इस दुनिया में अगर कोई बेवकूफ लोगों की लिस्ट बनाए, प्लीज़ मेरा नाम टॉप पर रखना। नहीं, नहीं, मैं जोर देता हूँ। साथ में लिखना कि कुछ भी बनने पर मेरे जैसा मूर्ख आदमी मत बनना। अरे आने वाली पीढ़ी को कुछ सीख तो मिले। अनीता मैडम इस कंपनी की सबसे बड़ी एसेट हैं। कंपनी का कम से कम 25% काम वो अकेले हैंडल कर सकती हैं। और मैंने उन्हें ही चुनौती दे दी। अब मैं करूंगा भी क्या? क्लाइंट को चाय पिलाऊं? असली फकीर आदमी तो मैं हूँ अब बस झोला उठाकर चलने की देर है। वो भी एक सप्ताह में हो ही जाएगा। यार ये जनिटर की जॉब तो लिंक्डइन और नौकरी.कॉम पर भी नहीं मिलती। फिर हर ऑफिस में जा जाकर काम ढूंढना पड़ेगा। इस बार पहले ही कंफर्म कर लूंगा कि जनिटर को सीईओ बनाने का तो कोई रिवाज नहीं है ना। वरना कौन फिर से ये सारी टेंशन पाले।
Iyyer: क्या मैं अंदर आ सकता हूँ सर? रवि: हाँ, आइयर सर आइए आइए। मैं आपका ही वेट कर रहा था। आइयर: क्या हुआ सर, आपने बहुत अर्जेंटली बुलाया? रवि: हाँ, एक मदद चाहिए। आइयर: क्या? रवि: मुझे बचा लो। आइयर: अब क्या कर दिया आपने?
हद है, सबको मुझ पर इतना कॉन्फिडेंस है कि मैं करूंगा तो कुछ गलत ही करूंगा। मैंने कितना कुछ अच्छा भी तो किया है कंपनी के लिए… जैसे… जैसे… जैसे… बहुत कुछ अच्छा किया है, कोई एक बोलना तो बाकी अच्छे काम की इंसल्ट हुई ना। पर इन बातों में पड़े बिना मैंने आइयर सर को अनीता मैडम से हुई अपनी सारी बातचीत सुना दी। मेरी बात सुनते ही आइयर सर ऐसे कूदे जैसे किसी ने उनकी चेयर में कील घुसा दी हो।
Iyyer: ये क्या कर लिया आपने? खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली।
रवि: अरे आइयर सर कुल्हाड़ी नहीं, इलेक्ट्रिक आरी चला ली है मैंने, वो भी दोनों पैरों पर।
Iyyer: शालिनी मैडम से इस बारे में बात करी?
रवि: यही तो प्रॉब्लम है, शालिनी मैडम कुछ दिनों को ऑफिस से गई हुई हैं। वरना ये सब कुछ हुआ ही नहीं होता। लेकिन अब मैं क्या करूँ?
Iyyer: सॉरी सर पर इस प्रॉब्लम में आपकी मैं कोई मदद नहीं कर सकता। हाँ कोशिश करूंगा कि आपकी फेयरवेल की तैयारी अच्छे से हो।
यार ये अय्यर किस मिट्टी से बना है। मुझसे कह रहा है, मुझे बचाएगा नहीं पर मेरी मय्यत पर अच्छे से मजे करेगा। जो अय्यर खुद होपलेस है वही इस ऑफिस में मेरी आखिरी होप था। दुनिया जहां की टेंशन ली और जब सैलरी लेने का समय आया उससे पहले ही बाय-बाय बोलना होगा। ये सुमन ने मुझे अच्छा फंसाया। मेरी हंसी गायब करके खुद अब सबके साथ हंस रही है। सही कहते हैं सब लोग कि औरत को आज तक बड़े से बड़ा इंसान नहीं समझ पाया तो मैं किस खेत की मूली हूँ। सही बात है "जिसका काम उसी को सजे, कोई और करे तो ठेंगा बजे।" (एसआरके की नकल) अभी 7 दिन हैं मेरे पास, शायद मेरी ज़िंदगी के सबसे खास 7 दिन। मैं कुछ कर पाऊं या नहीं पर ये 7 दिन मुझे हमेशा याद रहेंगे। 7 दिन मुझे कोई नहीं बताएगा कि मुझे क्या करना है कैसे करना है। लेकिन ये 7 दिन मुझसे कोई नहीं छीन सकता। (हंसते हुए) पता है, कभी-कभी ऐसे ही डायलॉग मारकर मैं खुद को इस पिक्चर का हीरो समझ लेता हूँ।
रवि: ओह्ह घर जाने का समय भी हो गया। (बेल रिंग)
(Sunny enters into the cabin)
रवि: Sunny, हैप्पी गाड़ी लेकर आ गया?
