रणविजय ने अपने गैंग के मेंबर्स के लिए रहने का बहुत बढ़िया इंतजाम कर रखा था। उस बंगले में कई कमरे थे। सभी के रहने के लिए अलग अलग कमरों का इंतजाम था। रोज़ी के कहने पर सभी लोग अपने अपने कमरे में चले गए थे। हॉल में सिर्फ हंसमुख और रोज़ी बचे थे। रोज़ी ने हंसमुख से कहा: 

 

रोज़ी:  

अब आप भी अपने कमरे में जाकर आराम कर लीजिए हंसमुख जी। 

 

 

रोज़ी की बात सुन कर हंसमुख ने एक अश्लील भरी स्माइल दी। वो रोज़ी को ऐसे देख रहा था जैसे कोई हवस का शिकारी हो। इस तरह देखने का अंदाज रोज़ी को बिलकुल भी पसंद नहीं आ रहा था। जिस तरह वो रोज़ी की तरफ बढ़ रहा था, उससे उसकी नीयत साफ नही लग रही थी। रोज़ी ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा: 

 

रोज़ी: 

हंसमुख जी, मैने कहा आप सफर से थक गए होंगे। अपने कमरे में जाकर आराम कर लीजिए। 

 

 

दोनों के बीच में बड़ी सी मेज़ हुयी रखी थी। अगर वो ना होती तो हंसमुख सीधा रोज़ी के पास ही आता। उसने मेज़ पर रखे पानी के जग में से ग्लास में पानी निकाला और कहा: 

 

हंसमुख : 

प्यास लग रही थी तो सोचा पानी ही पी ले। 

सच में जब प्यास बुझ जाती है तो बहुत अच्छा लगता है। गले के तर होने से बड़ा सकून सा मिलता है।  

 

 

 

हंसमुख ने ये बात अपने गले पर हाथ फेरते हुए कही थी। इरादे उसके नेक नहीं लग रहे थे। रोज़ी का मन थोड़ा घबरा रहा था। वैसे रोज़ी भी कोई शरीफ औरत नहीं थी। वह भी ऐसी जगह से उठ कर आयी थी जहां मर्दों को उनकी औकात बताने में ज़रा सी भी देरी नहीं लगती थी। उसका दिल तो कर रहा था कि उसकी हर बात का ऐसा जवाब दे कि उसकी बोलती बंद हो जाए। 

 

मगर वो रणविजय की वजह से अपने गुस्से को खून का सा घूंट समझ कर पी जाती है। वो नहीं चाहती थी कि उसकी किसी भी तरह की गलती की वजह से रणविजय का प्लान फेल हो। हंसमुख ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और उसे दोनों हाथों से अपनी गर्दन के पीछे फेरते हुए कहा: 

 

हंसमुख : 

बॉस ने कहा है कि आप हमारी सारी जरूरतों का खयाल रखेगी। अब चाहे वो खाना हो या। 

 

 

अपनी पूरी बात करने से पहले ही हंसमुख रूक गया था। कहना तो वो सेक्स के बारे में चाह रहा था मगर जब रोज़ी ने अपने चेहरे के भाव थोड़े गुस्से वाले किए तो उसने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया। हंसमुख समझ गया था कि रोज़ी को पटाना आसान नहीं होगा। पहली बार में इतना ही काफी था।   

 

उसने सोचा इस समय अपने कमरे में जाना ही समझदारी है। उसने अपनी टोन बदलते हुए कहा: 

 

हंसमुख : 

अच्छा, अब मुझे चलना चाहिए। रोज़ी जी, आप ठीक कह रही थी, आराम नही करेंगे तो दिमाग कैसे चलेगा।  

 

 

वह जानता था कि अगर सारी रात यहीं रोज़ी के चक्कर में गुज़र दी तो सुबह रणविजय के साथ मीटिंग में नींद आएगी और वह नींद आना उसकी छवि के लिए ठीक नहीं होगा। अपनी बात को कहते हुए हंसमुख अपने कमरे की तरफ चला जाता है। जाते हुए उसकी जबान पर एक ही गाना था। 

 

हंसमुख : 

तू है मेरी किरन… 

 

 

 

  

हंसमुख पहले भी लड़कियों से फ्लर्टिंग करने के चक्कर में पिट चुका था। वो नहीं चाहता था कि उसके नए काम की शुरुआत लड़की के हाथों से पिट कर हो। हंसमुख जब रोज़ी से काफी दूर चला गया तो रोज़ी ने उसके लिए “ठरकी” शब्द का इस्तेमाल किया था। अब वह रोज़ी की आँखों से ओझल हो चूका था।  

 

