डिनर टेबल पर....…

कुछ ही समय में मीरा का ये बदला रूप देखकर घर के सारे लोग दंग थे, वह अपने गीले बालों को पोछते हुए अपने कमरे से निकलकर सीढ़ियों से उतर रही थी, चेहरे पर हल्‍का सा मेकअप भी था, शायद शादी के बाद अब पहली बार उसने मेकअप का सामान उठाया था। 

चेहरे पर दुख और गम का कोई नामोनिशान नहीं, ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो, जबकि आज पूरा दिन हलचल और झटकों से भरा रहा, पहले राघव की फैमिली का बिना बताए कहीं चले जाना, फिर उनका गेस्‍ट हाउस में अजीबो गरीब व्‍यवहार के साथ मिलना, करन की मौत, मीरा और शोभित का अपहरण और एक छोटी सी गैंगवार।

इतना सब कुछ देखने के बाद कोई भी लड़की शाक्‍ड रह जाती शायद कई दिन लगते उसे उबरने में, पर मीरा….

‘’ओह सॉरी...मेरे कारण आप लोगों को वेट करना पड़ा।‘ कहकर मीरा एक प्‍लेट में अपने लिए खाना लगाने लगी। आप लोग भी शुरू कीजिए ना...भूख नहीं लगी है क्‍या।‘’ 

मीरा को हैरत भरी नजरों से देख रहे सब लोगों ने एक दूसरे को प्रश्‍नवाचक दृष्‍टि से देखा कि यह मीरा को क्‍या हो गया है, अपना गम छिपाने के लिए सबके सामने नाटक करना दुनिया के सबसे कठिन कामों में से एक है। 

एक बाइट मुंह में डालते हुए मीरा सबसे बोली, ‘’मेरी खड़ूस बॉस मिस निहारिका दुबई ट्रिप से लौट आई हैं, अभी थोड़ी देर पहले मैसेज आया, कल आफिस जाना होगा।‘’

‘’तुम…तुम आफिस जाओगी?’ नीता, मीरा को ऐसे सामान्‍य देखकर हैरान थी, उन्‍हें लग रहा था अपना अपहरण होने के बाद मीरा अब शायद घर से बाहर निकलने से भी डरे। 

‘’हां मां, आफिस तो जाना ही होगा, दस दिनों की छुट्टी कल ही बीत गई, आज एक दिन एक्‍सट्रा हो गए, मैडम को जवाब देना होगा, और अब करूंगी क्‍या।‘’ 

मन का एक कोना चीख उठा...राघव सच कह रहा था…इंसान और पेड़ में फर्क होता है, पेड़ अपना पुराना छोड़ सकते हैं पर इंसान नहीं...! नहीं मीरा नहीं, अभी तुमने खुद से क्‍या वादा किया था याद करो।‘’ 

‘’हां वो तो है, पर अगर हफ्ते दस दिन और रूक जाती तो अच्‍छा था, अपनी बॉस को सच बता दो, वे तुम्‍हें और भी छुट्टी दे देंगी, वे इतनी भी बुरी नहीं है।‘’ 

इतने कम्र उम्र में निहारिका अपने से ज्‍यादा एजुकेटेड लोगों की बॉस बन गई थी, यह बहुत बड़ा एचीवमेंट था। मीरा ने गहरी सांस लेकर कड़े शब्‍दों में कहा, ‘’मुझे कोई सच वच नहीं बताना है, अब मेरे लिए वो सब कोई मायने नहीं रखता। मुझे कल से आफिस जाना है, अपने रूटीन पर लौटना है, मेरा हो गया।‘’ 

खाने की टेबल से उठते हुए मीरा ने फिर से नीता से कहा, ‘’मुझे सुबह छ: बजे तक हर हाल में उठा देना।‘’ कहकर मीरा कुछ गुनगनाते हुए ऊपर अपने रूम में चली गई। 

नीता का दिल तेजी से धड़कने लगा, इतना बड़ा दुख कोई इतनी आसानी से कैसे पचा सकता है? 

 

अगले दिन…. 

