जब हंसमुख के दोस्त ने उससे नयी टीम के बारे में पुछा तो वो थोड़ी देर खामोश रहा। उसे एहसास हुआ कि उसके मुँह से ये क्या बात निकल गयी।  

 

वो भी असली बहरूपिया था। कम चालाक नही था। चेहरे को बदलने के साथ साथ ज़बान को बदलना भी उसे बखूबी आता था। उस ने बात को बदलते हुए कहा: 

 

हंसमुख : 

क्यों नहीं शामिल करूंगा, तू मेरा सबसे पुराना दोस्त है। तुझे अपने काम में शामिल नहीं करूंगा तो किसको करूंगा।  

 

  

हंसमुख की बातों को सुन कर उसका दोस्त बहुत खुश हुआ। उसके मन में लड्डू फूट रहे थे। उसके दोस्त को लगा कि हंसमुख फिर उसकी बातों में आ रहा उसकी मगर हंसमुख ने ये सारी बातें बात को खतम करने के लिए कही थी। उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा: 

 

हंसमुख :  

अब रात ज़्यादा हो गयी है। तुम भी सो जाओ, में भी सो जाता हूं। कल सुबह बात करते है।  

 

  

हंसमुख की बात पर दोस्त ने खुशी खुशी फ़ोन को रख दिया था। फ़ोन रखने के बाद सबसे पहले हंसमुख ने उसका नंबर ब्लॉक किया। उसने फ़ोन को टेबल पर रखते हुए खुद से कहा: 

 

हंसमुख :  

अब करते रहना फ़ोन, मैने नंबर ही ब्लॉक कर दिया। मैं इस मिशन के बारे में किसी से कुछ नहीं कहूंगा, क्योंकि किसी को भी इसके बारे में पता चल गया तो नुकसान मेरा ही है।  

 

 

अपनी बात को कह कर हंसमुख सोने के लिए चला जाता है। और लोगो की तरह हंसमुख भी अच्छा खासा थका हुआ नज़र आ रहा था। वह बेड पर जैसे ही लेटा उसे तुरंत ही नींद आ गयी। 

 

दूसरी तरफ विक्की ने अपनी पत्नी पारो से बहुत सारी बातें की। उसने अपने भविष्य को लेकर भी बात की। पारो का भी सवाल था कि आखिर ऐसा कौन सा काम है जिसके बारे में वो अपनी पत्नी तक को नहीं बता सकता।  

 

पारो को विक्की पर पूरा भरोसा था। वह जानती थी कि विक्की जो कुछ भी कर रहा है उसके लिए कर रहा है। विक्की ने जब उसके सवाल का कोई जवाब नहीं दिया तो पारो ने भी समझदारी दिखाते हुए ख़ामोशी इख़्तियार कर ली। बात के अंत में पारो ने बस इतना ही कहा: “आप अपना ख्याल रखियेगा।  

 

एक तरफ जहां विक्की को पारो से बात करके सकून मिला था, वही दूसरी तरफ रोज़ी की फीलिंग अधूरी रह गयी थी। शुरू में रणविजय उससे काफी बातें करता था मगर अब वह सीधा सेक्स करने पर उतारू हो जाता है। ज़्यादा सिगार और नशा करने की वजह से उसकी सेक्स करने की ताकत ख़तम हो चुकी थी।  

 

भले ही उस रात सभी ने कम नींद ली थी मगर अगली सुबह रणविजय के बताये समय पर हॉल में जमा हो गए थे। सभी की नज़रे एक दूसरे को देख रही थी। चैंग ने उसमान की तरफ देखते हुए कहा: 

 

चैंग: 

बॉस कहा है? वह अभी तक सो कर उठे नहीं क्या? 

 

  

इस समय जिस पोज़िशन पर चैंग था उसी पोज़िशन पर उसमान भी था। उसमान ने कंधो को उचका कर बताया की उसे बॉस के बारे में कुछ नहीं पता। रोज़ी के साथ साथ सभी लोग रणविजय के आने का इंतज़ार कर रहे थे।  

 

जितना समय रणविजय के आने में लग रहा था। उतनी ही बेचैनी लोगो में थी। मास्टर प्लान के बारे में रणविजय ही जानता था। थोड़ी ही देर में सभी लोगों में खुसर पुसर होना शुरू हो गयी। धीरे धीरे बातो का शोर भी बढ़ता गया। हंसमुख ने पास खड़ी रोज़ी से रणविजय के बारे में पूछते हुए कहा: 

 

हंसमुख : 

रोज़ी मैडम, बॉस कहा है।  

 

रोज़ी:  

बस, आ ही रहे होंगे। 

 

 

इससे पहले रोज़ी आगे कुछ कहती, विक्की की नज़र, ऊपर से आते हुए रणविजय पर पड़ी। थोड़ी ही देर में सभी लोग ऊपर सीढ़ियों से आते हुए रणविजय को देखने लगे। चैंग अपना म्यूजिक सुनने में मस्त था। उसने तुरंत कहा:  

