बॉम्बे की हाई-क्लास लिविंग से निकलकर, सौरभ की कहानी कलकत्ता की काली बाड़ी में आ पहुँची है, जहाँ सौरभ दस साल बाद अपनी बहन श्रुति से मिलने अपने घर आता है। उसी वक़्त श्रुति को सौरभ की जालसाजी के काम के बारे में पता चलता है। वह चेतावनी देते हुए कहती है कि अगर सौरभ ने अभी अपने ग़लत काम पर लगाम नहीं लगाई, तो आने वाले दिनों में उसकी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी। सौरभ श्रुति की बात सुनकर चुप रहता है।

सौरभ हर 10 मिनट में करवट बदलकर श्रुति की कही बातें ही सोच रहा था। इन विचारों से उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। जब बेचैनी से रहा नहीं गया, तब सौरभ बिना कुछ सोचे सीधे अपने घर की छत पर गया, जैसे वह बचपन में जाया करता था।

स्याह आसमान से आती चाँद-तारों की रोशनी सीधे उसके आँगन में पड़ रही थी। उसे ठाकुमाँ का मालपुआ और खीर बनाना याद आ रहा था। श्रुति की स्कूल से चुराई चॉक से रंगोली बनाना, ठाकुर्दा  का सीढ़ियों पर बैठकर अपने सफ़ेद बालों को डाई करना, और उसके बाबा का खटिया पर बैठकर पटचित्र बनाना भी उसकी यादों में ताजा हो उठा।

सौरभ चाहकर भी अपनी यादों में अपनी माँ को शामिल नहीं कर पाता था। बचपन में मिले घाव उम्र के किसी भी दौर पर मरहम नहीं पाते।

अपनी टेंशन कम करने के लिए सौरभ अपने कुर्ते से सिगरेट निकालता है और उसे जलाते हुए अपने बचपन की सारी यादों को धीरे-धीरे सुलगाता रहता है।

सौरभ के कोलकाता न आने की खास वजह यही होती है कि उसे अपने बीते कल का सामना करना पड़ता है। हालाँकि, अब तक सौरभ का सामना उसकी माँ से नहीं हुआ था और शायद इस बार भी न हो।

जैसे ही वह कोलकाता आता है, रितिका के कॉल और मैसेज कम होने लगते हैं, जो सौरभ के दिमाग़ में उलझन पैदा करने लगते हैं। सौरभ को बार-बार यही डर सताता है कि कहीं उसका टारगेट पूरा होने से पहले ही रितिका उसे छोड़ न दे। छत पर बैठे हुए सौरभ रितिका को कॉल करता है।

सौरभ (प्यार से): इतनी जल्दी भूल गई मुझे, ऋतु?

रितिका (प्यार से): तुम सालों बाद वापस कोलकाता गए हो, तुम्हें डिस्टर्ब करने का मन नहीं हुआ। ख़ैर छोड़ो ये बात, और बताओ क्या कर रहे हो?

सौरभ (प्यार से): कुछ नहीं, छत पर चाँद देख रहा था तो तुम्हारी याद आई। इसलिए सोचा तुम्हें कॉल कर लूँ।

रितिका (बंगाली में): इश!! शम्पूर्ण बह्याबे फ़िल्मी होते।

सौरभ (प्यार से): ओह, कम ऑन ऋतु, हम मुंबई में रहते हैं और फ़िल्मी होना हमारा अधिकार है।

रितिका (प्यार से): आई मिस यू।

सौरभ (प्यार से): आई मिस यू टू।

सौरभ ने फिर अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से रितिका को फँसाया और अपना काम आसान कर लिया। सिगरेट पीते-पीते, सौरभ ने दिमाग़ लगाना शुरू किया।

सौरभ के दिमाग़ में जो गणित चल रहा था, उसके हिसाब से अगर वह थोड़े ज़्यादा दिनों तक कोलकाता में रुकता है, तो उसका बना-बनाया प्लान चौपट हो सकता है।

सौरभ तय करता है कि वह अगली सुबह मुंबई के लिए निकल जाएगा। सौरभ अपना सामान बाँध चुका था। टैक्सी वाले का फोन भी आ चुका था। घर से निकलते हुए उसने श्रुति को दरवाज़े के पास खड़ा देखा। श्रुति चुपचाप खड़ी थी, जैसे उसे रोकने की विनती कर रही हो।

श्रुति कहती है कि वह ऐसा कुछ न करे, जिसका खामियाज़ा उसे बाद में भुगतना पड़े। सौरभ ने उसकी बात का जवाब नहीं दिया और बिना कुछ बोले घर से बाहर निकल गया।

जैसे ही वह आगे बढ़ा, श्रुति ने उसे एक डिब्बे में मालपुआ दिया।

सौरभ ने डिब्बे की गर्माहट में अपनी बहन की फ़िक्र महसूस की, मगर उसने उस एहसास को चेहरे पर नहीं आने दिया और अपना सामान लेकर एयरपोर्ट के लिए निकल गया।

