उस अंधेरी काली घनी धुंध भरी रात में वह फार्महाउस से गोली की आवाज सुनकर मीरा का पूरा शरीर मानों थर्रा उठा, उसके मुंह से एक सहमी हुई सी चीख निकल गई...’’पापा क्‍या मेरे पापा को…?

क्‍या नैना ने मेरे पापा पर गोली चला दी है या फिर पापा ने नैना पर...अब तक तो सारे स्‍टाफ मेंबर ने पापा को घेर लिया होगा। 

नहीं नहीं मैं अपने पापा को ऐसे छोड़कर नहीं जा सकती, मुझे वापस लौटना होगा…माना मेरे पापा ने बहुत गलत काम किया है, पर इस समय वे उन लोगों से घिरे हैं जो नहीं चाहते हैं कि इस फार्महाउस में क्‍या हो रहा है वह दुनिया के सामने आए।

नकली दवाईयां और नकली वैक्‍सीन का काम, लोगों की जान और सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। लोग किस हद तक नीच हो सकते हैं, पर फिर भी मेरे पापा, नैना और वे सारे डाक्‍टर …उन्‍हें सजा तो मिलनी ही चाहिए।

ये सोचकर मीरा फार्महाउस की ओर वापस जाने को मुड़ी, पर फार्महाउस अंधेरे में डूब चुका था और अब एक नहीं ढेर सारे कुत्‍तों के भौंकने की आवाजें आने लगी थी। 

मीरा के शरीर में जोर की सिहरन दौड़ गई...अब फार्महाउस में जाना खतरे से खाली नहीं है। जरूर उन लोगों ने मेरे पीछे ही कुत्‍ते छोड़े होंगे, मुझे यहां से जाना होगा…घर जाना होगा...अगर पापा यहां फार्महाउस में हैं तो मम्‍मी भी यहीं होंगी…इतना सोचकर मीरा अपनी पूरी ताकत लगाकर दौड़ने लगी। 

फार्महाउस के कुत्‍तों की आवाज लगातार उसके करीब आती जा रही थी…मीरा को लगा जैसे उसका दिल किसी भी समय बाहर आ सकता है। वह गिर जाएगी - कुत्‍ते उसके ऊपर झटप पड़ेंगे कितनी भयानक और बुरी मौत मारेंगे, फिर उसके बाद मुझे भी यहीं के गटर में फेंक देंगे।

सबकुछ फिर से राज रह जाएगा...किसी को पता नहीं चलेगा कि मैं कहां गई, शायद मेरे पापा मां से कुछ झूठ बोल दें कि राघव की तरह मैंने भी लोगों से दूरी बना ली है। नहीं मुझे ऐसी मौत नहीं मरना...मुझे इन सबका पर्दाफाश करना है।

अचानक मीरा को ऐसा एहसास हुआ कि कोई उसके ठीक पीछे आ गया है, मीरा को ऐसा लगा मानो उसी क्षण उसके पूरे शरीर को आग ने घेर लिया है। मीरा ने अपनी आंखे कसकर भींच ली…बदन में जोर की झुरझुरी हुई, सामने रिहायशी इलाका दिखने लगा था “जरूर यहां कुछ मदद मिल सकती है।”

मीरा की हिम्‍मत नहीं हो रही थी कि वह पीछे देखे...वह बस सामने दिख रहे रंगबिरंगी लाइटों से सजे एक घर में जाना चाहती थी।

घर के सामने आकर मीरा को राहत महसूस हुई...वह थोड़ा सा झुककर अपने दोनों पैर घुटने पर रखकर तेज तेज सांसे लेने लगी। उस घर के सामने अच्‍छी खासी चहल पहल थी...शायद घर के अंदर कोई पार्टी चल रही थी। घर के आसपास छोटे मोटे रेस्टोरेंट, चिप्‍स, कोल्‍डड्रिंक की दुकाने थी।  