 

चैंग: 

बॉस का नाम लिया और बॉस आ गए।  

 

 

चैंग ने अपने कानों में हेड फोन लगाया हुआ था। उसे लगा रणविजय को आते हुए सिर्फ उसने देखा है। इसीलिए उसने इनफॉर्म करने के लिए अपनी बात कही थी। 

 

हंसमुख : 

बड़ी लम्बी उम्र है बॉस की।  

 

 

रणविजय काले रंग का सूट पहने सीढ़ियों से उतर रहा था। चेहरे पर एक अलग ही रौब नज़र आ रहा था। रणविजय ने सभी लोगो के लिए रहने के साथ साथ खाने का भी खास इंतेज़ाम किया हुआ था। वह सभी लोगो के सामने आकर बोलता है: 

 

रणविजय: 

रात आपको लोगो की अच्छी कटी होगी। सब लोगो की थकान भी दूर हो गयी होगी।  

 

 

जैसे ही रणविजय ने रात में नींद की बात कही तो सभी अपनी पिछली रात के बारे में सोचने लगे। रोज़ी के चेहरे पर तुरंत मुस्कान आ गई। रणविजय ने बड़े ही गंभीर स्वर में कहा: 

 

रणविजय: 

सबसे पहले मैं आप लोगो को ये बताना चाहता हूँ कि हमारा ये मिशन बहुत ही कॉन्फिडेंशियल है। इस मिशन के बारे में हमारे अलावा किसी को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए। तभी हंसमुख बीच में बोल पड़ता है: 

 

हंसमुख : 

और अगर किसी ने इस मिशन के बारे में कोई भी इनफार्मेशन लीक की तो वो गद्दार कह लाएगा।  

 

 

हंसमुख का इतना कहना था कि सभी की आँखे उस पर जम गयी। सभी के मन में ये बात थी कि आखिर हंसमुख को बीच में बोलने की ज़रुरत क्या थी। इससे पहले कोई भी हंसमुख की बात पर अपना रिएक्शन देता, रणविजय ने तुरंत अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहता है: 

 

रणविजय: 

यहाँ पर सभी को बोलने की आज़ादी है मगर पहले आप लोगो को इस मिशन के बारे में अच्छे से जानना होगा। इस मिशन में सबसे ज़्यादा रिस्क है। इस मिशन को हमने नाम दिया है मिशन डायमंड। 

  

 

मिशन डायमंड का नाम सुन कर सभी लोग समझ गए थे कि इस मिशन के अंदर डायमंड चोरी करने वाले है। रणविजय ने आगे कहा: 

 

रणविजय: 

ये चोरी देश की ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी चोरी होगी। इस चोरी से हमारी सबकी ज़िन्दगी बदल जाएगी।  

 

 

तभी उसमान के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। उसकी मुस्कान को देख कर रणविजय पूछता है: 

 

रणविजय:  

क्या बात है उसमान, अचानक तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान कैसे आ गयी? 

 

उसमान: 

बॉस, अब मेरी बेटी भी इस दुनिया को देखेगी। इस चोरी से उसे नयी ज़िन्दगी मिलेगी।  

 

 

रणविजय को उसमान की पूरी कहानी पता थी। उसने उसमान का साथ देते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

हाँ उसमान, तुम्हारा और तुम्हारी बेटी का सपना ज़रूर पूरा होगा। आप लोगो ने छोटी मोटी चोरियां तो बहुत की होगी मगर अब जो चोरी करने जाएंगे वह सबसे अलग होगी।  

 

 

सभी लोग रणविजय की बातो को बड़े गौर से सुन रहे थे। वो जानते थे कि यहाँ कोई मज़ाक नहीं चल रहा बल्कि यहाँ एक बहुत बड़ी चोरी करने के लिए जमा हुए थे। सभी जानते थे कि इतनी बड़ी चोरी में खतरा भी बड़ा होगा। सब लोग इस चोरी में कामियाब होकर अपनी ज़िंदगी को जीना चाहते थे।  

 

रणविजय की बातो से सभी के चेहरे चमक उठे थे। उन्हें चारो तरफ पैसा ही पैसा दिखाई दे रहा था। रणविजय ने अपने साथियों को मौका देते हए कहा: 

 

रणविजय: 

कोई कुछ कहना चाहता है???  

