पार्थ को फ्यूचर में आने वाला खतरा महसूस हो रहा था| वह सब को वार्निंग दे रहा था लेकिन कोई भी उसकी बात मानने को तैयार नहीं था लेकिन थोड़ी देर बाद पार्थ की बात सच होने लगी। काले बादलों के जाल ने पूरे वृंदावन को जकड़ लिया और बिजली चमकने के साथ तेज़ हवाएं चलने लगीं। देखते ही देखते वृंदावन में मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी| सब बारिश से बचने के लिए यहां-वहां भागने लगे| रागिनी और यश भी बारिश से बचने के लिए पास की एक दुकान के अंदर चले गए लेकिन पार्थ, बाज़ार के बीचों-बीच बारिश में ही खड़ा रहा| रागिनी ने उसे आवाज़ लगाई।  

रागिनी(चिल्लाते हुए) – पार्थ.. पार्थ, यहाँ आ जाओ| बारिश तेज़ है, तुम बीमार पड़ जाओगे।  

पार्थ(चिल्लाते हुए) – कृष्ण ने पहले ही कहा था कि तूफ़ान आने वाला है| तूफ़ान आ चुका है रागिनी| इससे पहले की सब खत्म हो जाए, हमें लोगों को बचाना होगा।  

यश पार्थ का हाथ पकड़ कर उसे दुकान के अंदर ज़बरदस्ती खींच लाया। तीनों ने कुछ देर बार टैक्सी की और अपने होटल के लिए निकल गए। उनका होटल मथुरा में था लेकिन इस भयंकर बारिश में वहां तक पहुंचना उन्हें मुश्किल लगने लगा। पार्थ ने ड्राइवर से वृंदावन के ही किसी होटल तक छोड़ने की रीक्वेस्ट की और कुछ ही देर में वो एक होटल के बाहर पहुँच गए। तभी मौसम और खराब होने लगा। मूसलाधार बारिश ने मानो रौद्र रूप ही ले लिया हो। पार्थ, रागिनी और यश ने आज से पहल कभी इस तरह की बारिश ने हैं देखी थी।  

जैसे जैसे टाइम बीतता गया, उन तीनों के दिल की धड़कनें भी बढ़ती गईं। वो तीनों अपने होटल रूम की खिड़की से बाहर देख रहे थे तभी उन्हें दूर एक कच्चा मकान हवा के ज़ोर से उड़ता हुआ नज़र आया। पार्थ ये देख कर हैरान रह गया। ऐसा मंज़र उसने आज से पहले कभी नहीं देखा था| कुछ देर बाद किसी का मकान तो किसी की दुकान पानी में बहे जा रही थी| जब काफी देर तक बारिश नहीं रुकी तो रागिनी पार्थ से बोली,

रागिनी – बारिश तो बढ़ती ही जा रही है| कहीं सच में कृष्ण की लिखी हुई बात सच तो नहीं हो रही है? ये कैसा तूफ़ान है जो लोगों के घर उजाड़ रहा हैं| अब मुझे भी डर लग रहा है पार्थ।  

पार्थ -  मैं कब से कह रहा हूँ की ये कोई नोर्मल बारिश नहीं है लेकिन कोई मेरी बात मानने को तैयार ही नहीं है|  

रागिनी और यश को पार्थ की बात ना मानने का पछतावा होने लगा। खतरा उनकी आँखों के सामने मंडरा रहा है और उन लोगों को अपनी और बाकियों की जान बचाने का जल्द ही कोई रास्ता ढूंढना है। पार्थ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि बारिश को किस तरह से रोका जाए| धीरे-धीरे सड़कों पर घुटनों तक पानी भरने लग गया। यश शहर की इतनी खराब हालत होता देख परेशान होने लगा।  

यश – अगर ये तूफ़ान बुरी शक्तियों की वजह से है तो ये तबाही जल्दी रुकने वाली नहीं है| ये तूफ़ान पूरे वृन्दावन को बर्बाद कर देगा| पार्थ कोई रास्ता निकालो इस प्रॉब्लम का|

पार्थ रूम में यहां-वहां चक्कर काटते हुए कुछ सोचने लगा। फिर अचानक ही वह होटल के ग्राउन्ड फ्लोर पर जाने लगा। रागिनी और यश भी उसके पीछे गए| जैसे ही वो तीनों नीचे पहुंचे तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। पानी, होटल के अंदर भरने लगा था। होटल का स्टाफ पानी बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था। होटल में मौजूद सभी लोग डरे हुए थे| पार्थ सब के डरे हुए चेहरे देख रहा था तभी उसकी नज़र रिसेप्शन पर लगे हुए टीवी पर गयी| टीवी में किसी बाबा का प्रवचन चल रहा था| पार्थ का ध्यान उस बाबा की बातों में अटक गया| वो एक पल के लिए अपने आसपास के माहौल को भूल कर बाबा के प्रवचन में खो गया|

रागिनी – पार्थ, अगर होटल की ये हालत है तो लोगों के घरों की क्या हालत होगी?

