ध्रुव ने मद्रास कैफे पहुंच कर जब रानी को रिजर्व सीट पर बैठे देखा तो राहत की सांस ली। रानी और ध्रुव कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे। कब दोनो एक दूसरे को पसंद करने लगे पता ही नही चला। 

समय के साथ पसंद प्यार में बदल गई। जैसे ही ध्रुव चेयर पर बैठी रानी के सामने गया तो रानी का चेहरा फूल की तरह खिल गया। रानी देखने में जितनी सुंदर थी, उतनी ही प्यारी उसकी आवाज़। उसने अपनी बड़ी ही कोमल आवाज़ में कहा: “मिल गई फुरसत, आज हमें मिले हुए पूरा एक महीना हो गया”।   

रानी ध्रुव से पूरे एक महीने बाद मिल रही थी। इसीलिए उसकी बातों में थोड़ी नाराजगी थी। ध्रुव ने खामोशी के साथ सिर्फ हां में सर हिला दिया। ध्रुव ने अपने दोनों हाथो को चिन पर रखा और रानी को बड़े प्यार से देखने लगा। रानी ने नकली गुस्से से कहा : “तुम तो मुझे इस तरह देख रहे हो जैसे पहले कभी देखा ना हो"। 

 

ध्रुव: 

पूरे एक महीने बाद देख रहा हूं। थोड़ा जी भर कर तो देखने दो। 

 

 

 

ध्रुव की इस रोमांटिक बात ने रानी की नाराज़गी को एक दम गायब कर दिया था। जिस तरह ध्रुव रानी को प्यार भरी नज़रों से देख रहा था, उसी तरह, रानी के लिए ये काफी था कि ध्रुव उसके साथ है। रानी के पास आने से पहले ही ध्रुव ने एक स्पेशल कॉफी ऑर्डर कर दी थी। 

 

बिना कुछ बोले वेटर ने कॉफी को टेबल पर लाकर रख दिया था। जब पहली बार दोनों कॉफी पीने इस कैफे में आए थे तभी से दोनों एक ही कॉफी ऑर्डर करते थे। रानी का मानना था कि एक कॉफी को बाँट कर पीने से प्यार बढ़ेगा।  

 

कॉफी का एक सिप ध्रुव ले रहा था तो एक सिप रानी। देखने वालो को थोड़ा अजीब लगता था मगर इससे दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। ध्रुव ने कॉफी का सिप मारते हुए कहा: 

 

 

ध्रुव: 

मुझे एक जरूरी काम से शहर से बाहर जाना पड़ रहा है, आने में कितना समय लगेगा, कुछ बता नही सकता। 

 

 

 

रानी जानती थी कि ध्रुव ने अपने शौक़ को ही अपना पेशा बना लिया था। उसे इससे कोई एतराज़ नहीं था। वो तो बस ध्रुव के साथ रहकर अपना घर बसाना चाहती। 

 

ध्रुव शादी करने से पहले कुछ बनना चाहता था इसीलिए रानी का घर बसने में देरी हो रही थी। रानी ने आज तक ध्रुव से उसके काम के बारे में कुछ नही पूछा। हां, वो इतना जरूर जानती थी कि ध्रुव की एक डिटेक्टिव एजेंसी है। रानी ने प्यार से कहा , “ध्रुव मैं तुमसे प्यार करती हूं ता-उम्र तुम्हारा इंतजार कर सकती हूं। बस तुम्हे भी मेरे लिए जिंदा रहना होगा ”। 

रानी जानती थी कि जासूसी करने में कितना खतरा होता है। इस पेशे में दोस्त से ज्यादा दुश्मन बन जाते है और जान का खतरा दुश्मनों से ही होता है। दोनों के बीच और भी बहुत सारी बातें हुईं । ध्रुव जिस मकसद से आया था वो पूरा हो चुका था। 

 

दोनों ने काफी समय एक साथ गुजारा। एक हग के साथ ध्रुव ने रानी को विदा किया। एक तरफ़ जहां ध्रुव रानी से मिल कर अपने ऑफिस आ गया था तो दूसरी तरफ वो 60 साल की दिखने वाली बूढ़ी औरत लकड़ी के सहारे लड़खड़ाती हुई रणविजय के पास आई और कहा: कोई मुझे बताएगा कि ये रणविजय कौन है?  

