कई बार पतंग को तेज़ी से खींचने के चक्कर में ज़मीन पर काफी डोर इकट्ठी हो जाती है और फिर यही डोर आपस में ही उलझकर रह जाती है। पम्मी आंटी के लिए ये केस भी उसी डोर के जैसा हो गया था। वो जितना इस केस को सुलझाने की कोशिश कर रही थीं, ये उतना ही उलझता जा रहा था।
अब मिसिस अग्रवाल की छत पर किसी विक्रम ने अपनी पतंग गिरा दी थी। इस मुसीबत की घड़ी में पप्पू चाय वाला, एक हीरो के रूप में सामने आया है। पम्मी आंटी ने उसे अपनी पीए गुड़िया का भी मोबाइल नंबर दिया था। पप्पू ने यह तो पता लगा लिया था कि विक्रम पैसे के लालच में प्रिया से शादी करना चाहता है, लेकिन यह बात अब पम्मी आंटी को प्रिया के सामने लानी थी।
अगली सुबह 10 बजे पम्मी आंटी गुड़िया के साथ अपने ऑफिस में बैठकर, विक्रम का राज़ खोलने का प्लान बना रही थीं। पम्मी आंटी ने गुड़िया से कहा।
पम्मी- गुड़िया, मेरे माइंड में एक आइडिया आया है। तुझे विक्रम को व्हाट्सएप पर सिर्फ “हैलो जी” लिखकर एक मैसेज भेजना है। डीपी पर तेरी फोटो देखकर वो वैसे भी तुझसे बात ज़रूर करना चाहेगा। तुझे उससे ऐसे बात करनी है जैसे तू बहुत ही ज़्यादा अमीर घर की लड़की है। मुझे लगता है कि यह विक्रम तो एक दिन में ही तेरे प्यार के जाल में फंस जाएगा।
गुड़िया - हां, मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है। क्या सिर्फ चैट के सहारे हम उस विक्रम का राज़ खोल पाएंगे? मुझे थोड़ा सा डर लग रहा है पम्मी मैम!!!
पम्मी- इसके लिए भी मेरा प्लान रेडी है। अपने ऑफिस से ही पांच मिनट की दूरी पर जो नया कैफे खुला है, तू उसे आज शाम 4 बजे वहीं बुला और संगीता की कार ले जाना, इससे इम्प्रेशन अच्छा पड़ेगा।
गुड़िया - लेकिन मुझे तो कार चलानी भी नहीं आती।
पम्मी- लो कर लो गल! तू फिकर ना कर, मैं पप्पू चाय वाले को तेरा ड्राइवर बना कर भेज दूंगी। इससे विक्रम को पक्का यक़ीन हो जाएगा कि तू बहुत ज्यादा अमीर घराने की लड़की है। तू सेफ़ भी रहेगी।
गुड़िया - वो तो ठीक है, मैडम! पर आपको कैसे पता कि पप्पू कार चला लेता है?
पम्मी- बाज़ जैसी नज़र हैं पम्मी की, मैं आदमी की शकल देखकर, उसकी सर्च हिस्ट्री तक बता सकती हूँ। मैंने मिसिस अग्रवाल से विक्रम का नंबर रात को ही ले लिया था। यह ले विक्रम का नंबर और हो जा शुरू।
पम्मी आंटी जल्द से जल्द इस केस को निपटाना चाहती थीं। उन्हें अपने बेटे सनी के फॉरेन ट्रिप की चिंता भी हो रही थी। फिलहाल गुड़िया ने अपना काम शुरू कर दिया था। उसने विक्रम को सिर्फ़ “हैलो” ही लिखा था कि पांच मिनट बाद विक्रम का भी रिप्लाई आ गया था। उसने मैसेज में लिखा था “हैलो जी, कैसे हो आप?” गुड़िया के साथ बैठकर पम्मी आंटी भी यह चैट देख रही थीं और गुड़िया को गाइड भी कर रही थीं। उन्होंने गुड़िया से कहा।
पम्मी- लै देख, कैसे हाल पूछ रहा है। गुड़िया, इसका मैसेज बस सीन करके छोड़ दे। देखियो, 2 मिनट इंतज़ार नहीं होगा इससे और दोबारा फिर मैसेज करेगा। और हाँ तुझे ज़्यादा भाव देने की जरूरत नहीं है अभी।
पम्मी आंटी का अंदाज़ा सही निकला था। 2 मिनट के अंदर फिर से विक्रम का मैसेज आ गया था। इस बार उसने लिखा था, “आपको मुझसे ही बात करनी थी या गलती से मैसेज कर दिया था?”