अब जब मीरा ने मुड़कर पीछे देखा...पीछे कुछ नहीं था, ’’कौन था वह जो मेरा पीछा कर रहा था?’’ मीरा ने दूर तक देखने की कोशिश की, दूर दूर तक घुप्‍प अंधेरे के अलावा और कुछ नहीं था।

उसका दिमाग बुरी तरह चकरा रहा था, उस फार्महाउस में उसने कितनी भयानक घटना को अपनी आंखो से देखा था। कोई और कहता तो शायद मीरा उस पर कभी विश्‍वास ही नहीं करती….तभी राघव ने मुझसे खुद यहां आकर देखने के लिए कहा था, क्‍योंकि उसे पता था कि वह किसी भी भगवान या अपने माता पिता की कसम देकर भी कहता कि तुम्‍हारे पापा क्रीमिनल हैं, हत्‍यारें हैं, और उससे भी बदतर, घटिया इंसान हैं तो मीरा राघव को थप्‍पड़ जरूर लगा देती पर यकीन नहीं करती।

भीषण दुख और गहरे उत्‍तेजना में मीरा की आंखो से आंसू बहने लगे...

‘’मुझे मां के पास जाना होगा...उन्‍हें बताना होगा कि उनके पति उनके साथ कैसा छल कर रहे हैं। जिसे वे देवता मानकर पूजती हैं, जिसकी लम्‍बी उम्र के लिए दिन भर बिना कुछ खाए पिए करवा चौथ, तीज और वट सावित्री का व्रत रखती हैं, वह राक्षस है…हैवान है और उन्‍हें जीने का कोई हक नहीं है। मां जब पापा के बारे में यह सब जानेगी तो पता नहीं क्‍या बीतेगी उस पर.?’’ 

मीरा ने एक दुकान से पानी की बोतल ली, पानी पीकर अपना गला तर किया। 

 

फिर उसने एक टैक्‍सी रोकी...ड्राइवर को अपने घर का पता बताया और टैक्‍सी में बैठ गई, रह रहकर मीरा को यह लग रहा था कि फार्महाउस का कोई आदमी उसका पीछा तो नहीं कर रहा। अचानक मीरा को लगा कि यह टैक्‍सी वाला भी उसे अजीब नजरों से देख रहा है, कहीं इसे मेरे पापा या नैना ने तो नहीं भेजा है..? उन्‍हें पता था कि मैं यहीं आकर रूकूंगी और मुझे घर जाने के लिए टैक्‍सी की जरूरत पड़ेगी...हे भगवान यह क्‍या किया मैंने डर के मारे बिना कुछ सोचे समझे टैक्‍सी पर बैठ गई..। 

यह मुझे कहां लेकर जाएगा? सोचकर मीरा ने कार के बाहर देखा, वह सही रास्‍ते पर जा रहा था…मीरा का घर अब लगभग आठ किलोमीटर रह गया था। 

अगर बगल से आती जाती, इक्‍का-दुक्‍का टैक्‍सियां दिख रही थी, कुछ बाइक वाले और कुछ साइकिल सवार…मीरा हर इंसान को शक की नजरों से देख रही थी कि इनमें से कौन मेरा पीछा कर सकता है?

तभी टैक्‍सी वाले ने मीरा को चौंका दिया…आपको इतना पसीना क्‍यों आ रहा है मैडम जी? तबीयत तो ठीक है ना आपकी? कुछ परेशान सी लग रही हैं आप..’’ 

मीरा को सच में इतनी भरी ठंड में माथे पर पसीना आ रहा था…वह डर और दहशत से अभी भी कांप रही थी। 

मीरा ने रूमाल से अपना पसीना पोछा और बहुत ही मुश्‍किल से मुसकुराती हुई बोली, ‘’नहीं, नहीं ऐसी कोई बात नहीं है...एक्‍चुली मैं रास्‍ता भटक गई थी, गलती से एक जंगल पहुंच गई और मैं डर गई थी इसलिए बाहर निकलने के लिए जल्‍दी जल्‍दी भागी।‘’ 

