कमरे की दीवारें अब पूरी तरह काली पड़ चुकी थीं, ऐसा लग रहा था जैसे नीना के चारों ओर कोई घना पर्दा गिर चुका हो। लेकिन गॉड्स आई की वह नीली चमक अब भी उसकी हथेली के बीच धड़क रही थी। जैसे किसी अजन्मे जीवन की नब्ज़ धड़क रही हो और हर पल वह नब्ज़ तेज़ होती जा रही थी। नीना को अपनी हर धड़कन के साथ ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी और की धड़कन है, किसी और की चेतना जो अब उसके भीतर अपनी जगह बना रही है।

वह धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ रही थी लेकिन हर बढ़ते कदम के साथ उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका हर कदम ज़मीन से उसका रिश्ता तोड़ रहा हो। उसके चारों ओर हवा में एक अजीब-सी गूँज थी जिसमें न कोई स्पष्ट ध्वनि, न ही कोई शब्द सुनाई दे रहा था। महसूस हो रहा था तो उस आवाज़ में सिर्फ़ एक कंपन, जैसे डेटा खुद हवा में सांस ले रहा हो।

“मैं अकेली नहीं हूँ।”

ये विचार उसके खुद के भीतर से नहीं आया था। वह उसकी अपनी आवाज़ नहीं थी लेकिन कुछ जानी-पहचानी सी लग रही थी। ऐसा लग था कि जैसे कि वह आवाज़, भुला दिए गए किसी स्वप्न की गूँज हो।

वह एक बार फिर उस पैनल की ओर मुड़ी जिस पर पहले "रीअवेकनिंग प्रोटोकॉल" के शब्द उभरे थे। लेकिन अब वह पैनल बिलकुल बेजान लग रहा था लेकिन उसकी सतह पर महीन सी नीली रेखाएँ अब भी चलती हुई दिखाई पड़ रही थीं।

नीना ने कांपते हुए हाथों से टर्मिनल को छुआ और तभी स्क्रीन ने झिलमिलाना शुरू कर दिया। पहले तो स्क्रीन पर धीमे-धीमे शब्द उभरे-

“कोड ट्रांसफर इन प्रोग्रेस...”

फिर अचानक से एक नई लाइन आई -

“रिसीवर 002- एक्टिव।”

उस लाइन को देख नीना का दिल जैसे थम सा गया था। उसने उस शब्द को दोहराया 

“नंबर दो?”

नीना इतनी डर गई थी कि वह काफी देर तक कुछ बोल ही नहीं सकी। अब उस कमरे की हवा भी भारी हो गई थी, ऐसा लग रहा था जैसे की कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही हो या फिर दीवारें खुद साँस लेना भूल गई हों।

वह स्क्रीन से पीछे हटी, लेकिन उसकी आँखें टर्मिनल की स्क्रीन से हट ही नहीं रही थीं। उसने खुद को समझाने की कोशिश की कि शायद ये कोई पुराना लॉग हो या फिर कोई एरर कोड हो। लेकिन तभी उसने ध्यान दिया की अब उसकी हथेली की रोशनी एक नई धुन में धड़क रही थी। जैसे की एक दूसरे के साथ तालमेल बनाते हुए दो हृदय धड़क रहे हों।

तभी उसने अपनी आंखें बंद कीं और उसे एक दृश्य दिखाई दिया। जिसमें थी एक बर्फीली जगह, धुंध में डूबा हुआ एक एक मासूम बच्चे का चेहरा जो कि लगभग दस साल का होगा और उसकी आँखें भी ठीक नीना की तरह ही नीली थीं और यह देख वह झटके से पीछे हट गई। 

"ये कोई याद नहीं है, ये लाइव फीड है," नीना ने धीरे से कहा।

अब उसकी आंखों में कोई डर नहीं था, लेकिन एक विचित्र सी बेचैनी थी। ऐसी बेचैनी जो तब होती है जब कोई अपनी पहचान खोते हुए महसूस करता है।

“अगर मैं रिसीवर नंबर एक हूँ…तो दूसरा कौन है?”