 

एयरपोर्ट पहुँचते वक्त, सौरभ ने कई बार सोचा कि श्रुति को अपने पास मुंबई बुला ले, लेकिन उसे यह भी ख़याल आया कि अगर श्रुति मुंबई आ गई, तो उसका सारा खेल खत्म हो जाएगा। कुछ घंटों बाद, एक बार फिर सौरभ माया नगरी पहुँच चुका था।

अपने बीते कल से आँखें मिलाने के बाद, सौरभ के भीतर बची- खुची इंसानियत भी दम तोड़ चुकी थी। अब वह शीशे के सामने खड़े होकर खुद से भी झूठ बोलने की हिम्मत रखता था।

चोर चाहे कितना भी शातिर क्यों न हो, चोरी के बाद कुछ न कुछ निशान छोड़ ही देता है। सौरभ का कोलकाता जाना उसकी सबसे बड़ी भूल साबित होने वाला था।

सौरभ जैसे ही कोलकाता के लिए निकलता है, अपूर्व अपने मुखबिर से उसकी सारी बातें पता करने को कहता है। वहीं, अपूर्व सौरभ की सोशल मीडिया एक्टिविटी पर भी नज़र रखता है। जिस दिन से रितिका ने अपूर्व को सौरभ के बारे में बताया था, उस दिन से ही अपूर्व सौरभ के बारे में सोच रहा था।

अपूर्व को सौरभ का इतना "परफेक्ट" होना बहुत खटक रहा था। उसके मन में सिर्फ़ एक ही सवाल चल रहा था कि आख़िर कोई इतना परफेक्ट कैसे हो सकता है? अपूर्व ने साम, दाम, दंड, भेद—सब कुछ आज़मा लिया, मगर कहीं न कहीं उससे चूक हो रही थी।

सौरभ ने इतनी चालाकी से लड़कियों को धोखा दिया था कि उसके खिलाफ सबूत सिर्फ़ वही लड़कियाँ जुटा सकती थीं, जिनके साथ उसने धोखा किया था।

अपूर्व अपनी चेयर पर बैठे पेपर वेट घुमा रहा था। उसी वक़्त अपूर्व के हाथ एक चैट लगती है, जो सौरभ की एक्स को टारगेट कर रही होती है। उसमें वही बातें लिखी थीं, जो वह रितिका से भी कर रहा था।

अपूर्व उन चैट्स का प्रिंटआउट निकालता है और डॉक्यूमेंट फॉर्मेट में मानसी को भेजता है।

डॉक्यूमेंट पढ़ने के बाद, मानसी के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। वह चौंकते हुए कहती है, "यार, ये तो मास्टरमाइंड निकला!"

अपूर्व ने भी गंभीरता से जवाब देते हुए कहता है, "बहुत बड़ी प्लानिंग कर रखी है इसने, और रितिका इसकी पहली लड़की नहीं है।"

मानसी फिर से सवाल उठती है, "कितने मासूम दिल तोड़े होंगे इसने? हमने तो बस दो लड़कियों की चैट्स पढ़ी हैं। पर इसकी तह तक कैसे जाया जाए? और अगर हमने इसे रंगे हाथों पकड़ा भी, तो रितिका कैसे यक़ीन करेगी? वह तो सौरभ के खिलाफ़ एक शब्द तक नहीं सुनेगी।"

मानसी की फ़िक्र देखकर अपूर्व कहता है, “ये ऊँट भी पहाड़ के नीचे आएगा। मगर अभी हमें रितिका को इसके बारे में बताना होगा। Do one thing, ask her to meet us over a coffee.”

अपूर्व के कहने के बाद मानसी ने रितिका को कॉफ़ी के लिए साथ चलने को कहा। रितिका को भी मानसी और अपूर्व से सौरभ के बारे में बात करनी थी, क्योंकि वह उन्हें बताना चाहती थी कि वह दोनों जल्द ही शादी करने वाले हैं।

तीनों ने तय किया कि वे साउथ बॉम्बे के कैफ़े में मिलेंगे।

रितिका इस रीयूनियन को लेकर बहुत एक्साइटेड थी, वहीं मानसी और अपूर्व इस बात को लेकर परेशान थे कि रितिका कैसे रिएक्ट करेगी।

ठीक 6 बजे, सब अपने-अपने घर से कैफ़े के लिए निकल गए। 7 बजे तक तीनों साउथ बॉम्बे के कैफ़े Amore में बैठे हुए थे।

6 महीने बाद रितिका अपने दोस्तों से मिल रही थी। पहले उन्होंने स्कूल की बातें कीं, फिर कॉलेज के दिनों की, जब उनके कांड बहुत पॉपुलर थे।

