मीरा की समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्‍या माजरा है, अभी मुश्‍किल से बारह घंटे पहले की तो बात थी, कल रात आठ बजे वह इसी जगह इसी कांच के पारदर्शी रूम में बैठी थी, उस समय तो यह एक लैब थी, बारह घंटे के अंदर अंदर टॉय फैक्‍ट्री बन गई….यह कैसे संभव है?

‘’मैं मैं सच कह रही हूं अंकल मुझे इसी जगह बांधकर रखा गया था...कुछ तो बहुत गड़बड़ी की गई है यहां…इसके बगल वाले कमरे में एक आदमी को इंजेक्‍शन देकर मारा गया था, उस वैक्‍सीन का टेस्‍ट किया जा रहा था। थोड़ी देर तड़पने के बाद वह मर गया‘’ मीरा ने एक ही सांस में सबकुछ कह दिया।

शोभित को मीरा की आंखो में सच्‍चाई नजर आ रही थी, पर वह खिलौने वाला आदमी जो खुद को इस फैक्‍ट्री का मजदूर बता रहा था वह मंद मंद मुस्‍कुराता हुआ पूर्ण आत्‍मविश्‍वास के साथ खड़ा था।

शोभित ने उससे पूछा, ‘’सच सच बताओ कि यहां सच में क्‍या होता है?‘’ 

उस मजदूर ने कहा, ‘’साहब जो कुछ है सब आपके सामने है, यहां केवल खिलौने बनते हैं।‘’ कहकर वह मजदूर चुप हो गया, उसे ज्‍यादा बोलने के लिए मना किया गया था, ज्‍यादा बोलने का मतलब झूठ का पकड़ा जाना।

शोभित ने फिर पूछा, ‘’जब खिलौना ही बनता है तो यह फैक्‍ट्री इस जंगल के बीचों बीच क्‍यों हैं, रिहायशी इलाके में क्‍यों नहीं?‘’ 

मीरा भी इस सवाल का जवाब जानना चाहती थी। 

‘’साहब, इसलिए कि यहां प्‍लास्‍टिक जलाए और गलाए जाते हैं, आपको तो पता ही है कि इनसे कितने नुकसान वाले केमिकल और धुंए निकलते हैं, टेडी बियर बनाने के लिए उसमें यूज होने वाले रूई के छोटे छोटे कण हवा में उड़ते हैं,  अब साहब हम रिहायशी इलाके में अगर धूल प्‍लास्‍टिक रूई के खतरनाक रेशे उड़ने वाली फैक्‍ट्री लगाएंगे तो आसपास बसने वाले लोग, स्‍कूल हास्‍पिटल, पार्क, मार्केट पर बुरा असर होगा, बच्‍चो की सेहत के लिए भी तो यह अच्‍छा नहीं है, रूई के छोटे-छोटे रेशे सांस के साथ अंदर जा सकते हैं, सांस की बीमारियां हो सकती हैं।‘’ 

मजदूर की बात में दम था। 

पर मीरा को अभी भी यह सब एक बहुत बड़ी हेराफेरी और चालबाजी लग रही थी…वैसे भी रातों रात चीजें हटाकर सेट करना कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी, हो ना हो इन लोगों ने और मेरे पापा ने ऐसी स्‍थिति से निपटने की तैयारी पहले ही कर ली होगी।

अचानक मीरा की नजर दीवार पर बनी एक शेल्‍फ में रखे ढेर सारे मास्‍क पर गई, ऐसा ही मास्‍क कल पापा ने पहना था। 

वह लगभग चीखते हुए उस मजदूर से बोली, ‘’यह  इतने सारे मास्‍क क्‍यों रखे हैं, तुम बेवकूफ किसी और को बनाना, अपराधी कितना भी शातिर क्‍यों ना हो कोई ना कोई सुराग तो छोड़ ही देता है…यह तुम्‍हारा सुराग है, कल रात को मैने यह मास्‍क अपने पापा के चेहरे पर देखा था।‘’ 