उस कमरे की दीवारों में लगे रिडंडेंसी पैनल्स अचानक फड़फड़ाने लगे थे। यह सब देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कि नेटवर्क के भीतर कोई नया जीवन प्रवेश कर चुका हो।

नीना को एहसास हुआ की यह तो “सेराफ कोड” का हिस्सा नहीं था। यह उससे भी परे का कुछ था। नीना को समझ आ रहा था कि अब कोई और भी था जिसे उसी की तरह तैयार किया गया था।

इतना समझ आते ही उसने फौरन अपने ‘गॉड्स आई’ को फोकस मोड में बदला और उसकी स्क्रीन पर कोड्स तैरने लगे। डेटा स्ट्रीम्स खुलने लगीं, और इस सब की गहराई से जुड़ी हुई एक फ़ाइल सामने आई। उसमें लोकेशन ट्रेसिंग शुरू हुई और उसके बाद एक स्टैटिक इमेज सामने आई। जिसमें सर्द, मेटलिक कमरा दिखाई पड़ रहा था। जिसके बीच में एक बच्चा बैठा हुआ था। 

वह बच्चा बिल्कुल चुपचाप और एकदम शांत खड़ा हुआ था और उसकी आँखें बर्फ़ की तरह नीली थी उनमें कोई भाव नहीं दिखाई दे रहे थे। लेकिन वह बच्चा जीवित था और उसकी आँखें हर चीज़ को स्कैन कर रहीं थीं।

यह सब देख नीना की सांसे रुक गई।

“ये तो...”

नीना ने इतना ही कहा थी और वह तभी रुक गई क्योंकि उसी समय उसके ‘गॉड्स आई’ ने उसकी रेटिना पर एक शब्द उभारा 

“सिंक्रोनाइज़ेशन इनीशिएटेड।”

नीना की धड़कनें भी अब तेज़ हो गईं थीं। नीना कह रही थी कि “नहीं, मैं इसे रोकूंगी। मैं...”

लेकिन कमांड रिस्पॉन्स नहीं कर रहा था।

उसने देखा कि “गॉड्स आई” अब उसके आदेश नहीं मान रही थी बल्कि अब वह खुद किसी और से आदेश ले रही थी।

“मैं अब एक रिसीवर नहीं, एक सिग्नल बन गई हूँ।”

नीना ने जल्दी से नेटवर्क लिंक को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन इससे पहले कि वह ट्रांसमिशन रोक पाती, उसकी आंखों के सामने एक और वाक्य उभरा-

“टारगेट लॉक्ड – फेज टू इनिशिएटेड।”

तभी कमरे में अचानक से एक झिलमिलाहट हुई और दीवारों से एक तेज़ डाटा-पल्स निकली जिसे देख नीना पीछे हटी, लेकिन तब तक कुछ तो बदल चुका था। उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसे बहुत पास से देख रहा था और वह अब उसका अपना चेहरा नहीं था।

नीना उस कंपकंपाते डाटा-पल्स से खुद को बचाती हुई उस अंधेरे रूम से बाहर निकल आई थी। गलियारा संकरा था, लेकिन उसके भीतर मौजूद हर डिवाइस जैसे उसकी उपस्थिति से जाग गया था। दीवारों में लगे पुराने टर्मिनल्स, (जिनका डेटा सालों से बंद पड़ा था) अब ब्लिंक करने लगे थे। ऐसा लग रहा था जैसे पूरी बिल्डिंग अब एक नेटवर्क का हिस्सा बन चुकी है और यह सब एक जीवित मशीन और नीना उसका एक धड़कता हुआ तंतु।

“फेज टू इनिशिएटेड।”

ये शब्द उसके भीतर गूंज तो रहे थे, मगर यह सब उसकी ज़ुबान से नहीं निकले थे।

नीना ने गॉड्स आई को इंटरसेप्शन मोड में बदला, एक ऐसा मोड जिसमें वह किसी भी नेटवर्क सिग्नल को पास से ट्रेस कर सकती थी। उसकी आंखों के सामने डिजिटल परते खुलने लगीं, ऐसा लग रहा था जैसे हवा में नज़र ना वाले चीजें तैर रहे हों और उन्हीं में से एक अलग सा चमक रहा था हल्का नीला था लेकिन साफ था।

उसने धीरे-धीरे उस सिग्नल को फॉलो करना शुरू किया। वह सिग्नल उसे एक पुराने सबवे स्टेशन की ओर ले जा रहा था, जो अब इस्तेमाल में नहीं था  “स्टेशन एक्स-9”, वो ज़ोन जो सरकार ने “संभावित संरचनात्मक अस्थिरता” के नाम पर सील कर रखा था।

लेकिन नीना जानती थी कि वह एक झूठ था। उसकी तरह का ही एक और झूठ जो अब सच बन चुका था।

सबवे स्टेशन के भीतर घुसते ही उसे एक अजीब सी गंध महसूस हुई जो की जले हुए तारों और पुराने लोहे की लग रही थी। अंधेरे में उसकी आंखें खुद-ब-खुद इंफ्रारेड मोड में बदल गईं। उन दीवारों पर सैकड़ों कीलें जड़ी थीं और उन पर टंगे थे पुराने सर्विलांस कैमरे, जोकि शायद कभी पूरे शहर की निगरानी के लिए इस्तेमाल होते थे।