मीरा समय पर आफिस पहुंच गई थी। जैसा उसने सोचा था कि उसकी बॉस एक दिन लेट आफिस ज्‍वाइन करने के लिए पहले तो खूब खरी खोटी सुनाएंगी, पर हुआ कुछ उल्‍टा, आफिस पहुंचने पर सबसे पहले मीरा को हमेशा की तरह निहारिका से मिलना था, गुड मार्निंग बोलना था, पिछले दिनों किए गए काम का ब्‍योरा देना था...निहारिका ऐसी बॉस थी जो हमेशा अपने कर्मचारियों से पहले पहुंचती थी। 

डोर नॉक कर के मीरा अंदर पहुंची….हमेशा की तरह उनका रूम गुलाब और जैस्‍मीन के फूलों की खुशबू से भरा हुआ था। मीरा को इस खुशबू ने तरोताज कर दिया और वो निहारिका का सामना करने के लिए तैयार हो गई। 

‘’गुड मार्निंग मैम....’’ मीरा ने हमेशा की तरह थोड़ी सी विनम्रता थोड़े से डर के साथ कहा। 

निहारिका अपने घूमने वाली चेयर पर दूसरी ओर मुंह कर के बैठी कोई फाइल पढ़ रही थी। मीरा की आवाज सुनते ही निहारिका पलटी और जैसी मीरा को उम्‍मीद थी, उसके विपरीत उनकी आंखो में मीरा के लिए ढेर सारी सहानुभूति दिखी। वो निहारिका मैम जिन्‍हें शादी के नाम से चिढ़ हुआ करती थी, और प्‍यार तो वे किसी से कर ही नहीं सकती थी।

आफिस के किसी कर्मचारी ने मीरा के साथ क्‍या हुआ, निहारिका को सबकुछ बता दिया था। वे उठकर मीरा के पास आई, मीरा के हाथों को अपने हाथ में लेकर हमदर्दी भरे स्‍वर में बोली, ‘’आई एम सो सॉरी मीरा, बहुत दुख हुआ यह सब जानकर।‘’ 

अब मीरा के लिए दुख मनाने का कोई वजह नहीं था। जी, थैंक्‍यू मैम…

तुम अगर चाहो तो कुछ दिन की छुट्टी ले सकती हो...मैं अपने बाकी के स्‍टाफ...इससे आगे निहारिका कुछ कहती मीरा ने कहा, ‘’मैम मैने सुना है कि आप मुंबई में अपना नया प्रोजेक्‍ट शुरू करना चाहती हैं, प्‍लीज उस टीम में मुझे भी ले लीजिए।‘’ 

निहारिका को मीरा से ऐसी उम्‍मीद नहीं थी, वे तो खुद ही मीरा को मुंबई भेजना चाहती थी, पर उन्‍हें लगा कि अब मीरा की शादी हो गई है तो शायद ही वह मुंबई ना जाए….कुछ समय के लिए निहारिका को कुछ समझ में नहीं आया।

मैम, क्‍या आपने टीम फाइनल कर ली है? 

नहीं, बस आज ही फाइनल कर रही थी।

‘’तो मैंम उसमें मेरा भी नाम लिख लिजिए....

‘क्‍या तुम एकदम श्‍योर हो?‘’ 

जी मैडम!

लेकिन मैं कल की ही फ्लाइट बुक करवा रही हूं, क्‍या तुम इतनी जल्‍दी पैकिंग कर पाओगी और तुम्‍हारे घर की सिचुएशन, तुम्‍हें टीम के साथ मिलकर परसों से काम स्‍टार्ट करना है, तुम्‍हें पता है मुझे बहुत ज्‍यादा डिले अच्‍छा नहीं लगता।

‘’मैम, मैं एकदम ठीक हूं। मेरे घर पर भी सबकुछ ठीक है, पैकिंग तो एक घंटे में हो जाएगी।‘’

 

मेरा यहां से निकलना बहुत जरूरी है मां, घर से लेकर ऑफिस तक मुझे कितने लोगों की कैसी कैसी नजरों का सामना करना पड़ता है, शादी टूटी है कोई पहाड़ तो नहीं टूटा है मेरे ऊपर, मैं शादी से पहले भी सिर से पांव तक सही सलामत थी और आज भी हूं। मेरी लाइफ बरबाद नहीं हुई है, और मुझे दूसरी शादी करनी भी नहीं है, प्‍लीज मां….अब मेरी लाइफ पूरी तरह से मेरी है इसमें किसी की एंट्री नहीं हो सकती है।

