मीरा और राघव की नजरें एक दूसरे से टकराई, दोनो ओर एक जैसी ही हालत.…सांसे मानों थम थी गई, धड़कनों की रफ्तार बेहद तेज़। मीरा की आंखो में बहुत सारे सवाल, गुस्सा और नफरत थी, राघव की आंखों में बेबसी, पछतावा और एक याचना थी।
राघव ने एक व्हाइट कलर की फुल शर्ट, और ब्लैक ट्राउजर पहना था, एक ब्लैक कलर का कोट बांए कंधे पर झूल रहा था। काला चश्मा आंखो से हटाकर सिर के बालों के बीच फंसा रखा था। चेहरे पर हल्की दाढ़ी मूंछ रख ली थी, वह हमेशा की तरह दिलकश लग रहा था या कहा जाए तो और भी ज्यादा हैंडसम।
उस बच्चे ने ध्यान तोड़ते हुए राघव से कहा, ‘’हे बडी, देखो मैंने अपने लिए ये ब्राउन टीर्शट और जींस पैंट पसंद किया है।‘’ कहकर उसने हेमा की ओर इशारा किया जो एक पेयर ड्रेस लेकर राघव की ओर आ रही थी।
राघव ने आंखो पर चश्मा चढ़ा लिया, मीरा की धधकती नजरों का सामना अब वह नहीं कर सकता था। उसे सहज होने में कुछ ही सेकेंड लगे, राघव उस बच्चे से बोला, ‘’रेयांश, बेटा तुम पीटीएम में चल रहे हो, फैशन शो में नहीं।‘’
‘’बडी प्लीज, मुझे यही ड्रेस पहनना है, उसके बाद हम वाटर पार्क जाएंगे, आपने मुझसे और मेरे पापा से प्रामिस किया था।‘’
‘’ओक...ओके…तो चलें आपके पापा वेट कर रहे होंगे।‘’
फिर राघव ने हेमा से कहा ‘’प्लीज आप मुझे इस बच्चे के नाप के चार-पांच ड्रेस और दे दीजिए, कहकर राघव ने चश्में के अंदर से ही मीरा पर एक नजर डाली…जो यह सब देखकर अभी भी सदमे में खड़ी थी।
उस बच्चे रेयांश की आवाज मीरा के कानो में पड़ रही थी, वह राघव से कह रहा था, ‘’बडी प्लीज, टीचर से मेरी कोई कम्पलेन मत करना, मैं लंच फिनिश करके आऊंगा..प्रामिस, मैं बहुत ज्यादा बातें भी नहीं करूंगा।’’
राघव मुस्कुरा दिया और रेयांश के साथ लिफ्ट में चला गया।
क्या यह तुम्हीं हो राघव...ऐसे बिहेव कर रहे हो जैसे तुम्हारी लाइफ में मेरा कभी कोई वजूद था ही नहीं। मीरा को जैसे होश आया, क्या अभी जो कुछ सामने घटित हुआ वो सपना था या सच? राघव किसके बच्चे को लेकर घूम रहा था?
मीरा शोरूम से बाहर निकली और झट से दौड़ती हुई लिफ्ट की ओर गई, राघव ग्राउंड फलोर की ओर जा रहा था। मीरा सीढ़ियों की ओर भागी.......पर एकाएक रूक गई, अब देर हो चुकी थी।
सीढ़ी के बगल की एक दीवार कांच की थी, उसमें से मीरा को राघव दिखा, उस बच्चे रेयांश के साथ, राघव बच्चे को प्यार से दुलारते हुए कार में बैठा रहा था। तभी उस कार के पीछे वाली कार से एक आदमी निकला उसने राघव को गले लगाया और फिर हाथ मिलाया, फिर वह बच्चा, जो कार में बैठ गया था बाहर निकला और राघव से हाथ मिला रहे लड़के से जाकर लिपट गया।
उस आदमी का व्यवहार ऐसा लग रहा था जैसे वह राघव का शुक्रिया अदा कर रहा हो और उस बच्चे को अपनी कार में बैठाकर ले गया।
यह राघव किसके बच्चे को कपड़े दिलवाने ले आया था जरूर इसके बॉस का बेटा होगा या फिर रिलेशन में किसी का, मुझे क्या किसी का भी हो, फिर मेरे मन में इतने उल्टे सीधे ख्याल क्यों आ रहे हैं?
