ज़िंदगी में कुछ मौके ऐसे होते हैं, जब आपके दिल और दिमाग़ के बीच एक अजीब-सी कशमकश चलती है। दिल कहता है—प्यार को चुनो। लेकिन दिमाग, जिम्मेदारियों का बोझ उठाए, अपनी अलग राह पर चलता है। ऐसे में, सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है किसी ऐसे दोस्त की, जो आपको आइना दिखा सके।

श्रेया के लिए वह दोस्त थी—संजना।

संजना और श्रेया की दोस्ती बचपन से थी। लेकिन दोनों की सोच हमेशा से थोड़ी अलग रही थी।

संजना बहुत फ्री-स्पिरिटेड थी। उसकी आँखों में बड़े सपनों की चमक थी। वह अपने शहर की सीमाओं से बाहर निकलकर, एक नई दुनिया बसाना चाहती थी। उसकी ज़िंदगी का एक ही मंत्र था—खुद के लिए जीना।

वहीं, श्रेया... उसके सपने भी बड़े तो थे, लेकिन उन सपनों के पीछे उसके परिवार की उम्मीदों और जिम्मेदारियों का साया था।

आज श्रेया ने संजना को एक ख़ास वज़ह से बुलाया था। वह जानती थी कि उसकी उलझन का जवाब किसी और के पास हो या न हो, संजना के पास ज़रूर होगा।

 

संजना:

"ओह हो! आज मैडम ने मुझे मिलने का मैसेज किया। बात तो बड़ी ख़ास लगती है। 

 

श्रेया:

"संजना, मैं थोड़ी परेशान हूँ।"

 

संजना:

"परेशान? और तुम! शायद दिल का मामला है!"

 

संजना ने मुस्कुराते हुए अपनी कॉफी का घूंट लिया। लेकिन उसकी आँखों में अब भी वही curiosity थी। श्रेयाथोड़ी झिझकी, लेकिन जब सामने आपका सबसे अच्छा दोस्त हो, तो सच छुपाना मुश्किल हो जाता है।

 

श्रेया:

"दरअसल... वह संकेत..."

 

संजना:

"संकेत? ओह! तो अब इस कहानी में रोमांस भी आ गया है। जनाब का नाम संकेत है... बताओ, बताओ... क्या बात है?"

 

श्रेया:

"संजना, वह बहुत अच्छा है। हमारी बॉन्डिंग भी ख़ास है। लेकिन... पिछले दिनों हमारी थोड़ी बहस हो गई।"

 

संजना:

"बहस? और तुम? इतनी शांत लड़की ये बहस वगैरह में कबसे पड़ने लगी!"

 

श्रेया ने धीरे-धीरे सारी बातें बतानी शुरू कीं। उसने संजना को वह पूरी घटना सुनाई, जो संकेत और उसके बीच पिछले दिनों हुई थी। कैसे संकेत ने उसे ज़्यादा वक़्त ना देने की शिकायत की थी। कैसे वह दोनों अपने-अपने नज़रिए से सही थे, लेकिन फिर भी दोनों के बीच एक अनकहा तनाव आ गया था।

श्रेया ने ये भी बताया कि संकेत उससे नाराज़ नहीं था, लेकिन वह उसके साथ वक़्त बिताना चाहता था और वहीं श्रेया, अपनी जिम्मेदारियों और पढ़ाई के बीच इतना उलझी हुई थी कि वह उसे उतना वक़्त नहीं दे पा रही थी।

 

श्रेया:

"संजना, मुझे लगता है कि संकेत मुझसे ये समझने की उम्मीद करता है कि उसके लिए ये रिश्ता कितना इम्पॉर्टेंट है। लेकिन मैं... मैं उसे वह वक़्त नहीं दे पा रही। मुझे अपने प्रोजेक्ट्स, अपने ग्रेड्स की फ़िक्र है। पापा के लिए, उनके सपनों के लिए।"

 

संजना:

"हम्म, तो एक तरफ़ प्यार और दूसरी तरफ़ जिम्मेदारी। क्लासिक प्रॉब्लम।"

 

 

संजना के चेहरे पर अब एक गहरी सोच थी। वह उन चंद लोगों में से थी, जो ज़िंदगी को बड़े करीब से देखती थीं। उसने अपने तरीके से अपनी ज़िन्दगी को जीने का फ़ैसला किया था। लेकिन वह श्रेया की दुनिया को भी बखूबी समझती थी।

 

संजना:

"श्रेया, देखो... मैं तुम्हारी स्थिति को समझ सकती हूँ। तुम्हारी जिम्मेदारियाँ बहुत बड़ी हैं। तुम्हारे परिवार की उम्मीदें तुम पर टिकी हैं। लेकिन क्या तुमने कभी सोचा है कि इस सब के बीच तुम ख़ुद कहाँ हो?"

 

श्रेया:

"मैं खुद? मतलब?"

 

संजना:

"हाँ, तुम। संकेत सही कह रहा है, श्रेया। प्यार सिर्फ़ किसी और को खुश रखने के लिए नहीं होता। ये ख़ुद को भी खुश रखने का ज़रिया है। तुम सिर्फ़ अपने परिवार के लिए क्यों जी रही हो? क्या तुम्हारी अपनी खुशियों का कोई हक़ नहीं?"

 

 

संजना की बातों में एक अजीब-सी सच्चाई थी। श्रेया को पहली बार महसूस हो रहा था कि वह अपनी ज़िन्दगी में अपने लिए बहुत कम स्पेस रख रही थी।

 

श्रेया:

"पर संजना, अगर मैंने अपने करियर से समझौता किया, तो पापा का क्या होगा?"

 

संजना:

"श्रेया, ये किसी भी तरह का समझौता नहीं है। तुम्हारे सपने और तुम्हारे रिश्ते एक-दूसरे के खिलाफ नहीं हैं। ये दोनों एक साथ चल सकते हैं, अगर तुम बैलेंस बनाना सीख जाओ। संकेत के साथ वक़्त बिताने से तुम्हारे करियर पर कोई असर नहीं पड़ेगा।"

 

संजना जानती थी कि श्रेयाएक ऐसी लड़की है, जिसने अपनी पूरी ज़िन्दगी दूसरों के लिए जी है। अपने पिता के कर्ज़, उनकी उम्मीदों और अपने परिवार की जिम्मेदारियों ने उसे कभी ख़ुद के बारे में सोचने का मौका ही नहीं दिया।

 

संजना:

"तुम्हें समझना होगा, श्रेया। ज़िंदगी सिर्फ़ जिम्मेदारियों से नहीं चलती। प्यार और अपनेपन के बिना ये रास्ता बहुत अकेला हो सकता है। संकेत तुम्हारे साथ वक़्त बिताना चाहता है और ये उसका हक़ है। लेकिन तुम्हें भी ख़ुद को ये इजाज़त देनी होगी कि तुम भी इन पलों को इन्जॉय करो।"

 

श्रेया:

"लेकिन... अगर मैं दोनों को संभालने में फेल हो गई तो?"

 

संजना:

"इंसान कभी फैल नहीं होता और अगर कभी मुश्किलें आएंगी, तो तुम उनसे सीखोगी। लेकिन प्यार के रिश्ते को वक़्त दो, वरना ये फासले बढ़ते जाएंगे।"

 

संजना की बातें एक तरह से श्रेयाकी आंखें खोलने का काम कर रही थीं। प्यार और जिम्मेदारियों के बीच की ये खींचतान कभी ख़त्म नहीं होती। लेकिन जब आप किसी के साथ होते हैं, तो ये लड़ाई थोड़ी आसान हो जाती है। फिर श्रेयाने संजना को संकेत की फोटो दिखाई।

 

संजना:

" बढ़िया मछली फँसाई है तुमने!"

