आशिक अक्सर अपनी माशूका के नाम का पासवर्ड रखते हैं, लेकिन ऋषि का पासवर्ड तो एक्सपायर हो चुका था। इस कहानी में भी बेस्ट फ्रेंड बाज़ी मार गया था। पहले लोगों को थप्पड़ से नहीं बल्कि प्यार से डर लगता था लेकिन आज के ज़माने में इस बेस्ट फ्रेंड से डर लगता है।
ऋषि की गर्लफ्रेंड तो अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ भाग गई थी। अब पम्मी आंटी, संगीता, ऋषि और ऋषि की मॉम, कार में बैठकर कैफे वापस आ रहे थे। ऋषि गाड़ी में दुख भरे गाने सुन रहा था और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स देख ऐसा लग रहा था, मानो गाने के हर बोल लिरिसिस्ट ने उसकी ज़िंदगी को ध्यान में रखकर लिखा हो।
अपने बेटे की आंखों में पानी देखकर मिसेस मल्होत्रा की आंखें भी नम हो गई थीं। कार में एक ख़ामोशी सी छाई हुई थी। कुछ ही देर, सब कैफे के बाहर पहुंचे।
सब कार से मायूस चेहरे लेकर बाहर निकल रहे थे। ऋषि इसलिए उदास था क्योंकि उसकी गर्लफ्रेंड धोखा दे गई थी। ऋषि की मॉम अपने बेटे की हालत देखकर उदास थीं।
पम्मी आंटी और संगीता इसलिए उदास थीं क्योंकि रिश्ता टूटने के साथ-साथ उनके पैसे डूब गए थे।
चारों कैफे में मायूस चेहरे लिए बैठे थे और ऋषि ने भी सबसे सस्ती वाली चाय ऑर्डर की थी। पम्मी आंटी अपने पैसे नहीं डूबने देना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए ऋषि की मॉम से कहा।
पम्मी - मिसेस मल्होत्रा! आप घबराइए मत, आपके ऋषि के लिए लक्ष्मी अग्रवाल जी की बेटी प्रिया का रिश्ता अभी भी मेरे पास ही है। उस लड़की से तो कई गुना ज्यादा अच्छी है अपनी प्रिया।
मिसेस मल्होत्रा को तो वैसे भी ऋषि की गर्लफ्रेंड की बुराई करने का बहाना चाहिए था। बस फिर क्या था, उसकी शक्ल से लेकर उसके घर तक की एक-एक चीज़ की बुराई शुरू कर दी थी मिसेस मल्होत्रा ने।
“आप ठीक ही कह रही हो पम्मी जी! उसका घर देखा था? अरे, अंग्रेज़ों के ज़माने का लग रहा था। मुझे तो डर था कि अगर कहीं ऋषि और ज़ोर से दरवाज़ा खटकटाता तो कहीं दरवाज़ा ही न गिर जाता।”
पम्मी - आहो जी, तुस्सी सही कै रे हो। उसकी मम्मी भी कितनी चालाक थी। अरे कमाल की एक्टर थी। लड़की घर से भाग गई है, लेकिन फिर भी हमें ऐसे मुस्कुराते हुए चाय पिला रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
अब दो औरतें बात कर रहीं हो तो भला तीसरी कैसे चुप बैठ सकती है। इन दोनों की बातें सुनकर पास बैठी संगीता के भी पेट में दर्द उठ रहा था। उसने भी लड़की के घर की 3-4 बुराइयां कर डालीं, तब जाकर उसके पेट को आराम मिला!
देखिए, इंडिया में हर माँ की आदत होती है, चाहे बेटा हो या बेटी, अगर माँ अपने बच्चों को कोई चीज़ नहीं दिलवा पाती, तो वो उस चीज़ की बुराई शुरू कर देती है। बचपन में हम सब ने उन खिलौनों की बहुत बुराइयां सुनी हैं जिन्हें हमारी मॉम ने खरीदने से मना किया था। लड़कों ने बचपन में रिमोट वाली कार की बुराइयां सुनी होती हैं और लड़कियों ने शोरूम में लगी हुई खूबसूरत ड्रेसेस की।
आज तो ऋषि की सहेली के घर की बुराइयां शुरू हो चुकी थीं। इन तीनों औरतों की बातों को अनसुना करते हुए ऋषि बेचारा चाय की चुस्की लेते हुए अपनी गर्लफ्रेंड के ख्यालों में खोया हुआ था। ऋषि की मॉम को तो बुराइयां करने में इतना मज़ा आ रहा था कि वो तो भूल ही गईं थीं कि उनके बेटे का अभी-अभी दिल टूटा है!
