मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों!

जब कोई धोखा दे तो बुरा लगता है पर जब कोई अपना ही पीठ में खंजर घोप जाए तो दुनिया से विश्वास ही उठ जाता है। जब आपकी नाव वहीं डूबे जहाँ पानी कम हो तो समझ जाना कि नाव बेचने वाला आपका कोई अपना था और उसने आपको बेवकूफ बनाया। गाँव में बेगाना आदमी भी आपके विश्वास का मान रखता है अगर आप किसी अंजान आदमी को थोड़ी देर के लिए बस स्टेशन पे अपने सामान का ध्यान रखने के लिए कह देंगे तो भले ही उस आदमी की खुद की बस छूट जाए पर वह आपके वापस आने तक आपके सामान की रखवाली के लिए खड़ा रहता है। वहीं शहर में अगर आप किसी अपने को दो मिनट अपना बैग देखने के लिए कह देंगे तो सबसे पहले तो वह आपसे इस बात पे झगड़ा करेगा कि जायदाद में इस बैग का बटवारा क्यों नहीं कर रहे आप। फिर वही इंसान आपके खिलाफ पुलिस में शिकायत करेगा कि यह लावारिस बैग छोड़ के जा रहा है बस स्टेशन पे.. पक्का इसके बैग में बम है। पुलिस आपको आतंकवादी समझके गिरफ्तार कर लेगी और फिर तबियत से आपकी सुताई करेगी और आपका वो अपना.. आपकी ही प्रॉपर्टी पर कब्जा करके बैठ जाएगा। सही कहते हैं महाराज, सबसे गहरे जख्म सबसे करीबी लोग ही देते हैं क्योंकि अटैक करने वाले की दूरी इस इनवर्सली प्रोपॉर्शनल टू जख्म की इंटेन्सिटी। जितनी दूर से चोट मारोगे उतना ही कम दर्द होगा। हां अगर वो गोली से आपको मार रहा है तो बात और है, पर शौर्य का जख्म बहुत गहरा है क्योंकि उसे यह जख्म उसके अपने दादा जी ने दिया है। शौर्य जब शिवांगी से गाँव की जिंदगी के बारे में इतना खूबसूरत सबक सीख कर घर पहुँचा तो उसे अपने दादा जी की चिट्ठी मिली जिसपे लिखा था.. “हम कुछ काम से सहर जा रहे हैं तुम्हरे बाप के पास।”
हरिश दद्दा की यह चिट्ठी पढ़ते ही शौर्य, शिवांगी का खूबसूरत सबक भूल गया। उसे फिर से गाँव की धूल मिट्टी से नफरत होने लगी। उसके दादा जी उसे गाँव में अकेला छोड़के खुद शहर चले गए। वह अब भी इसी गाँव में फंसा हुआ है। शौर्य चाहे तो यहाँ से भाग सकता है पर भागकर जाएगा भी तो कहाँ? शहर तो दादा जी चले गए हैं और अगर कहीं और गया तो मीडिया और पुलिस वाले उसे पकड़ लेंगे। शौर्य के पास गाँव में बैठके दादा जी के वापस आने का इंतजार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था क्योंकि अब वह घर में अकेला है इसलिए इंतजार करने का तरीका वह खुद डिसाइड कर सकता था। शौर्य शाम होते ही लालिता दीदी की दुकान पे गया और चिल्ड बियर खरीद कर लाया। जब से वह गाँव आया था उसने दादा जी के डर से शराब को हाथ भी नहीं लगाया था, पर हरिश दद्दा की गैर हाजरी में वह ना ही सिर्फ दारू पी रहा है बल्कि अंग्रेजी गाने लगाकर देर रात तक अकेला डांस भी कर रहा है। शौर्य जब अंग्रेजी गानों पर मूनवाल्क कर रहा था तभी उसका ध्यान खिड़की की ओर गया जहाँ उसने एक परछाई देखी। शौर्य डर गया। उसे लगा कहीं वो गन्ने के खेत वाली चुड़ैल उसके घर तक तो नहीं आ गई। शौर्य ने म्यूजिक बंद किया और डरते डरते घर के बाहर हनुमानकाइन्ड का रैप गाते हुए आया क्योंकि हनुमान चालीसा उसे कहां ही आती थी, लेकिन घर के बाहर कोई भी नहीं था।

शौर्य: लगता है इतने दिनों के बाद पी रहा हूँ इसलिए बीयर भी चढ़ रही है। इसलिए कहते हैं कि रेगुलरली पीते रहना चाहिए।

शौर्य ने अपनी बीयर खत्म की और छत पर मच्छरों के बीच खाट पर सोने चला गया। उसने जैसे ही आँखें बंद की, उसे एक सीटी सुनाई देने लगी। जब शौर्य ने उठकर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। शौर्य को लगा शायद उसके कान बज रहे हैं! वह चादर तान के सो गया पर आँख बंद करते ही उसे फिर से सीटी की आवाज सुनाई देने लगी। शौर्य डर गया!

