चैंग जिस आराम से ए टी एम के अंदर घुसा था, उसे देखकर कोई भी अंदाजा नही लगा सकता था कि वो ए टी एम को लूटने आया है। अंदर घुसते ही उसने सबसे पहले अपने बैग से लैपटॉप निकाला। वो लैपटॉप के स्टार्ट होना का इंतजार कर रहा था। साथ ही साथ अपने इयरफोन्स पर बज रहे इंग्लिश सॉन्ग की बीट पर थिरक रहा था।
उसका बिहेवीयर एक दम नॉर्मल लड़के की तरह था। जैसे ही उसका लैपटॉप स्टार्ट हुआ, चैंग ने अपने हाथ की उंगलियों से उसे चलाना शुरू कर दिया। वो कंप्यूटर को इतनी तेज़ी से चला रहा था कि रोजी देख कर दंग रह गई। उसने रणविजय से कहा:
रोज़ी:
इसकी उंगलियां कुछ ज्यादा तेज नहीं चल रही डार्लिंग।
रणविजय:
अभी तुमने असली कमाल कहाँ देखा है। आगे देखती जाओ क्या क्या होता है।
चैंग ने अपने कंप्यूटर पर ऐसा प्रोग्राम रन किया कि ए टी एम का पैसे रखने वाला पूरा बॉक्स ही खुल गया। ये सब देख कर रोज़ी दंग रह गयी। रोज़ी ने चौंकते हुए कहा:
रोज़ी:
ये क्या था!
रणविजय:
यही तो इस ढीले ढाले से दिखने वाले कलाकार की कलाकारी थी। दुनिया में कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसे ये हैक ना कर सके।
चैंग ने अपना दूसरे बैग की जिप खोली और उसमे आराम से ए टी एम बॉक्स से पैसे निकाल कर भरने लगा। उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वो चोरी नही बल्कि अपने खुद के पैसे बैग में भर रहा हो। पैसे बैग में भरने के बाद उसने अपने बैग की जिप वापस बंद कर दी। उस पैसे से भरे बैग को उसने अपने कंधे में लटका लिया।
जल्दी से उसने अपने लैपटॉप को शट डाउन किया और दूसरे बैग में रख दिया। जिस इत्मीनान से वो ए टी एम के केबिन से बाहर निकला, उसे देख कर ऐसा लगा जैसे चैंग ने कुछ किया ही ना।
रोज़ी:
वाह, बहुत खूब, इसे कहते है परफेक्ट चोरी, किसी को कानों कान ख़बर भी नहीं हुई।
रणविजय:
वेलकम टू अवर गैंग मिस्टर चैंग।
रोज़ी के हाथ में जिस तीसरे मेंबर की फोटो थी वो देखने में एक मामूली सा कीमेकर था। रोज़ी के मन में अभी भी यही सवाल था कि एक चाबी बनाने वाला हमारे किस काम आ सकता है। इस चाबी वाले की खूबी के बारे में रणविजय सब जानता था इसीलिए उसने चाबी वाले को अपनी टीम के लिए चुना।
रणविजय:
तुम फिक्र मत करो, बहुत जल्दी उसमान के बारे में भी जान जाओगी।
कुछ जाने या ना जाने मगर उसे कीमेकर का नाम तो पता चल गया था। उस कीमेकर का नाम उसमान था और वो हैदराबाद का रहने वाला था।
रोज़ी:
डार्लिंग ये उसमान आपको कहाँ से मिल गया। सच कहूं तो आपने चुन चुन के डायमंड्स को जमा किया है।
रणविजय:
चिंता ना करो, इसके टीम में शामिल होने से पहले मैं तुम्हे उसकी पूरी कहानी सुनाऊंगा।
तुम्हे नहीं लगता सब कुछ सूखा सूखा सा हो रहा। तुम्हारी जवानी अगर माहौल को रंगीन ना बना पाए तो मज़ा कैसा।
रणविजय ने रोज़ी को अपने मनोरंजन के लिए अपने साथ रखा हुआ था। अब अगर वो उसे खुश नहीं रख पाएंगी तो उसे अपने साथ रखने का फायदा ही क्या। रोज़ी कुछ दूरी पर खड़े रणविजय के पास गई और बड़े ही रोमांटिक अंदाज के कहा:
रोज़ी:
माहौल को रंगीन बनाने के लिए म्यूजिक का होना जरूरी है।
रोज़ी का इतना कहना था कि रणविजय ने टेबल के ऊपर से रिमोट उठाया और एक बढ़िया सा सॉन्ग बजा दिया।
गाने की धुन में सबसे पहले रोजी ने बार काउंटर पर जाकर रणविजय के लिए एक शानदार व्हिस्की बनाई।
