विक्की अपनी पत्नी पारो का फोटो हमेशा अपने पर्स में रखता था। जब भी उसे पारो की याद आती थी, वो पर्स में रखी फोटो को देख कर खुश हो जाता था। उस रात भी वो पर्स में अपनी पत्नी का फोटो देख रहा था।  

उस दिन उसे लगा कि पारो उसके साथ है। मोहब्बत की इंतहा ये थी कि उसे पारो की मौजूदगी का एहसास हो रहा था। वो उस आवाज़ को तलाशने लगा जो थी ही नहीं, सिर्फ एक एहसास था।  

जिस बेकरारी से उस आवाज़ को सुन कर विक्की कमरे में इधर से उधर जा रहा था, इससे उसकी अपनी पत्नी के लिए मोहब्बत का पता चल रहा थे। काफी दिन हो गए थे उसे पार्वती से बात किए हुए। वो उसे बहुत मिस कर रहा था। उसने बेचैनी के साथ कहा: 

 

विक्की: 

कहां हो पारो, तुम मुझे दिखाई क्यों नहीं दे रही हो। मैं कहता हूं सामने आओ। मैं तुम्हे देखना चाहता हूं, मैं तुम्हे छूना चाहता हूं। 

 

वो इसी बेचैनी के साथ रूम में पड़े सोफे पर बैठ गया। उसने अपने हाथों से सर को ऐसे पकड़ा हुआ था जैसे उसके सर में दर्द हो रहा हो। वो जल्दी समझ गया था कि प्यार करने वाले इसी तरह तड़पते हैं। 

 

जो हाल उसका यहां पारो को लेकर हो रहा था। क्या पारो भी अपने माता पिता के यहां उसे लेकर परेशान हो रही थी। इस खयाल के साथ विक्की की नज़र सामने रखे फोन पर गई। उसने तुरंत फोन उठाया और नंबर डायल करने लगा। 

 

 

विक्की: 

पारो फोन क्यों नहीं उठा रही। हो सकता है वो बिज़ी हो। मगर मेरे लिए तो उसे फ्री होना चाहिए था। 

 

 

आज के दिन विक्की को अपनी पत्नी की बहुत याद आ रही थी। वो सवाल भी खुद कर रहा था और अपने सवालों के जवाब भी खुद ही दे रहा था। एक बार पूरी बेल बजने के बाद विक्की ने पारो के नंबर को redial कर दिया।  

 

 

इस बार पहली बेल बजने पर ही पारो ने फोन उठा लिया था। विक्की ने ना हाय किया और ना ही हेलो, सीधे सवाल करते हुए कहा: 

 

विक्की: 

तुमने फोन उठाने में इतना समय क्यों लगा दिया। तुम कहां थी, तुम्हे फोन को अपने पास ही रखना चाहिए था।  

 

 

विक्की ने एक ही सांस में ना जाने कितने सवाल कर दिए थे। दूसरी तरफ पारो उसकी सारी बाते सुन रही थी। विक्की को पार्वती की कमी इतनी खल रही थी कि उसने पार्वती को बोलने का मोका ही नहीं दिया। विक्की ने एक लंबी सांस ली और कहा: 

 

विक्की: 

अब कुछ बोलोगी भी या ऐसे ही चुप रहोगी। 

 

 

विक्की चाहता था कि फोन के दूसरी तरफ पारो उसकी बातो का जवाब दे मगर दूसरी तरफ सिर्फ खामोशी थी। उस खामोशी को तोड़ने के लिए विक्की ने एक बार फिर कहा: 

 

विक्की: 

मैंने कहा पारो कुछ तो बोलो। मैं तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहता हूं। 

 

 

पारो बोली : मैं सिर्फ आज तुम्हे सुनना चाहती हूं। तुम्हारी आवाज़ सुनने लिए मेरे कान तरस गए थे। तुम्हारी आवाज़ से मेरे कानों, मेरे दिल को बड़ा सकून मिल रहा है। 

 

दोनों एक दूसरे से भले ही दूर थे मगर उनका एक दूसरे के लिए प्यार हमेशा साथ रहता था। इधर विक्की जानता था कि ज़्यादा बात करने से उधर पारो इमोशनल हो जायेगी और उधर पारो भली भांति जानती थी कि विक्की उसके बिना नहीं रह सकता था।  

 

पारो हमेशा विक्की को हिम्मत देती थी। वो चाहती थी कि विक्की जल्दी से अपने मकसद में कामियाब हो जाए और उसे यहां से हमेशा हमेशा के लिए अपने साथ ले जाए। पर पारो के एक सवाल का विक्की कभी जवाब नहीं दे पाता था…  

 

उधर रोज़ी जैसे ही रणविजय के कमरे में गई तो दरवाज़ा खुला हुआ था। उसने कहा: 

 

रोज़ी: 

तुमने दवाज़ा बंद नहीं किया डार्लिंग? ये खुला हुआ क्यों है। 

 

रणविजय: 

मैने अपने दिल के दरवाज़े की तरह रूम का दरवाज़ा भी तुम्हारे लिए खोल रखा है।  

 

 