नीता डर रही थी, एक अनजान शहर में अनजान लोगों के बीच मीरा कैसे रहेगी, वो अपनी फैमिली के बिना कभी इतनी दूर अकेली नहीं गई है....वे कुछ समय रूककर मीरा के लिए एक दूसरा अच्‍छा लड़का ढूंढना चाहती थी। उन्‍हें यह भी डर सताए जा रहा था कि एक शादी टूटने के बाद क्‍या दूसरा अच्‍छा लड़का मिल पाएगा? क्‍या कोई लड़का यह सहन कर पाएगा कि उसकी होने वाली बीवी की एक शादी होते होते रह गई थी और जिससे शादी होने वाली थी उस लड़के के साथ तीन साल घूमीफिरी है? क्‍या पता? ऐसे बुरे बुरे ख्‍याल से नीता कांप उठी, मैं जानती हूं मेरी मीरा ने शादी से पहले राघव को अपने इतने करीब तो नहीं आने दिया है….पर हर एक को पकड़कर मैं समझा भी नहीं सकती और अब यह इतनी दूर जा रही है। 

 

पर वहां तो तुम किसी को जानती भी नहीं हो? 

मां मुझे किसी को जानना भी नहीं है, केवल काम करना है, वो काम जो मैं हमेशा से करना चाहती थी, देश की टॉप फैशन डिजाइनर बनना चाहती हूं, उसके लिए मुझे मुंबई ही जाना होगा, नोएडा जैसे छोटे शहर में रहकर यह सबकुछ नहीं हो पाएगा, यहां रहूंगी तो छोटे मोटे दुकानों और लोकल ब्रांड के लिए ही कपड़े डिजाइन कर पाऊंगी, मुंबई में बहुत मौकें हैं मम्‍मी।‘’

नीता ने गौर किया अब उनकी पुरानी मीरा कहीं खो गई थी, यह नई मीरा थी इन दो हफ्तों ने मीरा को जितनी बुरी तरह से तोड़ा, झकझोरा तो उतनी ही तेजी से उबार भी दिया। नीता पीछे हट गई...अब उससे कुछ भी कहना बेकार था, वह फैसला ले चुकी थी। 

दरवाजे के बाहर खड़े अमरीश की आंखो में आंसू थे...उन्‍होंने मन ही मन कहा, राघव तुम एक दिन पछताओगे। 

 

मीरा एक नए उत्‍साह के साथ मुंबई एयरपोर्ट पर उतरी थी.…सपनों की नगरी मुंबई......वह दो बार आ चुकी थी, कभी सोचा ही नहीं था कि उसके सपनों की उड़ान यहीं से होगी। वह बहुत कुछ पीछे छोड़ आई थी, जो भी प्राब्‍लम थे अब उसे साल्‍व करनी ही नहीं थी, उसे उनमें कोई इंटरेस्‍ट नहीं बचा। 

उसके मामा और अनन्‍या क्‍या साजिश रच रहे थे यह उसने शोभित अंकल पर छोड़ दिया था, अंकल सब पता कर लेंगे। 

 

अगले दिन मीरा अपनी टीम के साथ एक बहुत बड़े कपड़ों के शोरूम में खड़ी थी। निहारिका मैडम का शोरूम…अभी तो शुरूआत थी, इन सबको मिलकर मुंबई के नामी ड्रेस डिजाइनरों से कम्‍पटीशन करना था, आगे चलकर ब्‍यूटी कॉन्‍टेस्‍ट और फैशन शो आयोजित करवाना था। मीरा की नजरों में अब काम में बहुत मजा आने वाला था, ऊपर वाला जो करता है अच्‍छे के लिए करता है। 

राघव से शादी करने के बदले मीरा को अपने फैशन डिजाइनिंग का शौक छोड़कर राघव की फैमिली बिजनेस को ज्‍वाइन करना था, या फिर घर संभालना था जैसा शादी के बाद ज्‍यादतर लड़कियों को करना पड़ता था। 

मीरा ने आंखे बंद करके सूकुन की सांस ली, चारों ओर कांच के दीवारों से घिरी यह पांचवी मंजिल पर बना शोरूम था।

