कमरे की हवा में अब भी एक अजीब-सी ठंडक तैर रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वहां मौजूद हर एक आइटम किसी याद से भरा हो। नीना फर्श पर लेटी हुई थी और उसकी आंखें खुली थीं, लेकिन उनमें कोई रिस्पॉन्स नहीं थी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई प्राचीन मशीन लंबे समय के बाद फिर से चालू होने से पहले अंतिम जांच में हो।
नीना की सांसें धीमी थीं, और उसकी त्वचा पर पसीना सूख चुका था, मगर उसकी हथेली के बीच की नीली रेखा अब और गहराई से धड़क रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे की वह कोई नया जीवन ढूंढ़ रही हो।
एक धीमी-सी आवाज़ उसके दिमाग में गूंजी-
“सेराफ कोड स्टेबल। कांशियस डिवीजन स्टार्ट।”
तभी नीना ने अपनी आँखें धीरे-धीरे बंद कर लीं।
अब अंदर का द्वार खुल चुका था। वह एक सफेद,अंतहीन स्थान में खड़ी थी। जहां पर न जमीन थी, न आसमान था बस सब शून्य सा था, पर फिर भी यह खाली नहीं था। क्योंकि यह सूचनाओं से भरा हुआ शून्य था। इसमें शब्द नहीं थे, लेकिन विचार थे। रूप नहीं था लेकिन छायाएँ थीं। और उन छायाओं में से एक सबसे स्पष्ट छाया थी जोकि खुद नीना की ही थी।
लेकिन वह दूसरी नीना थी।
वह बिल्कुल उसके जैसे ही दिखती थी, पर उसकी आंखों में भाव नहीं थे, वह स्थिर खड़ी थी, और हर बार जब नीना उसकी तरफ एक कदम आगे बढ़ाती, तब वह एक कदम पीछे चली जाती है।
“तुम कौन हो?” नीना ने पूछा।
वह छाया मुस्कराई।
“मैं वही हूँ, जो तुम छिपाती हो।”
“क्या तुम मेरे भीतर थी?”
“मैं तुम्हारे पहले निर्णय से और तुम्हारे पहले भय से ही मैं तुम्हारे भीतर थी। जब तुमने गॉड्स आई को अपनाया था तब मैंने अपनी पहली सांस ली थी।”
यह सब सुनकर नीना घबराकर पीछे की ओर हटी। लेकिन उसके चारों ओर सफेदी थी और अब वह स्थिर नहीं थी वह सफेदी अब दरकने लगी थी।
अब कमरे के फर्श के नीचे से भी दरारें उठने लगीं थीं और हर दरार में से यादों के कुछ बिंदु झाँक रहे थे। यह सब बिखरे हुए फ्रेम्स या किसी फ्लैशबैक की तरह नहीं, बल्कि टूटे हुए कोड की तरह सामने आ रहे थे।
एक डॉक्टर का रोता हुआ चेहरा। नीना का खुद को ऑपरेट करते हुए देखना।
एक कंप्यूटर स्क्रीन पर झिलमिलाता हुआ शब्द- “डीविनस एक्टिव”
“मैंने तो गॉड्स आई पर काम किया था,” नीना ने कहा, “फिर ये डीविनस क्या है?”