मीरा कुछ सोच ही रही थी कि अचानक नीचे खड़े राघव ने मीरा के शोरूम की ओर देखा, कुछ सेकेंड देखता रहा...’’क्या वह मुझे ढूंढ रहा है?" सीढ़ी के पास वाली कांच की दीवार से नीचे देखती हुई मीरा ने मन ही मन कहा।
राघव ने ड्राइवर से कुछ कहा, ड्राइवर कार लेकर चला गया और फिर राघव वापस शापिंग सेंटर में घुस गया। मीरा का कलेजा मुंह में आ गया, ‘’क्या राघव वापस आ रहा है, मुझसे मिलने के लिए?"
क्यों? क्यों आ रहा है वापस? नहीं, नहीं उसे वापस नहीं आना है। धोखेबाज, मक्कार, कायर, मुझे चिढ़ाने आया है। वह झट से अपने शोरूम की ओर दौड़ी....मैं उसे अंदर घुसने ही नहीं दूंगी….वो केवल मेरे नफरत के काबिल है।
वह शोरूम के अंदर घुस गई और जोर जोर से सांसे लेने लगी, असिस्टेंट हेमा जो शोरूम में बिखरे कपड़े ठीक कर रही थी, वह मीरा को देखकर बोली, ‘’ क्या हुआ मैम...आप ठीक तो हैं ना?’’
मीरा ने हां में गरदन हिलाई...’’उसे अंदर मत आने देना, बिलिंग काउंटर की ओर बढ़ते हुए मीरा ने हेमा से कहा।
‘’जी मैंम, क्या कहा आपने? हेमा कुछ समझ नहीं पाई।"
तभी मीरा ने अपनी आंखों के कोने से कुछ दिखा, शोरूम के कांच का दरवाजा खुला और किसी ने एंट्री ली। मीरा जोर से चिल्लाते हुए पलटी - चले जाओ यहां से, यू चीटर…सामने खड़ा आदमी स्तब्ध रह गया….हेमा भी सन्न रह गई।
मीरा को तुरंत आभास हुआ कि उसने गलती कर दी वह राघव नहीं था, कोई और था, वे दो कस्टमर थे, कपड़े लेने आए थे। वह लड़का और लड़की मीरा को अजीब तरीके से देख रहे थे।
लड़का हेमा से बोला, ‘’क्या है यह सब, आप लोग कस्टमर का वेलकम ऐसे ही करते हैं।‘’
मीरा को लगा राघव है, पर राघव को अगर यहां नहीं आना था तो वो कहां गया।
हेमा ने सिचुएशन को संभाला, ‘’ओह आई एम सो सॉरी, इनकी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है, बताइए आपको क्या चाहिए?‘’
लड़के ने कहा, ‘’हमारी इंगेजमेंट होने वाली है...हमें मैंचिग ड्रेस खरीदनी है। हमारे इंगेजमेंट का ड्रेस कोड ऑरेंज और गोल्डन कलर है, उसी कलर में मेरे लिए शेरवानी और मेरी होने वाली वाइफ को लंहगा दिखा दीजिए।‘’
जी जरूर…कहकर हेमा उन लोगों को शोरूम के दूसरी ओर ले जाने लगी और हेमा ने मीरा को भौंहे उठाकर संकेत से पूछा कि क्या हुआ?