पम्मी आंटी के कहने पर गुड़िया ने भी रिप्लाई में लिख दिया था कि “मैंने अपनी सहेली को मैसेज करना था, लेकिन गलती से आपको मैसेज चला गया।” इस पर विक्रम ने रिप्लाई दिया “कोई बात नहीं, इट्स ओके, बाय।” विक्रम ने बाय बोलकर बात ख़त्म कर दी थी।
अब गुड़िया को समझ ही नहीं आ रहा था कि बात आगे फिर से कैसे शुरू की जाए। पम्मी आंटी का दिमाग तो कम्प्यूटर से भी तेज़ चलता है। उन्होंने गुड़िया से कहा।
पम्मी- गुड़िया, तूने कुछ दिन पहले वो स्वरूप नगर के सबसे शानदार बंगले के सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाई थी ना। जल्दी वही वाली फोटो अपनी व्हाट्सएप डीपी पर लगा ले।
गुड़िया - लेकिन उस फोटो से क्या होगा? विक्रम तो बाय बोलकर चला गया।
पम्मी- अरे, इसने प्रिया जैसी अमीर लड़की को अपने जाल में फंसा रखा है, इसलिए भाव खा रहा है। ऐसे लड़कों को मैं जानती हूँ। इसने बाय ज़रूर बोला है, लेकिन तेरी फोटो को अब तक 3-4 बार ज़ूम करके देख चुका होगा। तू जल्दी अपनी डीपी चेंज कर, ये अपने आप तुझे मैसेज करेगा।
पम्मी आंटी का तीर सीधा निशाने पर जाकर लगा था। गुड़िया ने जैसे ही बंगले वाली फोटो लगाई तो उसके 2 मिनट बाद विक्रम का मैसेज आया “यह बंगला बहुत अच्छा है। मैं भी बैंगलोर में ऐसा ही बंगला बनवाने के बारे में सोच रहा हूँ।” ये मैसेज देखते ही पम्मी आंटी ने कहा।
पम्मी - हाय नी देख, मरजाना कितना फुकरा लड़का है। अंग्रेज़ों के ज़माने के घर में रहता है और बातें बंगले की कर रहा है। इसको नहीं पता कि इसका पाला पम्मी के साथ पड़ा है। अभी इसको लाइन पर लेकर आती हूँ।
पम्मी आंटी ने विक्रम को ऐसे-ऐसे मैसेज भिजवाए कि विक्रम को यक़ीन हो गया था कि वो फोटो वाला बंगला गुड़िया का है, गुड़िया कानपुर के सबसे अमीर बिज़नेसमैन की बेटी है। सिर्फ़ 1 घंटे के अंदर विक्रम को यह भी यक़ीन दिला दिया गया था कि गुड़िया को विक्रम का अंदाज़ बहुत पसंद आया है।
गुड़िया ने विक्रम को अपना नाम ईशा ओबरॉय बताया था, और विक्रम अब तो ठीक 4 बजे कैफे में गुड़िया से मिलने के लिए बेचैन हो रहा था। पम्मी आंटी ने मिसिस अग्रवाल को उनकी बेटी प्रिया के साथ साढ़े चार बजे, उसी कैफे में आने को कहा था जहां उन्होंने विक्रम को बुलाया था। पम्मी आंटी ने कॉल पर मिसिस अग्रवाल से कहा।
पम्मी- मिसिस अग्रवाल! विक्रम हमारे जाल में फंस गया है। आप टाइम पर प्रिया को लेकर कैफे आ जाना। और हां, प्रिया को बिलकुल भी मत पता चलने देना कि आप उस कैफे में क्यों जा रहे हो।
अब सब मामला सेट था। चैट करते-करते विक्रम ने तो गुड़िया को ये तक कह दिया था कि वो गुड़िया को पसंद करने लगा है। ठीक सवा चार बजे पप्पू चाय वाला संगीता जी की चमचमाती कार लेकर पम्मी आंटी के ऑफिस आ गया था।