रागिनी की आवाज ने टी.वी की तरफ़ से पार्थ का ध्यान हटाया| पार्थ ने न जाने क्या देखा उस बाबा के प्रवचन में कि वह रेसेप्शनिस्ट से उस बाबा के बारे में पूछने लगा।  

पार्थ – ये बाबा कौन है? आप इनके बारे में कुछ बता सकती हैं? कहाँ मिलेंगे ये?

रिसेप्शनिस्ट पार्थ के सवाल से हैरान थी। वो सोचने लगी कि यहां मौसम ने शहर का हाल बिगाड़ रखा है और पार्थ को बाबा की पड़ी है। रागिनी और यश को समझ नहीं आया की पार्थ को इस वक्त बाबा में इतनी दिलचस्पी क्यों है? रिसेप्शनिस्ट ने बाबा के बारे में बताते हुए कहा, “ये सेवानंद महाराज हैं| यहीं पास में इनका आश्रम हैं| दूर-दूर से लोग इनके प्रवचन सुनने आते हैं| कहते है कि इनके पास लोगों की सभी प्परेशानियों का हल होता है| बहुत सिद्ध बाबा हैं।”

पार्थ ने डिसाइड किया कि वो सेवानंद महाराज के पास जायेगा और उनसे इस तूफ़ान को रोकने का उपाय पूछेगा| पार्थ ने यही बात रागिनी और यश को बताई तो वो दोनों भी उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गए| पार्थ ने उन दोनों को अपने साथ चलने के लिए मना कर दिया,

पार्थ – रागिनी बाहर बहुत पानी भरा है| तुम्हारे हाथ और पैर में अभी भी चोट है| तुम्हारे लिए पानी में जाना रिस्की हो सकता है| यश तुम भी रागिनी के साथ रुको| तुम होटल के बाहर फंसे हुए लोगों की जान बचाओ| उन सब को होटल के अंदर लेकर आओ|

रागिनी और यश को पार्थ की बात माननी पड़ी। पार्थ तुरंत ही वहां से सेवानंद महाराज के आश्रम में उनसे मिलने के लिए निकल पड़ा। जैसे ही वो होटल से बाहर निकला तो उसने देखा कि पानी का लेवल अब उसकी कमर तक आ चुका है। उसकी आँखों के सामने इंसान तो क्या, मासूम जानवर भी पानी में बह रहे थे| उसे जगह-जगह पर पेड़ गिरे नज़र आए और घरों और दुकानों का भी बुरा हाल दिखा। पूरे वृन्दावन में दहशत का महसूस होने लगा, मानो अब सच में सब खत्म होने वाल हो लेकिन इंसानियत ने अभी तक हिम्मत नहीं हारी थी। लोग एकदूसरे की मदद करने में पीछे हटते नहीं दिखाई दिए। पार्थ बड़ी मुश्किल से पानी को चीरते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया। तभी उसकी नज़र एक छोटे बच्चे पर गयी| वो पानी के तेज़ फ़ोर्स में पेड़ की डाली पकड़ कर खुदको बचाने की कोशिश कर रहा था। उस बच्चे का परिवार दूर खड़ा मदद के लिए आवाज़ लगा रहा था। पानी का फ़ोर्स ज्यादा होने की वजह से वो लोग आगे नहीं बढ़ पा रहे थे शायद।  

पार्थ हिम्मत कर के उस बच्चे की ओर बढ़ा और उसका हात पकड़कर उसे अपने कंधे पर चढ़ा लिया। जैसे-तैसे उसने बच्चे को उसके परिवार तक पहुंचाया। कुछ देर तक इसी तरह पानी में मशक्कत करते हुए वह सेवानंद महाराज के आश्रम में पहुँच गया| जैसे ही पार्थ आश्रम पहुंचा तो बाबा के अनुयायिओं ने उसे रोक दिया| पार्थ ने उनसे कहा की उसका सेवानंद महाराज से मिलना बहुत जरूरी है लेकिन अनुयायिओं ने उसकी एक नहीं सुनी और बोले की “इस समय महाराज ध्यान में हैं| वो किसी से नहीं मिल सकते| अभी बारिश बहुत है, तुम वापस चले जाओ|”