अभी जो कुछ हुआ था, ऐसी बात मीरा किसी को बता भी नहीं सकती थी। शापिंग करने आई लड़की मीरा की इस हरकत से काफी असहज हो गई थी, कहां तो वह एक मिनट पहले इतनी खुश थी और मीरा के चिल्लाकर बात करने से वह घबरा गई।
हेमा, उन दोनों को लंहगा और शेरवानी दिखा रही थी, हर एक लंहगे की खूबी बता रही थी, डिस्काउंट और केयर कैसे करना है, इस पर कौन सी हेयर स्टाइल और मेकअप अच्छा लगेगा।
मीरा अभी भी चुपचाप काउंटर के पास खड़ी थी, हलांकि उसका यहां कोई काम नहीं था, वह केवल ड्रेस डिजाइनिंग का काम करती थी पर कभी कभी अपने निका ब्रांड के कुछ शोरूम के चक्कर भी लगा लिया करती थी। आज हेमा को छोड़कर बाकी का स्टाफ नहीं आया था तो हेमा को टेंशन हो गई थी कि वह अकेले सबकुछ कैसे संभालेगी तो शांतनु ने मीरा को भेज दिया था।
उस लड़की ने मीरा को देखा, मीरा कुछ गुस्से और परेशानी में लग रही थी। वह अपने मंगेतर से बोली, ‘’बेबी मुझे यहां शापिंग नहीं करनी, कहीं और चलते हैं, यह लड़की मुझे कुछ ठीक नहीं लग रही है, इसको देखा था तुमने।‘’
हेमा ने कहा, ‘’अरे नहीं मैम, यह थोड़ा परेशान हैं....एक्चुली इनका एक लवर है जो बार बार कहीं भी आकर इन्हें परेशान करता रहता है, इसलिए इन्हें ऐसा लगा कि शायद यहां भी चला आया, देखिए तो कितनी अपसेट लग रही हैं।‘’ हेमा की समझ में नहीं आया कि वह क्या झूठ बोले तो झटपट से यही बोल दिया।
हेमा की आधी बात तो सही थी, राघव उसका लवर था और मीरा उसके कारण बेचैन हो उठी थी। उस लड़की के चेहरे के भाव कुछ सामान्य हो गया, वह बोली, ‘’ओह तो यह बात है।‘’
हेमा ने फिर उन्हें अपने विश्वास में लेते हुए कहा, ‘’हां मैंम, आप लोग भी तो एक दूसरे से प्यार करते हैं, प्यार मोहब्बत में तो रूठना, मनाना, खीजना, रिझाना, गुस्सा लगा ही रहता है, पर कोई बात नहीं कल तक दोनों का पैचअप हो जाएगा। आप लोग इस ओर आइए मैम, गोल्डन कलर में हमारे बहुत सारे नए कलेक्शन आए हैं, एकदम यूनिक, दूसरों से एकदम अलग, आप ये लंहगा पहनेगी तो साक्षात अप्सरा लगेंगी।‘’ हेमा ने उनकी चुगली की।
शोरूम के बाहर दीवार की दूसरी ओर राघव खड़ा था, उसने मीरा की यह हरकत देख ली थी।
राघव ने गहरी सांस लेकर कहा, ‘’तुम्हारे अंदर अपने लिए इस बेइंतहा नफरत को देखकर मैं कह सकता हूं कि तुम मुझसे आज भी बहुत प्यार करती हो। अगर मैं सामने आ जाऊं तो तुम मुझे हर्ट तो करोगी पर प्यार से गले भी लगा लोगी, मैं शायद अब तुम्हारी आंखो में चुभने वाले किसी छोटे से तिनके जैसा हो गया हूं, पर मैं तुम्हारी आंखों में अपने लिए फिर से प्यार जगाऊंगा।
राघव ने अपनी घड़ी देखी और एक नजर मीरा पर डालकर दूसरी ओर बढ़ गया।
हेमा ने मीरा को आवाज लगाई जो अब तक न जाने कहां खोई हुई थी, ‘’मीरा मैम, ये पीले गोटे वाला लंहगे का क्या प्राइज है? एक लंहगा जिसे उस लड़की ने पसंद कर लिया था, वह लंहगा हेमा ने मीरा के पास लाकर पूछा।
