आर्यन (बॉडीगार्ड की बात को अनसुना करते हुए): मिस्टर अर्जुन, तुम्हें लगता है कि ध्रुवी की बेबसी का फ़ायदा उठाकर (अपनी कलाई सहलाते हुए) तुम उसे अपने फ़ायदे के लिए उसका इस्तेमाल कर सकते हो, सिर्फ़ मेरे दम पर, मुझे मोहरा बनाकर? तो तुम बिल्कुल गलत (एक पल रुककर) नहीं हो, (विजयी मुस्कान के साथ) बल्कि आप बिल्कुल सही हैं, हुकुम सा!!!
इतना कहकर अर्जुन की ओर देखते हुए, आर्यन ने एक विजयी मुस्कान मुस्कुरा दी—एक मुस्कान जो आर्यन की झूठी और फरेबी मोहब्बत की गवाह थी। अर्जुन ने आर्यन की बात का कोई जवाब नहीं दिया और वह खामोशी से, सामान्य भाव के साथ, वहाँ पड़ी कुर्सी पर एक राजा की भाँति, अपने शाही अंदाज़ में विराजमान हो गया। कुछ पल बाद आर्यन बेड से नीचे उतरा और खड़े होकर, अंगड़ाई लेते हुए, उसने वापस से अपनी चुप्पी तोड़ी।
आर्यन (प्राउड भरे लहजे से मुस्कुराते हुए): वैसे, हुकुम सा, एक बात तो आपको माननी ही होगी कि मैं एक्टिंग सिर्फ़ अच्छी नहीं, बल्कि झक्कास करता हूँ। मतलब, मेरी एक्टिंग के आगे बड़े-बड़े फ़िल्म स्टार और एक्टर्स भी फ़ेल हैं। क्यों, सही कहा ना, हुकुम सा?
अर्जुन (गहरी सोच में नपे-तुले भाव के साथ): हम्मम!
आर्यन (अपनी बात जारी रखते हुए): वैसे, हुकुम सा, मुबारक हो! क्योंकि इस जीत के असली और एकमात्र हक़दार आप ही हैं और जैसा आपने सोचा था, वैसा ही हुआ भी है। ध्रुवी को जरा सा भी शक नहीं हुआ हमारी फ़ुलप्रूफ़ प्लानिंग और प्लॉटिंग पर।
अर्जुन(ब्लैंक एक्सप्रेशन से): हम्मम।
आर्यन(टेबल से जूस का ग्लास उठाते हुए): वैसे ध्रुवी तो क्या, उसकी जगह कोई और भी क्यों ना होता, कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता जैसा हमने किया है। (जूस की सिप लेते हुए) मतलब, आपकी प्लानिंग तो बिल्कुल फ़ुलप्रूफ़ थी, किसी हिंदी फ़िल्म के डायरेक्टर से भी कहीं ज़्यादा मस्त। कोई ख़यालों में भी अंदाज़ा नहीं लगा सकता कि ऐसा भी कुछ हो सकता है।
अर्जुन(खोए से अंदाज़ में): शायद।
आर्यन(एक साँस में सारा बचा जूस गटकते हुए): शायद नहीं,यकीनन। मुझे आज भी वो दिन याद है जब हमने इस खेल की शुरुआत की थी और आपने मुझे इस खेल में एक प्यादा बनाकर, ध्रुवी को अपने मक़सद को पूरा करने के लिए, अपना मोहरा बनाने के लिए शुरुआत की थी!
(फ़्लैशबैक—आर्यन और तीसरे व्यक्ति/लेखक के पॉइंट ऑफ़ व्यू (POV) से)
अनाया की मौत को काफ़ी दिन गुज़र गए थे। अनाया की रियासत और वहाँ के लोग, और अर्जुन के बीच जो कशमकश, जो कन्फ़्लिक्ट चल रहा था, उसे लेकर अर्जुन परेशान और टेंशन में था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इन सारी बातों और चीज़ों का हल कैसे निकाले। वह इन सारी चीज़ों और बातों को यूँ ही नहीं जाने दे सकता था। उसने जैसे-तैसे करके हालातों को संभालने की कोशिश की और उन लोगों से कुछ अरसा माँग लिया था।
अर्जुन(मन में): हमने मोहलत तो मांग ली है लेकिन अब हम ये साबित कैसे करें कि अनाया ज़िंदा है, बस यहाँ से दूर है??
