डिसक्लेमर: "यह केस वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है, लेकिन इसमें प्रस्तुत सभी पात्र और घटनाएं पूरी तरह से काल्पनिक हैं। किसी भी वास्तविक व्यक्ति, स्थान, या घटना से कोई समानता मात्र एक संयोग है।"
धनबाद, शहर से कुछ ही दूर झरिया माइंस है. यहाँ भी हमेशा खुदाई चलती रहती है. अब वहां डर का साया है. फैंटम नाम ने सबके मन में डर पैदा कर दिया है. फैंटम की कहानियों ने यहाँ के मज़दूरों के साथ साथ पूरे इलाके के दिलों में ख़ौफ भर दिया है. अरविंद सिंह,जो एक साहसी पत्रकार है. अब अपनी टीम के साथ इस ख़ौफनाक सच की तलाश में निकल पड़ा है.
उसनें एक टीम इस्टेबलिश की है. जिससे वो धनबाद और झरिया माइंस के अंदर जाकर फैंटम के रहस्य का पता लगा सके. अरविंद की टीम में शामिल होते हैं
डॉक्टर मीना देसाई एक जानीं मानीं पेरनॉर्मल इंवेस्टिगेटर , जो अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सबको शांत रखने की कोशिश करती हैं. मीना अपने काम से पहचानीं जाती है. उसका होना इस रहस्य को समझनें के लिए बहुत ज़रूरी है.
दुसरा है, भोला यादव एक अनुभवी और मज़बूत खनन मज़दूर, जो कई बार ख़तरनाक मंज़रों का सामना कर चुका है। खान के भीतर होनें वाली गड़बड़ी जिसकी समझ सिर्फ भोला को है. बचपन से ही उसनें खान में मज़दूरी चालू कर दी थी. उसकी हिम्मत और अनुभव टीम के लिए महत्वपूर्ण हैं.
अरविंद और उसकी टीम खदान के दरवाज़े तक पहुंचते है. अब 5 लोगों की टीम अन्दर जानें को तैयार है. सबके हाथ में टॉर्च है. सैफ्टी हेलमेट पहनें वो लोग बस अरविंद के आगे बढनें का इंतज़ार कर रहे हैं. सबको पता है कि अंदर जाना जोख़िम भरा है. लेकिन सच्चाई का पता लगाना भी जरूरी है.
अरविंद ने आसमान की तरफ देखा, एक लम्बी गहरी साँस भरी और खदान ने नीचे उतरना चालू कर दिया.
खदान के गहरे अंधेरे में कदम रखते हुए, अरविंद ने कहा...
अरविन्द: "हमें इस अंधेरे में सच्चाई की तलाश करनी है. जो भी हमें रोकने की कोशिश करेगा, हमें उसे चुनौती देनी होगी"
भोला ने अपनी ताकत और अनुभव से भरे हुए स्वर में कहा… "मैंने यहाँ कई ख़तरनाक मंज़र देखे हैं. लेकिन फैंटम जैसी कहानियों ने सबको डरा दिया है. हमें सावधान रहना होगा"
अरविंद के हिसाब ये वहम है, जो कि माइन्स माफिया के द्वारा रचाया एक खेल है. आज उसे सब सच जानना है. भोला मज़दूर उनको आगे ले कर चाल रहा है. माइंस के अन्दर बिल्कुल अंधेरा है. जिधर भी नज़र जाती, हर तरफ काला ही काला. खान के बाहर की काली रात इसके सामनें फीकी थी. वातावरण में एक अजीब सा दबाव महसूस हो रहा था. हावाओं की एक हल्की सरसराहट और दूर से आती हुई अजीब आवाज़े सबको घेर रही थीं. मीना अपनी साइंटिफ़िक रीज़न देती है और सबको शांत करने की कोशिश करती है, परंतु उसका मन भी डर से भर रहा था.
जैसे ही वो खदान के अंदर उतरते हैं, जहाँ उसी फैंटम को देखे जानें के दावे किये जा रहे थे. माहौल एकदम शांत था. हवा बिल्कुल नहीं थी. जैसे किसी ने हवा का गला घोंट दिया हो. पूरी टीम पसीने से भर गई थी. अरविंद नें एक एक चीज़ को गौर से देखना चालू किया. मीना ने अपने सारे इक्विप्मेनट्स तैयार कर लिए. काफ़ी देर तक इंतज़ार करनें के बाद भी वहां कुछ नहीं मिला.
अरविंद को देखकर लग रहा था की वो सैटिस्फाइड है. इस बात से की उसकी माईन्स माफिया की बात सच साबित हो रही थी. उसनें मज़दूरों को आँखों की पलकें उपर करते हुए इशारा किया. जैसे वो पूछ रहा हो की यहाँ तो कुछ नहीं है.
