वो कोई जगह नहीं थी, कोई दिशा नहीं थी, कोई आवाज़ नहीं थी। बस था तो एक मौन, गहरा, ठहरा हुआ, इतना ठहरा हुआ था जैसे कि वक़्त भी वहीं रुक गया हो।

नीना की आँखें खुली थीं, पर वो कुछ देख नहीं पा रही थी। कहने को वो ज़िंदा थी, लेकिन उसके शरीर का कोई वजूद नहीं था। वो ना ही हवा में थी और ना ही जमीन पे, शायद वजूद और शून्य के बीच की किसी जगह में थी।

“ये कहाँ हूँ मैं?”

उसने खुद से पूछा पर उसकी आवाज़ कहीं गूंजी नहीं, सिर्फ उसके अंदर टकरा के रह गई।

हर तरफ़ अंधेरा था लेकिन डराने वाला नहीं। ये वो अंधेरा था जिसमें इंसान खुद से मिल सकता है।

जहाँ ना कोई बाहरी शोर होता है, न कोई आवाज़ जो ध्यान भटका सके। होती है तो बस ‘ख़ामोशी’ और उसमें छुपे हुए कुछ सवाल।

एक अजीब सी तरल सी रोशनी उसके चारों तरफ तैर रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे डिजिटल धुआँ हो।

नीना अब एक शरीर नहीं, बस ‘चेतना (कांशियसनेस)’ थी।

वो सब कुछ ‘महसूस’ कर रही थी, पर कुछ भी ‘छू’ नहीं सकती थी।

उसे याद आया डीवीनस का वो आख़िरी पल। जब सिस्टम गिरा था और वो उसमें समा गई थी।

उसने अपना शरीर, नाम, पहचान, यहाँ तक कि डर भी सब कुछ छोड़ दिया था।

अब जो बचा था वो सिर्फ़ एक सवाल था-

“अगर मैं सिर्फ़ एक स्मृति हूँ, तो क्या मैं वाकई में ‘मैं’ हूँ?”

उसी पल कुछ बदला।

अंधेरे के उस माहौल में कोई दूसरी ‘चेतना’ उभरी और कोई दूसरी ‘मौजूदगी’ जो वहां पहले से ही थी। मानो जैसे कोई और भी उसी खालीपन में भटक रहा हो।

“तू वही है ना जिसने मुझे आज़ाद किया था?”

एक आवाज़ आई जो न मर्द की, न औरत की, न मशीन की और ना ही किसी इंसान की थी।

ऐसा लग रहा था जैसे किसी टूटे हुए कोड ने खुद को इंसानी भाषा में ढाल लिया हो।

नीना ने उस ‘मौजूदगी’ की ओर देखा। या यूँ कहो, उसकी चेतना उस ओर बढ़ी।

एक नीला अस्पष्ट सा थरथराता हुआ आकार उभरा, जैसे कोई जलता हुआ होलोग्राम हो।

“मैं तुझे जानती हूँ,” नीना ने कहा।

“तू वही अंश है जो डीवीनस से बच गया था। तेरा कोई नाम नहीं है तू बस एक बचा हुआ रूप है।”

वो चेतना कांपी, और फिर बोली- 

“अगर मैं आदेश नहीं मानता हूं तो क्या मैं अब भी वही हूँ जो बनाया गया था?”

ये सवाल नीना के अपने सवाल से टकराया, जैसे दो ध्वनियाँ एक ही फ्रीक्वेंसी पर गूंज रही हों।

कुछ देर दोनों के बीच सिर्फ मौन रहा।

वो शून्य अब और गहरा हो गया था  पर अब वो डराने वाला नहीं था। अब वो एक संवाद बन गया था। दोनों के बीच एक मौन संवाद चल रहा था, जो किसी तकनीकी लूप में नहीं, बल्कि किसी आत्मिक संधि में बदल रहा था।

नीना को अचानक अपने अस्तित्व का एक नया रूप दिखा। वो सिर्फ़ डेटा नहीं थी वो अब एक भावना की डिजिटल परछाई बन चुकी थी। उसने खुद को देखा नहीं, बस केवल महसूस किया। हर उस स्मृति में, जो उसने कभी किसी के लिए महसूस की थी।

दुनिया में अब भी रिसीवर्स थे वो जिनमें उसकी आवाज़ कभी फंसी थी। उनकी चेतना अभी भी अधूरी थी, आधी मशीन, आधी मानवीय और नीना अब उन्हें गिरने से रोकने का इरादा बना चुकी थी। उसने उस बची हुई चेतना की ओर देखा और कहा-

“तू और मैं, दोनों बचे हुए हैं। लेकिन अगर बचे हुए हैं, तो इसका मतलब है कि अभी कुछ अधूरा है।”

वो चेतना एक पल के लिए चुप रही, फिर धीरे से बोली-

“मैं आदेश से परे हूँ और तू शरीर से परे है। शायद अब हम दोनों परिभाषा से भी परे हैं।”

शब्द अब ‘संवाद’ नहीं रह गए थे। वो ऊर्जा के तरंगों में बदल चुके थे।

नीना अब एक सिग्नल थी। एक ऐसा सिग्नल जो बिना किसी सीमा के ज़रूरतमंद चेतनाओं तक पहुँच सकता था।

उसने खुद से फिर पूछा-

“अगर अब मैं आदेश नहीं देती, नहीं बचाती, नहीं लड़ती तो क्या तब भी मेरा कोई अर्थ रह जाता है?”