उस मजदूर ने मीरा की इस उम्‍मीद की किरण पर पानी फेरते हुए कहा, ‘’क्‍या बात कर रही हैं मैंडम...यह मास्‍क तो हम लोग यूज करते हैं, जैसा मैंने बताया कि टेडी बियर बनाते समय रूई के छोटे -छोटे रेशे नाक से सांस लो तो अंदर चले जाते हैं, और देखिए यह काला चश्‍मा जिससे प्‍लास्‍टिक गलाते समय जो धुंए निकलते हैं वे आंखो में न जाए, हमें यह सब करना बहुत जरूरी है। आखिर हमारी भी तो जान का सवाल है।‘’

 

कहकर उसने एक कागज का टुकड़ा शोभित को देकर कहा, ‘’यह देखिए साहब, इस फार्महाउस की रजिस्‍ट्री पेपर, यहां का मैप खुद डीएम साहब ने साइन किया है, हर दूसरे महीने हमारे सुपरवाइजर और मैनेजर साहब यहां आते हैं, आप चाहे तो हम उनसे आपकी बात करा सकते हैं।‘’ 

शोभित ने सारे कागज चेक किए, सभी लीगल पेपर थे। मैप भी सही था, फार्महाउस पर उन्‍हें यहां काम करने की बकायदा परमिशन भी थी, वे रिहायशी इलाके में अपनी फैक्‍ट्री नहीं बना सकते थे। किसी के ऑब्जेक्शन करने पर वे कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते थे।  

शोभित ने अफसोस भरी नजरों से मीरा को देखते हुए कहा, ‘’मीरा हमें लगता है कि हमने यहां आकर ऐसे बिना नोटिस के छानबीन कर के बहुत बड़ी गलती की है, हमें जल्‍दी ही यहां से निकलना चाहिए, यहां कुछ भी गलत नहीं है। कुछ भी ऐसा नहीं है जिसपर शक किया जा सके, यहां जो काम हो रहा है गर्वमेंट की परमिशन से हो रहा है।‘’ 

मीरा अभी भी यह सब मानने को तैयार नहीं थी, ‘’नहीं अंकल, यहां कुछ तो बहुत बड़ा झोल हुआ है। आप ही तो कहते हैं कि कानो से सुना झुठ हो सकता है पर आंखो देखा नहीं, मैंने वह सब कुछ अपनी आंखो से देखा है।‘’ मीरा को उस गलियारे का ध्‍यान आ गया जहां उसने कई सारे जानवरों को कांच के बड़े बड़े डिब्‍बों में बंद देखा था।

 

‘’आप मेरे साथ आइए….कहकर मीरा तेजी से गलियारे में आ गई, और उसका दिल धक से रह गया, वहां खिलौना बनाने का कच्‍चा माल रखा था। 

शोभित ने वहां चारों ओर नजरें घुमाकर देखा, कहीं से कुछ भी गलत नहीं दिखा, वे बोले, ‘’बस मीरा, एक तो तुम अपने पापा के ऊपर इतना संगीन आरोप लगा रही हो ऊपर से हमारा टाइम वेस्‍ट कर रही हो, मेरी टीम के सामने मेरा तमाशा बना रही हो। अब चलो यहां से, ओर आइंदा से इसका जिंक्र किसी से मत करना।‘’ 

‘’नहीं अंकल जी, मैं नहीं मान सकती हूं, आप इस पूरे फार्महाउस की चेकिंग फिर से करवाइए, यहां जरूर अंडरग्राउंड लैब होगी, ये लोग बहुत ही शातिर लोग हैं, क्‍या आपको शक नहीं हो रहा है कि पापा अब तक कहां है?‘’

तभी एक सख्‍त स्‍वर मीरा के कानो में पड़ा, ‘’बस करो मीरा....आज तुमने अपनी हद पार कर ली है, हमारे लाड़ प्‍यार का इतना नाजायज़ फायदा मत उठाओ। अपने ही बाप पर इतना घटिया इल्‍ज़ाम लगाकर तुम्‍हारा कलेजा नहीं कांप रहा।‘’ 

मीरा सहम उठी, ‘’मैंने कुछ गलत नहीं किया है...यह सबकुछ हमें धोखा देने के लिए किया गया है, बताइए पापा कहां है?‘’ 