 

रोज़ी ने जब उस बुढ़िया के मुँह से रणविजय का नाम सुना तो वो चौंक गयी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि ये बुढ़िया रणविजय नाम कैसे जानती है। रणविजय ने उस बुढ़िया के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया मगर पास खड़ी रोज़ी से रहा नहीं गया। उसने गुस्से में आकर पुछा: 

 

 

रोज़ी: 

तुम्हे उनसे क्या करना है? 

  

 

बूढी औरत ने कहा : उन्ही ने तो मुझे यहाँ बुलाया है। उनके कहने पर ही तो मैं यहाँ आयी हूँ। बुढ़िया की इस बात ने इस बार रोज़ी के साथ साथ रणविजय को भी चौंका दिया था। उनसे अपने दिमाग पर ज़ोर दिया। वह मन ही मन में सोच रहा था कि उसने यहाँ का पता सिर्फ अपने गैंग के लोगो को दिया है। उसने खुद से बात करते हुए कहा: 

 

 

रणविजय:  

इस बंगले के बारे में सिर्फ रोज़ी और मैं जानते है। इसका पता मैंने विक्की, चैन्ग , उसमान और हसमुख को भेजा  था। 

  

 

 

रणविजय की ये बात उस बूढी औरत ने सुन ली थी। जैसे ही उसने हसमुख का नाम लिया। उस बूढी औरत ने अपने हाथ की डंडी को दूर फ़ेंक दिया।  

 

हसमुख ने अपने दोनों हाथो को फैला कर कहा: 

 

 

हसमुख: 

बंदा आपके सामने हाज़िर है। 

 

 

 

ये सब क्या चल रहा था? अभी तक जो एक 60 साल की बूढी औरत थी वह अचानक गायब कैसे हो गयी। जैसे ही हसमुख ने अपने ऊपर किया हुआ बूढी औरत का मेक उप उतरा तो दोनों बुरी तरह चौंक गए थे मगर रणविजय अब पूरी कहानी समझ चूका था।   

 

 

रणविजय: 

ओ माय गॉड, यू आर सो इंटेलीजेंट। मैंने जैसा तुम्हारे बारे में सोचा था, तुम उससे बहुत आगे निकले।  

 

 

 

भले ही रणविजय सब समझ गया था मगर रोज़ी अभी भी सारी चीज़ों से अनजान थी। जो कुछ भी हो रहा था उसके लिए वो अविश्वसनीय था। वो इस मामले को रणविजय की ज़बान से सुनना चाहती थी। उसने रणविजय से सवाल पूछते हुए कहा: 

 

 

रोज़ी: 

डार्लिंग, मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। आखिर ये 60 साल की आंटी है या फिर हसमुख। और हसमुख है तो कौन है हसमुख, इसका यहाँ क्या काम। 

  

 

रणविजय ने हसमुख के लिए दोनों हाथो से तालियाँ बजायी। उसने रोज़ी के सवाल का जवाब देते हुए कहा: 

 

 

रणविजय:  

ये हसमुख है, हमारी टीम का आखिरी मेंबर, इसका नाम है हसमुख बहरूपिया। 

 

 

  

बहरूपिया शब्द सुन कर रोज़ी को बड़ा अजीब सा लगा। रणविजय समझ गया था कि रोज़ी बहरूपिया शब्द के बारे में नहीं जानती है। इसलिए उसने आसानी भाषा में समझाते हुए कहा: 

 

 

रणविजय: 