गाने के साथ साथ रोज़ी ने अपने सामने खड़े रणविजय के चारों तरफ घूमना शुरू कर दिया। देखने में ऐसा लग रहा था जैसे वो रणविजय को रिझा रही हो। गाने के बोल में अपनी आवाज़ मिलाते हुए रोज़ी ने गाना गाना शुरू किया।
रोज़ी:
लैला मैं लैला, ऐसी हूँ लैला… हर कोई चाहे मुझसे मिलना अकेला… लैला मैं लैला, ऐसी हूँ लैला… हर कोई चाहे मुझसे मिलना अकेला… जिसको भी देखूँ… दुनिया भुला दूँ… मजनू बना दूँ… ऐसी मैं लैला…
रोज़ी एक बार डांसर के रूप में काम करती थी। लोगों को रिझाना उसे खूब आता था। एक बार जो उसने रणविजय को रिझाया तो आज तक वो उसके साथ है। रोज़ी ने आज तक उसे किसी काम को मना नहीं किया। अब भले वो सेक्स ही क्यों ना हो। जैसे ही गाना खतम हुआ तो रणविजय ने कहा:
रणविजय:
आज तुमने मुझे खुश कर दिया। इसके लिए इनाम के तौर पर में तुम्हे उसमान के बारे में बताता हूं। रणविजय ने एक बार फिर स्क्रीन को रिमोट से ऑन किया। इस बार जो वीडियो थी वो जगह रोजी की जान पहचान वाली थी। उसने तुरंत इक्साइटेड होते हुए कहा:
रोज़ी:
ये तो फेमस ज्वेलर मोती लाल एंड संस की शॉप है, तो क्या इस मामूली कीमेकर ने ज्वेलर की शॉप में चोरी की। मुझे नहीं लगता ये इतने सारे तालों को खोलने में कामयाब हो पाएगा।
रणविजय:
जितनी देर तुम्हे ये सोचने में लगा, उतनी देर में उसने तालों को खोल कर शॉप का शटर भी उठा दिया।
रोज़ी:
ये तो सच में कमाल हो गया। मगर ये क्या? शॉप के अंदर एक और शॉप।
शॉप में सुरक्षा को लेकर कई दरवाज़े थे मगर उसमान ने सभी दरवाजों को आसानी से खोल दिया था:
रणविजय:
तुमने देखा इसका कारनामा, मगर वो एक बात से अनजान था।
रोज़ी:
कौन सी बात डार्लिंग।
उसमान नही जानता था कि शॉप के अंदर हाई सिक्योरिटी कैमरे के साथ साथ अलार्म भी था। जैसे ही शॉप के ताले टूटने शुरू हुए ओनर के घर पर अलार्म बजना शुरू हो गया। उसमान खज़ाने तक तो पहुंच गया था मगर वो उसे चुरा नही पाया। उसके बाहर आने से पहले ही पुलिस पहुंच चुकी थी।
रोज़ी:
पुलिस तो हमेशा चोरी होने के बाद पहुंचती है, यहां पर पहले ही पहुंच गई। बहुत बढ़िया।
पुलिस ने चोरी करते हुए उसमान को रंगे हाथों पकड़ लिया था। रणविजय की इतनी पहुँच तो थी। उसने पुलिस में पैसे खिला कर उसमान को छुड़वा लिया था। उसे ऐसे ही काबिल लोगो की तलाश थी।
रोज़ी:
डार्लिंग, अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि हम डायमंड्स को लूटने में क़ामयाब जायेगे। अब हमे दुनिया का सबसे अमीर होने से कोई नहीं रोक सकता। इसे कहते है परफेक्ट टीम।
रोज़ी की बातो ने एक बार फिर रणविजय के चेहरे पर हंसी ला दी थी। वो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। उसकी हंसी से ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने मकसद में कामियाब हो गया हो। तभी रणविजय को हंसी के साथ खांसी आने लगी।
रोज़ी तुरंत दौड़ती हुई रणविजय के पास जाती है। इस बार उसके हाथ में पानी का ग्लास भी था। उसने रणविजय की खांसी को कम करने के लिए उसकी पीठ को सहलाया । उसने अपने हाथो से रणविजय को ग्लास से पानी पिलाते हुए कहा:
रोज़ी:
डार्लिंग, मैने कितनी बार कहा की सिगार कम कर दो मगर तुम मेरी बात मानते ही नहीं हो। अब देखो आ गई ना खांसी..
