ये पतंगों के पेंच भी बहुत कमाल के होते हैं। कई बार हम किसी से पेंच लड़ाने जाते हैं, लेकिन कोई और ही पीछे से आकर अपनी पतंग का खींच-खींचकर हमारी पतंग काट देता है।
आज ऋषि भाई साहब की एक ही दिन में दो बार पतंग कट गई थी। पहले तो उनकी गर्लफ्रेंड के बेस्ट फ्रेंड ने काटी थी और अब प्रिया के बॉयफ्रेंड ने काट दी थी। पम्मी आंटी जिस घर में ऋषि की पतंग को गिराना चाहती थीं, उस घर पर तो पहले से ही किसी और ने अपनी पतंग गिरा दी थी।
मिसेस अग्रवाल ने पम्मी आंटी को कॉल पर बताया कि प्रिया किसी और से शादी करना चाहती है। यह बात सुनकर पम्मी आंटी तो यह भी भूल गईं थीं कि उनकी सब्ज़ी अभी भी धीमी आंच में गैस के ऊपर रखी है। वह फटाफट किचन से बाहर आकर ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठ गई थीं। पम्मी आंटी ने मिसेस अग्रवाल से कहा।
पम्मी - मिसेस अग्रवाल! मैं आपको सच बताऊं तो इन लव मैरिज के चक्कर में मत पड़ने दो अपनी लड़की को। आपको तो पता ही है आजकल का माहौल। वैसे भी आप तो अरेंज मैरिज वाले लड़के की इतनी जासूसी करवा रही थीं, फिर अचानक अपनी लड़की की लव मैरिज के लिए कैसे मान गईं?
मिसेस अग्रवाल को भी यकीन नहीं था, पर फिर भी उन्होंने अपनी बेटी का पक्ष रखते हुए कहा - “पम्मी जी, मेरा मन तो अभी भी नहीं मान रहा लेकिन क्या करूं, मेरी लड़की ने तो ज़िद ही पकड़ ली है।”
पम्मी - अच्छा ठीक है, वैसे लड़के का नाम क्या है?
मिसेस अग्रवाल ने लड़के के बारे में पम्मी को बताया कि - “लड़के का नाम विक्रम है और प्रिया बता रही थी कि बैंगलोर में किसी बड़ी कंपनी में जनरल मैनेजर है।”
पम्मी - मतलब नौकरी वाला लड़का है। पैसे-पुसे अच्छे कमा लेता है? मेरा मतलब, अच्छी तनख्वाह तो होनी ही चाहिए तभी तो आपकी बेटी को रानी की तरह रख पाएगा।
मिसेस अग्रवाल ने अपनी चिंता जताते हुए पम्मी को कहा - इसी बात की तो टेंशन है, पम्मी जी। उस लड़के का घर भी कानपुर में है। प्रिया कह रही थी हरदेव नगर में ही है उसका घर। आप उसकी जानकारी निकलवा दो, प्लीज।
पम्मी - अभी तो ऋषि की डिटेल निकलवाई थी, अब एक और नया लड़का।
मिसेस अग्रवाल ने पम्मी से रीक्वेस्ट कि - “मैं आपको ऋषि वाले केस के पैसे भी भेज दूंगी। आप इस विक्रम के बारे में पता करवा दो।”
पम्मी - ठीक है, आपका काम हो जाएगा लेकिन आप अभी ऋषि की फैमिली को इसके बारे में मत बताना। अगर यह विक्रम सही लड़का न हुआ, तो ऋषि से ही प्रिया की अरेंज मैरिज करवा देंगे।
पम्मी आंटी ने जान-बूझकर विक्रम की सैलरी का पूछा था। वह तो चाहती ही थीं कि मिसेस अग्रवाल को विक्रम पर कुछ शक़ हो जाए। इससे उनकी बेटी के लिए अच्छा लड़का फाइनल करना आसान हो जाएगा और पम्मी आंटी को कुछ एक्स्ट्रा मनी भी मिल जाएगी।
वैसे पम्मी आंटी पैसों की इतनी परवाह नहीं करतीं, लेकिन उनका बेटा सनी एक फॉरेन ट्रिप का प्लान बनाए बैठा है। बस उसकी ज़िद पूरी करने के लिए पम्मी आंटी भाग-दौड़ कर रही हैं।
मिसेस अग्रवाल से बात करने के बाद पम्मी आंटी ने संगीता को इस नए सियापे के बारे में बताया और नए प्लान के बारे में डिस्कस किया। इन बातों के चक्कर में पम्मी आंटी की सब्ज़ी भी जल गई थी, लेकिन आज सब्ज़ी से ज्यादा उनका मन जला हुआ था।