हसमुख राम लीला में काम करता था। तरह तरह के रूप बदलने में मशहूर था। जिस तरह हम इसे नहीं पकड़ पाए, ऐसे ही लोग इसका बदला हुआ रूप नहीं पहचान पाते थे।  

 

 

रोज़ी: 

इसीलिए हसमुख के आगे बहरूपिया नाम और जुड़ गया। 

 

 

 

जिस तरह की एक्टिंग हसमुख ने की थी उससे रणविजय बहुत खुश था। वह हसमुख के पास गया और उसे गले लगा लिया। रोज़ी ये देख कर ऐसे जल रही थी जैसे हसमुख उसकी सौतन हो। रणविजय ने हसमुख की पीठ थपथपाते हुए कहा: 

 

 

रणविजय:     

हमारी टीम का चौथा पिलर है हसमुख।  

 

 

 

इतना खुश तो रणविजय रोज़ी से मिल कर भी नहीं होता था जितना खुश आज वह हसमुख से मिल कर हुआ था। वह हसमुख से गले मिल कर अपनी ख़ुशी का इज़हार कर ही रहा था कि पीछे से आवाज़ आयी: 

 

 

विककी: 

ये चौथा पिलर है तो फिर तीसरा कौन है? 

 

 

  

रोज़ी, हसमुख बहरूपिया, और रणविजय, तीनो ने एक साथ मुड़ कर उस आवाज़ की तरफ देखा तो वह कोई और नहीं बल्कि विक्की था। रोज़ी ने विक्की को पहचानते हुए तुरंत कहा: 

 

 

रोज़ी: 

तुम विक्की हो ना, मार्शल आर्ट के एक्सपर्ट। 

  

 

 

रोज़ी की बात पर विक्की ने हाँ में सर हिला दिया था। रणविजय की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। जिस तरह उसने इन सब लोगो को जोड़ने के लिए मेहनत की थी आज उसका फल मिल रहा था। हसमुख बहरूपिया के अलावा रोज़ी ने सभी की विडिओ देखी हुयी थी। रणविजय ने रोज़ी को सभी के बारे में सारी जानकारी दे दी थी।  

 

तभी रोज़ी की नज़र दरवाज़े पर पड़ती है। उसने देखा की तीन लोग उन्ही की तरफ आ रहे है। रोज़ी ने उन लोगो की तरफ थोड़ा गौर से देखा और कहा: 

 

 

रोज़ी: 

डार्लिंग, सामने देखो, उसमान और चैन्ग भी आ गए।  

 

 

 

रोज़ी की बात पर रणविजय ने उसमान और चैन्ग को आते हुए देखा। जिस आदमी ने उन दोनों को इस बंगले तक पहुंचाया वह कोई और नहीं बल्कि रॉबिन था, वह भी रणविजय का खास आदमी है। जब तीनो करीब आ गए तो रोज़ी ने कहा: 

 

 

रोज़ी:  

आप रॉबिन सर हो ना? 

 

 

 

रोज़ी की बात पर रॉबिन ने हाँ में सर हिला दिया। आज सच मुच रणविजय के लिए बहुत बड़ा दिन था। सिर्फ रणविजय ही जानता था कि इन सभी को एक साथ जमा करने के लिए उसने कितने पापड़ बेले। कितने पैसे खर्चा हुए, कितने लोगो की जान लेनी पड़ी, कितने लोगो ने अपनी जान गवाई। इन सभी के बारे में सिर्फ रणविजय ही जानता था। 

 

रणविजय ने एक एक करके सभी से पहले तो अपना और रोज़ी का इंट्रोडक्शन दिया। उसके पास सभी को एक दूसरे के बारे में बताया। विक्की, चैन्ग, उसमान, और हसमुख बहरूपिया ने आपस में एक दूसरे से हाथ मिलाया। सभी लोगो ने एक नज़र से बंगले को देखा। रणविजय ने सभी के सामने अपनी बात रखते हुए कहा: 