मीरा, निहारिका मैम के चुने हुए टीम के साथ खड़ी थी, मीरा को मिलाकर पूरे छ: लोग थे, शांतनु लीडर थे। मीरा के टीम के लीडर शांतनु ने कहा, ‘’हम सबको ख्‍याल रखना है कि हमारा कम्‍पटीशन किससे है, उन लोगों से जिनका नाम ही फैशन वर्ल्‍ड में एक ब्रांड बन चुका है, हमें भी ब्रांड बनना होगा।‘’ 

टीम की दूसरी मेम्‍बर राशि ने कहा, ‘’सबसे पहले हमें अपने ब्रांड को एक नाम देना होगा, फिर एडवरटाइजिंग कम्‍पनी से कान्‍टेक्‍ट कर के अच्‍छा सा स्‍लोगन या एड बनवाना होगा।‘’ 

एक अन्‍य मेम्‍बर ने कहा, ‘’नाम है ना, निका फैशनेबल डिजाइनिंग ड्रेस।‘’ 

‘’निका’’ यह नाम....तो बहुत छोटा है, किसने बताया तुम्‍हें यह नाम।‘’ 

निधि ने कहा, ‘’मेरा ही आइडिया था, एक्‍चुली निहारिका मैम के नाम को शार्ट कर के मैंने ही उनसे पूछा था कि ब्रांड का नाम यही रखेंगे तो वे फट से मान गई थी। उनके नाम का पहला और आखिरी वर्ड।‘’ 

शांतनु ने कहा, ‘’चापलूसी तो कोई निधि से सीखे, इसे सबसे पहले प्रमोशन मिलेगा।‘’ सब खिलखिलाकर हंसने लगे, मीरा भी कई दिनों के बाद पहली बार हंसी थी।

शांतनु ने कहा, ‘’देखो हमारे काम में बहुत ज्‍यादा रिस्‍क है, कम्‍पटीशन है। पहले हम पांच सालों का टारगेट फिक्‍स करते हैं, पांच सालों में ये होना चाहिए कि लोगो के दिल और दिमाग में यह बस जाना चाहिए कि निका ब्रांड जैसी भी कोई कपड़ो की कम्‍पनी है। 

जैसे ‘’जारा ब्रांड, शैला ब्रांड भी मार्केट में नए हैं, केवल तीन साल पहले ही मार्केट में उतरे,  पर इन्‍होनें अपनी अच्‍छी जानपहचान बनाई है, हम पहले मार्केट, लोगों की जरूरत उनकी पसंद, प्राइस, सबकुछ पता लगाकर ही अपना काम करेंगे।‘’ 

निधि ने कहा, ‘’तो बोलो.....हिप हिप हुर्रे....’’

बाकी साथियों ने भी हिप....हिप....हुर्रे...…इस नए और चमचमाते शोरूम और अपने ‘निका’ ब्रांड के लिए सभी मिलकर काम करने लगे।

 

समय जब पंख लगाकर उड़ता है तो पता ही नहीं चलता कि कितना वक्‍त बीत गया । पांच साल बीत चुके थे....

मीरा ने दिन रात खुद को निका ब्रांड में लगा दिया था, वह अब एक सख्‍त स्‍वभाव वाली लड़की बन चुकी थी। इन पांच सालों में बहुत कुछ बीत गया - उसके भाई चिराग ने अपना अलग घर बसा लिया, मीरा की लाडली बहन पिंकी की भी शादी हो गई थी, वह एक बच्‍ची की मां भी बन गई थी, समय समय पर अपनी बेटी की फोटो मीरा को भेजती रहती थी। नीता और अमरीश को नोएडा जैसी बड़ी-बड़ी बिल्‍डिंग वाली, रात दिन धुंआ छोड़ते कारों वाले शहर में घुटन होने लगी थी। उन्‍होंने घर किराए पर चढ़ाकर मसूरी में एक नया घर खरीद लिया था, मीरा अक्‍सर वहां आती जाती रहती थी। 

अनुज और अनन्‍या के बारे में शोभित कुछ खास पता नहीं कर पाए थे, इन दोनों ने बड़ी ही चालाकी से अपने रिश्‍ते को छुपाया हुआ था। शोभित अंकल ने बताया था कि अनुज के अपने कुछ पुराने राज हैं, जो शायद प्रतापगढ़ और नीता से जुड़े हैं। मीरा को भी इनके रिश्‍ते में कोई इंटरेस्‍ट नहीं रह गया था, उन्‍होंने मां को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया और बाद में क्‍या होगा यह बाद में देखा जाएगा।