तीनों को "तीन की तिकड़ी" के नाम से बुलाया जाता था, लेकिन आज ये टाइटल उनके पास रहेगा या नहीं, यह तय होने वाला था। जैसे ही टेबल पर कॉफ़ी आई, अपूर्व और मानसी ने एक-दूसरे को देखा। रितिका ने दोनों से पूछा तो अपूर्व ने पहले "कुछ नहीं" कहा। मानसी ने भी बात बदल दी, मगर रितिका समझ गई कि दाल में कुछ काला है।

उसने दोनों से नाराज़गी भरे लहज़े में कहा, "तुम लोग आपस में ही इशारे कर लो, मुझे क्यों बुलाया है?" रितिका की आवाज़ में रूखापन सुनकर अपूर्व उसे समझाने की कोशिश करता है- "अरे यार, ऐसा नहीं है।"

रितिका: "तो फिर कैसा है?"

मानसी जवाब देती है, "रितिका, तुझे एक बात बतानी थी। पता नहीं, तू कैसे रिएक्ट करेगी। पर हम आज तेरे लिए ही मिले हैं।"

रितिका :  “तो बताओ ना, आख़िर बात क्या है?”

एक लंबी गहरी साँस लेने के बाद अपूर्व रितिका को सौरभ के चैट्स का प्रिंटआउट दिखाता है। रितिका को पहले कुछ समझ नहीं आता। जब अपूर्व कहता है कि सौरभ उससे पहले भी कई लड़कियों को चीट कर चुका है, तो रितिका अपूर्व की बात पर ध्यान नहीं देती।

वह बस सौरभ के चैट्स पढ़ती जाती है। उसे अपनी आँखों पर यक़ीन नहीं होता। वह बस पन्ने पलटती जाती है। मानसी और अपूर्व यह सोचने लगते हैं कि उसे कैसे संभालेंगे, लेकिन इसके बाद जो होता है, वह उनकी सोच से परे होता है।

रितिका : "सो व्हाट गाईज़? ये तो बहुत नॉर्मल है। हर किसी का पास्ट होता है।"

अपूर्व के लहज़े में सख्ती थी - "आर यू फॉर रियल? तुम्हारी आँखों के सामने सच्चाई खुली पड़ी है, और तुम इसे समझने को तैयार नहीं हो!"

रितिका (झल्लाते हुए): "यार अप्पू, पास्ट तो सबका होता है ना। तुम दोनों का भी तो है।"

उसी वक़्त मानसी समझाती है, "रितिका, पास्ट होना ग़लत नहीं है। मगर सौरभ जो कर रहा है, वह सरासर चीटिंग है। प्लीज़, समझने की कोशिश करो।"

रितिका :  "मैं तुम दोनों की बात से सहमत हूँ लेकिन मेरा यक़ीन करो, सौरभ बाकी लड़कों की तरह नहीं है... और जानते हो, वह मुझसे शादी भी करने वाला है। बस एक बार उसका काम हो जाए।"

अपूर्व तुरंत पूछता है- "क्या काम? वह अवेयरनेस प्रोग्राम वाला?" "उसे लोन मिल गया?"

रितिका:  "नहीं। अभी तो मैंने ही 2 लाख दिए हैं। बाकी वह अपना प्लॉट बेचकर अरेंज करेगा।"

रितिका की बातें सुनकर अपूर्व और मानसी का शक यक़ीन में बदल जाता है। वे समझ जाते हैं कि सौरभ अब रितिका के साथ भी ग़लत कर सकता है। मानसी किसी तरह रितिका को समझाने की कोशिश करती है, लेकिन रितिका सुनने को तैयार नहीं होती। उस पर सौरभ का फितूर सवार है। थककर दोनों चुप हो जाते हैं और टॉपिक चेंज कर देते हैं।

एक अच्छे नोट पर तीनों की फ्रेंडशिप डेट ख़त्म होती है, और वे अपने-अपने घर के लिए निकल जाते हैं।

रितिका जब अपने घर आती है, तो अपूर्व और मानसी की बातें सोचने लगती है।

उसके मन में कहीं न कहीं उनकी बातों पर यक़ीन होता है, लेकिन उसे यह भी लगता है कि अगर उसने अपने दोस्तों पर यक़ीन किया, तो प्यार पर शक करना पड़ेगा। रितिका अब किसी भी कीमत पर सौरभ के साथ अपना रिश्ता नहीं बिगाड़ना चाहती थी। इसलिए उसने तय किया कि वह सौरभ से वक़्त लेकर इस बारे में बात करेगी।

जहाँ रितिका अपनी दोस्तों की बातों पर सोच-विचार कर रही थी, वहीं सौरभ मुंबई की नाइटलाइफ़ का आनंद ले रहा था। क्लबिंग, एल्कोहॉल, हुकअप... सौरभ के लिए सब कुछ सजा हुआ था।

क्या रितिका कभी सौरभ का यह साइड देख पाएगी? क्या वह अपने दोस्तों की बातों पर भरोसा करेगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

Continue to next

No reviews available for this chapter.