​​मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों.. गांव में रहने वालों के लिए शहर उस खूबसूरत लड़की की तरह होता है जिसकी ठुमकती हुई रीलों से आकर्षित होकर सब लौंड़े उसके साथ ब्याह रचाना चाहते हैं पर ब्याह के बाद जब उसका असली रूप सामने आता है तब पता चलता है कि ये फ़िल्टर कितनी खतरनाक चीज़ है, जो किसी भी सूर्पनखा को स्वप्नसुन्दरी बना सकता है! छन से जो टूटे कोई सपना जाग सूना सूना लगे जाग सूना सूना लगे.. किसी दिल टूटे आशिक का गीत नहीं बल्कि उस दिल टूटे गांव वाले का गीत है जो शहर की मोह माया से आकर्षित होकर अपना गांव छोड़कर शहर आ गया अपने सपने पूरे करने.. जिसने भी वो कहावत बनाई थी कि दूर के ढोल सुहावने.. पक्का शहर में मजदूरी करने वाला कोई गांव वाला ही होगा क्योंकि शहर सिर्फ दूर से ही अच्छा लगता है.. शहर जाकर पता लगता है कि शहर आकर कितनी बड़ी गलती कर दी। शहर की भाग दौड़.. शहर की महंगाई.. शहर की हाई-फाई सोसाइटी में अडजस्ट होने का प्रेशर.. शहर के जजमेंटल लोग.. ये सब अनुभव करने के बाद ही इंसान को समझ में आता है कि गांव में भले ही एक रोटी कम मिले पर जितनी मिलती है चैन और सुख की मिलती है, पर वो क्या है ना कि हम गांव वाले शोऑफ़ में किसी से कम नहीं होते। जब भी हम गांव से शहर आते हैं तो बड़ी बड़ी इमारतों और महंगी महंगी गाड़ियों के साथ खड़े होकर फोटो खिचवाके गांव भेजते हैं, ताकि गांव वालों को लगे कि हम शहर में पैर रखते ही सक्सेसफुल बन गए। कुछ तो शोऑफ़ के नाम पे शाहरुख के बंगलें के साथ ही फोटो खिचवा के भेज देते हैं और साथ में लिखते भी हैं कि आज गृह प्रवेश पे शाहरुख आया था और बेचारे भोले गांव वाले मान भी लेते हैं। इसी छलावे में आकर शहर जाने की ज़िद पकड़ लेते हैं। जैसे कि इस समय सरपंच रामु सिंह के लड़के रवि ने पकड़ रखी है।​

​​Ravi : भईया हम चाहते हैं कि आप हमको अपनी परछाई बना के रख लीजिए। आज से आप बंधन के जैकी श्रॉफ और हम सलमान खान। आप जो कहेंगे हम वैसे ही करेंगे। बस जब भी आप वापस शहर जाएंगे हमें अपने साथ ले जाइए प्लीज़।​

​​Shaurya : पर तुम शहर जाकर करोगे क्या?​

​​Ravi : पैसा छापेंगे! फिर उस पैसे से पहले लेंगे एक बड़ा सा प्लॉट! उसपे बनाएंगे बादलों को छूता हुआ घर, जैसा हमारे दोस्त राकेश ने बनवाना है। आपको फोटो दिखाए?​

​रवि ने अपने फोन में शौर्य को अपने दोस्त राकेश के शहर के घर की फोटो दिखाई थी जिसे शौर्य तुरन्त पहचान गया…​

​​Shaurya :यह तो एंटिलिया है! यह तो अंबानी जी का घर है!​

​​Ravi : अरे नहीं भईया ऊ तो मीडिया वालों को गलत फहमी हो गया था। अंबानी को तो खाली गृह प्रवेश की पूजा पर बुलाया था राकेश, मीडिया ने फोटो खींच के डाल दिया पर घर की रजिस्ट्री तो राकेश के नाम पे ही है। आप देखिएगा हम ट्रम्प-वा को बुलाएंगे अपने गृह प्रवेश पे।​

​कहा था मैंने.. हम गांव वालों का गांव वालों के साथ ही स्कैम चल रहा है। शौर्य ये बात समझ गया और फिर रवि के मज़े लेने लग गया।​

​​Shaurya : अच्छा! फिर घर बनाने के बाद बाकी के पैसों का क्या करोगे?​

​​Ravi : भईया बचे हुए पैसों से लेंगे हम एक लंबी सी कार वो जो अंग्रेजी पिक्चर में नहीं होती है, जिसके अंदर एक आदमी 10-15 लड़की लोगों को बैठाकर शराब पीता है.. क्या कहते हैं उसे...​

Shaurya : You mean limousine!

​​Ravi : हाँ भईया ऊ ही लंबुसीन! उसके बाद जो पैसा बच जाएगा उससे हम पटाएंगे एक सुंदर सुशील लड़की​!