रोज़ी की इस बात ने रणविजय को गुस्सा दिला दिया था। उसने रोजी को ऐसे घूरा जैसे अभी जान से मार देगा। रोज़ी भी समझ गई थी कि उसे रणविजय और सिगार के बीच नही आना चाहिए था। रोज़ी की खामोशी ने रणविजय के गुस्से को थोड़ा शांत कर दिया था।
खांसी आने की वजह से उसकी सिगार भी बुझ गई थी। उसने सिगार की तरफ इशारा किया तो रोजी ने खुद लाइटर उठा कर उसकी सिगार को जलाया। रणविजय ने खुश होते हुए कहा:
रणविजय:
बस मुझे तुम्हारी यही अदा तो पसंद है । बस एक बात हमेशा ध्यान रखना। मेरी हां में हां मिला कर ही तुम वो सब पा सकती हो जो तुम्हे चाहिए।
नेरेटर:
रणविजय की इस बात पर रोज़ी ने हां में सर हिला दिया। साथ में उसने रणविजय को Smile भी दी। वो अलग बात थी कि वो एक दम झूठी स्माइल थी। रणविजय ने एक सुकून की सांस ली और कहा:
रणविजय:
उसके बिना हमारी टीम परफेक्ट नही हो सकती। जब तक वो हमारी टीम में नहीं आएगा, हमारी टीम अधूरी है। विक्की, चैंग, और उसमान इनका कोई तोड़ नही है मगर उसके बिना सब अधूरे है।
रोज़ी सोचने पर मजबूर हो गई थी कि ऐसा कौन सा इंसान है जिसे रणविजय इतनी अहमियत दे रहा है। इससे पहले वो कुछ सवाल करती, उनके पीछे से खांसने की आवाज़ आती है।
रोज़ी:
तुम कौन हो और अंदर कैसे आई?
रोज़ी ने एक साथ कई सारे सवाल उस बूढ़ी औरत से कर लिए थे। उसने सारे सवाल चौंकते हुए पूछे थे। वो औरत अभी भी खामोश थी। रोज़ी को उसके सवालों के जवाब नही मिले तो उसने फिर पूछा:
रोज़ी:
तुमने बताया नही कि तुम्हे यहां का पता किसने दिया।
उस बूढ़ी औरत पर रोज़ी की बातो का कोई असर नहीं हो रहा था। वो वापस जाने की बजाए रोजी की तरफ ही आ रही थी। रणविजय भी कुछ समझ नहीं पा रहा था। रणविजय की खासियत थी कि पहले वो बातो को समझता है, उसके बाद कुछ कहता है।
उस बूढ़ी औरत को अपनी तरफ आते हुए देख रोजी को बहुत गुस्सा आ रहा था। उसका मन कर रहा था कि वो बूढ़ी औरत को धक्का मार कर बंगले से बाहर निकाल दे। उसने गुस्से वाली टोन में कहा:
रोज़ी:
ठीक से चला भी नहीं जा रहा और अंदर घुसी आ रही हो। देखो अगर तुम्हे कुछ पैसे चाहिए तो बाहर दरवाज़े से मांगो। भिखारी घर के बाहर से ही भीख मांगते है।
रोज़ी की तंज भरी बातो का उस बूढ़ी औरत पर कोई असर नहीं पड़ रहा था। एक तरफ उस औरत को देख कर रणविजय भी सोच में पड़ गया था तो दूसरी तरफ ध्रुव और बल्ली ने मुंबई से लखनऊ जाने की तैयारी कर ली थी।
ध्रुव अपने जरूरी काम को निपटाने के लिए मरीन ड्राइव से माहिम जाने के लिए टैक्सी का इंतजार कर रहा था। ध्रुव बार बार अपनी घड़ी में टाइम देखा रहा था। उसने खुद से बात करते हुए कहा:
ध्रुव:
अभी छः बजने में एक घंटा है। टैक्सी तो मिल नही रही, बस से जाऊंगा तो शायद टाइम पर नही पहुंच पाऊंगा।
टाइम से पहुंचने की उधेड़ बुन में वो एक टैक्सी वाले को रुकने का इशारा करता है। टैक्सी वाला माहिम जाने के लिए तैयार हो जाता है। ध्रुव के टैक्सी में बैठने पर ड्राइवर मीटर को गिरा देता है। ध्रुव के चेहरे पर जो भाव आ रहे थे इससे साफ लग रहा था कि उसे मद्रास कैफे पहुंचने की बहुत जल्दी है।
ध्रुव ने टैक्सी में बैठने के बाद एक राहत की सांस लेते हुए खुद से कहा:
ध्रुव:
अब मैं टाइम पर पहुंच जाऊंगा।
ध्रुव की घड़ी के हिसाब से टैक्सी वाले ने ध्रुव को माहिम ठीक 35 मिनट में पहुंचा दिया था। मीटर में जितने पैसे बने थे ध्रुव ने जल्दी से अपनी जेब से निकाल कर दे दिया। छः बजने में अभी पांच मिनट थे। इसका मतलब यही था कि वो टाइम से पहले पहुंच गया था।
मद्रास कैफे माहिम एरिया का एक फेमस कैफे था। वहां की कॉफी बहुत फेमस थी। लोग दूर दूर से मद्रास कैफे की सिर्फ कॉफी पीने आते थे। ध्रुव सीधे कैफे में उस जगह पहुंचा जहा अक्सर वो साथ में बैठ कर कॉफी पीता था।
रिजर्व सीट पर व्हाइट ड्रेस पहने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बैठी थी।
आखिर कौन थी ये लड़की? क्या ध्रुव इसी लड़की से मिलने आया था? ध्रुव को इस लड़की से क्या जरूरी काम हो सकता था?
दूसरी तरफ उस बूढ़ी औरत का क्या राज है? वो घर के अंदर क्यों चली आ रही थी?
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