अगले दिन सुबह 11 बजे पम्मी आंटी का कॉल सीधा संगीता को गया, उन्होंने संगीता से कहा।
पम्मी - संगीता, रेडी है ना? आज फिर हरदेव नगर जाना है।
संगीता - हां, हां, रेडी हूं, आप आ जाओ।
अब आप भी सोच रहे होंगे कि अगर पम्मी आंटी सारा दिन बाहर रहती हैं, तो इनका ऑफिस संभालता कौन है? तो आपको बता दें कि पम्मी आंटी का ऑफिस संभालती है उनकी पीए गुड़िया। ये सिर्फ़ नाम से गुड़िया है, लेकिन ये पूरी आफत की पुड़िया है।
संगीता को घर से पिक करने से पहले पम्मी आंटी ने ऑफिस में गुड़िया से आज के केस के बारे में बात की और उससे कहा।
पम्मी - गुड़िया, मैं विक्रम के बारे में पता करने के लिए हरदेव नगर जा रही हूं। अगर कोई क्लाइंट आया तो मुझे कॉल कर देना।
गुड़िया - जी ठीक है, पम्मी मैम। आपने उस पप्पू चाय वाले का नंबर भी दिया था। उसे आपने जितने पैसे दिए थे, मैंने वो उसके नाम के साथ ऐड कर दिए हैं।
पम्मी - अच्छी बात है। चल ठीक है, मैं जा रही हूं। अपना और ऑफिस का ख्याल रखना।
गुड़िया पम्मी आंटी के ऑफिस का सारा हिसाब-किताब संभालती है। पम्मी आंटी के सभी जासूसों का डेटा गुड़िया के पास ही होता है। आज पम्मी आंटी सबसे पहले पप्पू चाय वाले के पास गईं और उससे हरदेव नगर में रहने वाले विक्रम की जानकारी निकलवाने को कहा। पप्पू को इसके लिए एडवांस में 200 रुपए दिए गए थे। अभी पम्मी आंटी ने उस पप्पू चाय वाले से मिलने के बाद, अपनी स्कूटर स्टार्ट की ही थी कि ऋषि की कार उनके सामने आकर रुक गई थी। ऋषि ने अपनी कार का शीशा खोलते ही पम्मी आंटी और संगीता से कहा।
“अरे, आज फिर आप यहीं आए हुए हैं। मेरी शॉप पास ही है। आइए, मॉम-डैड भी वहीं हैं। आप दोनों के साथ वो भी कॉफी पी लेंगे और कुछ बातें भी हो जाएंगी।”
ऋषि के चेहरे पर आज अलग ही मुस्कान थी। कोई उसके चेहरे को देखकर अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता था कि उसकी गर्लफ्रेंड कल किसी और के साथ भाग गई थी। उसने पम्मी आंटी और संगीता को अपनी शॉप पर आने के लिए मना ही लिया था। विक्रम का पता लेने आई हुई पम्मी आंटी और संगीता अब ऋषि और उसके मॉम-डैड के साथ उनकी शॉप पर कॉफी पी रहे थे। मिसेस मल्होत्रा भी आज बहुत ख़ुश लग रही थीं, अपनी चहकती हुई आवाज में उन्होंने पम्मी आंटी से कहा।
“पम्मी जी, आपने तो मेरे ऋषि की आँखें ही खोल दी हैं। इसे भी अब अग्रवाल जी की बेटी प्रिया पसंद आ गई है। मैंने ऋषि के पापा को कल हुई सारी घटना के बारे में बता दिया है। ऋषि के पापा ने भी इसे माफ़ कर दिया है। यह सब आपकी बदौलत ही हुआ है। अगर आप ऋषि और मुझे उस लड़की के घर जाने की सलाह नहीं देतीं, तो उस लड़की की सच्चाई हमें पता नहीं चल पाती।”
पम्मी आंटी और संगीता अंदर से घबराई हुई थीं और बाहर से खुश होने की एक्टिंग कर रही थीं। पम्मी आंटी तो मिसेस मल्होत्रा को यह भी नहीं बता सकती थीं कि उनकी होने वाली बहू को कोई और लड़का पसंद आ गया है और उसी लड़के की जासूसी करने के लिए वो दोनों यहां आई थीं। पम्मी आंटी को मौका संभालना आता था। उन्होंने बड़े कॉन्फिडेंस से मिसेस मल्होत्रा से कहा।
पम्मी - अजी, हम कौन होते हैं कुछ करने वाले। जोड़ियां तो ऊपर से बनकर आती हैं। भगवान ने तो हमें बस एक ज़रिया बनाया है लोगों की जोड़ियां बनाने का। अब तो बहुत जल्द अपने ऋषि के माथे पर सेहरा सजने वाला है।