मीरा ने उस लंहगे को देखा, उस पर एक कोने में स्टीकर लगा था, जिसका मतलब था कि यह लंहगा पहले से ही किसी ने रिर्जव करा लिया है, मीरा ने बेरूखी से हेमा को वह स्टीकर दिखाते हुए थोड़े सख्त आवाज में कहा, ‘तुम्हें यह स्टीकर दिखाई नहीं दे रहा है, यह किसी ने पहले से ही खरीद लिया है। इन्हें कोई और लंहगा दिखा दो।‘’
मीरा को ऐसा नहीं बोलना चाहिए था, हेमा ने किसी तरह से इस जोड़े को यहां शापिंग के लिए मनाया था। वह लड़की बोली, ‘’अरे ऐसे कैसे दूसरा लंहगा पसंद कर लें, मुझे तो यही चाहिए।‘’
मीरा ने कहा, ‘’हम ऐसा नहीं कर सकते हैं, इन्फैक्ट ऐसा कहीं नहीं होता, जिस चीज को पहले ही बेचा जा चुका है उसे हम फिर किसी और को कैसे बेंच सकते हैं।‘’
मीरा इस समय बहुत गुस्से में थी, ऐसा लग रहा था न जाने किस पर उसके गुस्से का कहर टूटेगा, एक तो राघव ऐसी हालत में मिला और मिला भी तो नीचे वापस आने का दिखावा कर के क्यों नहीं आया, क्या वो मुझसे डरता है, हां डरना चाहिए, मैं उसे नहीं छोडूंगी, उसने मुझे और मेरे परिवार को खून के आंसू रूलाए हैं, मेरे परिवार ने तमाम बदनामियां झेली हैं, लोगो के सवाल, ताने क्या यह सब भूलाया जा सकता है।
‘’ये तरीका है आप लोगों का कस्टमर हैंडिल करने का, ऐसे बिहेव करते हैं। हमें कुछ नहीं खरीदना यहां से…‘’ लड़के ने कहा और अपनी मंगेतर का हाथ पकड़कर मीरा को घूरते हुए बाहर निकल गए।
हेमा अपना सिर पकड़कर बैठ गई।
बात शांतनु तक पहुंच गई, मीरा उनके सामने हाथ बांधकर खड़ी थी। वे शोरूम के अंदर लगे सीसीटीवी फुटेज देख रहे थे, क्योंकि उन्हें हेमा की बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मीरा ऐसा कुछ कर सकती है। मीरा की इमेज बाकी सारे स्टाफ से कई ज्यादा अच्छी थी, वो कस्टमर को सबसे अच्छे तरीके से हैंडल करने के लिए मानी जाती थी। शांतनु के चेहरे के भाव बता रहे थे कि वे मीरा से बहुत ज्यादा नाराज हैं।
‘’यह सब क्या है मीरा, तुम्हें जरा भी अंदाजा है कि तुम्हारे इस बिहेवियर से निका ब्रांड पर असर पड़ सकता है, तुम इस ब्रांड की अच्छी डिजाइनरों में से एक है, मार्केट में वैसे ही बहुत कम्पटीशन है, कस्टमर को लुभाने के लिए नए नए स्कीम निकालने पड़ते हैं, डिस्काउंट देना पड़ता है, प्राइस ऊपर नीचे करने पड़ते हैं, हमारे ब्रांड की स्कीम क्या है तुम्हें अच्छे से पता है.... कि कोई भी कस्टमर खाली हाथ नहीं जाना चाहिए अगर खाली हाथ जाए भी तो खुश मन से जाए, वह दोबारा आने की उम्मीद से जाए। कुछ लोग केवल कपड़े देखने आते हैं लेकिन खुश होकर जाते हैं कि दोबारा आएंगे तो ड्रेस जरूर लेंगे । लेकिन तुमने तो कस्टमर को खाली हाथ भी जाने दिया और इतना रूखा बर्ताव किया कि वे दोबारा कभी हमारे शोरूम में आएंगे भी नहीं।‘’
