना, ठीक है आप जो करते हैं, पर किसी का मर्डर मत कीजिए उसके लिए कानून है......वैसे भी इरावती, शोभित भाई साहब की कस्‍टडी में है, और उसने जो कुछ शोभित भाई साहब के साथ किया है वे उसे छोड़ने वाले नहीं, लेडीज पुलिस तो और भी ज्‍यादा खतरनाक होती है, सुना है इरावती को सबइंस्‍पेक्‍टर मोहिनी के हवाले कर दिया है, आपको शायद पता नहीं कि वो केवल नाम की मोहिनी है, है पूरी ताड़का राक्षसिन....दो दिन में ही इरावती टूट जाएगी और अपने सारे गुनाह कुबूल कर लेगी।‘’ 

अनुज मुस्‍कुरा दिया...दीदी आपने तो बड़ा पता कर के रखा है।‘’ 

‘छानबीन नहीं किया, शोभित ने बताया है।‘’

पिंकी और रेनू बुआ इन सब घटनाओं से स्‍तब्‍ध थी, रेनू धीरे से पिंकी से बोली, ‘’जैसा ये लोग बता रहे है कि वहां बहुत सारे बम फेंके गए हैं, गोलियां चली है, मैं अगर वहां होती तो मेरा तो हार्ट ही फेल हो जाता।‘’

‘’मीरा दी को मुझे भी वहां ले जाना चाहिए था, मैं भी उस लेडी डॉन इरावती को देख लेती….वैसे मैंने अभी तक मेल डॉन ही देखे हैं, फीमेल नहीं।‘’ तनाव वाले इस घर में पिंकी को मसखरी सूझ रही थी। 

 

अमरीश, अनुज के पास आकर बोले, ‘’तुम बहुत थक गए होगे.…नहा धोकर फ्रेश हो जाओ, फिर साथ में खाना खाते हैं।‘’ यह अमरीश के थैक्‍स कहने का तरीका था। 

नीता खुश थी कि अमरीश और अनुज के बीच तनाव की बर्फ पिघलने लगी थी। पर अब जो तकलीफ सामने थी उसका समाधान ही नजर नहीं आ रहा था....उनका मन तो हो रहा था कि वे मीरा के पास जाएं...उसे कसकर गले लगा लें और साथ में बैठकर खूब रोएं...जितना रोएगी गम उतना ही हल्‍का हो जाएगा। बेचारी ने राघव का पता लगाने के लिए दिन रात एक कर दिया था पर नतीजा क्‍या निकला…वो बेवफा, धोखेबाज निकला।

‘’हमें राघव और उसकी फैमिली पर धोखाधड़ी, गुमराह और मानहानि का केस करना चाहिए।‘’ नीता ने भन्‍नाए स्‍वर में कहा। 

अमरीश ने कहा, ‘’प्‍लीज नीता, अब बस करो! मुझे इन सब चक्‍करों में नहीं पड़ना है। इससे केवल हमारी बेटी का दर्द बढ़ेगा और कुछ नहीं, हमें अपनी बदनामी का सामना खुद करना है…मीरा को खुद आगे बढ़ने दो, उसे तय करने दो कि वह आगे क्‍या करना चाहती है, अभी उसके घाव हरें हैं, भरने में समय लगेगा।‘’

 

खिड़की से आती ठंडी हवाएं मीरा के शरीर को झकझोर रही थी, एक वही सवाल मीरा के मन में उभरने लगा, मैं ही क्‍यों? मेरे साथ ही ऐसा क्‍यों? मैंने किसी का क्‍या बिगाड़ा था? जरूर पिछले जन्‍म में मैंने कुछ बुरे कर्म किए होंगे तभी उसका फल मुझे अब भुगतना पड़ रहा है।‘’ 

मीरा ने अपना सिर झटका....नहीं....नहीं यह मैं क्‍या सोच रही हूं...यह तो निगेटिव सोच है...मैं ऐसा निगेटिव कैसे सोच सकती हूं, यह कायरों वाली सोच है, यह पिछला जन्‍म...अच्‍छे-बुरे कर्म को मैंने कभी माना ही नहीं, मैं अतीत को भुलाकर आगे बढ़ने में विश्‍वास करती हूं। राघव से भी तो उसने एक बार यह बात कही थी जब राघव ने उससे पूछा था कि मीरा क्‍या तुम मेरे पास्‍ट के बारे में कुछ जानना चाहती हो?

