कमरे में अंधेरा था लेकिन वह अंधकार शांति नहीं देता था। ऐसा लगता था मानो दीवारें साँस ले रही हो, और हर सांस के साथ नीना वास्केज़ की यादें धुँधली होती जा रही थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कौन है या शायद कौन थी। सामने लगी टूटी स्क्रीन पर नीली झिलमिलाहट फैल रही थी, जैसे कोई मशीन चुपचाप उसका मन पढ़ रही हो।
पिछली रात की घटनाएँ अब भी उसकी चेतना पर छाई हुई थीं जब उसने “गॉड्स आई” की पूरी शक्ति का उपयोग कर एक पूरे अंडरग्राउंड नेटवर्क को मिटा डाला था। ध्वनि, रोशनी और ख़ून सबकुछ एक भयंकर विस्फोट में समा गया था। पर अब वह शक्ति उसका बोझ बन चुकी थी। नीना के भीतर एक डर था की कोई और उसके मन में आवाज़ कर रहा था। और यह आवाज़ उसकी अपनी नहीं थी।
उसने धीरे-धीरे अपनी हथेली उठाई और उसे ध्यान से देखने लगी। हथेली के बीचोंबीच वह नीली चमक अब भी हल्की-हल्की धड़क रही थी, जैसे कोई गहरी सांस ले रहा हो। यह “गॉड्स आई” का चिह्न था। वही साइबरनेटिक आंखे जो अब उसका अस्तित्व बन चुकी थीं। लेकिन अब यह सिर्फ एक सिस्टम एक मशीन नहीं था। नीना के लिए यह एक तरह का आईना था जिसमें वह अपना ही चेहरा एक अजनबी की तरह देख रही थी।
नीना ने सिर घुमाकर कमरे की दूसरी दीवार की ओर देखा। वहाँ अधखुला एक पैनल था जिसके भीतर एक पुराने कंप्यूटर टर्मिनल से आवाज़ आ रही थी, जैसे वर्षों से किसी की प्रतीक्षा कर रहा हो। उसने धीमे कदमों से उसकी ओर बढ़ना शुरू किया, और जैसे ही उसने टर्मिनल की स्क्रीन पर उंगलियाँ रखीं, स्क्रीन पर कुछ शब्द उभरने लगे- “रीअवेकनिंग प्रोटोकॉल सक्रिय हो चुका है।”
नीना की साँस थम गई। यह वही शब्द थे जो उसे उस महिला ने बताए थे। एक रहस्यमयी अजनबी महिला, जो एक रात उसके सपनों में नहीं, बल्कि उसके सबकोंशियस दिमाग़ में उभरी हुई थी। उस महिला की आँखों में वही नीला प्रकाश था, वही नज़रिया, जो “गॉड्स आई” देती है। उस महिला ने कहा था “नीना, तुम सिर्फ रिसीवर हो, ट्रांसमिटर नहीं। असली नियंत्रण कहीं और है।”
“मैं क्या कोई कठपुतली हूँ?” नीना ने उस वक्त पूछा था, और महिला ने मुस्कराकर कहा था “तुम वही हो, जो हम सब हैं निर्देशित। लेकिन अभी तुम जागी नहीं हो। जब ‘रीअवेकनिंग’ होगी, तब तुम सच में देख पाओगी।”
टर्मिनल की स्क्रीन अब धुँधली होने लगी थी। स्क्रीन पर शब्द और तेज़ी से चमकने लगे थे:
“शुरुआत को दोहराया जा रहा है।”
“तुम अब लक्ष्य हो।”
नीना ने तुरंत अपना सिर पीछे घुमाया और पैनल को बंद करने की कोशिश करने लगी। लेकिन, तभी उसके मस्तिष्क में तेज़ झटका हुआ जैसे किसी ने उसकी नसों के भीतर विद्युत प्रवाह छोड़ दिया हो। वह ज़मीन पर गिर गई और हाथों से सिर को पकड़े हुए थी, तभी उसकी आँखों के सामने छवियाँ घूमने लगीं रक्त से सनी सड़कें, झुलसे हुए चेहरे, और खुद उसका एक और रूप जो उसके सामने खड़ा था।
“ये क्या है?” नीना ने बुदबुदाते हुए कहा, “क्या यह मेरी यादें हैं? या किसी और की?”