  

हंसमुख : 

ये मंज़िल नहीं आसान, इतना समझ लीजिये, एक आग का दरिया है और डूबके जाना है। 

  

रणविजय: 

इस आग के दरिया में हमें डूबना नहीं है बल्कि इसे पार करके अपनी अपनी ज़िन्दगी को बनाना है। 

  

 

रणविजय की इस बात पर सभी का सर हाँ में हिल रहा था। अभी तक किसी को कुछ नहीं पता था कि चोरी कब, कहा और कैसे करनी है। इन सब बातो के बारे में अगर कोई जानता था तो वो था रणविजय। इस बारे में उसने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा: 

 

रणविजय: 

ये चोरी हम ट्रेन में करेंगे। 

 

 

जितनी चौंकने की बात चैंग के लिए थी उतना ही अजीब उसमान को भी लगा। एक तरफ चैंग सोच रहा था कि ट्रेन में हैक करने के लिए क्या होगा? तो वही दूसरी तरह उसमान ने अपने दिल की बात को ज़बान पर लाते हुए कहा: 

  

उसमान: 

मगर बॉस ट्रेन में ताले कहा लगे होते है। मेरा वहां क्या काम। 

  

 

उसमान की बात ने सभी का ध्यान उसकी तरफ खेंच लिया था। रणविजय ने सभी के चेहरे के भाव देखे और कहा। 

  

रणविजय: 

इस चोरी में आप सभी बहुत अहम है। सभी को अपना अपना काम बता दिया जायेगा। इस चोरी के लिए आपको इसलिए चुना गया क्योंकि आप सभी दुनिया में दूसरे लोगो से बिलकुल अलग है। कभी भी कोई अपने मन में ये बात ना लाये कि उसका इस चोरी में क्या काम।  

 

  

रणविजय की बात से सभी लोग खुश थे। उन्होंने उसी समय अपने मन से सारी नेगेटिव बातें निकाल दी। अब उनके सामने एक ही मकसद था और मकसद था इस चोरी को कामियाब बनाना। अपने साथियों का हाई कॉन्फ़िडेन्स देख कर रणविजय को बड़ा अच्छा लगा। उसने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

इस चोरी की हमें एक एक बारीकी को समझना पड़ेगा। इसके हर कोने पर नज़र मारनी होगी। इसके एक एक पहलु पर ध्यान देना होगा। हमारी एक गलती, हम सब को जेल पंहुचा सकती है। 

  

 

जेल का नाम सुन कर अगर सबसे ज़्यादा कोई डरा था तो वह था उसमान। उसमान ने जो पुलिस के डंडे खाये थे उसका दर्द अभी भी उसके पिछवाड़े पर महसूस हो रहा था। रणविजय की बात एक दम सही थी। बड़ी चोरी तो बड़ी सतर्कता। मास्टर प्लान तो रणविजय के पास था मगर उससे पहले टीम को एक जुट करना ज़रूरी था। वह जानता था कि एक साथ मिल कर ही इस चोरी को सफल बना सकते है। रणविजय ने कहा: 

 

रणविजय: 

सबसे पहले टीम के सभी लोगो को ये एक होना होगा। अपने अंदर एक दूसरे के लिए नफरत को दूर करना होगा। हमें एक साथ मिल कर इस चोरी को अंजाम देना होगा।  

 

  

रणविजय ने ये बात अपने हाथो की मुठ्ठी को बंद करके कही थी। वह जानता था कि एक साथ काम करने के लिए मन का स्ट्रॉंग होना ज़रूरी है। उसने सभी साथियों को समझाने की कोशिश की कि एकता में ही बल होता है। इस बार विक्की ने अपनी बात रखते हुए कहा: 

 

विक्की: 

बॉस हम सब आपको कभी निराश नहीं करेंगे। हमारी सारी पर्सनल चीज़े पर्सनल ही रहेगी। उनका इस चोरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।  

 

 

विक्की की बातो पर सभी ने अपनी सहमति दी। सभी के चेहरे पर जो पाज़िटिव एक्स्प्रेसशन थे उन्हें देख कर रणविजय को गर्व महसूस हो रहा था। आखिर एक अच्छी टीम बनाने में वो कामियाब हो गया था। रणविजय ने रोज़ी को इशारा करते हुए कहा: 

 

रणविजय:  

रोज़ी, ज़रा प्रॉजेक्टर का रीमोट उठा दोगी। प्लीज़…. 

 

 

 

जिस तरह रणविजय ने रोज़ी के लिए प्लीज़ शब्द का इस्तेमाल किया था वह रोज़ी को बहुत अच्छा लगा। रणविजय की इस बात ने रोज़ी के चेहरे की स्माइल को दुगना कर दिया था। रोज़ी तुरंत प्रॉजेक्टर के पास गयी और वहां से प्रॉजेक्टर का रीमोट रणविजय को ला कर दे दिया। उस ने बटन से प्रॉजेक्टर मशीन को ऑन किया तो सामने लगी बड़ी स्क्रीन पर एक नक्शा सा आ गया। 

 

उस नक़्शे को देख कर सभी चौंक गए। आखिर वह किस चीज़ का नक्शा था? क्या सभी लोग अपने बीच एकता और मोहब्बत को बनाये रखेंगे? रोज़ी को रणविजय की रिमोट लाने वाली बात क्यों अच्छी लगी थी?  

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।  

Continue to next

No reviews available for this chapter.