ड्राइवर ने हैरान होकर कहा, ‘’हैं...क्‍या कहा आपने...उस जंगल में जहां से आपने यह टैक्‍सी ली?‘’ 

मीरा ने हां में जवाब दिया।

‘’अरे मैडम जी आप उधर कैसे पहुंच गई? वह तो बड़ा ही खतरनाक एरिया है बड़े ही क्राइम होते है वहां पर..।’’ 

क्राइम कैसा क्राइम? मीरा को लगा इसे सब पता है...पुलिस को सबूत चाहिए होगा तो एक मैं हूं और दूसरा यह ड्राइवर।

‘’अरे मैडम जी, बड़ी चोरी होती है, दोपहर के समय तो बीच सड़क पर कारें रोककर चोर गहने रूपए छीन लेते हैं और मारकर वहीं जंगल में फेंक देते हैं...आपकी किस्‍मत अच्‍छी थी कि आपके साथ कुछ नहीं हुआ, वरना जो उस जंगल की ओर गया है कभी वापस नहीं लौटा।

मीरा ने पूछा....उस जंगल में एक फार्महाउस भी है, उसके बारे में तुम्‍हें कुछ पता है?’’ 

‘’फार्महाउस…’’ सुनते ही ड्राइवर की आंखे बड़ी हो गई हैं…आपको क्‍या लगता है मैंडमइतने  खतरनाक एरिया में कोई फार्महाउस बना सकता है.?’’ 

मीरा ने कहा, ‘’ओह मैंने सुना है कि शायद कोई फार्महाउस है, कुछ लोग वहां इल्‍लीगल काम करते हैं।‘’ कहते हुए मीरा एक क्षण के लिए तो कांप उठी...कहीं यह ड्राइवर उन्‍हीं का आदमी हुआ तो?‘’ मीरा ने बाहर देखा, अब केवल दो किलोमीटर की दूरी पर वह रह गई थी। 

ड्राइवर ने कहा, ‘’अगर फार्महाउस होगा तो वहां केवल अपराधी, चोर और हत्‍यारे ही रहते होंगे।’’ 

ड्राइवर ने एकदम सही कहा था, ‘’वहां केवल अपराधी...चोर उच्‍चके और हत्‍यारे रहते हैं।‘’ 

मीरा ने ड्राइवर को पैसे दिए और बिना एक सेकेंड देर किए घर के सामने पहुंच गई। इस समय मीरा कितना सूकुन महसूस कर रही थी, वो बता नहीं सकती थी। इस समय वह केवल अपनी मां से लिपटकर खूब रोना चाहती थी...उन्‍हें वह सब कुछ बताना चाहती थी जो उसने अभी देखा है।  

 

इतने सालों से वे एक झूठे इंसान के साथ जिंदगी बिता रही थी, जिसके हाथ न जाने कितने मासूमों के खून से सने हुए हैं।

मीरा ने डोरबेल बजाई...दरवाजा नीता ने ही खोला और मीरा को देखते ही सन्‍नाटे में आ गई। चेहरे पर आंसुओं की सूखी धार, लाल सूजी हुई आंखे, नीता का दिल किसी अनहोनी की आशंका से घबरा उठा, ‘’मीराृ...तुम यहां बेटा...? ऐसे बिना बताए तुम यहां कैसे आ गई…? फोन कर दिया होता तो तुम्‍हारे पापा तुम्‍हें लेने एयरपोर्ट लेने चले जाते।’’ 

मीरा ने नीता के इन सवालों के जवाब न देकर झट से नीता से लिपट गई।

आंखों से आसुओं की धारा बह उठी, मीरा की पीड़ा आंसू बनकर निकल रही थी...ऐसा लग रहा था आज उसकी आंखों में आसुओं की कमी नहीं रहेगी। 

नीता के शरीर की भीनी गंध और ममता से भरे स्‍नेह वाले हाथ मीरा को सहलाने लगे…इस क्षण में मीरा सबकुछ भूल गई। ऐसा लगा कि वह दुनिया के सबसे सुरक्षित आवरण मे समा गई है, यहां कोई दुख नहीं, दर्द नहीं, पीड़ा नहीं, केवल सुख है, ऐसा सुख जिसको शब्‍दों में बयान नही किया जा सकता। 

सच ही कहा जाता है कि मां की ममता और करूणा का कोई जवाब नहीं। 

कुछ सेकेंड चुप रहने के बाद नीता ने दोबारा पूछा…क्‍या हुआ बेटा, आफिस में किसी से झगड़ा हो गया है क्‍या?