धीरे-धीरे उसकी साँसें स्थिर होने लगीं। वह उठी,और दीवार से टिककर खड़ी हो गई। उसके चेहरे पर पसीना था, पर आँखों में संशय नहीं, बल्कि उसकी आंखों में एक बुझती हुई रोशनी थी जो फिर से जलने को थी।
उसी समय, कमरे के कोने में एक धीमी-सी हलचल हुई। वह मुड़ी और वहाँ उसे एक आकृति दिखाई दी। अंधेरे में वही महिला फिर से प्रकट हुई थी और उसका आधा चेहरा रोशनी में, आधा छाया में था।
उसने कहा “तुमने ‘गॉड्स आई’ को जगाया है, अब वह तुम्हें नहीं छोड़ेगी।”
“कौन हो तुम?” नीना ने पूछा।
“वही जो तुम हो सकती थी अगर तुमने अलग चुनाव किया होता।”
नीना कुछ बोलने ही वाली थी कि अचानक पूरा कमरा लाल रोशनी से भर गया। अलार्म बजने लगा था और एक गहरी, कंपकंपाती ध्वनि सुनाई दी जो सिर्फ सुरक्षा प्रणाली की नहीं, बल्कि चेतावनी की भी थी।
नीना ने उस महिला की ओर देखा, लेकिन वह अब वहाँ पर नहीं थी मानो जैसे वह कभी वहां थी ही नहीं। अब नीना के सामने केवल एक ही मार्ग बचा था सच्चाई का पीछा करना, चाहे वह कितना भी खतरनाक क्यों न हो।
उसने धीरे से अपनी हथेली बंद की। उस नीली रोशनी ने एक बार फिर उसकी अंगुलियों के बीच से झाँका पर इस बार, नीना की आँखों में संकल्प था।
“अगर मैं अब भी नहीं जागी,” वह बोली, “तो फिर कोई भी नहीं जागेगा।”
नीना तेज़ी से उस संकरे गलियारे में दौड़ रही थी। वहां सीमेंट की दीवारें थीं, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसा किसी ने उनकी सतह पर कोड उकेरे हों चिर परिचित, पर फिर भी अपरिचित। हर मोड़ पर एक सायरन की आहट थी, जैसे कोई अदृश्य ताक़त उसकी हर चाल पर नज़र रख रही हो।
उसकी साँसे भारी थीं। हथेली की नीली चमक अब मंद होने लगी थी, लेकिन जैसे-जैसे वह गहराई में जा रही थी, एक नया कम्पन उसके शरीर में उभर रहा था। उसका सिर फिर से भन्नाने लगा था। वह दीवार से टिककर रुकी और उसने आँखें बंद कर लीं।और तभी उसे फिर से वही पुरानी यादें दिखाई देने लगीं।
एक गलियारा, वैसा ही जैसा यह था, लेकिन दीवारें साफ़ थीं, और वहाँ लोग थे। लोग, जिनके चेहरे रोबोटिक थे, पर उनकी आँखें भावनाओं से भरी हुईं थीं। उनमें से एक वह खुद भी थी डॉक्टर नीना वास्केज़, एक प्रोग्राम डिज़ाइनर जो “गॉड्स आई” के नर्व-सिस्टम पर काम कर रही थी। उस समय, वह शक्ति केवल कल्पना थी लेकिन यह कल्पना एक प्रयोग में बदल गई थी।
“यह मत करना नीना,” उस फ्लैशबैक में किसी ने कहा था, “तुम नहीं जानती यह क्या कर सकता है।”
“हम सबको जानना है,” नीना ने जवाब दिया था, “नहीं तो हम हमेशा अंधेरे में रहेंगे।”
और फिर उसकी सोच को एक झटका लगा और सारा दृश्य बिखर गया।
वर्तमान में लौटते हुए नीना लड़खड़ा रही थी और उसका सिर भी अब तेज़ी से घूमने लगा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह दृश्य सपने हैं, या स्मृति के किसी भूले हुए हिस्से के टूटे हुए टुकड़े हैं। उसे यह भी लगने लगा था कि शायद वह कभी डॉक्टर नहीं थी। शायद वह हमेशा से सिर्फ एक ‘वाहक’ थी एक ज़िंदा प्रणाली जिसमें किसी और की चेतना को संचालित किया गया था।