जैसे ही रोज़ी ने पानी पीने के लिए जग को छुआ। उसकी नज़र उस ग्लास पर गई जिसके अंदर हंसमुख ने पानी पिया था। ग्लास को देख कर रोज़ी को बहुत तेज गुस्सा आने लगा था। उसने गुस्से को कंट्रोल किया और उस ग्लास को टेबल पर रखे टिश्यू पेपर से पकड़ कर कूड़ेदान में फेंक दिया। 

 

 

ग्लास को फेंकने के बाद वो सीधी बार काउंटर पर गयी और अपने लिए ग्लास में वाइन निकाली।  

उसने खुद से बात करते हुए कहा: 

 

रोज़ी: 

कमीने ने सारा मूड खराब कर दिया। इसका नाम पता नही हंसमुख किसने रख दिया। इसका नाम  तो ठरकी होना चाहिए था। 

 

 

रोज़ी ने ये बात वाइन का सिप लेते हुए कही थी। जैसे जैसे उसे हंसमुख की बाते याद आ रही थी उसका गुस्सा बढ़ता जा रहा था और उसने अपने गुस्से को कम करने के लिए ग्लास की सारी वाइन को एक सांस में पी लिया। अभी तो रात बाकी थी। रोज़ी ने अपने दिल की बात ज़बान पर लाते हुए खुद से कहा: 

 

रोज़ी: 

समय आने दो, इस हंसमुख को तो मैं ऐसा मज़ा चखाऊंगी कि वो अपनी ठरक भूल जायेगा। अगर मैंने भी उसे उसका खानदान याद नहीं दिला दिया तो मेरा नाम भी रोज़ी नहीं।  

 

 

आखिर रोज़ी उसे सबक सिखाने के लिए क्या करने वाली थी? क्या वो सच में ऐसा कुछ करेगी जिससे हंसमुख को अच्छा खासा सबक मिलेगा? ये तो आने वाला समय ही बताएगा। उधर उसमान जब अपने कमरे में पहुंचा तो चौंक गया। इससे पहले वो कभी इतने शानदार कमरे में नहीं रहा था।  

 

एक कीमेकर होने के नाते वह सिर्फ दिन के इतने पैसे ही कमा पता था जिससे उसके घर का गुज़ारा हो। जब उस्मान बाज़ार में अपना ठिया लगाता था तो उसकी अच्छी कमाई हो जाती थी। लेकिन जब कुछ दबंद लोगो ने उसका ठिया वहां से हटवाया, तो उसे पैसो की तंगी हो गयी।  

 

वह समझ गया था कि रास्ते में घूम घूम कर, चाबी बना लो, चाबी बना लो की आवाज़ लगा कर घर का खर्चा चलाना मुश्किल था। इसलिए उसने चोरी का रास्ता चुना। वो पेशवर चोर तो था नहीं इसलिए पकड़ा गया। वो अपने साथ एक पुरानी सी अटेची लेकर आया था। उसने अटैची को खोला।  

 

उसमान ने अटैची में से एक फोटो निकाला। वह फोटो किसी और का नहीं बल्कि उसकी बेटी रुक्सार का था। वो उसे प्यार से रुक्कू रुक्कू कह कर बुलाता था। उसे अपनी बेटी की बहुत याद आ रही थी। इसीलिए वो अपनी बेटी को प्यार से निहार रहा था। उसमान ने अपनी बेटी की फोटो पर प्यार से हाथ फेरा और कहा: 

 

उसमान: 

रुक्कू बेटा, तू फ़िक्र मत करना, तेरे अब्बू बहुत जल्दी, बहुत सारे पैसे लेकर आएंगे। देखना तू एक दम ठीक हो जाएगी। मैं तुझे मेले भी लेकर जाऊंगा। इस बार मेले में जो कुछ तुझे चाहिए होगा वह सब दिलवाऊंगा। मैं वो सब करूंगा जिससे मेरी बेटी को ख़ुशी मिलेगी।  

 

अपनी बेटी की जो फोटो उस्मान के हाथ में थी वह उसने मेले में ही खिंचवाई थी। एक बाप होने के नाते अपनी बेटी को बचाने के लिए उसे जो कुछ भी करना था वह करने के लिए तैयार था। अब चाहे वह काम सही हो या गलत। 

   

अपनी इन्ही बातो के साथ साथ उसमान भावुक सा होता जा रहा था। असल में उसकी बेटी एक ऐसी बीमारी से जूझ रही थी जिसके इलाज के लिए बहुत पैसो की ज़रुरत थी। अगर उसे अपनी बेटी की इलाज के लिए पैसे नहीं चाहिए होते तो शायद वह चोरी भी ना करता। उसकी ज़रुरत उसे रणविजय के पास ले आयी थी।  