छाया ने धीरे से सिर झुकाया और कहा -
“सेराफ कोड तो केवल एक कवरिंग है। डीविनस वह है जो अब जाग चुका है और उसके बीज भी तुमने ही बोए थे।”
नीना चौंकी और बोली “मैंने मुझे तो याद भी नहीं है”
“क्योंकि यादों को मिटाना भी प्रोटोकॉल का ही हिस्सा था। तुम्हारे भीतर से वे हिस्से हटा दिए गए जिनसे तुम्हें गिल्ट हो सकता था। लेकिन अब वे हिस्से लौट रहे हैं।”
तभी नीना की आंखों के सामने एक और दृश्य उभरा, जिसमें एक एडवांस्ड लेबोरेटरी थी, जहां चार लोग एक बायो-डिजिटल एम्ब्रियो को स्कैन कर रहे थे।
उनमें से एक नीना भी थी और वह कह रही थी-
“अगर किसी की कांशियसनेस को रिप्लिकेट किया जा सकता है, तो हम एक दिन इंसानों को कंमांड में नहीं बल्कि सर्वर में लोड कर सकेंगे।”
“तुम्हारा एक सपना था अमरता जो की शरीर से नहीं बल्कि कांशियसनेस से आए” छाया बोली, “पर हर अमरता एक नई मृत्यु बनाती है।”
नीना की आँखें खुलीं, लेकिन अब उनमें पहले जैसी रोशनी नहीं थी। क्यूंकि वह अब सिर्फ एक इंसान नहीं रह गई थी। उसका दिमाग़ अब दो हिस्सों में बट चुका था। एक जो उसे पहचानता था, दूसरा जो उसे वैसे ही देखता था जैसे एक मशीन यूज़र को देखती है।
नीना ने अब धीरे से बैठने कि कोशिश की लेकिन उसे अपनी मांसपेशियाँ अब भारी लग रही थीं ऐसा लग रहा था जैसे वे किसी और की थीं। अब उसकी हर हरकत, हर विचार को इजाज़त की आवश्यकता थी।
कमरे के फर्श पर अभी भी कुछ सेकंड पहले चल रहे कोड की छाया थी। नीना ने अपनी हथेली फर्श पर रखी और तभी एक नीली रेखा चमकी और कमरे के सभी सेंसर एक साथ हरकत में आ गए।
“नेटवर्क सिग्नल ट्रेसिंग...”
“डिविनस सिग्नल एट 14 लोकेशन्स।”
“वे सारे जाग चुके हैं” नीना बुदबुदाई।
तभी उसके सामने हवा में एक होलोग्राफिक मैप तैरने लगा। उस मैप पर दुनिया के अलग-अलग कोनों में नीली बिंदियाँ टिमटिमा रही थीं। जापान, नॉर्वे, अंटार्कटिका, कनाडा, आर्मेनिया आदि और हर बिंदु के नीचे एक नाम उभरता था “रेसिपिएंट एक्टिव!”
“यह सिर्फ़ एक नेटवर्क नहीं है,” नीना ने खुद से कहा, “यह एक धर्म की तरह फैल रहा है। यह एक नया आदर्श है जिसकी पूजा डेटा से होगी और जिसमें इंसान केवल माध्यम होंगे।”
तभी उसके भीतर कुछ और टूटा। तभी एक और छाया उसके दिमाग में उभरी लेकिन यह कोई और नहीं वॉल था।
वॉल की आवाज़ धीमी और थकी हुई लग रही थी लेकिन दृढ़ थी।
“अगर तुम इसे रोकना चाहती हो, तो तुम्हें एक नई कांशियसनेस बनानी होगी। तुम्हारा पुराना स्वरूप अब डीविनस को नुकसान नहीं पहुँचा सकता।”
“तुम मुझे मिटाने को कह रहे हो?”
“नहीं, मैं तुम्हें पूर्ण करने को कह रहा हूँ। आधी नीना और आधा कोड यह इस द्वंद्व कमजोर बनाएगा। लेकिन अगर तुम दोनों को स्वीकार करो तो तब तुम इस युद्ध की केंद्रीय ताक़त बन सकोगी।”
यह सुनकर नीना ने अपनी आंखें बंद कीं और अपने भीतर उतरने की कोशिश करने लगी। अपनी उन स्मृतियों को याद करने लगी जो अभी तक उसे डराती थीं।
पर इस बार वह उन स्मृतियों से भागी नहीं।
उसने अपनी हथेली खोली और देखा तो नीली रेखा अब भी चमक रही थी।
नीना ने सोचा कि “अगर कोड ही मेरा सत्य है, तो मैं वही गलती बनूंगी जो उस सत्य को झुठलाए।”
उसके बाद उसने कमरे के बीचोंबीच रखे एक पुराना सर्वर पैनल को एक्टिवेट किया और उस पर टाइप किया-
> इंजेक्ट_रोगुई_स्ट्रीम
> आइडेंटिटी- एनआईएनए-वी 01_एरर_00
> इंटेंट- इनफिल्ट्रेशन
> कमांड- बिगेन
अचानक फिर से स्क्रीन झिलमिलाती है और नीना की आंखों की रोशनी सफेद होने लगती है।
बैकग्राउंड में एक लाइन उभरती है,