पम्मी आंटी को भी अचानक याद आ गया था कि अगर ऋषि का रिश्ता ना हुआ तो उनके हाथ से मोटी रकम चली जाएगी। उन्होंने ऋषि के टॉपिक पर वापस आते हुए ऋषि की मॉम से कहा।
पम्मी - मिसेस मल्होत्रा, अच्छा हुआ कि लड़की पहले ही भाग गई, वरना कई लड़कियां तो शादी के बाद ससुराल वालों का पैसा लेकर आशिकों के साथ भाग जाती हैं।
मिसेस मल्होत्रा कहती है “आप बिल्कुल ठीक कह रहे हो जी, पम्मी जी। आजकल अखबारों में ऐसे बहुत से केसेस के बारे में छप रहा है।”
पम्मी - अरे इसलिए तो मैं कह रही हूँ, ऋषि को बताइए कि मिसेस अग्रवाल जी की बेटी प्रिया से शादी कर ले। अच्छा खानदान है और इन दोनों की जोड़ी भी खूब जचेगी। हाय, नज़र ना लगे!
मिसेस मल्होत्रा कहती है - ऋषि मेरी बात मानता तो आज यह दिन देखना ही नहीं पड़ता - पम्मी जी आप ही इसे समझाइए ना।
पम्मी - ठीक है जी, मैं ही इसे समझाती हूं। ऋषि पुत्तर, देख मरा हुआ इंसान वापस आ सकता है लेकिन बेस्ट फ्रेंड के साथ भागी लड़की कभी वापस नहीं आती। मेरी बात मान, प्रिया से ज्यादा अच्छी लड़की तुझे कहीं नहीं मिलेगी।
मिसेस मल्होत्रा ने पम्मी से सहमति जताते हुए कहा – प्रिया को तो मैं जानती भी नहीं। आप सब कितने ओल्ड फैशन हो। कोई इंसान बिना किसी को जाने कैसे उस इंसान के साथ अपना पूरा जीवन बिताने का फैसला कर सकता है।
पम्मी - बेटा, दिल तो पागल है मूवी मैंने भी देखी है, ऐसा डायलॉग उसी फिल्म में था। जिसे तू जानता था उसने कौन सा तेरे साथ सात फेरे ले लिए हैं? वो तो तेरी ज़िंदगी से ऐसे गायब हुई है, जैसे राशन वाले से उधार लेकर ग्राहक गायब हो जाते हैं।
गल सुन पुत्तर, प्रिया से शादी के लिए हां कर दे। अगर तेरे डैडी जी को तेरे इस चक्कर के बारे में पता चल गया ना, तो उन्होंने तेरे सच्चे प्यार वाला भूत कुटनी कर के उतार देना है।
पम्मी आंटी की बातों का जवाब ही नहीं है। किसी ने सच ही कहा है, अगर वायरल बुखार हो तो उसे जड़ी बूटी से ठीक किया जाता है और अगर इश्क का बुखार हो तो उसे बड़ी जूती से ठीक किया जाता है।
इंडिया में हर लड़का अपने बाप की जूती से बहुत डरता है। बेचारे ऋषि का भी यही हाल था। पम्मी आंटी के समझाने के बाद ऋषि अब प्रिया के साथ शादी करने के लिए मान गया था।
जैसे ही ऋषि ने शादी के लिए हामी भरी तो पम्मी आंटी के कानों में तो शादी की शहनाई ही गूंज उठी थी। पम्मी आंटी के लिए रास्ता साफ हो गया था।
अब उन्हें मिसेस मल्होत्रा जी से भी मोटी रकम मिलने वाली थी और मिसेस अग्रवाल जी से भी अच्छा ख़ासा पैसा मिलना था। ऋषि के मान जाने पर मिसेस मल्होत्रा ने महंगी वाली कॉफी के साथ 4 चीज सैंडविच भी ऑर्डर कर दिए थे। लंच करने के बाद ऋषि अपनी मॉम को घर छोड़ने चला गया था और पम्मी आंटी और संगीता सीधा पप्पू चाय वाले के पास पहुंच गए थे। पम्मी आंटी ने पप्पू के हाथ में 200 रुपए देते हुए कहा।
पम्मी - पप्पू पुत्तर, तू तो बहुत कमाल का आदमी निकला। ये रुपए रख और याद रखना आगे भी तुम्हारी ज़रूरत पड़ने वाली है।
पप्पू से बात करने के बाद जैसे ही पम्मी आंटी अपना स्कूटर स्टार्ट करके जाने लगीं तो पीछे बैठी संगीता ने पम्मी आंटी से एक सवाल पूछा,
संगीता - पम्मी भाभी, ये ऋषि वाला केस तो खत्म होने वाला है, अब इस पप्पू चाय वाले की हमें आगे कौन सी ज़रूरत पड़ने वाली है?