 

श्रेया:

"तुम भी ना, संजना।"

 

दोनों की हंसी अब कैफे के सुकून भरे माहौल में गूंज उठी। ये छोटी-सी बातचीत, ये सलाह... श्रेया के लिए बहुत मायने रखती थी।

एक तरफ़ श्रेयापनी दोस्त संजना से अपनी बातें शेयर कर रही थी, तो दूसरी तरफ़ संकेत अपने दोस्त राज को श्रेयाके बारे में बता रहा था!

राज और संकेत की दोस्ती स्कूल के दिनों से थी।

राज—एक फ्री-स्पिरिटेड, क्रिएटिव और हमेशा ख़ुद की दुनिया में खोया रहने वाला लड़का। वह एक आर्टिस्ट था, जो अपनी दुनिया को अपनी आँखों से देखने और कैनवास पर उतारने में यक़ीन रखता था। उसकी लाइफ का मंत्र था—ज़िंदगी को जियो, महसूस करो और खुलकर अपने रंग बिखेरो।

संकेत के हर छोटे-बड़े राज़ का गवाह, उसका हर उतार-चढ़ाव का साथी—राज हमेशा उसके साथ खड़ा रहा था।

लेकिन आज का ये मिलना थोड़ा अलग था। संकेत के चेहरे पर हल्की चिंता और बेचैनी थी।

 

संकेत:

"यार, राज... मुझे कुछ बात करनी है।"

 

राज:

"हाँ, बोल न। वैसे तेरे चेहरे से ही लग रहा है कि मामला सीरियस है।"

 

संकेत:

"तुझे याद है मैंने तुम्हें श्रेयाके बारे में बताया था?"

 

राज:

" श्रेया? ओह, वह लड़की जिससे तु पिछले कुछ हफ्तों से चिपका हुआ है?

संकेत:

हाँ, याद है। बोल क्या हुआ? "

 

 

संकेत ने हल्की हंसी के साथ सिर हिलाया। राज का ये मजाकिया अंदाज़ हमेशा उसकी परेशानियों को थोड़ा हल्का कर देता था।

 

संकेत:

"देख राज, श्रेयाऔर मैं... हम दोनों के बीच सब अच्छा चल रहा है। लेकिन अब... अब मुझे लगता है कि हमारे बीच कुछ दूरियाँ आने लगी हैं।"

 

राज:

"दूरियाँ? मतलब?"

 

संकेत:

"उसके पास हमेशा कुछ न कुछ काम रहता है। वह अपनी पढ़ाई, अपने ग्रेड्स को लेकर बहुत सीरियस है और मैं... मैं बस चाहता हूँ कि वह मेरे साथ थोड़ा और वक़्त बिताए। लेकिन हर बार जब मैं उससे ये कहता हूँ, तो ऐसा लगता है जैसे मैं उसकी प्रायोरिटीज़ को लेकर शिकायत कर रहा हूँ।"

 

राज ने ध्यान से संकेत की बात सुनी। वह अपने दोस्त की परेशानी को महसूस कर सकता था। लेकिन उसने अभी तक श्रेयाको ठीक से जाना नहीं था।

 

राज:

"वो सब ठीक है! पर क्या श्रेयाने तुझे कभी सीधे-सीधे मना किया है?"

 

संकेत:

"नहीं। वह मना नहीं करती। लेकिन उसके पास हमेशा कुछ न कुछ ऐसा होता है, जो ज़्यादा ज़रूरी लगता है।"

 

राज:

"देख संकेत, हर किसी की अपनी प्रायोरिटीज़ होती हैं। तुम्हारी प्रायोरिटी श्रेयाहै, लेकिन उसकी प्रायोरिटी इस वक़्त उसका करियर है। इसका ये मतलब नहीं है कि वह तुम्हारी फ़िक्र नहीं करती। बस उसका तरीक़ा अलग है।"

 

राज की बातों में हमेशा एक गहराई होती थी। वह संकेत को सिर्फ़ console करने के लिए नहीं, बल्कि सच में सोचने के लिए मजबूर करता था।