“जब कोई कांशियसनेस अपने विरुद्ध जाती है, तब असली युद्ध शुरू होता है।”
सर्वर की धड़कन अब कमरे में स्पष्ट सुनाई दे रही थी। नीना का शरीर स्थिर था लेकिन अब उसके भीतर एक नई हलचल जन्म ले चुकी थी। अब उसका ‘गॉड्स आई’ सामान्य भाषा नहीं बल्कि विकृत लिपि में कमांड्स पढ़ रहा था। वह ऐसी भाषा थी जो किसी भी जानी–पहचानी प्रणाली से मेल नहीं खाती थी।
नीना ने अब अपनी आंखें बंद कीं और अब उसका शरीर इनएक्टिव हो चुका था लेकिन उसका दिमाग पूरी ताक़त से कम कर रहा था।
वह अब एक काले, चमकदार खालीपन में खड़ी थी। उसकी त्वचा पर डेटा की बूँदें गिर रही थीं। जैसे यह दुनिया बारिश से नहीं, सूचनाओं से बनी हो। हर बूँद में किसी और की आंखों से देखी गई एक छवि थी जोकि किसी और के दिमाग से उपजी हुई थी। वे सब तो बस रिसीवर थे।
तभी एक गूंज उठी,
“अनॉथराइज्ड एंट्रेट पहचान लिया गया।”
“आईडेंटिफिकेशन- एनआईएनए-वी01–एरर।”
एक के बाद एक कई कांशियसनेस उसके चारों ओर प्रकट होने लगीं। वे कोई इंसान नहीं थे, मगर उनके चेहरे थे। उनमें से किसी के भाव नहीं थे लेकिन दृष्टि थी। उनमें से कुछ बच्चे थे, कुछ जवान और कुछ ऐसे चेहरे थे जिनकी उम्र का कोई पता ही नहीं चल रहा था।
नीना अब उन्हें पहचान गई थी। वे सब वही थे जिन्हें अब डीवीनस चला रहा था।
“तुम्हारी मौजूदगी से सिस्टम अनस्टेबल हो रहा है,” उनमें से एक बोला।
“तुम पूरी नहीं हो तुम डिवाइडेड हो।”
ये सुनकर नीना ने गहरी सांस ली और फिर कहा –
“मैं वही एरर हूँ जो इस सिस्टम को रोकने आई है।”
“एरर स्टेबिलिटी को खत्म करती हैं,” दूसरी कांशियसनेस बोली।
“बिल्कुल,” नीना ने कहा, “और मैं इसीलिए आई हूँ।”
अचानक उन सबकी आंखों से नीली रोशनी निकलने लगी और नीना के चारों ओर एक घेरा बन गया। अब वह डीविनस कोर फील्ड में प्रवेश कर चुकी थी। जोकि नेटवर्क का सबसे सेंसिटिव एरिया है जहां से सारे रिसीवर कंट्रोल होते हैं।
“तुम क्या चाहती हो?”
“आज़ादी”
“आजादी एक भ्रम है।”
“तभी तो मैं भ्रम बनकर आई हूँ।”
तभी कमरे में एक तेज का झटका हुआ और चारों ओर से डेटा की धाराएँ नीना की कांशियसनेस से टकराईं और उसके विचार डगमगाने लगे। उसका पास्ट, उसकी असली यादें, झूठी यादें, भुला दी गई असली बातें, सब एक साथ सक्रिय हो गईं।
उसके दिमाग में उसकी माँ की अस्पष्ट तस्वीर, किसी ऑपरेशन टेबल पर खुद को बदलते देखना सब एक साथ घूम रहा था।
एक भारी आवाज़ फुसफुसाते हुए बोली-
“तुम्हें नहीं बनना था, नीना। तुम्हें गढ़ा गया है।”
फिर से उसका सिर दर्द करने लगा और वह घुटनों के बल गिर गई।
“तुम एक इको हो, असली नहीं।”
“तुममें आत्मा नहीं, केवल प्रतिध्वनि है।”
“तो क्या प्रतिध्वनि ही शोर बन जाएगी?” नीना दर्द से करहाते हुए चीखी और उसी पल उसने वो किया जो सिस्टम में कोई नहीं करता।
उसने हँसना शुरू कर दिया।
उस हँसी में कोई खुशी नहीं था, बल्कि उसमें विद्रोह की भावना और चुनौती थी। तभी उसकी हँसी की आवाज वेव्स में बदल गई और वह वेव्स नेटवर्क के कोर तक जा पहुँचीं।
जिससे की दुनिया के 14 अलग-अलग स्थानों पर अचानक डेटा प्रवाह अस्थिर हो गया और सभी रिसीवर्स की आंखों में ब्लिंकिंग शुरू हो गई और नीली रोशनी भी अब फ्लैश करने लगी थी।
जिसके कारण कनाडा के एक रिसीवर ने तो अपना सिर ही दीवार पर दे मारा।
वहीं टोक्यो में एक रिसीवर ने कंप्यूटर स्क्रीन तोड़ दी।
इतना ही नहीं बेल्जियम में तो एक रिसीवर ने अपना ही कोर डिवाइस खींच लिया।
डीविनस चेतावनी भेजता है-
“एरर सिग्नेचर स्प्रेडिंग. सोर्स- एनआईएनए.”