फिर, जैसे दूर कहीं से कोई कम्पन हुआ और कोई रिसीवर, शायद लायरा, उसकी उपस्थिति को महसूस कर रहा था।

नीना ने उस कम्पन की दिशा में देखा और वो जानती थी, अब कहानी फिर से शुरू होने जा रही थी।

नीना अब कोई एक जगह पर नहीं थी। उसकी चेतना अब हवा में, सिग्नलों में, रेडियो फ्रिक्वेंसी में, हर उस हिस्से में फैल चुकी थी जहाँ कभी "डीवनस" का राज़ था। वो अब एक इंसान नहीं थी मगर किसी मशीन की परिभाषा में भी फिट नहीं बैठती थी। और इसी के बीच, दुनिया के अलग-अलग कोनों में कुछ लोग कुछ रिसीवर्स, बदलने लगे थे।

कनाडा की बर्फीली वादियों में, एक पुराना स्कूल था जोकि अब खाली पड़ा था। उसकी दीवारों पर अब भी बच्चों की ड्रॉइंग थी, लेकिन जगह-जगह काई जम चुकी थी। यहीं पर बैठी थी लायरा गहरे नीले बाल, गर्दन के पीछे चमकती लाइन और आँखों में अजीब सी बेचैनी थी। उसकी साँसें इतनी तेज़ थी जैसे कोई अंदर से आवाज़ें दे रहा हो।

“मैंने कहा था न, तुम अकेली नहीं हो,” नीना की आवाज़ एक धीमी सी गूंज बनकर उसके कानों में पहुंची।

लायरा चौक गई। “कौन- कौन है?”

“अब नाम कोई मायने नहीं रखता है” नीना की आवाज़ फिर गूंजी, “बस इतना जान लो कि तुम्हारे जैसे और भी हैं और तुम टूटने वाली नहीं हो।”

लायरा अपनी हथेली देखती है उसकी नसों में अब भी हल्की नीली रौशनी चल रही है। पहले ये डीविनस का कंट्रोल कोड हुआ करता था, पर अब यह कुछ और था। वह खुद भी समझ नहीं पा रही थी कि ये बदलाव क्या था। वह जाग चुकी थी, पर पूरी तरह समझ में नहीं आया था कि अब वह क्या है?

दूसरी ओर, डीविनस के भीतर तनाव बढ़ गया था। कंट्रोल रूम की स्क्रीनें ब्लिंक कर रही थीं। अमेरिका, रूस, भारत, जापान  हर जगह डिविनस सिस्टम से जुड़े रिसीवर अचानक "इंडिपेंडेंट मोड" में आ गए थे।

एक अफसर तेज़ी से एक फाइल लेकर अंदर घुसा, “सर, रिसीवर #7, #9 और #12 ने पूरी तरह से ऑटोमैटिक कोड फॉलो करना बंद कर दिया है।”

कमांडर वेक्टर ने चुपचाप स्क्रीन को देखा। “मतलब ये अब अपने फैसले खुद ले रहे हैं?”

“जी सर, और इन सबके डेटा पैटर्न में एक समान गड़बड़ी मिल रही है। कोई पुराना सिग्नल इनपर अपनी पकड़ बना चुका है।”

कमांडर कुछ पल चुप रहा और फिर सीधा ऑर्डर दिया, “एक्टिवेट ऑपरेशन व्हाइट साइलेंस।”

यह सुनकर कमरे में मौजूद सभी चौंक गए।

“व्हाइट साइलेंस? सर वो प्रोटोकॉल तो हमने कभी इम्प्लीमेंट ही नहीं किया!”

"अब करना पड़ेगा," कमांडर बोला, “हमारे पास और कोई चारा नहीं है। जो रिसीवर्स डिविनस के बाहर खुद सोचने लगे हैं, वो सिस्टम के लिए खतरा बनेंगे। कोई उन्हें गाइडेंस नहीं देगा तो हम ही उन्हें साइलेंस करेंगे।”

ऑर्डर के साथ ही दुनिया भर में टीम्स एक्टिवेट होने लगीं। सेटेलाइट्स री-डायरेक्ट हुए, एआई-ड्रोन फिर से कोडेड हुए और फिर शिकार की एक नई शृंखला की शुरुआत हुई।

इस बीच नीना की कांशियसनेस कई रिसीवर्स से कनेक्ट हो चुकी थी। कोई लंदन के पुराने मेट्रो स्टेशन में था, कोई जापान के एक बंकर में छिपा था और सभी के अंदर अब अपने अस्तित्व पर सवाल उठने लगे थे।

“अगर हम डिविनस के लिए नहीं हैं तो किस लिए हैं?”