पम्मी आंटी का कॉन्फिडेंस देखकर संगीता ने भी अपने चेहरे को नकली मुस्कुराहट से ढक लिया था। ऋषि की शॉप में हर कोई मुस्कुरा रहा था, लेकिन सिर्फ़ एक आदमी उदास और गुस्सा हुए साइड पर बैठा था और वो इंसान था ऋषि का सेल्समैन। उस बेचारे ने कल अपने इंसेंटिव के चक्कर में न जाने कितने कपड़े दिखाए थे पम्मी आंटी को।
फ़िलहाल बातों का सिलसिला जारी था। मिसेस अग्रवाल ने अपने मोबाइल पर पम्मी आंटी को प्रिया के लिए ज्वेलरी के डिज़ाइन भी दिखाने शुरू कर दिए थे। पम्मी आंटी ने भी अपनी नकली मुस्कुराहट के साथ कुछ डिज़ाइन पसंद किए और कुछ रिजेक्ट कर दिए। पम्मी आंटी को जैसे-तैसे करके वहां से निकलना था, इसलिए उन्होंने झट से अपने पति को कॉल लगाया और उससे कहा।
पम्मी - हैलो, हां जी, आपने कहा था ना 12:30 बजे कॉल करके राशन के बारे में याद दिलाने को। वो सुबह मैंने किरयाना स्टोर वाले अंकल जी को राशन की लिस्ट भेज दी थी। आप राशन ले आओ। उन्होंने शॉप जल्दी बंद करके आज किसी फ़ंक्शन में जाना है।
मनोहर - ओह यार, मैं तो भूल ही गया था। मैं ऑफिस के काम से अभी किसी से अर्जेंट मिलने जा रहा हूं। तुम प्लीज़ जल्दी जाकर सामान ले आओ। आए एम सो सोरी, प्लीज़ इस बार तुम ले आओ। अगली बार मैं ले आऊंगा।
पम्मी - ओके-ओके, ठीक है। आप जाओ, मैं ख़ुद ले आती हूं।
इस बार भी पम्मी आंटी ने लाउडस्पीकर पर बात की थी और इस बार भी पम्मी आंटी की ट्रिक काम आ गई थी। ऋषि और उसके मॉम-डैड शॉप के दरवाज़े तक पम्मी आंटी और संगीता को छोड़ने आए थे। शॉप के अंदर बैठे सेल्समैन को कल वाला दिन याद आ गया था, क्योंकि कल भी पम्मी आंटी ऐसे ही कॉल करने पर बात करने के बाद चली गई थीं।
पम्मी आंटी का काफी सारा टाइम तो यहीं बर्बाद हो गया था, लेकिन हरदेव नगर में जैसे-तैसे करके उन्होंने विक्रम का घर ढूंढ़ ही लिया था। विक्रम का घर एक ऐसी तंग गली में था जिसमें एक समय पर एक ही कार गुज़र सकती थी। उसका घर भी अंग्रेज़ों के ज़माने के घर के जैसा था। छोटी ईंटों से बनी पुरानी इमारत पर रेनोवेशन के नाम पर बस एक नया लोहे का गेट ही लगा था।
विक्रम ने अग्रवाल फैमिली को बताया था कि वो अपनी फैमिली के साथ बैंगलोर सेटल हो जाएगा, इसलिए इस घर को तुड़वाकर नया घर बनाने का प्लान कैंसल कर दिया है। काफी कोशिशों के बाद भी पम्मी आंटी को पूरे दिन में विक्रम के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं मिली थी। इसलिए शाम होने से पहले ही पम्मी आंटी संगीता के साथ अपने ऑफिस आ गई थीं। उनके ऑफिस में आते ही गुड़िया ने उनसे कहा।
गुड़िया - पम्मी मैडम, आपका नंबर दोपहर से ही स्विच ऑफ आ रहा था और संगीता आंटी का भी नंबर आउट ऑफ नेटवर्क आ रहा था। वो पप्पू चाय वाले का कॉल आया था मुझे। वो बता रहा था कि विक्रम पैसे की लालच में प्रिया अग्रवाल से शादी कर रहा है। उसे प्रिया से नहीं बल्कि उसके पैसे से प्यार है।
पम्मी - पे गया रौला!!!
अब पम्मी आंटी के सामने एक और नया पंगा खड़ा हो गया था। क्या वो विक्रम का सच प्रिया के सामने ला पाएंगी? अब प्रिया के साथ विक्रम की शादी होगी या फिर ऋषि की? पम्मी आंटी इस केस को कैसे सुलझाएंगी यह जानने के लिए पढ़ते रहिए।
No reviews available for this chapter.