सनी : हाँ सर।
रवि: ठीक है। मैं चलता हूँ, आज तुम भी आराम कर लो।
(कार की आवाज)
हैप्पी: रवि, मैं एक खबर सुनिया सी।
रवि: कैसी खबर हैप्पी?
हैप्पी: तुसी सानू भी अप्रैजल दे रहे हो।
नेरैटर: लो यहाँ, अपनी तनख्वाह के लाले हैं और इसे अपने अप्रैजल की पड़ी है। अब इसे कैसे बताऊं कि भाई अभी तो खुद की जान ही अटकी हुई है, इन सब को ऑक्सीजन कैसे दू?
हैप्पी: की होया? तुस्सी परेशान लग रहे हो।
रवि: कुछ नहीं हैप्पी, बस एक सवाल का जवाब ढूंढते ढूंढते परेशान हो गया हूँ। हैप्पी: ए लो बस इतनी सी गल, पाजी कोई जवाब न मिले ते गूगल कर लियो। सादे टीटू को जब से नया टच वाला फोन मिलाया है, तब से सारे सवाल गूगल से पूछ लेता है।
नेरैटर : हम्म … ये हैप्पी कहाँ ही समझ पाएगा कि जनिटर से जो सीईओ बनता है उसके सवाल का जवाब गूगल, ऑरकुट और याहू मिलकर भी नहीं दे पाते। वैसे ये गूगल वाला काम तो अंकित भी करता है। पहले मेरे पीछे पड़ा रहता था, बाबा ये बता दो, बाबा वो बता दो, जब उसे ये टच वाला फोन लाकर दिया तब कहीं जाकर उसने मेरी जान बचाई है। एक सेकंड… अंकित… हाँ अब बस अंकित ही मेरी मदद कर सकता है। ये तो वही बात हुई कि बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा
और मेरे केस में तो बगल भी नहीं मेरे घर में ही है वो चोरा जिसे चुरी बनाकर मैं ये अनीता मैडम के चैलेंज को काट काट कर अचार बनाकर टिंडे के साथ खा जाऊंगा। (ड्रामेटिक) मैडम अनीता, अब देखो… (पॉज) यार एक तो इनके नाम के साथ कुछ ढंग का राइम नहीं करता।
रवि: हैप्पी गाड़ी बाजू वाले मैदान की तरफ ले ले।
हैप्पी: ठीक है।
ओहो, अब ये गधे का बच्चा अंकित कहाँ चला गया। एक सेकंड… मैं खुद को गधा क्यों बोल रहा हूँ? वैसे देखा जाए तो सही ही बोला क्योंकि आजकल जैसे मैं काम कर रहा हूँ, मुझे देखकर गधे को भी अपनी बुद्धि पर घमंड हो जाएगा। ऑफो, मैं भी क्या सोचने लगा। बस जल्दी से अंकित दिख जाए, वो रहा।
रवि: अंकित… बेटा अंकित, यहाँ आओ।
रवि: बेटा जल्दी घर चलो, बहुत ज़रूरी काम है।
अंकित भी कम नहीं है कहने लगा पर बाबा मेरी बैटिंग अभी आई है।
मैंने भी उसे धमकाते हुए कहा देखो बेटा, ऐसा है, अभी दिमाग वैसे भी गरम है। इसलिए चुपचाप घर चलो, तुम्हारी भी भलाई है और मेरी भी।
आजकल के बच्चों से अगर पूछो कि बेटा बाप ज़्यादा ज़रूरी है या बैटिंग, तो कुछ बोले बिना अपना बैट लेकर निकल जाएंगे। पर मैं भी इसका बाप हूँ, उसी बैट से धुन दूंगा। मैं जैसे तैसे मना कर, लालच देकर, और सबसे प्रभावी धमका कर, अंकित को घर तक लाने में सफल हो ही गया। और उसे पूरी कहानी सुना दी। लेकिन अंकित भी तो है अपनी मम्मी का ही बेटा कहता है
हाव्व, बाबा इतना बड़ा पागलपन आप कैसे कर सकते हो। आपने मम्मी को बताया?