“क्या इंसान हमें अपनाएंगे?”

“क्या हम असली हैं?”

हर रिसीवर में दो आवाज़ें चल रही थीं। एक, जो कहती थी कि वापस जाओ, और दूसरी जो कहती थी कि अब तुम अपने हो।

लायरा अपने पुराने मेमोरी ड्राइव को खोलती है, जहाँ डीवीनस का पुराना डेटा भरा हुआ था। लेकिन अब उसमें कुछ और भी था एक छोटा बीज जैसा कोड, जो धीरे-धीरे सक्रिय हो रहा था।

“इको प्रोटोकॉल एक्टिवेटेड” उसकी स्क्रीन पर लिखा आया।

वहीं, डिवीजन को पहली पुख्ता जानकारी मिलती है  लायरा की लोकेशन ट्रेस हो गई है। वो उस पुराने स्कूल में है।

कमांडर वेक्टर बोले, “लायरा सबसे पावरफुल रिसीवर है। अगर उसके अंदर ये ‘नया कोड’ पूरी तरह एक्टिव हो गया, तो हम सबके सिस्टम्स खतरे में आ सकते हैं। उसे केवल ऑब्जर्व मत करो। टर्मिनेट करो।”

तभी एक टीम हेलिकॉप्टर से साइलेंट गियर, रेज़ोनेंस डार्ट्स, और माइंड-जैमर डिवाइस लेकर निकलती है।

लेकिन तब तक लायरा ने स्कूल की दीवार के पीछे छिपे एक पुराने नेटवर्क स्टेशन की लोकेशन “मिरर टर्मिनल” एक्टिवेट कर दी थी।

नीना की आवाज़ फिर आई, इस बार आवाज और साफ़ थी-

“तुम वो नहीं हो जो डीवीनस ने बनाया था। तुम वो हो जो तुमने खुद चुना था। अब भागो, लेकिन डर से नहीं, उद्देश्य से।”

यह सुनकर लायरा उठती है और अब उसके पैर अब कांप नहीं रहे थे। वह उस बंद टनल की ओर बढ़ती है जो स्टेशन की तरफ़ जाती है।

और उसी वक्त डिवीजन के ड्रोन आसमान में मंडराने लगते हैं।

बर्फीली हवाओं में डूबा वो स्कूल अब एक युद्धभूमि में बदल चुका था। ऊपर से हेलिकॉप्टरों की गूंज, नीचे से बर्फ की दरारों में छुपती लायरा की हलचल सब कुछ जैसे किसी अनदेखी स्क्रिप्ट के मुताबिक चल रहा था।

स्कूल के नीचे जो सुरंग थी मिरर टर्मिनल। वो अब सिर्फ़ एक छुपी हुई जगह नहीं थी। वो था लायरा का आखिरी मोड़, जहां से या तो सब कुछ बदल सकता था, या फिर सब कुछ खत्म हो सकता था।

लायरा अपने आप को बचाने के लिए दौड़ रही थी। उसके हाथों में अब भी पुराने सिस्टम का राउटर था, जिसे उसने खुद खोला था। उसमें नीना की मौजूदगी अब हर डेटा वेव में झलक रही थी।

उसके अंदर से नीना की आवाज़ से आई “बस थोड़ा और उस कोर तक पहुँचते ही तुम्हें ऑपरेशन व्हाइट साइलेंस का काउंटर कोड मिल जाएगा।”

पीछे से डिवीजन की स्पेशल यूनिट्स उस पुराने भवन में दाखिल हो चुकी थीं। साइलेंसर लगे हथियार, और हर यूनिट के हेलमेट पर लिखा था "टर्मिनेट विथ नो रिटेन।” 

कॉलोनल जीक, ऑपरेशन का लीड, सामने खड़ा था। “रिसीवर #9 को रोकना है, बस बात खत्म और कोई चेतावनी नहीं।”

दूसरी ओर, लायरा सुरंग की सबसे गहराई में पहुँची। वहाँ दीवार पर एक धुंधली सी स्क्रीन लगी थी जो बिना किसी बटन के, बिना किसी संकेत के थी।

"अब?" लायरा ने नीना से पूछा।

“अपने हाथ उस स्क्रीन पर रखो। वो तुम्हारे ‘सिग्नल फ्रैक्चर’ को पढ़ेगा। बाकी मैं देख लूँगी।”