 

संकेत:

"मुझे भी समझ आता है कि वह अपने करियर को लेकर सीरियस है। लेकिन यार, क्या वह मेरे लिए थोड़ा वक़्त नहीं निकाल सकती? मैं कोई बड़ी चीज़ तो नहीं मांग रहा।"

 

राज:

"तू सही कह रहा है, संकेत। लेकिन प्यार में ये छोटी-छोटी कुर्बानियाँ दोनों तरफ़ से आती हैं। अगर तू उसे समझने की कोशिश करेगा, तो शायद वह भी तुझे समझने लगेगी।"

 

 

प्यार और समझ का ये बैलन्स  ही हर रिश्ते की नींव होता है। लेकिन राज के मन में अब एक और सवाल उठने लगा था।

 

राज:

"वैसे संकेत, ये श्रेयाहै कैसी? तूने कभी उससे मिलवाया ही नहीं। बस उसके बारे में बातें करता रहता है।"

 

संकेत:

"वो... वह बहुत ख़ास है, राज। उसकी बातें, उसकी सोच, उसकी मेहनत—सब कुछ और उसकी आंखों में एक अलग-सी चमक है। वह इतनी स्ट्रॉन्ग और सेंसिबल है, फिर भी इतनी सिंपल। हर बार जब मैं उसे देखता हूँ, तो लगता है कि मैं उसके बिना अधूरा हूँ।"

 

राज ने ध्यान से संकेत की बात सुनी। लेकिन जैसे ही संकेत ने श्रेयाकी तारीफ की, राज के दिल में एक हलचल-सी होने लगी। उसने श्रेयाके बारे में पहले कभी इस नजरिए से नहीं सोचा था।

 

राज:

"सच में? लगता है ये लड़की तेरे दिल और दिमाग़ दोनों पर राज कर रही है।"

 

 

संकेत की बातों ने राज के मन में श्रेयाकी एक छवि बना दी थी। एक ऐसी लड़की, जो मज़बूत थी, लेकिन नाज़ुक भी। जो अपने सपनों के लिए लड़ रही थी, लेकिन अपने प्यार को भी संभाल रही थी।

और यही वह पल था, जब राज के दिल में पहली बार श्रेयाको जानने की एक ख़्वाहिश जागी।

 

संकेत:

"तो, मुझे क्या करना चाहिए? मैं चाहता हूँ कि श्रेयामेरे साथ ज़्यादा वक़्त बिताए, लेकिन मैं ये भी नहीं चाहता कि उसे ऐसा लगे कि मैं उसकी फ्रीडम छीन रहा हूँ।"

 

राज:

"देख, संकेत। कभी-कभी, प्यार का मतलब होता है सब्र रखना। उसे उसके तरीके से प्यार करने दे। लेकिन हाँ, अपने दिल की बात उसके सामने रखना मत भूलना। जो भी हो, सब कुछ खुलकर बोल देना।"

 

राज की बातों में हमेशा एक सच्चाई छिपी होती थी। संकेत ने महसूस किया कि उसे श्रेयाके साथ अपनी फीलिंग्स पर भरोसा रखना होगा। लेकिन उसके साथ-साथ उसे श्रेयाकी दुनिया और उसकी प्रायोरिटीज़ को भी समझना होगा।

 

लेकिन... राज के मन में अब एक नई जिज्ञासा ने जन्म लिया था। श्रेया, जो संकेत के लिए इतनी ख़ास थी, वह कैसी होगी?

 

आखिर उसे भी तो ऐसी ही किसी लड़की कि तलाश है!

क्या राज के मन में श्रेयाके लिए उठी ये हल्की-सी दिलचस्पी, आगे जाकर संकेत और राज के रिश्ते को किसी नए मोड़ पर ले जाएगी?

जानने के लिए पढ़िए ... "कैसा ये इश्क़ है" का अगला एपिसोड।

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