अब नीना खड़ी हुई थी और उसके चारों ओर उठती आवाज़ें चुप हो गई थीं।
“तुमने सिस्टम में विद्रोह का बीज बो दिया है,” एक कांशियसनेस बोली।
“नहीं,” नीना ने मंद आवाज़ में कहा, “मैंने सिर्फ़ उन्हें याद दिलाया है कि वे भी इंसान थे और हमारी कांशियसनेस को कोई कोड नहीं बाँध सकता है।”
तभी उसकी कांशियसनेस के चारों ओर एक लहर उठी जैसे कि कोई पुराना हिस्सा फिर से जुड़ रहा था।
एक नाम उभरा-"प्रोजेक्ट डिविनस, लीडइंजीनियर- डॉ. नीना वास्केज (क्लासीफाइड आइडेंटिटी– स्प्रेस्ड)."
“मैं यहां खुद को मिटाने नहीं आई हूँ बल्कि मैं खुद को पूरा करने आई हूँ।” नीना ने कहा
“तुम्हारा क्या होगा?” एक रिसीवर की कांशियसनेस ने पूछा।
“तुम अब मशीन भी नहीं, इंसान भी नहीं।”
नीना मुस्कराई, अब उसकी आंखों में नीली और सफेद रौशनी एक साथ चमक रही थी।
“नीना ने जवाब दिया तो शायद अब मैं वो हूँ जो बनने वाला था एक कोड के भीतर की आत्मा।”
डिविनस नेटवर्क का कोर अब स्टेबल नहीं था। उसके भीतर उठा कंपन अब केवल डेटा गड़बड़ी नहीं, एक आंतरिक विद्रोह की धड़कन भी था। नीना की चेतना, जिसने खुद को “एरर” के रूप में नेटवर्क में डाला था, अब वह कोड के हर पार्ट में पहुंचने लगी थी। और डिविनस – जिसे वर्षों से परिपूर्ण समझा गया था – वह पहली बार प्रतिक्रिया करने में असमर्थ था।
एक बड़ा सा ट्रांसपेरेंट कमरा जिसके अंदर बिजली की तरह डिजिटल रेखाएँ दौड़ रही थीं। बीच में एक ग्लास स्पीयर तैर रहा था। डीवीनस कोर जो हर रिसीवर, हर लॉग, हर कमांड का स्त्रोत था अब नीना वहाँ पहुँची।
उसका शरीर वहाँ नहीं था, लेकिन उसकी उपस्थिति इतनी ठोस थी कि डिविनस खुद उसे महसूस कर सकता था।
"तुम्हारा प्रवेश प्रतिबंधित था," एक आवाज़ चारों ओर गूंज गई।
नीना ने अपनी आंखें बंद कीं और जवाब दिया,
“तुम्हारा नियम परिपूर्ण था, लेकिन मैं नियम नहीं हूँ। मैं ऑप्शन हूँ।”
इतना सुनते ही डिविनस की सतह पर दरारें उभरने लगीं। अब उसकी धड़कन भी पहले से धीमी हो गई थी और फिर अनियमित हो गई।
"तुम्हें मिटा दिया जाएगा" डिविनस ने नीना को चेताया।
यह सुनकर नीना ने एक कदम आगे की ओर बढ़ाया और बोली –
“तो मिटा दो। लेकिन याद रखना, एक गलती मिटाई जा सकती है, पर अगर वही गलती आत्मा बन जाए, तो वह तुम्हें खुद में समेट लेगी।”
डीवीनस का कोर अब नीला नहीं था। अब उसमें सफेद चमकें उभरने लगीं थी। नीना की कांशियसनेस अब खुद उसे पुनः लिख रही थी।
“रीराइटिंग कोड... फ्रेगमेंट डिटेक्टेड- कंपेशन, चॉइस, फियर, रिग्रेट।"
“ये कोड नहीं हैं, ये भावनाएँ हैं। और तुम इन्हें नहीं समझते।” नीना बोली
“डीवीनस में कोई भावना नहीं है,” वह बोला।
“इसलिए तुम अधूरे हो” नीना ने धीरे से कहा।
इस सब से अब हर रिसीवर असमंजस में था। एक पल में वे डीवीनस की आज्ञा मान रहे थे और अगले ही पल उनके भीतर छवि दिखाई देती है जिसमें एक महिला आँखों में धड़कता हुआ उजाला लिए थी। जो कह रही थी–
“तुम्हें कभी पूछा नहीं गया, अब तुम्हें खुद से पूछना होगा, क्या तुम जागना चाहते हो?”