मीरा को बहुत ज्यादा उलझन हो रही थी, वो बस अकेले रहना चाहती थी, अपना गुस्सा उतारना चाहती थी। मीरा ने सपाट स्वर में कहा, ‘’सर वो लोग जो ड्रेस चाहते थे वो पहले से ही रिर्जव थी।‘’
‘’हां तो कोई बात नहीं, हमारे बाकी के शोरूम में वो ड्रेसेस पड़ी हुई हैं, हम एक डिजाइन की केवल एक ही ड्रेस तो नहीं बनाते हैं। तुम उन लोगों को वह लंहगा दे देती, और हम अपने दूसरे शोरूम से मंगाकर फिर से रख देते। मीरा तुम समझती क्यों नहीं, इसका कितना बड़ा इफैक्ट होने वाला है, वे लोग बाहर जाकर चार लोगों को हमारे ब्रांड के बारे में बताएंगे, हमारा बर्ताव बताएंगे, लोगों पर क्या असर पड़ेगा, वैसे भी यह शादी का सीजन है, हमें अपना स्टाक क्लीयर करना है। एक टारगेट फिक्स किया है उसे पूरा करना है, हमारे लिए एक-एक कस्टमर बहुत इम्पॉटेंट हैं, प्लीज मीरा अगर तुम्हारी कोई पर्सनल प्राब्लम है तो उसे अपने तक ही रखो, यहां हम सभी किसी न किसी प्राब्लम से जूझ रहे हैं, लेकिन काम अपनी जगह और पर्सनल प्राब्लम अपनी जगह। अब दोबारा से ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए।‘’
दुखी मन और थके शरीर को लेकर मीरा अपने घर लौट आई थी, आज का दिन सच में बहुत बुरा था। मीरा अपने ऐसे बर्ताव पर खुद शर्मिंदा थी, वह सच में ऐसी नहीं थी...उसने खुद को बदल लिया था। पर राघव तो जैसे जलजले की तरह फिर से उसकी लाइफ में आ गया था, पहले आया तो एक सुहाने और खूबसूरत झोंके की तरह, पर इस बार उसका आना किसी बुरे सपने की तरह था।
मीरा के घर की बेल बजी, शाम के सात बज रहे थे, इस समय कोई आता नहीं था, आस पड़ोस वाले भी कोई विशेष मतलब नहीं रखते थे। मीरा डोर की ओर जाते हुए याद करने लगी कि कहीं मैंने कुछ आर्डर तो नहीं किया था।
सोचते हुए डोर खोला तो जहां खड़ी थी वहीं जम गई…सामने राघव खड़ा था, वह आदमी जिससे वह बेइंतेहा नफरत करने लगी थी।
‘’मीरा मैं.....’’ राघव ने कहा ही था कि मीरा उस पर चिल्ला उठी।
‘’तुम्हारी हिम्मत कैसे हुए मेरे सामने आने की..तुम मुझसे माफी मांगोगे....मुझे फिर से प्रपोज करोगे और फिर मेरे साथ प्यार का नाटक करोगे और मैं तो हूं ही बुद्धू, मिडिल क्लास की लड़कियां कुछ ज्यादा ही इमोशनल होती हैं, पांच साल में तुम्हारी यह गलतफहमी नहीं गई।’
‘’नहीं मीरा नहीं….मेरी बात सुनो....प्लीज मुझे एक मौका दो।‘’
‘’प्लीज जाओ यहां से।‘’ कहकर मीरा ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया और रूम में आकर अपने बिस्तर पर लेट गई।
बाहर से बेल बजने की लगातार आवाजें आ रही थी।
इतने सालों बाद राघव क्यों वापस आया है?
क्या मीरा उसे एक और मौका देगी?
राघव मीरा के घर तक कैसे पहुंचा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए 'बहरूपिया मोहब्बत!'
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