रणविजय ने ये बात बड़े रोमेंटिक अंदाज़ में कही थी। रोज़ी दरवाज़ा बंद करती हैं और अंदर आ जाती है।  

 

 

रणविजय ने ब्राउन कलर का नाइट गाउन पहन रखा था। उसके हाथ में व्हिस्की का ग्लास था। देखने में वो बड़े ही रोमेंटिक मूड में लग रहा था। रोज़ी समझ गई थी कि आज उसका सेक्स करने का मन है। रणविजय ने उंगली से इशारा करते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

वहां इतनी दूर क्यों खड़ी हो, इधर मेरे पास आओ।  

 

 

रोज़ी के अंदर इतनी हिम्मत नही थी कि वो रणविजय की बात को नकार देती। वो तुरंत उसके पास आ गई। रणविजय ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

तुम खड़ी क्यों हो रोज़ी डार्लिंग, मेरे पास आकर बैठो। आज मुझे प्यार करने का बड़ा मन है। 

 

 

रणविजय के कहने पर रोज़ी उसके पास आकर बैठ गई। उसने तुरंत अपने एक हाथ से उसके बालों को पकड़ा और उसके चेहरे को अपने मुंह के पास ले आया। उसने रोज़ी के बालों को इतना कस के पकड़ा था कि रोज़ी को दर्द होने लगा। 

 

रोज़ी ने उस दर्द को अपने चेहरे पर लाने नही दिया। रणविजय को खुश करने के लिए उसके चेहरे पर मुस्कान थी। उसने मुस्कुराते हुए कहा: 

 

रोज़ी: 

डार्लिंग, मैं कहा भागी जा रही हूं, मैं तो तुम्हारे पास ही हूं, बस कपड़े चेंज कर लूं। 

 

 

रोज़ी की बात सुन कर रणविजय ने उसके बालों को छोड़ दिया। बाल छूटने पर रोज़ी को दर्द से राहत मिली। रणविजय के लिए रोजी सिर्फ खेलने की चीज़ थी। आज की रात भी वो उसके जिस्म से खेलना चाहता था। 

 

रोज़ी बेड से उठ कर कपड़े चेंज करने की लिए अलमारी की तरफ चल पड़ी। रणविजय ने ऑर्डर देते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

मैने तुम्हारे लिए रेड कलर की नाइटी ऑर्डर की थी। वो अलमारी में रखी है, वही पहनना। उसमे तुम बहुत खूबसूरत लगोगी। 

 

 

रणविजय के कहने पर रोज़ी ने अलमारी से रेड कलर की नाईटी निकाली और कहा: 

 

रोज़ी: 

डार्लिंग, ज़रा लाइट को बंद कर दोगे। 

 

रणविजय: 

मगर वो क्यों? 

 

रोज़ी: 

मुझे ड्रेस चेंज करनी है। 

 

 

रोज़ी की बात सुन कर रणविजय ज़ोर ज़ोर से हसने लगा। उसने हंसते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

डार्लिंग कितनी बार तो तुम मेरे साथ सो चुकी हो, मुझसे कैसी शर्म। अच्छा चलो मैं अपनी आंखे बंद कर लेता हूं। 

 

 

अपनी बात को कहने के साथ ही वो अपनी आखें बंद कर लेता है। थोड़ी देर बाद वो अपनी एक आंख को खोल कर रोज़ी को देखने लगता है। रोज़ी ने अपनी टॉप का एक हुक खोला ही था कि उसकी नज़र रणविजय पर गई। उसने तुरंत कहा: 

 

रोज़ी: 

डार्लिंग तुमने अपनी एक आंख क्यों खोली हुई है, तुम चीटिंग कर रहे हो। 

 

 

रोज़ी ने ये बात थोड़ा मज़ाक भरे अंदाज़ में कही थी। वो जो भी थी एक औरत होने के नाते उसमे इतनी शर्म थी कि किसी मर्द के सामने वो शर्मा जाए। इस बार उसने और भी ज़्यादा प्यार भरे अंदाज़ के कहा: 

 

रोज़ी: 

डार्लिंग, प्लीज लाइट बंद कर दो ना, थोड़ी देर की ही तो बात है। 

 

 

रोज़ी की इस बात में बड़ी नज़ाकत थी। रणविजय ज़िद्दी तो था मगर इस समय वो अपना मूड ख़राब नहीं करना चाहता था। वो बेड से उठ कर अपने पीछे लगे लाइट के बटन को बंद कर देता है। 

 

जैसे ही रोज़ी रेड नाइटी को पहनने के लिए अपने टॉप को उतारती है, तुरंत एक बार फिर रुक जाती है। इस बार रुकने की वजह थी नाइट बल्ब की रोशनी। रणविजय ने वापस बेड पर आकर नाइट लैंप को ऑन कर दिया था। 

 

रणविजय: 

रोज़ी डार्लिंग, इतनी रोशनी में तुम्हे देखने का हक तो बनता है। मुझे अब और बेताब मत करो, जल्दी से ड्रेस चेंज करके, मुझे आकर खुश करो। 

 

 