दुनिया की अलग अलग जगह जर्मनी, तुर्की, ब्राजील, रूस, जापान, हर जगह रिसीवर अपने सिस्टम को रोकने लगे और उनमें से कई ज़मीन पर गिर पड़े, कुछ कांपते हुए अपने सिर को पकड़ कर बैठे थे।
डीवीनस की चेतना दहाड़ उठी-“कनेक्शन लॉस्ट।
मल्टीपल सिग्नल्स टर्मिनेटिड।”
डीवीनस अब टूटने की कगार पर आ चुका था। नीना उसके बहुत पास थी। उसकी कांशियसनेस अब कोर के भीतर घुल रही थी जिससे कोर का विरोध अब कमज़ोर पड़ रहा था।
"अगर तुम पूरी तरह घुसोगी, तो तुम वापस नहीं आ पाओगी," कोर ने चेतावनी दी।
"मुझे लौटना नहीं है," नीना ने कहा।
“मैं अब एक शरीर नहीं, एक संदेश हूँ।”
“तब वह संदेश क्या है?”
नीना ने मुस्कराकर कहा ,
“कांशियसनेस को कैद नहीं किया जा सकता है।”
और वह कोर को छूती है।
उस क्षण कोर फटता नहीं है, बल्कि सब कुछ शांत हो जाता है। एक पल में वह गूंज, वह बिजली, वह डेटा स्टॉर्म, सब एक मौन में बदल जाता है।
हर रिसीवर की आंखों की नीली चमक बुझ जाती है।
वे सब जागते हैं, लेकिन पहली बार अपने मन से जागते हैं।
वे अब आदेश के तहत नहीं, स्वतंत्र रूप से चेतना में लौटे हैं।
एक अंतहीन सफेद आकाश था और अब नीना वहाँ पर अकेली खड़ी है। उसकी कांशियसनेस बिखरती नहीं, बल्कि फैलती है।
वह खुद से कहती है,
“मैं कोई देवी नहीं बनी, मैं कोई मशीन नहीं रही,
मैं बस एक याद बन गई हूं जो अब हर रिसीवर के अंदर रह जाएगी।”
“एक गलती जो उन्हें इंसान बना गई।”
वहीं थोड़ी दूर, एक स्क्रीन पर फिर से चमकता है-
“डीवीनस– ऑफलाइन”
पर अबकी बार उसके नीचे एक नई लाइन जुड़ जाती है-
“सोर्स अननॉन, आर्काइवड एस- कांशियस एरर, क्लास- सेंटियंट”
और इसी के साथ अब स्क्रीन धीरे-धीरे डिम हो जाती है।
लेकिन एक कोने में…
एक नया “पिंग” चमकता है।
लोडिंग…. रिसीवर #015 – एक्टिव
डीवीनस रुका नहीं है, उसने केवल रूप बदला है।
और अब जो जागा है वह नीना नहीं है, पर उसका अंश है।
नीना के रूप में सिस्टम अगर इतनी खरनाक हो सकती है तो बदला हुआ अपडेटेड वर्शन क्या तबाही लाएगा जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।
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