 

वह पतझड़ का समय था, मीरा को नई जॉब मिली थी इस खुशी को राघव और मीरा अकेले इन्‍जॉय करना चाहते थे, वे केवल एक दूसरे के साथ क्‍वालिटी टाइम स्‍पेंड करना चाहते थे। 

मौसम में अभी गुलाबी ठंड पसरी थी, वे एक सुनसान पार्क में दोपहर के समय बैठे थे, थोड़ी दूरी पर कालेज के एक दो छात्र बैठे अपने एग्‍जाम की तैयारी कर रहे थे, वे इतनी दूर थे कि ना ही मीरा और राघव की बातें सुन सकते थे और ना ही उन्‍हें डिस्‍टर्ब कर सकते थे। नीम पीपल की पीली सुखी पत्तियां झड़ रही थी राघव की गोद में लेटी मीरा इन गिरती पत्तियों को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी, उसने राघव से कहा, ‘’मुझे पतझड़ का मौसम बहुत पसंद है, क्‍योंकि यह पुराने को छोड़कर नया और सुंदर चीजों का सृजन करता है, हम इंसान इस नेचर से कुछ क्‍यों नहीं सीख सकते…पुरानी और बेकार चीजों को पकड़कर बैठे रहते हैं जबकि उनके अंदर नया और सुंदर बनने की पूरी क्षमता है। 

राघव ने कहा, ‘’हां वो तो है, एक समय के बाद पुरानी चीजें बोझ हो जाती है, जब तक हम पुराना छोड़ेंगे नहीं, नया कैसे बना पाएंगे।‘’ 

मीरा ने अपनी आंखें खोल दी और झट से उठकर बैठ गई, ‘’हैं ना, अब इन पेंड़ो से गिरती पत्‍तियों को देखो अगर ये सब गिरेंगी नहीं तो नई कोंपलें कहां से फूटेंगी, सुंदर-सुंदर धानी रंग की पत्‍तियां कैसे झूमेंगी.......’’ 

अचानक राघव ने मीरा से पूछा, ‘’तुम मुझे इतने समय से जानती हो, क्‍या कभी मेरे अतीत के बारे में जानने की खयाल नहीं आया?‘’

‘’कैसा अतीत?‘’ 

‘’मेरा पास्‍ट।‘’ 

‘’पास्‍ट को पास्‍ट में रहने दो, तुम जिस दिन से मुझे मिले थे वहीं से हमारा पहला दिन स्‍टार्ट हुआ था, और पहले क्‍या थे क्‍या नहीं इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मीरा ने कहा। 

‘’फिर भी हर किसी का अपना पास्‍ट होता है जिससे उसके प्रेजेंट और फ्यूचर पर फर्क पड़ता है।‘’ 

‘’हां होता है, पर यह तो इंसान पर डिपेंट करता है कि वह अपने पास्‍ट को लेकर कितना ढोता है, मेरा तो मानना है कि जो बीत गया अब वह फिजूल हो गया, उसको लेकर सोचने से कुछ नहीं होगा, तुम तो शायरियां लिखने की कोशिश करते हो ना तो खय्याम की एक रूबाई सुनी होगी ‘जो भी पल है यही पल है, बस इसी पल में खुश रहो।‘’ कहकर मीरा ने राघव के सीने में अपना सिर छुपा लिया था, उसने राघव का दिल तेजी से धड़कते हुए महसूस किया था। 

राघव जैसे दार्शनिक गुरू के अंदाज में बोला, ‘’पर मीरा पेड़ और इंसानों के अतीत में बहुत ज्‍यादा फर्क होता है, खैर समय पर पता चल जाएगा।‘’ 

मीरा इसे अनसुना कर के मुस्‍कुरा उठी थी, राघव मेरी छुअन से कितना घबरा उठता है, दिल तो ऐसे धड़क रहा है जैसे पहली बार मैं इससे लिपटी हूं। मीरा ने देखा नहीं था, राघव कितना गंभीर हो गया था। 

 

बिजली के कड़कने से और पानी की तेज बौछार पड़ने पर मीरा वर्तमान में लौट आई...उसने महसूस किया कि उसका चेहरा भीगा था। उसने अपना चेहरा पोछा, ‘’यह क्‍या हो गया है मुझे, हर पल को जीने वाली इंजॉय करने वाली मीरा अतीत के बारे में क्‍यों सोचने लग गई.......राघव ने सच कहा था, पेड़ और इंसानों में बहुत फर्क होता है, पेड़ पौधे अपने अतीत का बोझ फेंककर आसानी से नया सृजन कर लेते हैं, पर हम इंसान चाहकर भी अपने अतीत को पतझड़ की हवा में उड़ा नहीं सकते, हमें उसके साथ रहकर नया सृजन करना होता है, हर पल में खुश रहने की बातें केवल किताबी हैं, राघव की बात उस समय समझ में नहीं आई थी पर लग रहा है कि वह कुछ कहना चाहता था और मैं कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी। 