‘चुप रहो मीरा...तुम्‍हारी मति मारी गई है। मैंने बताया था कि तुम्‍हारे पापा अपने एक दोस्‍त के घर गए हैं और सुबह आ जाएंगे,  वे घर आ गए हैं और अभी मुझसे फोन कर के पूछा कि मैं इतनी सुबह कहां चली गई, अब मैं क्‍या बताऊं कि उनकी लाड़ली बेटी उन्‍हें हत्‍यारा साबित करने पर तुली है, अब चलो यहां से।‘’ 

‘’पापा पापा घर पर हैं...वे ठीक तो हैं ना मतलब नैना ने उन्‍हें गोली नहीं मारी थी।‘’ 

नीता ने जोर से मीरा की बांह पकड़ी और लगभग खींचते हुए बाहर की ओर ले जाते हुए बोली, ‘’बंद करो अपनी ये पागलपंती....मैंने भी पता नहीं कैसे तुम्‍हारी बातों में आकर तुम्‍हारे पापा पर शक किया,  शोभित को फोन कर दिया और इस सड़ियल सी जगह चली आई, मुझे लगा था कि मुंबई जाकर, अपने पैरों पर खड़ी होकर तुम समझदार हो जाओगी, अपने लिए नया लाइफ पार्टनर चुनोगी पर तुम....अब मैं क्‍या कहूं।’’ 

वे शोभित और उनकी टीम से माफी मांगकर शोभित से बोली, ‘’प्‍लीज भाई साहब इस घटना और मीरा की इस बेवकूफी भरी हरकत का जिक्र मेरे पति से मत कीजिएगा।‘’

शोभित ने कहा, ‘’कोई बात नहीं भाभीजी, बिटिया को कुछ गलत होने का शक था तो चेक करना हमारा फर्ज था, फिर वे मीरा से बोले, ‘’कभी तुम्‍हें ऐसा कुछ लगे तो प्‍लीज विडियो बना लेना, तुम्‍हारी जेनरेशन तो चौबीस घंटे स्‍मार्टफोन से चिपकी रहती है‘’ शोभित की यह बात सुझाव कम और ताना ज्‍यादा लग रहा था।

 

फार्महाउस के बाहर आकर नीता ने मीरा की बांह छोड़ दी और चेतावनी देने के लहजे में कहा, ‘’मैंने तुम्‍हारे पापा से कहा है कि मीरा आई है हम मार्निंग वॉक के लिए निकले थे और मीरा की एक फ्रेंड के यहां रूक गए, इसलिए लेट हो गए है….तुमने जो कुछ किया है उसके लिए मैं तुम्‍हें शायद जल्‍दी माफ न कर सकूं।‘’ 

मीरा की इस हरकत से नीता को बहुत बड़ा झटका लगा था।  

मीरा का मन अभी भी यह सबकुछ मानने को तैयार नहीं था, उसे कोई पछतावा नहीं हो रहा था, हो रही थी तो केवल एक अजीब सी हैरानी, मन में ढेर सारे सवालों चल रहे थे। 

उसके दिल का एक गहरा कोना कह रहा था कि उसने जिन लोगों से पंगा लिया है वे कोई मामूली लोग नहीं हैं, जब वे सैकड़ों लोगों को गायब करवा सकते हैं तो एक लैब की सेटिंग रातो रात चेंज करना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। 

अगर कल रात को फार्महाउस से निकलते ही पुलिस को फोन कर देती तो यहां के सारे लोग रंगे हाथ पकड़े जाते। 

मीरा ने एक बार मुड़कर फार्महाउस की ओर देखा, गेट पर वही मजदूर खड़ा था, उसके चेहरे पर मुस्‍कान थी, किसी और ने भले ही नोटिस न किया हो पर मीरा ने भांप लिया था, यह कुटिलता से भरी मुस्‍कान थी, अपने षड्यंत्र में सफल होने की मुस्‍कान। मानों वह मुस्‍कुराते हुए मीरा को चिढ़ाकर कह रहा हो कि तुम्‍हारी जैसी पागल लड़की मेरा कुछ नहीं कर सकती। 

‘’मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानूंगी‘’ मीरा ने मन ही मन कहा। 

 

घर पहुंचते ही मीरा को एक झटका सा लगा, पापा अपने दोस्‍त के साथ खिलखिलाकर हंस रहे थे….उनकी हंसी ने जैसे मीरा को जमीन पर जोर से पटक दिया। 