मीरा ने आंखे बंद किए हुए ही ना में गरदन हिला दी।

‘’तो ऐसे बिना बताए क्‍यों आ गई...? तुम्‍हें कैसे पता चला कि मैं और तुम्‍हारे पापा नोएडा में हैं…? अगर हम यहां तुम्‍हें नहीं मिलते तो?‘’

पापा का नाम सुनते ही मीरा का पूरा बदन थर्रा उठा, ’’पापा, दुनिया का वह इंसान जिसे मैं सबसे ज्‍यादा प्‍यार करती थी, कुछ घंटे पहले वह मेरे सब कुछ थे, मेरे आदर्श मेरे हीरो, मेरे मार्गदर्शक पर अब मैं उनसे सबसे ज्‍यादा नफरत करती हूं।‘’

मीरा, नीता से अलग होकर बोली, ‘’मम्‍मी, पापा कहां गए हैं?’’ 

नीता ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘’गए होंगे किसी काम से।‘’ 

‘कौन सा काम मम्‍मी..? उन्‍होंने तो बहुत पहले रिटायरमेंट ले लिया था, वैसे भी नोएडा तो उन्‍हें बहुत ही गंदा और प्रदूषित शहर लगता है, इसलिए मसूरी में घर ले लिया, फिर वापस इस घर में आने का प्‍लान कैसे हो गया...? आप तो कह रही थी कि वे इस घर को बेचने वाले हैं।‘

‘’यह तुम क्‍या बेकार की बात लेकर बैठ गई...अरे रिटायर हो गए हैं पर तुम्‍हारे पापा के बहुत सारे यार दोस्‍त तो यहीं हैं। मसूरी में अभी किसी से हमारा इतना परिचय भी नहीं है, वहां इससे ज्‍यादा ठंड पड़ रही थी तो सोचा नोएडा ही चलते हैं, पुराने दोस्‍तों से भी मिल लेंगे और ठंड भी यहीं बिता लेंगे।‘’

‘’मां आपको पता है पापा क्‍या काम करते हैं? उन्‍होंने आपको धोखे में रखा है और वह नैना याद है आपको...राघव की बीवी, वह पापा के साथ मिलकर क्‍या कर रही है?‘’

कहकर मीरा ने नीता को राघव से मिलने से लेकर फार्महाउस में घटित सारी घटनाओं को बिना एक सेकेंड रूके कह डाला। 

जैसा की मीरा को आशंका थी…नीता घोर सन्‍नाटे में आ गई, उनके लिए यह सूचना किसी वज्रपात से कम नहीं थी। उन्‍होंने अपनी छाती पर हाथ रख लिया, मीरा उनके करीब आकर बोली, ‘मम्‍मी आपके लिए शायद यह विश्‍वास करना मुश्‍किल हो...पर मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है.…मैंने गोली चलते देखी है और कुछ तो बुरा हुआ है मम्‍मी।’’

‘’ओह तभी वे मुझसे बोलकर गए हैं कि वे आज रात को घर नहीं लौटेंगे...अपने दोस्‍त के यहां रहेंगे।’’ 

‘’मम्‍मी वे दोस्‍त नहीं...उस खूनी फार्महाउस में रूके हैं। कुछ करो प्‍लीज…हमें पापा को उस दलदल से निकालना होगा।‘’ 

नीता कुछ सोचते हुए बोली, ‘’यह बहुत ही सीरियस और सेंसेटिव मैटर है...मैं शोभित अंकल से बात करती हूं।‘’ 

‘’पर शोभित अंकल तो रिटायर हो चुके हैं...’’ 