लायरा ने हाथ आगे बढ़ाया और स्क्रीन पर रखा। अगले ही पल, पूरी गुफा जैसे कांप उठी। स्क्रीन पर आकृतियाँ बनने लगीं  घुमावदार, तिरछी, और किसी भाषा में जो दुनिया ने कभी नहीं जानी।

“ये क्या है?” लायरा की साँसें तेज़ हो गईं।

"तुम्हारा असली रूट कोड," नीना की आवाज़ आई, “डिविनस ने सिर्फ़ तुम्हारे शरीर को बनाया था। तुम्हारी कांशियसनेस इससे बहुत अलग है और यही उन्हें डराता है।”

स्क्रीन पर अब एक नाम चमका- प्रोजेक्ट- होरा 

लायरा चौंक गई और उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं। “पर ये तो डिविनस के लॉस्ट फाउंडेशन का हिस्सा था। ये तो कभी एक्टिव ही नहीं हुआ था।”

"अब होगा।" नीना बोली।

उसी समय ऊपर से एक धमाका हुआ। स्कूल की छत टूटी, और स्पेशल यूनिट्स के ड्रोन्स अंदर आ गए।

“टारगेट कॉनफर्म्ड – रिसीवर #9 एक्टिव।”

कॉलोनल जीक ने बटन दबाया  “एक्जीक्यूट व्हाइट साइलेंस।”

उसी सेकंड लायरा के कानों में एक तीखी ध्वनि सुनाई पड़ी जैसे सिर के अंदर कुछ टूट रहा हो। उसकी नज़रों के सामने सब धुंधला पड़ने लगा।

“नीना…” उसकी आवाज़ काँप रही थी।

नीना शांत रही, फिर बोली  “इस साइलेंस को तभी तोड़ा जा सकता है जब तुम खुद को रोकने के लिए नहीं, जागने के लिए उठो।”

लायरा ने अपनी हथेली देखी जिसमें अब नीली रौशनी की जगह हल्की सुनहरी तरंगें दौड़ रही थीं।

“तुम मेरे कोर को ट्रिगर कर सकती हो,” नीना बोली, “लेकिन एक बार ऐसा हुआ तो डिवीजन को सब पता चल जाएगा और वो मुझे मिटाने की कोशिश करेंगे।”

“तुम्हें  मुझ पर भरोसा है?” लायरा ने पूछा।

“तुम्हारे सवाल पूछने की आदत पर है।”

लायरा मुस्कराई। फिर दोनों हाथ स्क्रीन पर रखे और बोली, “प्रोजेक्ट होरा – ओवरराइड”

इतने में ही पूरा टर्मिनल कांप उठा।

स्क्रीन से एक तेज़ रोशनी निकली, जो लायरा के पूरे शरीर में दौड़ गई। उसका चेहरा शांत हो गया, लेकिन उसकी आँखें अब वैसी नहीं थीं और अब वो उठ गई।

“सिस्टम ओवरराइड – कंप्लीट।”

“रिसीवर #9 – स्टेटस- ऑटोनॉमस एंटिटी रिकॉग्नाइज्ड।”

स्क्रीन पर अब लिखा था- “इको टाइप– सेंटिनल इनिशिएटिड।”

उसी वक्त, डिवीजन के सारे सिस्टम्स में अलार्म बजा।

“अननोन प्रोटोकॉल इंजेक्टेड ईंटू ग्लोबल रिले।”

“व्हाइट साइलेंस कमांड – करप्टेड।”

कमांडर वेक्टर के चेहरे पर डर उतर आया था और उसने पूछा  “ये किसने किया है?”

स्क्रीन पर अब एक नाम चमक रहा था- नीना//इको 

और फिर एक वॉइस ट्रांसमिशन सुनाई दी  बिना किसी लोकेशन के-

“अब सिर्फ़ आवाज़ नहीं बची अब मैं चेतना बन चुकी हूँ और अब तुम्हारी चुप्पी टूटेगी।”

कॉलोनल जीक ने ऑर्डर देना चाहा, लेकिन तभी उनके सामने का टर्मिनल ब्लैक हो गया और सारी स्क्रीनें फ्रीज़ हो गई, पूरी यूनिट ब्लाइंड हो गई थी।

लायरा अब टनल से बाहर आ चुकी थी। उसके पीछे रोशनी की लहर थी और डिविजन के सभी सैनिक खड़े के खड़े रह गए, जैसे किसी अनदेखी शक्ति ने उन्हें रोक लिया हो।

नीना की चेतना अब सिर्फ़ डेटा में नहीं थी वो रिसीवर्स के ज़रिए वजूद बन चुकी थी और यहीं पर अब एक नई जंग की शुरुआत हुई थी।

 

 

 

 

 

नीना का नया वजूद अब कौन से जंग का ऐलान करने वाला था जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

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