पम्मी - संगीता, कुछ चाय वाले बहुत अच्छी चाय बनाते हैं, लेकिन कुछ चाय वाले ऐसे भी होते हैं, जिनके पास दुनिया भर की ख़बर होती है।
इन्हें यह पता होता है कि कोहली को कौन सा शॉट लगाना चाहिए, इन्हें यह पता होता है कि किसकी सरकार बननी चाहिए, इन्हें यह भी पता होता है कि किस एक्टर की फिल्म हिट होगी और किसकी फ्लॉप। इन्हें सब पता होता है लेकिन यह पता नहीं होता कि अच्छी चाय कैसे बनाई जाती है।
संगीता- बात तो आपकी सही है लेकिन इसका पप्पू के साथ क्या संबंध है?
पम्मी - पप्पू वैसे भी वेला बैठा रहता है लेकिन दुनिया भर की ख़बर रखता है। आने वाले टाइम में यह करेगा हमारे लिए लोगों की जासूसी।
पम्मी आंटी की ख़ासियत है, ये जहां भी जाती हैं अपने लिए एक नया ख़बरी ज़रूर ढूंढ़ लेती हैं। अब पप्पू इनके काम कैसे आएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
फिलहाल संगीता को उसके घर ड्रॉप करने बाद पम्मी आंटी अपने घर आ गई थीं।
शाम का समय हो चुका था और पम्मी आंटी किचन में रात का खाना बनाने की तैयारी कर रही थीं। उन्हें लगा था कि आज फिर मिसेस अग्रवाल का कॉल आएगा लेकिन पम्मी आंटी के फोन पर कोई भी मिस्ड कॉल तक शो नहीं हो रही थी। उन्होंने अपना फोन किचन की शेल्फ पर साइड में रखा हुआ था।
पम्मी आंटी सब्ज़ियां कट चुकी थीं और अब तो सब्जियों को तड़का भी लगाया जा चुका था। पम्मी आंटी बार-बार अपना मोबाइल चेक कर रही थीं कि कहीं मिसेस अग्रवाल का कोई कॉल ना आया हो लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ था।
पम्मी आंटी ने अब रोटियां बनाने से पहले खुद ही मिसेस अग्रवाल को कॉल करने का फैसला कर लिया था।
जैसे ही मिसेस अग्रवाल ने फोन उठाया तो पम्मी आंटी ने ऋषि की तारीफों के पुल बांधते हुए एक सांस में बोलते हुए कहा।
पम्मी - हेलो मिसेस अग्रवाल जी, कैसी हैं आप? ओ जी मैंने ऋषि के बारे में सब कुछ पता कर लिया है। ऋषि बहुत ही चंगा मुंडा सी गा! कोई नशा-वगैरा भी नहीं करता। आजकल के लड़कों की तरह इश्क-वगैरा के चक्कर में ीतोबिल्कुल नहीं पड़ता। सोहना-सुनखां, बड़ों का कहना मानने वाला और ज़रूरतमंदों की हेल्प करने वाला मुंडा है, जी।
अरे आज तो मैंने उसको एक बूढ़ी औरत को सड़क पार करवाते भी देखा था। सच्ची, बहुत संस्कारी है। कुल मिलाकर सबसे परफेक्ट दामाद है जी ऋषि। खूब जचेगी आपकी बेटी और ऋषि की जोड़ी!!”
पम्मी आंटी ने एक बार में इतना कुछ बोल दिया था कि मिसेस अग्रवाल को हेलो तक बोलने का मौका नहीं मिला था। आखिरकार जैसे ही पम्मी आंटी की बात खत्म हुई तो सामने से मिसेस अग्रवाल ने कहा।
“हेलो पम्मी जी, वो मैं आपको आज बताना भूल गई कि यह रिश्ता अब नहीं हो सकता। मेरी बेटी प्रिया किसी और को पसंद करती है।”
पम्मी आंटी के लिए अब एक और नई मुसीबत आ गई थी। उन्होंने जैसे ही ऋषि को राज़ी किया, वहाँ प्रिया ने मन बदल लिया! अब पम्मी आंटी इस मुसीबत का क्या हल निकालेंगी यह जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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