‘’उनका पर पुलिस वालों से कान्‍टेक्‍ट तो है।’’ कहकर नीता ने शोभित को फोन मिलाया, सारी बातें बताकर अमरीश को बचाने के लिए उनकी हेल्‍प मांगी..।’’ 

फोन रखकर नीता ने मीरा से कहा, ‘’अंकल ने कहा है कि वे सुबह फार्महाउस में अपने कुछ विश्‍वसनीय पुलिस आफिसरों के साथ पर्सनली चेकिंग के लिए जाएंगे, पहले वे खुद श्‍योर हो जाएं की वहां क्‍या हो रहा है?‘’ 

‘’सुबह...पर मम्‍मी...पापा खतरे में हैं। सुबह होने में अभी बहुत समय है, वे बहुत खतरनाक लोग हैं।‘’ 

‘‘हम कुछ नहीं कर सकते, जो शोभित अंकल कह रहे हैं हमें वही करना होगा, पर तुम भी यह ध्‍यान रखना कि अगर तुम झूठी हुई तो अपने पापा की नजरों में हमेशा के लिए गिर जाओगी और मैं भी तुम्‍हें शायद कभी माफ न कर पाऊं।‘’ 

‘’काश…यह झूठ ही हो मां…एकदम झूठ।‘’ 

नीता ने मीरा के लिए खाना लगा दिया था…मीरा को खाना निगलना तो दूर पानी की एक घूंट भी गले से उतारना मुश्‍किल हो रहा था। मीरा जितनी परेशान, बेचैन और उलझन में थी...नीता उतनी ही शांत लग रही थी...कुछ ही देर के लिए उनके चेहरे पर शिकन के भाव आए थे और फिर वे सामान्‍य हो गई थी मानो मीरा ने कोई साधारण सी बात कही हो।

 

यह रात बहुत भारी थी…अब तक की सबसे बुरी रात।

मीरा की शादी की रात से भी बुरी रात, शायद जिंदगी में यह पहली रात थी जब उसे नींद नहीं आई थी। एक एक घंटा उसने घड़ी देखते हुए बिताया था, ठीक सुबह सात बजे शोभित अपने कुछ साथियों को लेकर मीरा के घर के सामने आ गए।  

आते ही उन्‍होंने एक सवाल किया...’’क्‍या तुम श्‍योर हो कि वे तुम्‍हारे पापा ही थे..?’’ 

मीरा ने हां में गरदन हिलाई। 

‘’तुम्‍हें पता है अगर यह सच हुआ तो तुम्‍हारा पूरा परिवार बिखर जाएगा।‘’

मीरा ने कहा, ‘’मुझे केवल अपने पापा को उस नरक से निकालना है, वे जेल में रहेंगे पर सुरक्षित रहेंगे।‘’ 

मीरा और नीता दोनों शोभित के साथ बैठ गई, मीरा के बताए रास्‍ते पर पुलिस की गाड़ियां भाग रही थी, मीरा के दिल में तरह तरह की आशंकाए उठ रही थी। मुझे शोभित अंकल का इंतजार नहीं करना चाहिए थो, किसी नजदीक पुलिस स्‍टेशन में तुरंत यह बात बतानी चाहिए थी, पर मां ने रोक लिया…उनका मन अभी भी कह रहा होगा कि शायद मैं झूठ बोल रही हूं..’’सोचकर मीरा ने नीता को देखा, वे बाहर का नजारा देख रही थी, दुख और चिंता उनके चेहरे पर लेशमात्र नहीं था, उनके चेहरे पर अपने पति के लिए अपार भरोसा दिख रहा था।

‘’बेचारी मेरी भोली मम्‍मी...कैसे सहन करेगी पापा का यह काला सच?‘’

‘’क्‍या यही फार्महाउस है?‘’ 