अर्जुन की सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि वह यकीन से कह तो चुका था कि अनाया ज़िंदा है, लेकिन अब सवाल यह था कि वह अनाया को लाएगा कहाँ से?उसकी परेशानी दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही थी। इसी बीच एक दिन अर्जुन की मुलाक़ात आर्यन से हुई। जब अर्जुन अपने ही ख़यालों और सोच में गुम था और सामने से आती गाड़ी बस उसे टक्कर मारने ही वाली थी, कि आर्यन ने अचानक वहाँ आकर तब उसकी जान बचाई।
आर्यन(झटके से गिरे अर्जुन को उठाते हुए): क्या कर रहे हैं सर??, संभलकर,अभी आपकी जान भी जा सकती थी।
अर्जुन(अपने कपड़े झाड़ते हुए): वो हमारा ध्यान कहीं और था। एनीवे हमारी जान बचाने के लिए आपका बहुत–बहुत शुक्रिया।
जो कुछ भी हुआ था,अब यह सिर्फ़ एक हादसा था या किसी की सोची-समझी साज़िश, कहना मुश्किल था। अर्जुन ने आर्यन को शुक्रिया अदा किया, तो बातों ही बातों में आर्यन से उसे मालूम चला कि आर्यन उसके पिता के ड्राइवर का बेटा है। हालाँकि आर्यन के पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे थे, लेकिन अर्जुन के पिता के आर्यन पर बहुत एहसान रहे हैं और वह आज जो कुछ भी है या पढ़-लिखकर यहाँ तक पहुँच पाया है, तो उसके पिता के एहसानों के बदले ही।
अर्जुन(आर्यन की पीठ थपथपाते हुए): आप जो कुछ भी हैं आज,अपनी मेहनत और लगन से हैं, ना कि किसी के एहसान के चलते।
आर्यन(कृतज्ञता से): आप नहीं जानते सर,आपके पूरे परिवार और आपके पिता के लिए मेरे दिल में कितनी इज़्ज़त है,आप ईश्वर की जगह हैं मेरे लिए,जिसने मेरी ज़िंदगी को संवारा है।
अर्जुन ने जब आर्यन के मन में अपने लिए इतनी इज़्ज़त और कृतज्ञता देखी, तो उसने आर्यन की पीठ थपथपा दी और बातों ही बातों में आर्यन से उसके करियर के बारे में पूछा। तो आर्यन ने थोड़े निराशा के साथ बताया कि वह फ़िलहाल कुछ ख़ास नहीं कर रहा है, बस अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान देते हुए एक पार्ट-टाइम जॉब कर रहा है ताकि वह इतने पैसे इकट्ठे कर सके कि वह बाहर जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने सपने को पूरा कर सके। अर्जुन ने जब उसकी बात सुनी, तो उसने आर्यन की मदद करने की बात कही!
अर्जुन(सहजता से): अगर आप चाहें तो आप हमारे ऑफ़िस में पार्ट-टाइम जॉब कर सकते हैं। हमें खुशी होगी।
अर्जुन ने आर्यन को जॉब का ऑफ़र दिया। पहले तो आर्यन ने उसे मज़ाक समझकर टाल दिया, लेकिन जब उसने अर्जुन की बातों में गंभीरता देखी, तो उसके लिए तो यह सोने पर सुहागा जैसी बात थी। इसीलिए उसने फ़ौरन ही हाँ कह दी। आर्यन ने अर्जुन का ऑफ़िस ज्वाइन कर लिया था। ऑफ़िस में आर्यन अर्जुन के पर्सनल असिस्टेंट की जगह उसके सारे काम देखता था। कुछ ही दिन में अर्जुन ने आर्यन की वफ़ादारी भाँप ली थी। वह समझ चुका था कि आर्यन उसके पिता के एहसानों के बदले उसके प्रति बहुत ही कृतज्ञता भरे भाव रखता है और उसके एक हुक्म पर कुछ भी कर गुज़रने की चाह भी।
अर्जुन(आर्यन को प्रेज़ करते हुए): हमें खुशी होती है आपकी वफादारी देखकर। आजकल लोग कल का किया भूल जाते हैं,जबकि आप हमारे पिता के किए एहसान को अब तक इज़्ज़त दे रहे हैं।
आर्यन(मुस्कुरा कर): मैंने आपका नमक खाया है हुकुम सा,यकीन रखें,जान दे दूंगा लेकिन नमक हरामी कभी नहीं करूंगा।
आर्यन की यह कृतज्ञता देख अर्जुन को काफ़ी खुशी महसूस हुई। इसी बीच अर्जुन अनाया के बारे में और उससे जुड़ी बातों के बारे में ज़रूरी डिस्कस करने के लिए लंदन गया। लंदन आने से पहले अर्जुन बेहद परेशान और टेंशन में था। उसे अंदाज़ा तक नहीं था कि लंदन जाकर उसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी और जिस परेशानी को लेकर वह इतना परेशान है, लंदन पहुँचकर उस परेशानी का हल उसे फ़ौरन ही मिल जाएगा।
अर्जुन(मन में): काश! लॉयर से मिलकर हमारा काम बन जाए,सब ठीक हो जाए।
अर्जुन बहुत सारी उम्मीदों के साथ लॉयर से मिलने के लिए गया था। लेकिन यहां भी निराशा ही उसके हाथ लगी थी। अर्जुन निराशा से वापस अपने बंगले की ओर जा रहा था। वो पिछली सीट पर बैठा, खिड़की से बाहर देखते हुए अपनी गहरी सोच में गुम था।
अर्जुन(गहराई से सोचते हुए): शायद अब हम कुछ नहीं संभाल पाएंगे। अब शायद सब कुछ बिखर जाएगा, सब बर्बाद हो जाएगा।
अर्जुन यही सब सोच रहा था कि कुछ दूर जाकर रेड लाइट हो गई और एकाएक जैसे उसकी पूरी दुनिया पलट गई। अपनी आंखों के सामने के नज़ारे को देखकर,उसकी आँखें बेहिसाब हैरत और अविश्वास से फट गई थीं। उसके मुंह से बमुश्किल सिर्फ़ एक ही लफ़्ज़ निकल पाया था।
"अनाया".....????
(क्या अर्जुन ने जो देखा वो उसका वहम था?? या फिर अनाया से जुड़ा कुछ सच में उसके सामने था?? या फिर ये शुरुआत थी किसी नई साज़िश की एक नई शतरंज की बिसात की?? जानने के लिए पढ़ते रहिए "शतरंज–बाज़ी इश्क़ की।))
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