जैसे ही अरविंद ने कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला. उसे कोयले के पत्थरों से टकराकर अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी. पूरी टीम ने इधर उधर टोर्च मारा मगर कोई नहीं दिखा. सभी अलर्ट हो गए थे. फिर अचानक से सामने आकर कुछ परछाइयाँ उनके सामने रुक गयी. टीम ये सब देख रही थी. अरविंद को उसे देखना था. टीम कहीं डर ना जाए, इसलिए वो टीम को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहा.
अरविंद के दिमाग में अभी भी यही बात थी, की हो ना हो ये उन माईन्स माफिया की कोई साज़िश है. वो अभी और रुकना चाहता था. बिना सबूत के वो माफ़िया से नहीं लड़ सकता था.
झरिया जो खनन के कारण अंदर से जल रहा है. धनबाद की कोयला प्रोडकशन का एक प्रमुख हिस्सा हैं. जो अपने गहरे और जटिल टनल सिस्टम के लिए जानी जाती हैं. ये खदानें न केवल कोयले की भरपूर मात्रा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इनमें छिपे ख़तरे और स्थानीय लोगों की कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध है.
झरिया खदानों में गहरे टनल होते हैं, जो कई किलोमीटर नीचे तक फैले हुए हैं. इन टनल का आकार इतना संकरा और गहरा होता है कि कभी-कभी मज़दूरों को चलनें में भी कठिनाई होती है. टनल के अंदर का वातावरण इतना अधिक गर्म और नम होता है, जिससे मज़दूरों का सांस लेना मुश्किल हो सकता है. खदानों में रोशनी की कमी और धूल भरी गंदी हवा इसे और भी डरावना बनाती है.
जब मज़दूर खदान के भीतर चलते हैं, तो उन्हें हमेशा यह अहसास रहता है, कि वे किसी भी समय किसी भी दिशा से खतरे में पड़ सकते हैं. अचानक से आने वाली आवाज़े, जैसे पत्थरों का खिसक कर टनल के बीच आ जाना या हवा का तेज झोंका, उनके मौत का कारण बन जाती है. और ऐसा होना एक आम बात है.
झरिया खदानों में काम करना बेहद ख़तरनाक होता है. यहाँ इल्लीगल खनन के चलते कन्स्ट्रक्शन्स की मज़बूती में कमी आ जाती है. जिससे झरिया को कई बार शहर की ज़मीन के अन्दर धंस जानें और दुर्घटनाओं से लोगों की जान गवानी पड़ी है. मज़दूरों को अक्सर बिना प्रापर सेफ़्टी इक्विप्मन्टस के काम करना पड़ता है, जिससे उनकी जान को ख़तरा होता है.
खदानों में काम करने वाले मज़दूर अक्सर माफ़ीया के आतंक का शिकार होते हैं. ये गैंग्स मज़दूरों को धमकाते हैं कि अगर उन्होंने उनकी अवैध गतिविधियों की जानकारी किसी को भी दी, तो उनके परिवार को नुकसान पहुँचा सकते हैं. माफ़िया अपने पावर और इल्लीगल कान्ट्रैक्टस का यूज़ करके खदानों में अपनी इल्लीगल एक्टिविटिज़ को खुले आम चलाते हैं. जैसे कि इल्लीगल, लेबर सेफ़्टी के नियमों का वॉयलेशन और मज़दूरों को मोलेस्ट करना. ये सब यहाँ बडे आराम से होता है.
इन गैंग्स के सदस्य अक्सर खदानों के आस-पास घूमते हैं. मज़दूरों पर नजर रखते हैं और उन्हें डराने-धमकानें के लिए भयानक तरीकों का सहारा लेते हैं. अगर कोई मज़दूर उनकी बात नहीं मानता या उनके खिलाफ बोलनें की कोशिश करता है, तो उन्हें बहुत बुरे परिणामों का सामना करना पड़ता है.
माफिया की इस इनवॉल्वमेंट ने खदानों में एक भयावह माहौल बना दिया है. जिससे मज़दूर अपनी सुरक्षा के लिए चुप रहना पसंद करते हैं. इस स्थिति ने उन्हें न केवल डर के साए में जीने को मजबूर किया है. इस तरह, माफिया ने न केवल माइनिंग सेक्टर को भ्रष्ट किया है, बल्कि मज़दूरों के जीवन और उनकी आनें वाली पीढ़ियों को भी संकट में डाल दिया है.