​​Shaurya : क्यों बॉलीवुड की कोई हीरोइन अच्छी नहीं लगती तुम्हें?​

​​Ravi : भईया पसंद तो बहुत हैं पर ई हीरोइन लोग ना छोटा छोटा कपड़ा बहुत पहनती है। अम्मा अलाउ नहीं करेंगी घर में! इसलिये ब्याह तो हम एक घूंघट वाली से ही करेंगे। बस भईया  आपकी कृपा हो जाए.. आप हमें अपने साथ शहर ले चलिए।​

​​Shaurya : रवि तुमने शहर जाकर पैसे कहां कहां उड़ाओगे उसकी तो सारी प्लानिंग कर रखी है,लेकिन उड़ाने के लिए पैसे कहां से कमाओगे?​

​​Ravi : अरे भईया  शहर में तो पैसा अपने आप छप जाता है! वहां थोड़ी ना खेत में मजदूरी करनी पड़ती है। हमारा दोस्त राकेश बता रहा था कि शहर में पानी की नहीं नोटों की बरसात होती है। अब आप शहर से आए हैं.. आप खुद बताइए आपने कभी शहर में मेहनत मजदूरी की है? फिर भी आपके पास कितना पैसा है!​

​शौर्य चाह के भी रवि की बात से डिसएग्री नहीं कर सकता था। शौर्य ने कभी शहर में कोई मेहनत नहीं की थी। वो तो अपने बाप के टुकड़ों पर ही ऐश कर रहा था। उसने अपनी शर्मिंदगी पर फोकस करने की बजाय रवि की desperation पर फोकस किया। शौर्य के दिमाग में एक आइडिया चमका जिससे वो रवि का इस्तेमाल करके गांव से भाग सकता है। ऊपर से उसके दादाजी भी शहर गए हुए हैं। यह उसके लिए गोल्डन ऑपर्च्यूनिटी है।​

​​Shaurya : रवि मैं तुम्हें अपने साथ शहर ले जाने के लिए तैयार हूं, पर पहले तुम्हें मेरी एक हेल्प करनी होगी।​

​​Ravi : अरे भाईया आप हुकुम कीजिए। कबाब से लेकर शराब हर चीज़ का आयोजन हो जाएगा आपके लिए। आप कहे तो शबाब भी अरेंज कर देंगे!​

​​Shaurya  : नहीं नहीं नहीं..  इस सबकी कोई ज़रूरत नहीं। ऐक्चुअली मैं तो ये गाँव घूमना चाहता हूँ। जब से मैं शहर से आया हूँ मैंने ये गाँव ढंग से देखा ही नहीं है।​

​​Ravi : अरे बस इतनी सी बात.. आइए भाईया आपको गाँव भ्रमण हम करा देते हैं। ललिता दीदी की दुकान से शुभारंभ करते हैं।​

​​Shaurya  : नहीं नहीं..  तुम मेरी बात नहीं समझे। ललिता दीदी की दुकान.. खेत.. ये सब मैं आलरेडी देख चुका हूँ। मुझे गाँव की वो जगह घुमाओ जो आज तक किसी ने नहीं देखी।​

​​Ravi : बस भाईया से नो मोर। हम समझ गए आपको कहां लेके जाना है। चलिए!​

रवि शौर्य को गाँव भ्रमण पे ले गया और सबसे पहले उसने शौर्य को गाँव का सबसे पुराना खाली पड़ा घर दिखाया जो कि किसी खंडहर से कम नहीं था।​

​​Ravi : भाईया एह है हमारे गाँव बखेडा का भूतिया घर। 200 साल पहले ईहाँ एक बंगालन रहा करती थी जो लोगों पे काला जादू करती थी। गाँववालों ने एक दिन उसे उसके घर समेट ही जला दिया। तब से ईहाँ कोई नहीं आता है। एकदम एक्सक्लूसिव जगह है ये हमारे गाँव की!​

​​Shaurya  : रवि इसे एक्सक्लूसिव नहीं हॉन्टेड कहते हैं। जब मैंने कहा था कि मुझे कोई ऐसी जगह देखनी है जो किसी ने ना देखी हो तो मेरा मतलब था कि ऐसी जगह जिसके बारे में गाँववालों को भी ना पता हो.. ना कि ऐसी जगह जहां गाँववाले खुद ही ना आते हो!​

​​Ravi : ओ हो हो! भारी मिस्टेक हो गया भाईया। आप टेंशन मत लीजिए। हम समझ गए आपको कौन सी जगह घुमानी है। आइए हमारे साथ!​

​​रवि, शौर्य को गाँव के हरे भरे खेतों से होते हुए एक सूखे हुए बरगद के पेड़ के पास ले आया जिसकी टहनियों से बहुत सारी रस्सियाँ लटक रही थीं।​

​​Ravi : भाईया ई है हमारे गाँव का हैंगिंग गार्डन।​

​​Shaurya  : हैंगिंग गार्डन? पर ये तो बंजर ज़मीन के बीचोबीच एकलौता पेड़ है!​

Ravi​ 
भाईया ई ज़मीन बंजर नहीं है। ज़मीन श्रापित है इसलिये इस ज़मीन पे कोई खेती नहीं करता।​