सामने एक स्टील का आधा खुला हुआ दरवाज़ा था। वह धीमे क़दमों से उसके पास पहुँची और अंदर झाँका। यह एक पुराना डेटा वॉल्ट था। जिसकी दीवारों पर पुराने कंप्यूटर टर्मिनल्स, और बीच में एक बंद ग्लास कंटेनर था जिसमें एक चमकता हुआ जीव-जैविक चिप संरक्षित रखा हुआ था। यह “न्यूरल कोर” था वही प्रोटोटाइप जिससे “गॉड्स आई” की शुरुआत हुई थी।
नीना धीरे धीरे आगे बढ़ी और उसने कंटेनर को छुआ तभी अचानक उसकी आँखों में एक और दृश्य कौंधा।
इस बार वह किसी जलते शहर में थी। चारों ओर मलबा, राख, और बिलबिलाते लोग थे और आसमान से नीली रोशनी गिर रही थी वही ‘गॉड्स आई’ की रेंज, जो हर वस्तु, हर व्यक्ति को स्कैन कर रही थी, और जो अनुपयोगी था, उसे नष्ट कर रही थी। और नीना, वह उसके केंद्र में खड़ी हुई थी। उसकी आँखें चमक रही थीं। वह आदेश दे रही थी लेकिन उसका चेहरा खाली था। वह कोई और थी जिसे नीना नहीं पहचानती थी।
“यह तुम हो,” किसी ने उसके पीछे से कहा।
वर्तमान में लौटते हुए नीना चौंकी। दरवाज़े पर एक आदमी खड़ा हुआ था, जिसकी आँखों में भी वही नीली चमक थी। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, पर वह मुस्कान काठ की तरह जमी हुई थी।
“मैं कौन हूँ?” नीना ने पूछा।
“तुम वही हो जिसे ‘सेराफ कोड’ कहा गया था,” उसने जवाब दिया, “तुम सोचती हो तुमने यह प्रणाली डिज़ाइन की, पर वास्तव में यह प्रणाली तुम्हें डिज़ाइन करने के लिए बनी थी।”
“सेराफ कोड?” नीना बुदबुदाई, “वो तो एक एक्सपेरिमेंट था एक असफल प्रयोग”
“नहीं,” वह व्यक्ति बोला, “वह अभी भी सक्रिय है और तुम उसका केंद्र हो।"
नीना एक पल के लिए स्तब्ध रह गई। उसकी हथेली फिर से जलने लगी थी, पर इस बार दर्द के साथ। उसके भीतर कोई जागने लगा था जैसे वह स्वयं को फिर से टुकड़ों में बटा हुआ देख रही हो, और हर टुकड़ा एक नई पहचान लिए हुआ था।
“अगर मैं ही सेराफ कोड हूँ,” नीना बोली, “तो यह दुनिया मेरी नहीं है। मैं सिर्फ़ एक कड़ी हूँ।”
“नहीं,” वह व्यक्ति बोला, “तुम वही हो जो ‘कड़ी’ को तोड़ सकती है।”
वह व्यक्ति अब धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा। नीना ने एक क़दम पीछे खींचा, लेकिन तब तक वह बहुत पास आ चुका था।
“तुम्हें अपने अंदर उतरना होगा,” उसने कहा, “जो यादें छिपी है, वही सच है। और वह सच तुम्हें ख़त्म भी कर सकता है।”
“मैं तैयार हूँ,” नीना ने ठंडी आवाज़ में कहा।
“तो शुरू करो।”
नीना ने आगे बढ़कर ग्लास कंटेनर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। चमक और स्पंदन उसके शरीर में फैल गया। उसके दिमाग़ में बवंडर उठा और एक के बाद एक चित्र, घटनाएँ, आवाज़ें, और चिल्लाहटें उसे परेशान करने लगी जिससे वह कांप उठी, पर उसने कंटेनर नहीं छोड़ा और फिर अचानक से शांति हो गई।
उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं। सामने वह व्यक्ति अब नहीं था। केवल हवा में एक वाक्य तैर रहा था एक स्मृति, या शायद एक चेतावनी:
“तुमने देखा है, पर समझा नहीं।”