रोज़ी की अब आगे बोलने की कोई हिम्मत नही हुई। वो जानती थी कि रणविजय को अगर गुस्सा आ गया तो उसकी पिटाई भी हो सकती है। कई बार उसने रणविजय के गुस्से का सामना किया था। 

 

रोज़ी ने उसी रोशनी में अपने कपड़े को बदला और रणविजय के पास आ गई। रणविजय ने उसी धीमी रोशनी में रोज़ी को नीचे से ऊपर की तरफ देखा और कहा: 

 

रणविजय: 

ओ माई गॉड, यू आर लुकिंग मोर ब्यूटीफुल एंड हॉट। 

 

 

अपनी तारीफ सुन कर रोज़ी खुश हो गई।रणविजय के इरादे देख कर उसे लग रहा था जैसे आज तो कुछ तूफानी होने वाला है और हुआ भी ….  

हर बार की तरह रणविजय इस बार भी सेक्स करने में फ्लॉप हो गया। रोज़ी की फीलिंग भी अधूरी रह गई। 

 

उधर जैसे ही हंसमुख  अपने कमरे में पहुंचा तो उसे उसके एक पुराने दोस्त का फोन आया। उसके चेहरे पर आने वाले भाव से साफ पता चल रहा था कि वो अपने दोस्त का फोन नही उठाना चाहता मगर फिर भी उसने रिसीव कॉल का बटन दबा दिया। उधर से आवाज़ आई:: “ क्या हुआ दोस्त, अभी तक नाराज़ हो। छोड़ो ना पुरानी बाते। एक बार फिर मिल कर साथ में काम करते है” । 

 

ये आवाज़ किसी और की नहीं बल्कि हंसमुख  के बहुत पुराने एक दोस्त की थी। दोनों ने मिल कर एक चोरी को अंजाम दिया था। हंसमुख  को चोरी के उसके हिस्से का बहुत कम माल मिला, अपने भेस बदलने की कला के दम पर उसका दोस्त पुलिस से बच पाया था। 

 

अगर हंसमुख  उसकी मदद ना करता तो शायद उसका दोस्त आज जेल की सलाखों के पीछे होता। आज वो रणविजय की टीम का हिस्सा था। इतनी बड़ी होने वाली चोरी का हिस्सा बनने के बाद उसका confidence भी बढ़ गया था। उसने अपने दोस्त की बात का जवाब देते हुए कहा: 

 

हंसमुख : 

आदमी के साथ एक बार धोखा होता है तो वो हादसा माना जाता है। मगर बार बार धोखा होता है तो लोग उसे बेवकूफ ही कहते है। मैं अब और बेवकूफ नहीं बनना चाहता। 

 

 

जितने भी लोगों ने हंसमुख  के साथ काम किया, उसकी कलाकारी के दीवाने हो गए थे। उसके साथ बार बार काम करने की चाह थी। उसके दोस्त ने एक बार फिर कोशिश करते हुए कहाहंसमुख , दोस्तो में इतना सब कुछ तो चलता रहता है। पुरानी बातों को छोड़ेंगे तभी तो आगे बढ़ेंगे।” 

 

हंसमुख  ने अपने दोस्त की बातो को बड़ी शांति के साथ सुना। उसने अपने दोस्त को आज़माने के लिए एक सवाल किया: 

 

हंसमुख : 

तो फिर ठीक है, लाला के यहां जो हमने चोरी की थी, उसमे मेरा हिस्सा दे दो, मैं तुम्हारे साथ आकर काम करता हूं। 

 

 

हंसमुख  के सवाल ने फोन के दूसरी तरफ खामोशी सा माहौल कर दिया था। जिस तरह फोन के दूसरी तरफ सन्नाटा था, उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि उसके दोस्त ने फोन काट दिया। अपनी बात को दोहराते हुए हंसमुख  ने एक बार फिर कहा: 

 

हंसमुख : 

क्यों, क्या हुआ, हो गई सिट्टी गुल। अब आवाज़ नही निकलेगी। 

यार एक काम करते है, इस बार चोरी करके जो भी माल आएगा, उसमे तेरा हिस्सा ज़्यादा होगा। 

अब मुझे तुम्हारे हिस्से की कोई जरूरत नहीं। मैं जहां हूं, वहां से इतना पैसा मिलने वाला है कि जिंदगी खत्म हो जाएगी मगर पैसा खतम नही होगा। 

 

 

हंसमुख  की इस बात ने उसके दोस्त को चौंका दिया था। वो हंसमुख  की काबिलियत के बारे में जानता था। हंसमुख  की बातो से उसने अंदाज़ा लगा लिया था कि जरूर वो बहुत बड़ा हाथ मारने वाला है। तभी उसके दोस्त की आवाज़ आई: तो क्या इस काम में अपने दोस्त को शामिल नहीं करेगा। 

 

अपने दोस्त के इस सवाल का हंसमुख  क्या जवाब देगा? क्या वो रणविजय के साथ होने की बात अपने दोस्त को बता देगा? क्या अपने दोस्त की बातो में आकर वो उसे भी इस चोरी में शामिल कर लेगा? पारो का वो कौन सा सवाल था जिसका जवाब विक्की के पास नही था?  

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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