उसके मन में चोर था, वह तभी मुझे छोड़ने और धोखा देने के बारे में सोच रहा था। 

तभी नीता के स्‍वर मीरा के कानो में पड़े, ‘’अरे ये क्‍या…कहां खोई हो? खिड़की बंद कर लो, देखो तो तुम पूरी भीग गई हो।‘’ नीता को पता था कि वह राघव के बारे में ही सोच रही है।

पानी और आंसुओं से मीरा का चेहरा भीगा था, अपनी दोनों हथेलियों से चेहरा पोछते हुए मां की ओर मुड़ी...वे हाथ में खाना लेकर खड़ी थी। 

‘’यहां क्‍यों मां?‘’ मीरा खाना देखकर बोली। 

‘’सोचा शायद तुम यहीं खाना चाहती हो।‘’

‘’ऐसा किसने कहा, बाकी सबने खा लिया क्‍या?‘’

‘’नहीं, पहले तुम्‍हारे लिए ही लेकर आई हूं।‘’

‘’जब हमेशा साथ में खाते हैं तो अब मैं अकेले क्‍यों खाऊं, आप मुझे दस मिनट दीजिए मैं बस अभी शावर लेकर आती हूं।‘’ मीरा ने जबरदस्‍ती मुस्कुराने की कोशिश की। 

शावर के नीचे खड़ी मीरा ने एक फैसला लिया…वह लोगों को दिखा कर रहेगी कि वह अपना अतीत लेकर कभी नहीं चल सकती, गिरते पानी के साथ अपना वो सब अतीत बहा देना था, जो अब उसके लिए कष्‍टदाई और असहनीय हो गए थे। वह बहा रही थी राघव की हर याद को, उसके साथ पहली मुलाकात को, उसके साथ प्‍यार भरी बाते, हर बचकानी और फिजूल कसमों को, हर वादों को जो वे समय समय पर करते थे, उन सपनो को जो उनहोंने अपने भविष्‍य के लिए देखे थे। 

अब उनकी कोई जरूरत नहीं रह गई थी, वे बेकार थे। उन सूखी और पीली पड़ गई पत्‍तियों की तरह, जो आवारा की तरह इधर से उधर मारी मारी फिरती है, फिर धीरे धीरे गलकर मिट्टी में विलीन हो जाती है, उनका अस्‍तित्‍व हमेशा के लिए समाप्‍त हो जाता है। मीरा भी अपनी उन यादों के पन्‍नो को फाड़कर कहीं दूर फेंक रही थी। 

आइने के सामने खड़ी मीरा खुद को निहार रही थी....आंखों में चमक, होंठो पर मुस्‍कान, दिल एक नए तरह से धकड़ रहा था। तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया….

 

मैसेज उसकी बॉस मिस निहारिका का था, जो इस समय फॉरेन टूर पर गई थी, मीरा ने उनसे अपनी शादी और हनीमून के लिए दस दिनों की छुट्टी मांगी थी जो अब ज्‍यादा हो गई थी।

उन्‍हें तो अब तक नहीं पता था कि मीरा के साथ क्‍या हादसा हुआ है, क्‍योंकि उन्‍हें अपने कर्मचारियों की निजी जिंदगी से कोई लेना देना नहीं होता, बस टाइम से आफिस आओ, काम करो, पैसा लो और चलते बनो।

मीरा ने उनका मैसेज पढ़ा, ‘’गुड इवनिंग मीरा मैडम, शादी और हनीमून की खुमारी से निकल चुकी हो तो प्‍लीज आफिस भी ज्‍वाइन कर लीजिए, कल सुबह आफिस में टाइम से आ जाना।‘’ 

मीरा मुसकुरा दी...’’बॉस हो तो ऐसी...सारी दुनिया से बेखबर केवल अपने में मस्‍त।‘’ 

 

क्‍या मीरा इतनी आसानी से पुरानी यादें भुला पाएगी? 

क्‍या विडियो में कही राघव की बात एकदम सच थी? 

राघव धोकेबाज़ है या फिर वो मीरा से कुछ छुपा रहा है?

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
 

 

 

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