वह जगह अब पूरी तरह अंधेरे में डूब चुकी थी। ग्लास कंटेनर की नीली रोशनी भी अब बुझ चुकी थी, और नीना अकेली खड़ी थी मगर वह अकेलापन केवल बाहर था, उसके भीतर अब शोर था। एक उथल-पुथल, एक क्रांति, जैसे स्मृतियाँ किसी गुप्त हथियार की तरह उसकी चेतना को चीर रही हों।
नीना ने अपने आसपास देखा हर दीवार अब शब्दों से ढकी हुई थी, जिन्हें कोई सामान्य इंसान पढ़ भी नहीं सकता था। वह शब्द किसी प्राचीन लिपि में थे लेकिन नीना उन्हें समझ पा रही थी। जैसे वह भाषा कभी उसी की ही थी या उसने ही इसे बनाया हो।
“सेराफ कोड सक्रिय हो चुका है,” किसी अज्ञात वॉयस ने चारों ओर गूँजते हुए कहा।
वह चौंकी नहीं। अब उसे अचरज नहीं हो रहा था। वह उस अवस्था में पहुँच चुकी थी जहाँ भय केवल एक याद बन चुका था।
वह धीरे-धीरे आगे बढ़ी। सामने दीवार पर एक दरार-सी उभरने लगी और फिर दीवार फट गई एक नया चेंबर खुला। अंदर एक गोलाकार हॉल में, सैकड़ों केबल्स छत से लटक रहीं थीं, और बीचोंबीच एक सिंथेटिक पारदर्शी कोकून था, लेकिन उसके भीतर उसका चेहरा था।
नीना सन्न रह गई। लेकिन वह आगे बढ़ी और कोकून के पास गई। नीना ने गौर से देखा तो वह चेहरा उसका ही था, पर शांत, स्थिर, और गहरे नीले तरल में डूबा हुआ था। उसकी आँखें बंद थीं, लेकिन होठों पर एक अजीब-सी मुस्कान थी, मानो वह सब कुछ जानती हो।
“यह क्या है?” नीना बुदबुदाई।
“यह तुम हो असली ‘नीना’” एक तेज़ परछाईं उसके पीछे से बोली।
नीना पलटी। वहाँ काले कपड़े पहने और आधा चेहरा ढका एक शख़्स खड़ा हुआ था, लेकिन उसकी आवाज़ में कोई ऐसी बात थी जो नीना के दिल तक पहुँच गई थी।
“तो मैं कौन हूँ?” नीना ने पूछा।
उसने एक डिवाइस नीना की ओर फेंका। नीना ने उसे लपका और वह एक टैबलेट जैसा उपकरण था। स्क्रीन पर एक धुंधला वीडियो चलने लगा और फिर वह साफ़ होता गया।
वह एक प्रयोगशाला थी और वहाँ एक ऑपरेशन चल रहा था।
टेबल पर कोई बंधा हुआ था उसके सिर पर केबल्स लगी हुई थीं, और पास में खड़ी थीं दो औरतें उनमें से एक कोई डॉक्टर थी। दूसरी ख़ुद नीना थी ।
लेकिन वह केवल खड़ी नहीं थी बल्कि वह ऑपरेट भी कर रही थी। और डॉक्टर रो रही थीं।
“ये गलत है,” डॉक्टर कह रही थीं, “तुम उसकी चेतना नहीं चुरा सकतीं।”
“अब यह मेरा है,” वह दूसरी नीना बोली, “अब मैं ही नीना हूँ।”
वीडियो कट गया।
नीना के हाथ से डिवाइस गिर पड़ा।
वह लड़खड़ाकर पीछे हटी, और कोकून को फिर देखा।
उसके गले से आवाज़ नहीं निकला।
“तो मैं…” वह बुदबुदाई।
उस परछाईं ने धीरे से कहा
“तुम असली नीना नहीं हो तुम एक पुनर्निर्मित चेतना हो, जिसे उसकी जगह पर रखा गया था।”
नीना की आँखें फटी की फटी रह गईं थी।
“मैं तो… मैं तो…” उसकी साँसे तेज़ होने लगीं।
परछाईं धीरे से बोली
“तुम उसका ही रूप हो।”
और उसी पल, असली नीना की आँखें खुल गईं।
आखिर यह क्या चल रहा था असली और नकली नीना का चक्कर? क्या साइंस और टेक्नोलॉजी इंसानियत को तबाह कर देगी, जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।
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