मीरा को केवल अपना काम करना था, जैसा उसकी टीम का टारगेट था कि पांच सालों में निका ब्रांड की मार्केट में अच्‍छी जगह बनानी है। बड़े लोगों में तो नहीं पर लोअर क्‍लास, लोअर मिडिल क्‍लास और कुछ हद तक मिडिल क्‍लास में निका ब्रांड के कपड़े पसंद किए जाने लगे। उनका फोकस स्‍कूली बच्‍चों पर ज्‍यादा था, वे स्‍कूल ड्रेस, फैंसी कम्‍पटीशन ड्रेस अधिक बनाते थे। अब उनका टारगेट अपर क्‍लास के लोग थे, जिसके लिए उन्‍हें अपने ब्रांड में और भी ज्‍यादा निवेश करने की जरूरत थी। 

 

शाम का समय था, मीरा निका चाइल्‍ड डिजाइनिंग ड्रेस के शोरूम में थी, जो नए पैदा हुए बच्‍चों से लेकर टीनएज के बच्‍चों के ड्रेस का शोरूम था। 

मीरा, पिंकी के साथ विडियो काल पर थी, पिंकी की दो साल की बेटी माही के लिए कुछ सुंदर ड्रेस पिंकी को दिखा रही थी, इस बार दीपावली पर वह पिंकी के घर जाने का प्‍लान कर रही थी….‘’देखो तो ये कलरफुल फ्राक कितनी अच्‍छी है.....ये ब्‍लू वाली लांग फ्राक देखो, इसमें माही एकदम सिंड्रेला लगेगी….या फिर ये पिंक वाली ले लो, इसके साथ हेयरबैंड भी है।’’ 

मीरा, पिंकी को कुछ और दिखाती कि एक पांच साल का बच्‍चा दौड़ता हुआ शोरूम में आया और मीरा से बोला, ‘’क्‍या आप मुझे पीटीएम में पहनने के लिए एक अच्‍छी सी ड्रेस दिखा सकती हैं?‘’  

मीरा ने पहले पिंकी से एक मिनट मांगा और फिर एंट्री गेट की ओर देखा, फिर उस बच्‍चे से पूछा....आप किसके साथ आए हैं?’’ 

‘’अपने बडी के साथ!’’ 

‘बडी….मतलब डैडी या ब्रदर?‘’ मीरा ने मुस्‍कुराकर पूछा। 

‘’वो मेरे बडी हैं, वे आ रहे हैं, आप ड्रेस दिखाइए!" बच्‍चे ने भौंह सिकोड़कर मीरा से कहा। 

मीरा ने अपनी असिस्‍टेंट को आवाज लगाई..हेमा…प्‍लीज इस बच्‍चे को ड्रेस दिखा दो....’’ कहकर मीरा फिर से पिंकी से बातें करने लगी। 

कुछ ही सेकेंड हुए होंगे कि मीरा के कान में वो आवाज पड़ी…जिसे सुनकर कभी उसका रोम—रोम खिल उठता था। जिसकी आवाज मीरा के दिल में खुमारी पैदा कर देती थी, वह आवाज जो मीरा अब नहीं सुनना चाहती थी।’’ 

‘’हे चैंपियन कहां हो तुम.…’’ यह परिचित आवाज मीरा की कान में पड़ी। 

मीरा बिजली की गति से उस आवाज देने वाले की ओर घूमी और उस शख्‍स को देखकर ऐसा लगा जैसे मीरा को सैकड़ों बिच्‍छुओं ने एक साथ डंक मार दिया हो। 

वह राघव था…..वह बच्‍चा जो ड्रेस देखने आया था, वह अपनी बांहे फैलाए राघव की ओर बढ़ा और राघव ने उसे अपनी गोद में उठा लिया, और बच्‍चे से कहा, ‘’हे चैंपियन कहां थे तुम, ड्रेस सेलेक्‍ट कर लिया?’’

मीरा के हाथ से फोन छूटकर गिर गया 

 

क्‍या मीरा एक बार फिर कमज़ोर पड़ जाएगी? 

यह बच्‍चा कौन है, क्‍या वो राघव का बेटा है? 

नैना और राघव अब माँ-बाबा बन चुके हैं?

जानने के लिए पढ़ते रहिए ‘बहुरूपिया मोहब्‍बत!’

 

  

 

 

 

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