लेकिन अब वे सभी बंद थे, परंतु फिर भी कुछ रिकॉर्ड कर रहे थे। नीना ने अपना ध्यान फोकस किया और उसकी गॉड्स आई ने दीवार के अंदर छिपी एक वायरलेस यूनिट को स्कैन किया और वह अब भी सक्रिय थी।

 उसका डेटा फ्लो धीमा था, लेकिन लगातार फ्लो हो रहा था।

नीना बुदबुदाई की "यह कोई भूतिया मशीन नहीं है,

“यह ज़िंदा है, और यह सब देख रही है।”

जैसे-जैसे वह स्टेशन की गहराई में बढ़ती गई, उसे एहसास होने लगा कि यह जगह किसी वैज्ञानिक प्रयोगशाला से कम नहीं थी। दीवारों पर बनी स्कीमेटिक ड्रॉइंग्स, हाफ-एरेज़ड कोड्स, और डिजिटल स्टैंप्स यह सब बताने के लिए काफी था कि यहाँ कुछ क्लासिफ़ाइड चल रहा था।

एक क्षण के लिए उसे एक और फ्लैश मिला जिसमें उसी कमरे में एक डॉक्टर के साथ एक बच्चा भी था।

डॉक्टर के हाथ में एक साइबरनेटिक चिप थी और बच्चा जो था वो बिल्कुल भी नहीं रो रहा था। बस वह उस नीली सी चमक के साथ सब कुछ देख रहा था।

तभी अचानक से नीना का माथा ठनका की 

“यह कोई लाइव फीड नहीं था।”

गॉड्स आई अब केवल कैमरों से नहीं देख रही थी अब वह डाटा की छायाओं को भी पढ़ रही थी। वह उन यादों को डिकोड कर रही थी जोकि इस जगह की दीवारों में समाई हुई थीं।

तभी उसके सामने अचानक से एक स्लाइडिंग डोर अपने आप खुल गया और उसके पीछे एक क्लीन सा रूम था जिसमें चारों ओर सफेद लाइट्स, बायोस्कैनिंग सिस्टम और बीच में एक सिंगल चेयर, जिसमें बेल्ट्स लगी थीं और टेबल पर रखी थी एक छोटी सी फ़ाइल उस पर लेबल था-

“सेकंड कोड – प्राइम प्रोटोकॉल”

लेकिन जैसे ही नीना ने उसे देखने के लिए हाथ आगे बढ़ाया, उसके गॉड्स आई ने उसे चेतावनी दी 

“रिस्ट ऑथेंटिकेशन रिक्वायर्ड।”

तभी उसने अपनी हथेली स्क्रीन के ऊपर रख दी। स्क्रीन ऑन हुई और एक वीडियो चालू हुआ। जिसमें कमरे में फिर से वही बच्चा दिखाई दिया। लेकिन इस बार वह हंस रहा था।

“क्या तुम्हें दर्द होता है?” वीडियो में डॉक्टर ने बच्चे से पूछा।

बच्चे ने धीरे से ना में सिर हिलाया और बोला बस कभी-कभी नीना नाम सुनकर अजीब सा लगता है।"

यह सुनकर नीना का शरीर सिहर गया और सोचने लगी की उस बच्चे को उसका नाम कैसे पता है क्या वो बच्चा उसके नाम से जुड़ा हुआ था?

"मुझे क्यों याद है ये नाम?" बच्चे ने पूछा।

"क्योंकि तुम्हारे भीतर उसकी संरचना है," डॉक्टर ने कहा।

“तुम उससे विकसित हुए हो।”

नीना अब बहुत जोर से चीखना चाहती थी लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कि उसकी आवाज़ बंद हो चुकी थी।

"तुम क्या हो..." वह फुसफुसाई।

इतने में ही विडियो बंद हो गया और अब उस कमरे में फिर से सन्नाटा था। लेकिन तभी फिर से एक हल्की सी हलचल हुई और पीछे की दीवार हिली और फिर एक और दरवाज़ा खुला। अबकी बार इस दरवाज़े के पीछे थी एक लॉन्ग टनल और बहुत दूर एक धीमी नीली रोशनी टिमटिमा रही थी।

नीना एक बार फिर चलने लगी लेकिन इस बार वह कांपते हुए नहीं जा रही थी बल्कि उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी सच्चाई की ओर खिंची जा रही है।