शौर्य: कौन है? कौन है?

वहाँ कोई नहीं था। एक दम से ठंडी हवा चलने लगी और सीटी की आवाज बंद हो गई। शौर्य घबरा गया कि कहीं दादा जी के जाते ही कोई भूत तो नहीं घुस आया घर में। शौर्य अपनी खाट उठाकर कमरे के अंदर चला गया। डर के मारे सारी रात हनुमानकाइंड का रैप गाता रहा। अगली सुबह, शौर्य को जागता देख मुर्गे की हवा टाइट हो गई। मुर्गे की बांग के डेसिबल कम हो गए क्योंकि उसको यकीन ही नहीं हुआ कि उसके बांग देने से पहले ही शौर्य उठ चुका है। दरअसल डर के मारे वह पूरी रात सो ही नहीं पाया क्योंकि फिल्मों में भूत सिर्फ रात को ही नुकसान पहुँचाते हैं इसलिए दिन का उजाला देखकर शौर्य का डर भागा और उसने चैन की सांस ली। शौर्य ने पहले अपनी नींद पूरी की और फिर अपने पेंडिंग हैंगओवर को दूर करने के लिए वह नहाने लगा। शौर्य घर के पीछे वाले आंगन में नहा रहा था जहाँ बिना किसी दीवार के उसका साबुन लगा शरीर फुल डिस्प्ले पे था। तभी उसने देखा कि कोई उसे बगल वाले घर की छत से घूर रहा है। शौर्य ने पानी से अपने शरीर का सारा साबुन साफ किया और तौलिया लपेट के घर की तरफ भागने लगा तभी छत से एक आदमी उसके सामने कूद कर प्रकट हुआ! जिसे देखते ही शौर्य की चीख निकल गई और उसके हाथ से तौलिया खुल गया और शौर्य का खुला तौलिया देखकर उस इंसान की चीख निकल गई। उसकी चीख सुनकर शौर्य की दोबारा चीख निकल गई। शौर्य की दूसरी चीख सुनकर उस इंसान की दोबारा चीख निकल गई। काफी देर तक यह चीखों का मेरी गो राउंड चलता रहा। फिर शौर्य ने अपना तौलिया समेटा और उस इंसान से पूछा...

शौर्य: कौन हो तुम? और मेरे घर में क्या कर रहे हो?

शौर्य के सामने चमचमाती शर्ट पहने और लाल रंग के गॉगल लगाए लड़का बोला...

रवि: शौर्य भईया प्रणाम। हम रवि हैं.. सरपंच रामु सिंह जी के सुपुत्र! आपसे आज हमारा फर्स्ट मीटिंग है। हाथ मिलाइए।

रवि ने जैसे ही शौर्य से हाथ मिलाने के लिए शौर्य का हाथ पकड़ा शौर्य का तौलिया फिर से नीचे गिर गया और फिर से चीखों का मेरी गो राउंड शुरू हो गया! शौर्य ने अपना तौलिया संभाला और कहा...

शौर्य: तुम सरपंच जी के बेटे हो तो मेरे दादा जी की छत पर क्या कर रहे थे?

रवि: ऊ का है ना भईया हमारा बचपन का आदत है.. हम बचपन में बहुत पतंग लूटे हैं और पतंग लूटने के चक्कर में हम एक छत से दूसरी छत पे कूदते ही रहते थे। इसलिए हम कभी दरवाजे से एंट्री लिए ही नहीं.. डायरेक्ट छत से आते हैं।

शौर्य: तो कल रात छत पे वह भूत तुम थे जो सीटी बजा रहा था?

रवि: सही पकड़े भईया। ऊ का है ना भईया हम कल रात आपसे मिलने आए थे पर आपका मदीरापन चल रहा था तो सोचा काेई आपको डिस्टर्ब न करे। आपसे मिले बिना जाने का दिल ही नहीं कर रहा था इसलिए आप ही की छत पर छुपकर आपके सुबह उठने का इंतजार करने लगे। इंतजार करते करते बोर हो रहे थे तो सीटी बजाना शुरू कर दिए। फिर जब ठंडी हवा चली तो ठंड से कपकपाने लगे और वापस अपने घर चले गए। भगवान की माया देखो भईया उन्होंने आपको दिन में सुला दिया ताकि आप जैसे ही उठे सबसे पहले आपके दर्शन हम कर सके। तो लो हो गए हम प्रकट!