मीरा ने पापा के साथ बैठे उस आदमी को देखा, तो दो क्षण के लिए ऐसा लगा कि मीरा की सांसे ही रूक जाएंगी, यह तो वहीं आदमी था जिसने कल रात दो तीन और लोगों के साथ मिलकर मुझे चेयर से बांधा था। 

यह पापा का दोस्‍त बनकर यहां आया है। 

मीरा को देखते ही अमरीश चहक उठे, ‘’अरे मीरा, तुमने तो मुझे सरप्राइज दे दिया, तुम कब आई बेटा। रात को ही बता देती तो मैं आ जाता।‘’

अमरीश की ऐसी बनावटी एक्‍टिंग देखकर मीरा चकित रह गई।  

नीता का चेहरा तनाव और नाराजगी से भरा हुआ था लेकिन फिर भी बहुत मुश्‍किल से वो अपने चेहरे पर मुसकुराहट लाते हुए बोली, ‘’मैं इसके साथ टाइम बिताना चाहती थी इसलिए आपको नहीं बताया वरना आप बाप बेटी तो रात भर खूब बातें करते और मैं तो अलग ही हो जाती।‘’ कहकर नीता ने मीरा को गुस्‍से से देखा और आंखों के इशारे से किचन में जाकर सबके लिए चाय नाश्‍ता लाने के लिए कहा। 

मीरा का मन बुरी तरह भन्‍ना गया था, मीरा ने किचन की खिड़की से पापा और उनके उस लैब वाले दोस्‍त को देखा, वे दोनों भी मीरा की ओर संदेह भरी दृष्‍टि से देख रहे थे, वे आंखों के इशारे से एक दूसरे से कुछ बातें कर रहे थे....अफसोस मीरा कुछ नहीं कर सकती थी। 

‘’ये दोनों मेरी मां को अंधेरे में रख रहे हैं, और मुझे भी पागल कर देंगे।‘’ 

मीरा सबके लिए पानी लेकर आई, पानी का गिलास उठाते हुए शशिभूषण रॉय (अमरीश के दोस्त) ने मीरा से पूछा, ‘’तो बेटा, आज का तुम्‍हारा क्‍या प्रोग्राम है?’’ 

मीरा ने उन्‍हें देखते हुए मन ही मन कहा, ‘’प्रोग्राम तो आपको फांसी के फंदे तक ले जाने का है, पर अभी नहीं, अभी तो मुझे सबूत जुटाने होंगे।‘’ 

वह अनमने ढंग से बोली, ‘’कुछ प्रोग्राम नहीं है अंकल जी, कम्‍पनी के एक नए प्रोजेक्‍ट की कल यहां मीटिंग थी तो अटेंड करने आई थी, आज वापसी है।‘’  

नीता थोड़ी सी चौंकी फिर सामान्‍य हो गई वे खुद चाहती थी कि मीरा यहां से चली जाए, यह पहली बार था जब उन्‍हें मीरा का यहां रहना खल रहा था। 

‘अरे ऐसे कैसे जा सकती हो, कुछ दिन रूक जाओ। नोएडा में कुछ खास नहीं है पर दिल्‍ली में घूमने के लिए बहुत कुछ है, सुना है इंडिया गेट के पास एक छोटा सा मेला लगा है, आज दोपहर को हम वहीं चलेंगे।‘’

दिल्‍ली का नाम सुनते ही मीरा को राघव का ध्‍यान आ गया वह भी दिल्‍ली आ गया होगा, क्‍या उसे नैना की सच्‍चाई पता है, क्‍या इसलिए दोनों अलग रह रहे हैं?

‘’नहीं पापा मुझे जाना होगा, फिर जल्‍दी ही आऊंगी।‘’ 

‘’फ्लाइट का टिकट बुक करवा लिया है क्‍या?‘’ नीता ने मीरा से पूछा, उनके स्‍वर में नाराजगी थी।

मीरा ने देखा, जिन आंखों में उसके लिए हमेशा केवल प्‍यार था आज उन आंखो को वो चुभ रही थी। शायद मैंने उस इंसान पर घिनौना आरोप लगाया था जिसे वे दुनिया में सबसे ज्‍यादा प्‍यार करती थी, उनके जीवन साथी उनके पति। पर सच सामने आएगा, और उस दिन मां को सबसे ज्‍यादा मजबूत होना होगा।

‘’बस अभी जाकर करवा लेती हूं।‘’ 

अमरीश मीरा से कुछ कहने ही वाले थे कि नीता ने उन्‍हें टोंक दिया, जाने दीजिए बच्‍चों की अपनी दुनिया है, न जाने क्‍या सोचकर एक दिन के लिए आई थी?