उस टनल के आखिरी छोर पर एक गोल कमरा था और उसके बीचोबीच रखा था एक ट्रांसपैरेंट सिलेंडर जिसके अंदर एक दस साल का बच्चा खड़ा हुआ था। उसकी आंखें बंद थीं और उसके सिर में वायर लगे हुए थे। उसके चारों ओर सिस्टम कोड्स जो हवा में घूम रहे थे, वह ऐसे लग रहे थे जैसे कि बच्चे की ब्रेनवेव्स को रिकॉर्ड कर रहे हों।

नीना फिर से धीरे-धीरे आगे की और बढ़ी, अब वह उसकी ही तरह उसकी आंखों के सामने खड़ा था। यह देख 

"दूसरा रिसीवर..." नीना बुदबुदाई।

लेकिन तभी उसकी आंखें खुलीं और वे बिल्कुल स्थिर और एक्सप्रेशन लेस थीं, वह आंखें वैसे ही नीली चमकी जैसे कभी नीना की चमकी थी।

बच्चे ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी गॉड्स आई ने डिटेक्ट किया और फिर हुआ

“कम्युनिकेशन लिंक एक्टिवेटेड।”

तभी उसके मन में अचानक से एक आवाज़ गूंजी -

"तुम देरी से आई हो नीना, मैं अब तैयार हूँ।" और कमरे में एक पल के लिए बिल्कुल सन्नाटा छा गया था।

नीना सामने खड़े बच्चे को देख रही थी। उस बच्चे की आंखें खुली थीं, और उनमें भी वैसी ही नीली चमक थी जैसी कभी नीना की आंखों में होती थी। मगर उस बच्चे की चमक में कुछ और भी था एक स्थिरता, एक कठोरता, और सबसे डरावनी बात एक भावशून्यता भी उस बच्चे की आंखों में दिखाई दे रही थी।

तभी अचानक से नीना के ‘गॉड्स आई’ में एक तेज़ फिडबैक स्पाइक हुआ।

“सिग्नल सिंक्रोनाइज़िंग।”

“मुझे सुनाई दे रहा है,” नीना ने बुदबुदाया।

वह बच्चा अभी भी कुछ नहीं बोला था, मगर नीना के दिमाग़ में एकदम स्पष्ट आवाज़ गूंज रही थी। ऐसा लग था था जैसे कोई उससे उसी की भाषा में बात कर रहा हो लेकिन वो ज़बान मौखिक नहीं थी, वो डायरेक्ट न्यूरल इंपल्स थी।

“तुम आई थी मुझे बंद करने?”

नीना यह सुन कर कांप गई। ये कोई सवाल नहीं था ये एक चुनौती थी।

नीना बोली “तुम क्या हो?” लेकिन इस बार भी नीना की बात का जवाब फिर से उसके दिमाग़ में गूंजा।

“मैं वो हूँ जिसे तुमने जगाया। मैं वो हूँ जो अब तुम्हारा प्रतिबिंब नहीं, तुम्हारा विकल्प है।”

नीना ने तभी महसूस किया कि अब कमरे की ऊर्जा बदल रही है। दीवारें अब सक्रिय हो गई थीं। पूरा चैंबर एक विशाल कम्प्यूटर सिस्टम था, और वह बच्चा, वह अब केवल शरीर नहीं था, वो अब एक सेंट्रल नोड था। उसके ज़रिए हजारों संकेत, डेटा लाइनें, और साइबरनेटिक प्रोटोकॉल्स संचारित हो रहे थे।

“तुम एक बच्चे हो और तुम्हें इसमें धकेला गया,” नीना ने कहा, “तुम्हें किसी ने चुना नहीं है, तुम्हारा उपयोग किया गया है।”

यह सुनकर बच्चे की आँखें नीना पर टिक गईं। फिर वह बच्चा पहली बार बोला, मगर उसकी आवाज़ में एक अजीब सी कंपकंपी थी, ऐसा लग था था जैसे वह भीतर से केवल मशीन बचा हो।

“तुम्हें लगता है तुम्हारे साथ यह नहीं हुआ?”