मन तो किया कि घुमाकर दो थप्पड़ रख दूं इसके कान के नीचे। लेकिन फिर सोचा पहले काम करवा लेता हूँ, फिर मारूंगा। यहाँ तो अपनी ही सरकार है, आखिर बचकर जाएगा कहाँ। पर अगर पहले मार दिया तो कहीं मदद करने से भी मना न कर दे। आखिर भ्रष्टाचार का जमाना है, क्या पता ये भी उसी का शिकार हो चुका हो।
रवि (चापलूसी भरे स्वर में): मेरे प्यारे बेटे, मम्मी को अभी कुछ नहीं बताना। ये तो मेरे और तेरे बीच की बात है। वैसे भी अब तू बड़ा हो गया है, और बड़ा होकर बेटा बाप का दोस्त बन जाता है। तुझे अच्छा लगेगा कि आज तेरे दोस्त को खाने में टिंडे भी नसीब न हों, और वो भूखा ही सोए? नहीं ना? मेरी मदद कर दे बेटा।
अंकित ने फिर वो किया जो हर बेटा अपने बाप कभी न कभी माँगता ही है रिश्वत उसने कहा कि ठीक है, पर मुझे एक नया बैट चाहिए।
रवि (गुस्से में): नया बैट… तेरी तो मैं…
अंकित ने अपनी माँ को आवाज़ लगाना शुरू किया मम्म्मी!!!
रवि (डरकर): चुप… चुप… चुप… चुप… मैं तो ये कह रहा था कि तेरी मैं ही तो सारी ख्वाहिश पूरी करूंगा। तुझे बैट चाहिए मैं दिलवाऊंगा ना, बॉल भी दिलवाऊंगा, क्रिकेट किट भी दिलवाऊंगा। अगर तू कहेगा तो आईपीएल में तेरे लिए एक नई टीम खरीद कर तुझे उसमें भी खिलाऊंगा। बस एक बार मेरी मदद कर दे ना बेटा।
अंकित ने फिर से अपनी वही शर्त रखी बॉसी टोन में कहने लगा ठीक है, ठीक है। आप इतना बोल रहे हो तो मैं रेडी हूँ। बताओ क्या मदद चाहिए लेकिन उसके बाद बैट पक्का लाकर देना पड़ेगा हाँ।
हाँ, हाँ बस एक बार मेरी मदद तो कर दे, फिर तुझे सब कुछ दिलाऊंगा। बहुत अच्छे से दिलाऊंगा। आखिर तुझे भी तो समझ आये ना कि बाप बाप होता है।
इतने चैलेंजेस जिंदगी में एकसाथ दिखने लगे थे. बाप होना भी उन्ही चैलेंजेस में से एक हो गया था. ख़ास कर अपने बेटे जैसे लड़के का बाप होना। ये जब ज़िद करता है तो पता है मुझे किसकी याद आती है. अपनी! मैं भी कभी ऐसे ही ज़िद किया करता था. तो बदले में अपने बापू से खूब चपेड़ मिलती रहती थी. थप्पड़ पड़ते गए और मेरी ज़िद कम होती गई. लेकिन अंकित के साथ मैं अपने बापू जैसी हरकत नहीं कर सकता। मतलब अपने बेटे पर हाथ उठा दिया न तो मेरी बीवी यानि इसकी माँ ... उस पर माता आ जाती है. अपने बेटे पर सिर्फ इसकी माँ की ही चलती है. जैसी उसकी मुझ पर भी चलती है.
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