 

 

रणविजय: 

आप लोगो का इस बंगले में स्वागत है। हम यहाँ पर एक खास मकसद के लिए जमा हुए है। हमें एक ऐसे मिशन को पूरा करना है जो बहुत ही खतरनाक है। इस बारे में हम कल बात करेंगे। आप लोग अभी थक गए होंगे।  

 

भले ही उन सभी में से किसी ने भी रणविजय की बात का जवाब नहीं दिया। मगर उनके चेहरे के भाव बता रहे थे कि सच में वो सभी बुरी तरह थक चुके थे। रणविजय ने भी इस समय उन लोगो से बात करना मुनासिब नहीं समझा। उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा: 

 

 

रणविजय: 

यहाँ पर तुम लोगो को किसी भी चीज़ की ज़रुरत हो तो मिस रोज़ी है। वह आपकी हर चीज़ का ख्याल रखेगी।  

 

 

 

रणविजय की इस बात पर रोज़ी के चेहरे पर अजीब से भाव थे। वह सिर्फ रणविजय की रखैल थी। उसके मन में शंका हुयी कि कहीं रणविजय उसे  अपनी टीम की भी रखैल ना बना दे। रोज़ी ने जब रणविजय की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो उसने अपनी बात को दोहराते हुए कहा: 

 

 

रणविजय: 

मिस रोज़ी, एम आइ राइट??? कहाँ खो गयी ?  

 

 

  

रोज़ी जानती थी कि अगर उसने रणविजय को इग्नोर किया तो उसे कौन संभालेगा?  रोज़ी ने तुरतं ही रणविजय के सवाल का जवाब देते हुए कहा,: 

 

 

रोज़ी: 

यस, यू आर राइट! आप लोगो को कभी भी किसी भी चीज़ की ज़रुरत हो तो हमें बता देना। मैं २४ घंटे आपकी सेवा में रहूंगी।  

 

 

 

जिस तरह रोज़ी ने रणविजय के सवाल का जवाब दिया था उससे तो यही लग रहा था कि रोज़ी की समझ में आ चुका था कि अगर उसने रणविजय को खुश नहीं किया तो सब कुछ बंद हो जायेगा। रोज़ी की ऐशो आराम भरी ज़िन्दगी का सूत्रधार तो रणविजय ही था। उसके खिलाफ जाना या फिर बोलना, अपनी मौत को दावत देना था।  

 

रणविजय अपनी बात को कह कर वहां से चला गया था। अब सिर्फ बंगले के हॉल में गैंग के चारो मेंबर जमा थे। रणविजय के जाने के बाद रोज़ी ने सभी के सामने अपनी बात रखते हुए कहा: 

 

 

रोज़ी: 

यहाँ आपको कोई परेशानी नहीं होगी। अभी के लिए आप अपने अपने कमरे में जाकर  फ्रेश हो जाये। आप चाहे तो आपका खाना आपके कमरे में पंहुचा दिया जायेगा।  

  

सभी लोगो को रोज़ी के विचार अच्छे लगे। हसमुख बहरूपिया के अलावा सभी ने रोज़ी की बात मान ली। वह सभी अपना अपना सामना लेकर बंगले के ऊपरी हिस्से में चले गए। इस काम में रोबिन ने रोज़ी की पूरी मदद की। सभी लोगो के जाने के बाद हॉल में रोज़ी के साथ हसमुख रह गया था। वह अपने धीमे धीमे कदमो से रोज़ी की तरफ बढ़ता है। रोज़ी के दिल में उसकी इमेज साफ़ नहीं बनी थी।  

 

 

क्या सच में हसमुख रोज़ी की ओर बुरी नज़र से बढ़ रहा था?  

रणविजय का प्लान क्या था और उसमें ये सारे किरदार कैसे फिट होने वाले थे??? 

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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