रवि की अजीबोगरीब बातें सुनकर शौर्य को उसपे डाउट होने लगा।

शौर्य: तुम सच में सरपंच रामु सिंह जी के बेटे हो? तो तुम अपनी बहन की सगाई पे क्यों नहीं आए? बिट्टी की सगाई पे तो तुम कहीं दिखे नहीं!

रवि: ऊ का है ना भईया हम अपनी नानी के घर गए हुए थे। फिर वहाँ से हम ज़रा कुछ दिनों के लिए फरार हो गए। जब तक वापस आए तब तक पिताजी बिट्टी की सगाई करवा चुके थे!

शौर्य: फरार हो गए थे? मतलब?

रवि: भईया सारा बात तौलिया में ही कीजिएगा? ठंड का मौसम आ गया है! न्यूमोनिया हो जाएगा! अंदर चलके कपड़ा पहन लीजिए। सब विस्तार में बताते हैं।

शौर्य ने अंदर जाकर कपड़े पहने। जब वह कपड़े पहनके बाहर आया तो रवि बीयर के कैन खोलकर बैठा हुआ था।

रवि: चीयर्स भईया !

शौर्य: गाँव वाले कबसे दिन में पीने लग गए?

रवि: भईया शहर वाले तो सुबह भी पी लेते हैं ना! हमको आप गाँव वाला नहीं शहर वाला ही समझिए। दरअसल हमको आपसे यही बात करनी थी। पहले आप घूंट तो भरिए ताकि शुभारंभ हो!

शौर्य ने रवि के हाथ से बीयर का कैन लिया और घूंट भरके उसकी बात सुनने लगा।

रवि: भईया का है ना! हम अपनी नानी के घर से इसलिए फरार हुए थे क्योंकि हमको शहर जाना है! हमसे अब गाँव में रहा नहीं जाता! हमें गाँव की धूल मिट्टी बिलकुल नहीं भाती। हमारा पूरा स्किनकेयर रूटीन खराब हो जाता है गाँव में। हमको तो शहर के ए.सी वाला ऑफिस में कंप्यूटर पर टक टक टक करते हुए काम करना है और मोटा पैसा छापना है, पर ससुरा हमारा बाप हमको शहर जाने ही नहीं देता।

शौर्य: ... पर जब तुम अपनी नानी के घर से फरार हो ही गए थे तो फिर वापस क्यों आए?

रवि: भईया देखिए किसी को बताइएगा नहीं। कॉन्फिडेंशियल है। आप शहर वाले हैं। आप पे ट्रस्ट करते हैं। इसलिए आपको बता रहे हैं। हम बिना टिकट के ही फरार हो गए थे। टीटी ने हमको गुड्डी से पकड़के बहुत मारा और बीच प्लेटफॉर्म पे फेंक दिया। बड़े जलील होकर लौटे हैं। अब निश्चित कर लिया है कि मरेंगे तो शहर में ही.. गाँव के शमशानघाट में भस्म नहीं होना है हमको। इसलिए तो आपके पास आए हैं!

शौर्य: नहीं नहीं। मैं तुम्हें नहीं मार सकता। मुझे जेल हो जाएगी। तुम्हें सुसाइड करना है तो अपने घर जाकर करलो।

रवि: का भईया आप भी मजाक करते हैं। हम तो चाहते हैं कि आप हमको अपनी छाया बनाके रख लीजिए। आज से आप बंधन के जैकी श्रॉफ और हम सलमान खान। आप जो कहेंगे हम वैसा ही करेंगे। बस जब भी आप वापस शहर जाएंगे हमें अपने साथ ले जाइए प्लीज।

रवि की बातें और उसकी डेस्पेरेशन सुनकर शौर्य के दिमाग में एक आइडिया चमका जिससे वह रवि का इस्तेमाल करके गाँव से भाग सकता है। 

कैसे करेगा शौर्य रवि का इस्तेमाल गाँव से भागने के लिए? 

क्या शौर्य सच में रवि को अपने साथ शहर लेकर जाएगा? 

क्या रवि का शहर में मरने का सपना पूरा हो पाएगा? 

सब कुछ बताएंगे महाराज.. गाँववालों के अगले चैप्टर में!

 

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