पार्थ – आप लोग समझने की कोशिश कीजिए, मेरा उनसे मिलना बहुत जरुरी है| वृन्दावन को इस तूफ़ान से बचाने का हल उनके पास ज़रूर होगा|

पार्थ के बार-बार रिक्वेस्ट करने के बाद भी उसे अन्दर एंट्री नहीं मिल रही थी| वह उन सब को धक्का मार कर ज़बरदस्ती अन्दर घुस गया| सेवानंद महाराज सच में ध्यान में ही थे| जैसे ही पार्थ उनके पास पहुंचा, उसने ज़ोर से उन्हें आवाज़ लगायी,

पार्थ(ज़ोर से) – सेवानंद महाराज, मुझे आप से बात करनी हैं। वृन्दावन को इस तूफ़ान से बचाना है|

महाराज के आसपास खड़े अनुयायिओं ने पार्थ को महाराज तक पहुँचने नहीं दिया| उन्होंने पार्थ को पकड़ लिया और उसे बाहर ले जाने लगे| तभी पार्थ की आवाज़ से महाराज ने आँख खोली| उन्होंने अपने अनुयायियों को रोकते हुए कहा, “रुक जाओ, छोड़ दो उस बच्चे को| आने दो उसे मेरे पास|”

महाराज की बात मान कर पार्थ को छोड़ दिया गया| पार्थ महाराज के पास आया और उनके आगे हाथ जोड़े।  

पार्थ – महाराज इस तूफ़ान को रोकने का कोई उपाय बताइए| मुझे पता है कि आप जानते हैं कि बुरी शक्तियां वृन्दावन पर हावी हो रहीं हैं.. अगर इन्हें रोका नहीं गया तो पूरा शहर ख़त्म हो जायेगा| आप को इस प्रॉब्लम से निकलने का तरीका ज़रूर पता होगा|

सेवानंद महाराज पार्थ को पहले हैरानी से देखने लगे| वो सोच में पड़ गए की उसे कैसे पता चला कि ये तूफ़ान कोई आम तूफ़ान नहीं है? फिर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे तो लगा सब इस तूफ़ान को सामान्य बारिश समझ कर सो गए होंगे लेकिन तुमने इस तूफ़ान को पहचान लिया| हालाँकि तुम्हें एक गलत फ़हमी हुई है| ये तूफ़ान बुरी शक्तियों की वजह से नहीं बल्कि वृन्दावन की देवी की वजह से आया है| देवी के रूठने की वजह से ही वृन्दावन का ये हाल हुआ है| उस देवी को जल्द से जल्द नहीं मनाया गया, तो वृन्दावन के साथ अगल-बगल के गाँवों का भी सर्वनाश हो जाएगा।”

महाराज की बात सुन कर पार्थ एक पल के लिए सन्न रह गया| वह सोचने लगा कि अब तक उसे जो लग रहा था कि ये सब बुरी शक्तियों की वजह से हो रहा है, वो गलत था| वृन्दावन का ये हाल किसी देवी की वजह से है| सेवानंद महाराज ने आगे कहा, “जब कृष्ण वृन्दावन छोड़ कर गए थे तो मथुरा से लेकर वृंदावन तक कृष्ण की भूमि को संभालने की ज़िम्मेदारी देवी ने उठाई थी| पूरा गाँव देवी की पूजा करता था लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया लोगों ने पूजा करना बंद कर दिया| पिछले कुछ साल से लोगों ने देवी को याद करना ही बंद कर दिया| इस वजह से देवी सब से नाराज़ हो गयी हैं|”

पार्थ के साथ-साथ वहां मौजूद, महाराज के सभी अनुयायी हैरानी से उनकी बात सुन रहे थे|

पार्थ – देवी को मनाने का कोई तो तरीका होगा जिस से ये तूफ़ान रुक सके?

महाराज ने कहा,  “इसका जवाब सिर्फ कृष्ण के पास है| खुद कृष्ण ही बताएँगे कि तुम्हें क्या करना है|”

महाराज की बात सुन कर पार्थ को डायरी की याद आई लेकिन इस समय वो तो होटल में है। पार्थ तुरंत ही वापस होटल जाने के लिए निकल गया लेकिन जैसे ही वो आश्रम से बाहर आया तो देखा कि पानी का लेवल पहले से ज़्यादा बढ़ गया।  

क्या पार्थ सही सलामत होटल लौट पाएगा?

क्या पार्थ वृंदावन को देवी के प्रकोप से बचा लेगा?

इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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