​​Shaurya  : श्रापित? ये ज़मीन श्रापित कैसे हुई?​

​​Ravi : अब भाईया जिस पेड़ पे लोगों की लाश लटकती हो वो पेड़ जिस ज़मीन पे होगा वो ज़मीन श्रापित ही तो होगी। अब ऐसी श्रापित ज़मीन पे कौन ही फसल उगायेगा?​

Shaurya  : ​​क्या कहा? लाशें? वो भी इस पेड़ पर!​

Ravi : ​​हाँ भाईया। हमारे गाँव में जब भी कोई ज़मीन का, ज़ायदाद का, सम्मान का झगड़ा होता है तो उसमें मैटर हमेशा प्यार और शांति से मर्डर करके ही सुलझाया जाता है और लाश इस पेड़ पर लटका दी जाती है ताकि सारे गाँववालों को पता चल जाए कि मैटर सॉल्व हो गया है।​ 
​​Shaurya  : मार के लाश यहां खुले में लटका देते हो तो पुलिस पकड़ती नहीं है?​

​​Ravi : भाईया ई जगह का सिर्फ गाँववालों को ही पता है। पुलिस और कानून अभी ईहाँ तक पहुँच ही नहीं पाए हैं!​

​​Shaurya  : ओ गॉड! रवि प्लीज़ गाँव में ऐसी मनहूस जगह घुमानी बंद करो। मुझे ये गाँव कम और शमशानघाट ज्यादा लग रहा है! क्या इस गाँव में ऐसी कोई जगह है जिसके बारे में गाँववालों को भी पता ना हो?​ 
 
रवि ने बहुत सोचने के बाद कहा..​

Ravi :​​भाईया ऐसी जगह तो है पर आपको प्रॉमिस करना पड़ेगा कि आप उस जगह के बारे में किसी को नहीं बताएंगे!​

​​Shaurya  : ऐसी कौन सी जगह है?​ 
 
रवि, शौर्य को गाँव की पतली-पतली गलियों से घुमाता हुआ, एक सुनसान सड़क पर ले आया जिसके एंड में एक बड़ी सी चट्टान थी। रवि ने उस चट्टान के सामने से पत्थर हटाया तो अंदर से एक खुफिया सुरंग निकली जिसे देखकर शौर्य की आँखें फटी की फटी रह गई!​

Ravi : ​​भाईया ई है हमारे गाँव का चोर रास्ता। इसके बारे में बस हमें और हमारे दोस्त राकेश को पता है.. अब आप भी जान गए हैं। इसी चोर रास्ते से हम दूसरे गाँव अपनी गर्लफ्रेंड के साथ इलू इलू करने जाते थे।​


शौर्य को उस अंधेरी सुरंग में एक उजाला दिखाई दे रहा था। ये चोर रास्ता उसके लिए परफेक्ट ऑपर्चुनिटी है गाँव से भागने की। उसने सोचा कि वो यहाँ से भागकर अपने दोस्तों के पास शहर जा सकता है जहां वो अपने डैड और दादा जी की नजरों से भी बच रहेगा और उसे गाँव की जिंदगी से भी छुटकारा मिल जाएगा। शौर्य गाँव से भागने के बारे में सोचकर मन ही मन खुश हो रहा था तभी उसकी नज़र चट्टान से थोड़ी ही दूर कुछ कच्चे मकानों पर पड़ी।​

​​Shaurya  : रवि तुम तो कह रहे थे कि इस चोर रास्ते के बारे में गाँव के किसी इंसान को नहीं पता। इसके बगल में तो इतने सारे मकान हैं।​

​​रवि ने दबी हुई आवाज में जवाब दिया..​

​​Ravi : भाईया उधर काहे देख रहे हैं आप? उधर मत देखिए। ये कच्चे मकान वाले लोग हैं इसलिये उनका घर गाँव के बॉर्डर पर बनाए हुए हैं।​

​​Shaurya  : कच्चे मकान वाले लोग हैं तो क्या हुआ? जुबान तो है ना उनके पास! गाँववालों को तो इस चोर रास्ते के बारे में बता ही सकते हैं!​

​​Ravi : भाईया आप समझ नहीं रहे हैं। गाँव वाले इनसे बात ही नहीं करते। ये हमारे लोग नहीं हैं ना! दूसरे लोग हैं!​

रवि के मुँह से ये बात सुनकर शौर्य समझ गया कि ये जात का मामला है! ज़िंदगी में पहली बार शौर्य हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या से रूबरू हुआ है। शौर्य को बहुत बुरा लगा। क्या शौर्य गाँव की इस जात-पात के खिलाफ लड़ेगा? क्या शौर्य चोर रास्ते से भाग निकलेगा? क्या इस देश में हमारे और दूसरों का फर्क कभी खत्म होगा? सब कुछ बताएंगे महाराज.. गाँववालों के अगले भाग में।​

 

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