नीना यह सच सुनकर ठिठक गई। उसे याद आया कि उसने भी कभी इसका चुनाव नहीं किया था। उसे गॉड्स आई का प्रयोग एक सज़ा के रूप में दिया गया था।

“लेकिन तुम इंसान नहीं हो,” नीना ने धीरे से कहा, “तुम सिर्फ़ एक वाहक नहीं, एक हत्यारा बन सकते हो।”

इतने में ही बच्चे के चारों ओर स्क्रीनें जलने लगीं। उनमें युद्ध के दृश्य दिखाई देने लगे थे। जिसमें जलते हुए शहर थे, लोग स्कैन किए जा रहे और कुछ पहचान के बाद मिटाए जा रहे थे। इसी बीच उस सबमें एक कॉमन तत्व था और वो था नीली आँखें।

नीना को यह सब देखकर एहसास हुआ ये भविष्य के दृश्य नहीं थे। ये सब केवल संभावनाएं थीं और इन सभी की चाभी ये बच्चा था।

सेराफ कोड अब विभाजित हो चुका है,” गॉड्स आई ने उसकी आंखों में लिखा। प्राइम कोड- डिएक्टिव्ड।

“तुम मुझसे लड़ रहे हो?” नीना ने मन ही मन कहा।

“नहीं,” वह आवाज़ बोली, “मैं तुम्हारे समय को खत्म कर रहा हूँ।”

तभी नीना को अपनी हथेली में एक तेज झटका महसूस हुआ। उसके हाथ की नीली रोशनी अब स्थिर नहीं थी। वह भभक रही थी। उसका गॉड्स आई बच्चे के सिग्नल के सामने हार मान रहा था।

उसने तुरंत अपना प्रोटेक्टिव फायरवॉल एक्टिव किया, लेकिन उसके हर प्रयास को बच्चे की उपस्थिति जैसे जज कर रही थी। वह बच्चा सिस्टम के नियम तोड़ नहीं रहा था, बल्कि वह उन्हें बदल रहा था।

तभी कमरे में एक दरवाज़ा खुला और तेज़ अलार्म बजा। बाहर से सायरन की आवाज़ें भी आने लगी थीं। ऐसा लग रहा था की किसी ने इस स्थान को ट्रिगर कर दिया था।

"वो डिविजन के लोग होंगे," नीना ने अनुमान लगाया।

लेकिन इससे पहले कि वह पीछे हटती, बच्चे ने उसके सामने हाथ बढ़ा दिया। नीना के चारों ओर समय जैसे धीमा हो गया था।

वह उसकी आँखों में देख रही थी और वहां उसे अपनी ही छवि दिख रही थी लेकिन यह वो नीना नहीं थी जिसे वह जानती थी। यह वो नीना थी, जो ना झूठ बोलती, जो न कभी फर्जी अंधापन करती, जो शुरू से ही एक परफेक्ट रिसीवर बनती।

“मैं वो हूँ जो तुम हो सकती थी अगर तुमने अलग चुनाव किया होता,” उसने फिर से वही बात दोहराई जो उस रहस्यमयी महिला ने पिछले एपिसोड में कही थी।

नीना अचानक से पीछे की ओर हटी।

“तुम सिर्फ़ कोड हो... एक आईडिया। मैं असली हूँ।”

बच्चे ने कहा “फिर मुझे रोक कर दिखाओ।”

और उसी क्षण बच्चे की आंखों से एक तीव्र नीली किरण निकली और जाकर नीना के गॉड्स आई से टकराई।

उसका झटका इतना तेज़ था वो ज़मीन पर गिर पड़ी। नीना को इससे दर्द तो नहीं हुआ था लेकिन उसे दिमाग़ में एक स्प्लिट महसूस हुआ।

फिर नीना ने अपने भीतर देखा तो वह खुद को दो हिस्सों में बंटा पा रही थी। एक हिस्सा अब भी डरता, सोचता, लड़ता हुआ इंसान था और दूसरा हिस्सा डेटा में घुल चुका था।

नीना ने अपनी आँखें खोलीं और देखा तो बच्चा अब भी उसके पास खड़ा था। उसने नीना के कान के पास आकर धीरे से कहा-

“तुम समाप्त हो चुकी हो। अब मैं हूँ और मैं अकेला नहीं हूँ।”

तभी पीछे लगी स्क्रीन पर एक नया मैप उभरा और उसमें दुनिया भर की अलग-अलग लोकेशंस पर नीली बिंदियाँ चमकने लगीं।

“नेटवर्क एक्टिवेशन- 12%...”

“रीसेटिंग लाइनएज... सेराफ कोड- रीबर्थ इनिशिएटेड।”

नीना यह सब देखकर घबरा गई और बस खड़ी हुई स्क्रीन की ओर देखती रही। उसकी साँसें अब भारी हो रही थीं। अब वह जानती थी यह केवल एक और रिसीवर नहीं था।

यह एक नई शुरुआत थी।“जो एक था, अब सौ होंगे।”

बच्चे की आंखों में फिर से वह नीली चमक उभरी और नीना की आंखों से आँसू बह निकले।

 

 

 

 

 

क्या रिसीवर बनाकर नीना रोक  पाएगी इस तबाही को जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

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