 

ज़रुरत तो पैसो की चैंग को भी थी। कम उम्र में उसे इसका चस्का जो लग गया था। इंटरनेट की मदद से कॉर्पोरेट कंपनी के अकाउंट से डाटा चोरी करके दूसरी कम्पनीज़ को बेचना उसके लिए मामूली काम था। कई बार तो लोगो के अकाउंट हैक करके भी वो पैसे दूसरे अकाउंट में ट्रांफर कर देता था। चैंग ने रूम में रखे फ्रिज को खोलते हुए कहा:  

  

चैंग: 

अरे वाह, यहाँ तो पूरा फ्रिज भरा हुआ है। चॉक्लेट भी विदेशी लगती है। बियर का तो खज़ाना है। आज तो मज़ा आ जायेगा।  

  

 

 

  

चैंग ने फ्रिज में से एक ही बारी में बहुत सारा खाना निकाल लिया। ​​चैंग खाने के साथ साथ गाने के बोल पर भी डांस कर रहा था। एक के बाद एक, चैंग कई बियर की बोतले पी चुका था। वो उतना टल्ली​​ हो गया था कि कब उसे नींद आ गयी, पता ही नहीं चला। एक तरफ जहां चैंग नींद की आगोश में चला गया था। वही दूसरी तरफ विक्की की आँखों से नींद बहुत दूर थी। वह रूम में लगी खिड़की के परदे हटाकर उसे खोलता है।  

  

खिड़की खोलने पर झींगुरो की आवाज़ ने विक्की को कुछ याद दिला दिया था। उसने आसमान में चमकते हुए सितारों की तरफ देखते हुए कहा: 

 

विक्की: 

पारो, मैंने तुमसे जो वादा किया है उसे मैं ज़रूर पूरा करूंगा। मैं तुम्हे आसमान में सितारों की सैर ज़रूर कराऊंगा।  

 

 

पारो का पूरा नाम पार्वती था। विक्की पार्वती से बहुत प्यार करता था। उन दोनों ने भाग कर शादी तो कर ली थी मगर वह एक साथ नहीं रहते थे। वजह थी पार्वती के परिवार वाले। पारो के माता पिता ने विक्की के सामने एक शर्त रखी थी और वो शर्त ये थी कि जब तक विक्की अमीर नहीं बन जायेगा, पारो की विदाई नहीं होगी। विक्की ने खुद से बात करते हुए कहा: 

 

विक्की: 

पारो तुम बिलकुल भी फ़िक्र मत करना। अब वो दिन दूर नहीं जब मेरे पास बहुत सारा पैसा होगा और तुम मेरे साथ रहोगी। तुम्हारे घर वालों के सामने तुम्हे पूरी दुनिया घुमाऊंगा। ये मेरा तुमसे वादा है। 

 

 

खिड़की के सामने अँधेरा ही अँधेरा था। जिस तरह चाँद की रौशनी अँधेरे को चीरती हुयी खिड़की से विक्की के सीने पर पड़ रही थी। उससे विक्की को एक ऊर्जा मिल रही थी। उनसे उसी ऊर्जा के साथ कहा: 

 

विक्की: 

ये आसमान में चमकते सितारे, ये चाँद की रौशनी इस बात की गवाह है कि विक्की और पारो का मिलन हो कर रहेगा। उन्हें मिलने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।  

 

 

विक्की ने तुरंत अपनी पैंट की पीछे वाली जेब से पर्स निकाला और उसे खोल कर देखने लगा। 

 

जिस संजीदगी से वह अपने पर्स को देख रहा था, उसमे ज़रूर कोई कीमती चीज़ होगी। तभी उसे पीछे से कुछ आवाज़ सुनाई देती है।  

 

“तुम मुझे वहां कहाँ देख रहे हो, मैं तो तुम्हारे पीछे, तुम्हारे बहुत करीब हूँ”। 

      

उस आवाज़ पर जैसे ही विक्की ने अपने पीछे मुड़ कर देखा तो वह चौंक गया। चौंकने की तो बात ही थी। क्योंकि जब उसने पीछे देखा तो उसे कोई दिखाई नहीं दिया। वह थोड़ी देर तक सोचता रहा। उसने बड़ी ही आहिस्ता से कहा: 

 

विक्की

ये आवाज़ तो थोड़ी जानी पहचानी सी लग रही है। कौन है सामने आओ।  

 

विक्की ने कमरे के चारो तरफ अपनी नज़रे दौड़ाई मगर उसे कोई नज़र नहीं आया। क्या सच में कमरे में कोई था? आखिर किसने उसे पुकारा? क्या विक्की पारो से किया हुआ वादा पूरा कर पायेगा? 

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।  

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