जो पप्पू खुल्ला सा प्लाज़ो जैसा पैजामा और टाइट सी टी-शर्ट पहनकर चाय के स्टाल पर बैठता था। आज वही पप्पू नई जींस और एक दम सफेद रंग की शर्ट पहनकर आया। स्टाइल मारने के लिए उसने काला चश्मा भी लगा रखा था। पम्मी आंटी भी उसे कुछ देर के लिए पहचान नहीं पाईं। उन्होंने पप्पू को पहचानने के बाद कहा।
पम्मी - ओये पप्पू, तू आज इतना बन-ठन के कैसे आ गया? तुझे ड्राइवर का रोल करना है, कोई हीरो का नहीं।
पप्पू कहता है - अरे मैडम जी, हम किसी हीरो से कम नहीं हैं। अरे ऊ तो चाय की दुकान पर कपड़ा गंदा हो जाता है, इसलिए पजामा और टी-सरट पहनते हैं। सोचते है कहे कपड़े खराब करें।
पप्पू अभी पम्मी आंटी से बातें कर ही रहा था कि ऑफिस का दरवाज़ा खोलते हुए गुड़िया बाहर आ रही थी। गुड़िया ने भी आज अच्छे से मेकअप किया हुआ था। पप्पू ने जैसे ही गुड़िया को देखा तो उसके तो दिल की धड़कन ही तेज़ हो गई।
पप्पू को तो ऐसे लग रहा था मानो गुड़िया स्लो मोशन में चलकर उसकी तरफ आ रही हो। हवाओं से उड़ती ज़ुल्फ़ें, चेहरे पर हल्की सी मुस्कान, पैरों में बंधी पायल की छन-छन करती आवाज़। उफ़्फ़! कौन कहता है कि पहली नज़र में प्यार नहीं होता, अरे ज़रा पप्पू जी से तो पूछ के देखो।
पप्पू, गुड़िया को कार में बिठाकर कैफे की ओर चल दिया। गुड़िया कार की पिछली सीट पर बैठी थी और पप्पू जी ट्रैफिक देखने के बहाने कार के अंदर लगे शीशे से गुड़िया को देखे जा रहे थे। लेकिन यह इकतरफा आशिकी सिर्फ़ 5 मिनट तक ही चली क्योंकि कैफे आ चुका था। विक्रम गुड़िया को रिसीव करने कैफे से बाहर आ गया। अपना इम्प्रेशन जमाने के लिए विक्रम ने ख़ुद गुड़िया की कार का दरवाज़ा खोला। विक्रम गुड़िया को लेकर कैफे के अंदर चला गया और कार के अंदर बैठे पप्पू जी अभी भी गुड़िया के ख्यालों में खोए हुए थे। गुड़िया ने कैफे के अंदर जाते ही अपने मोबाइल पर ऑडियो रिकॉर्डिंग ऑन कर दी।
कुछ देर बाद कैफे के बाहर एक और कार रुकी। इस कार में पम्मी आंटी, मिसिस अग्रवाल और प्रिया आए हुए थे। प्रिया को अभी भी ऐसा लग रहा था कि पम्मी आंटी और उनकी मॉम वैसे ही घूमने और खाने-पीने के लिए इस कैफे में आए हैं। लेकिन जैसे ही यह तीनों कैफे में एंटर हुए, तो विक्रम को किसी और लड़की के साथ बैठा हुआ देखकर प्रिया हैरान रह गई। पम्मी आंटी ने विक्रम की ओर देखते हुए कहा।
पम्मी: मिसिस अग्रवाल, देख लो अपने होने वाले दामाद का हाल। ये तो वही बात हो गई दीदी तेरा देवर दीवाना हाय राम कुड़ियों को डाले दाना।
विक्रम को गुड़िया के साथ बैठा हुआ देखकर, प्रिया को बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा। पम्मी आंटी का प्लान आधा सफल हो गया था।
क्या इनका पूरा प्लान सफल हो पाएगा? क्या विक्रम इनके जाल से बचकर निकलेगा, या फिर प्रिया और विक्रम का ब्रेकअप होगा? कहानी में किसकी होगी शादी, किसकी होगी बर्बादी? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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