झरिया खदान आसपास आदिवासी संस्कृति की गहरी जड़ों से भी घिरा हुआ हैं. वहां के लोगों का कहना है कि, ये खदानें केवल कोयले का भंडार नहीं हैं, बल्कि इनमें आदिवासी आत्माओं का निवास भी है. कई कहानियां हैं, जो फैंटम की सच्चाई को जोड़ती हैं, जिन्हें आदिवासी नेताओं की आत्माएं माना जाता है, जो अपने भूमि के लिए लड़े थे.
ये खदान एक साथ कई परतों को समेटे हुए हैं. कोयले का भंडार, इल्लीगल माफ़ीया , और एक समृद्ध लेकिन दर्दनाक इतिहास. इसने पूरे समुदाय की संस्कृति और मान्यताओं को भी बर्बाद कर दिया है. इस तरह, झरिया खदानों की गहराई में न केवल खनन का संघर्ष छिपा है, बल्कि एक ऐसी कहानी भी है जो सदियों से चली आ रही है.
दूसरी तरफ़ अरविंद और उसकी टीम उस नए राज़ की तलाश में थी. अचानक एक हवा की लहर चलती है. टीम को ऐसा लगा जैसे किसी नें ज़ोर का धक्का दिया. धडकनें तेज़ हो गई थी. भोला ने एक पल के लिए रुक कर कहा...
"क्या तुमने वो देखा? वो साया... कहीं दूर से"
किसी ने नहीं कहा, पर सबकी आँखों में खौफ साफ झलक रहा था. अरविंद आगे बढ़ने का निश्चय करता हैं, पर तभी भोला का चेहरा सफेद पड़ जाता है. भोला डर से जम जाता है. उसनें लड़खडाते हुए कहा...
"मुझे... मुझे ऐसा लग रहा है कि वो हमें देख रहा है फैंटम की चमकती ऑंखें"
भोला के शब्द सुनते ही, बाकी टीम के चेहरे पर भी डर की लकीरें उभर आती हैं. वे लोग समझ रहे थे कि, इस खौफनाक साये का सामना करना आसान नहीं होगा. अरविंद आगे बढ़ने का इशारा करता है. तभी एक झटके के साथ, भोला अचानक गिर जाता है और जोर से चीख़ता है...
"फैंटम की आँखें...वह मुझे देख रहा था"
उसकी चीख़ ने सबको सन्न कर दिया. टीम में डर की एक लहर दौड़ जाती है. मीना ने उसे पकड़ने की कोशिश की और कहा...
मीना: "भोला , शांत हो जाओ...यह सिर्फ तुम्हारा दिमाग है."
परंतु भोला के चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था. टीम को अब समझ नहीं आ रहा कि क्या असली है और क्या उनका वहम. ऐसे माहौल में, सबके मन में एक ही सवाल है. क्या वो फैंटम का सामना कर पाएंगे?
जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते हैं, खदान की दीवारें और भी संकरी होती जाती हैं. साँस लेने में तकलीफ बढ़ती ही जा रही थी. अचानक, एक तेज़ आवाज गूंजती है, जिससे सब चौंक जाते हैं. सबके चेहरे पर डर और चिंता साफ झलकने लगती है.
पीछे से एक खदान का पत्थर अचानक रास्ते के बीच गिरने लगता है. टीम में भगदड मच जाती है. अरविंद जो की टीम को लीड कर रहा था. गहरी साँस लेते हुए बोलता है...
अरविन्द: "चलो, हमें बाहर निकलना होगा"
सभी उस छोटी सी गली जैसी काले रास्ते से निकलने की कोशिश करते है. लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ कर पाता, एक बड़ा केव-इन होता है. पूरा टनल ध्वस्त हो जाता है, और टीम के सभी लोग खदान के अंदर फंस जाते हैं. चारों ओर अंधेरा और खौफ का माहौल छा जाता है.
अब स्थिति और भी गंभीर हो चुकी थी. बिना किसी बाहरी मदद के, वे सभी खदान के अंदर कैद हो गए. अरविंद और टीम को समझ में नहीं आ रहा कि वे कैसे बचेंगे. अरविंद अंधेरे में दिलासा देते हुए कहता है...
अरविन्द : "हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हमें किसी तरह रास्ता निकालना होगा"
मीना ने घबराते हुए कहा...
मीना- "लेकिन कैसे? यह जगह तो एक भूलभुलैया बन चुकी है."
उनके सामने एक और चुनौती है. बचाव के लिए बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना.
क्या अरविंद और उसकी टीम इस संकट से बाहर निकल पाएगी? इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए।
No reviews available for this chapter.