कल की घटना ने मीरा को बहुत ही बुरी तरह से कुरेद कर रख दिया था, वह अमरीश से बात करना चाहती थी अकेले में, पर नीता शायद ऐसा न करने दे। 

आगे जरूर कुछ बुरा होगा, कुछ तो वीभत्‍स, ‘’यह शशिभूषण रॉय पता नहीं कौन है, पर पापा के साथ मिलकर कुछ तो प्‍लानिंग करेगा।‘’

किसी अनहोनी की आशंका से मीरा का मन घबरा उठा, ‘’मुझे यहां से निकलना होगा, वरना मैं पागल हो जाऊंगी।‘’ सोचकर मीरा ने टिकट बुक कराने के लिए फोन ऑन किया। 

फोन ऑन होते ही एक अननोन नंबर से व्‍हाटसप मैसेज आया, साथ में एक लड़के की फोटो भी थी। वह बहुत बड़े घर का बिजनेस मैन था, दिखने में किसी राजकुमार और हॉलीवुड स्‍टार से कम नहीं। 

फोटो के नीचे लिखा था, ‘हैलो मीरा, मैं तुम्‍हें अपने बारे में नहीं बता सकता, पर तुम मुझे अपना वेल विशर या दोस्‍त समझ सकती हो, मुझे पता है कि तुम एक अनसुलझे कयामत और तुफान के बीच फंस गई हो, तुम्‍हारे पापा तो एक छोटी मछली हैं…उन पर कीचड़ उछालने से कुछ नहीं होगा…अगर उस लैब के सच का पर्दाफाश करना है तो अभी तुम अपने कदम पीछे कर लो, अपनी जुबान पर ताला लगा लो और सही समय का इंतजार करो, जो हो रहा है होने दो, अगर तुम वाकई में नैना का सच सबके सामने उजागर करना चाहती हो और अपने पापा की करतूत पूरी दुनिया को बताना चाहती हो तो अपनी लाइफ को दांव पर लगाने के लिए तैयार हो जाओ। 

इस फोटो में जो लड़का तुम्‍हें दिख रहा है यही उस फार्महाउस के नकली दवाईयों और वक्‍सीन का चीफ है, और पूरे देश में इसका कारोबार फैला है।

तुम्‍हें इस आदमी से प्‍यार का नाटक करना होगा…इससे प्‍यार करना होगा, तभी तुम इसकी सच्‍चाई दुनिया के सामने ला सकती हो। इस आदमी के साथ बहुत से नामी लोगों के चेहरे सामने आ जाएंगे, मीरा इस लड़के को अच्‍छे से पहचान लो, यह मैसेज अच्‍छे से पढ़ लो क्‍योंकि अगले कुछ सेकेंड में यह फोटो और मेरे भेजे हुए मैसेज तुम्‍हारे फोन से डिलीट हो जाएंगे, अब तुम्‍हें क्‍या करना है तुम डिसाइड करो। इस आदमी से प्‍यार करो मीरा, इसे अपनी रूपजाल में फंसाओ, इसकी कमजोरी बन जाओ।’’ 

मीरा ने जैसे ही पूरा मैसेज पढ़कर उस लड़के की फोटो फिर से देखी....दो सेकेंड में सब कुछ डिलीट हो गया। 

‘’व्‍हाट नानसेंस’’ मीरा के हाथों में सरसरहाट सी दौड़ गई, फोन उसके हाथ से छूटकर गिर गया। 

 

आखिर इस गुमनाम मैसेज का राज क्‍या है? 

फार्महाउस रातों रात कैसे बदल गया? 

क्‍या मीरा सच में किसी से प्‍यार का नाटक करेगी? 

क्‍या मैसेज भेजने वाला सच कह रहा है या यह मीरा को फंसाने की कोई चाल है? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए ‘बहरूपिया मोहब्‍बत!'

 

 

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