सामने आम के पेंड़ों से घिरे एक बड़े से घर की ओर इशारा करते हुए शोभित ने मीरा से पूछा।

‘’मीरा ने उत्‍तेजना से कहा, ‘’हां हां यही है, यहां कई सारे सिक्‍योरिटी गार्ड होंगे, और कुछ डॉग भी होंगे, वे हम पर अटैक कर सकते हैं।‘’ 

‘’कोई बात नहीं, हमारे पास भी डॉग हैं।‘’ कहकर उन्‍होंने पीछे आ रही जीप की ओर इशारा किया, उसमें से एक जर्मन शेर्फड उतर रहा था, दिखने में बेहद फर्तीला और खुंखार। मीरा ने राहत की सांस ली, शोभित अंकल पूरी तैयारी के साथ आए थे। 

 

जैसा मीरा ने बताया था, एंट्री गेट पर कोई सिक्‍यारिटी गार्ड नहीं था, गेट आधा खुला हुआ था, शोभित ने अंदर जाकर चारों ओर देखा…फिर नीता, मीरा और बाकी पुलिस वालों को अंदर आने का इशारा किया। 

सारे पुलिस वाले चारों ओर फैल गए

मीरा को अजीब लगा…

फार्महाउस के अंदर आते ही उसे धक्‍का सा लगा…फार्महाउस के उस जगह जहां मीरा ने कल ढेर सारे यूज किए हुए इंजेक्‍शन, कॉटन और खून से सनी पट्टियां देखी थी...वह सब गायब थी, कूड़े के नाम पर कुछ कागज थे, कामिक्‍स…पुराने न्‍यूजपेपर, बचा हुआ खाना और सब्‍जियों के छिलके।

फिर मीरा उस रूम में गई, जहां कल रात एक आदमी को मारा गया था, नकली वैक्‍सीन का एक्‍सपेरिमेंट चल रहा था…वहां कुछ आधे बने हुए टेडी बियर रखे थे।

यह कैसे हो सकता है, कल रात को तो यहां का नजारा कुछ और था और आज यह क्‍या हो गया? तभी मीरा दोड़ते हुए उस कमरे में गई जहां उसे बांधकर रखा गया था और नैना और उसके पापा के बीच हाथापाई हुई थी, पर यहां भी प्‍लास्‍टिक के खिलौने रखे थे। 

मीरा का दिमाग घूम गया।

तभी वहां एक आदमी आया...उसने मीरा से पूछा...क्‍या चाहिए आपको मैडम?‘’ 

वह मजदूर लग रहा था, उसके हाथ में भी रंगबिरंगे टेडी बियर थे।

‘’तुम कौन हो और यहां क्‍या कर रहे हो?‘’ 

‘’मैडम, मैं यहां काम करता हूं, यह खिलौना बनाने की फैक्‍ट्री है।‘’ 

‘’फैक्‍ट्री...पर यहां तो नकली दवाइयां बनती है।’’  मीरा को लगा की वह अभी गिर ही जाएगी।

 

वह आदमी हंसा तभी शोभित ने वहां प्रवेश किया।

‘’मीरा तुम्‍हारा दिमाग खराब हो गया है…तुम अपने दिमाग का इलाज करवाओ…अपने पापा पर इतना बड़ा आरोप लगाते तुम्‍हें शर्म आनी चाहिए। हमने पूरा फार्महाउस चेक कर लिया है...यह एक टॉय फैक्‍ट्री है, यहां प्‍लास्‍टिक और फोम के खिलौने बनते हैं।‘’  

मीरा मानो सदमें में चली गई। 

 

यह अचानक एक ही रात में क्‍या हो गया, पूरा फार्महाउस एक फैक्‍ट्री में कैसे बदल गया? 

क्‍या मीरा को पता चल पाएगा कि वह किन लोगों से भिड़ रही है? 

कल रात गोली किसे लगी थी? 

क्‍या अमरीश की असलियत सबके सामने आ पायेगी? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए 'बहरूपिया मोहब्‍बत।'

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