जब कोई आदमी टेंशन में हो तो उसे खुले आसमान के नीचे भी भी कैद महसूस होती है| पार्थ भी इस वक्त खुले आसमान के नीचे अपने विचारों में कैद खड़ा है। वह रागिनी और यश के साथ वृन्दावन के सफ़र पर निकला था लेकिन उसका दिमाग अभी भी कृष्ण की चेतावनी में अटका पड़ा है| उसे ये भी नहीं पता कि कृष्ण ने किस तरह के तूफान से बचने के लिए उसे सावधान किया है? वहीं रागिनी और यश वृन्दावन की गलियाँ घूमने में मगन हैं। पार्थ अपने दोस्तों को परेशान नहीं करना चाहता इसलिए अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए घूम रहा है लेकिन रागिनी उसकी झूठी मुस्कान पहचान गई।
रागिनी – फ्यूचर का सोच कर अपना आज क्यों खराब कर रहे हो पार्थ? चेहरे से ये फेक स्माइल हटाओ वरना मुझ से दिल्ली लौटने तक बात मत करना।
पार्थ ने रागिनी से प्रॉमिस किया कि वह डायरी के मेसेज के बारे में अब नहीं सोचेगा। तीनों दोस्त वृंदावन की संकरी गलियों में घूमते हुए एक मिठाई की दुकान पर पहुंचे तभी न जाने कहाँ से एक बंदर आया और यश का मोबाइल छीनकर, दुकान की छत पर चढ़ गया।
यश – ओए! ओए बंदर, मेरा मोबाइल दे। पार्थ, देखो न वो बंदर मेरे मोबाइल ले गया यार। यहां के बंदर कितने शरारती हैं!
यश को बड़बड़ाता हुआ देख पार्थ और रागिनी दुकान से बाहर आये| जब उन्होंने देखा कि यश एक बंदर से अपना मोबाइल मांग रहा है तो दोनों की हंसी छूट गयी| पार्थ उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,
पार्थ – वो बोलने से नहीं समझेगा यश| उसे बंदरों वाली हरकत कर के दिखाओ तो वो तुम्हें अपना समझ कर मोबाइल दे देगा।
यश – उड़ा लो मेरा मज़ाक| अगर तुम दोनों का मोबाइल जाता न, तब पता चलता| अभी दो महीने पहले ही नया लिया था|
यश पार्थ के मज़ाक से चिढ़ गया| वो वापस बंदर से मोबाइल मांगने लगा|
रागिनी – वो मोबाइल तुम्हारे मांगने से सच में नहीं देगा यश। वृन्दावन में अगर बंदर कोई चीज़ छीन ले, तो उन्हें कुछ खाने-पीने को देना पड़ता है तभी तुम्हारी चीज़ वापस होगी। रुको मैं दिखाती हूँ|
रागिनी तुरंत पास की दुकान से एक जूस का पैकेट लेकर आई और उसे बंदर की ओर उछाल दिया। बंदर ने जूस का पककटेड कैच किया और मोबाइल नीचे फेंक दिया| यश ने मोबाइल मिलते ही राहत की साँस ली| ये सब होने के बाद पार्थ रागिनी की पीठ थपथपाने लगा| मानो उसे किसी बड़ी जंग जीतने की खुशी में शाबाशी दे रहा हो| तीनों ने अपना आगे का सफ़र जारी रखा| तभी पार्थ की नज़र आसमान में वापस घिरते काले बादलों पर पड़ी। कुछ देर पहले वहां मौसम साफ़ था। अब अचानक से बदल रहे मौसम को देख पार्थ का मन फिर से कृष्ण की चेतावनी दोहराने लगा|
वहीं दूसरी ओर राहुल ने पैसों के लालच में आकर प्रकाश का काम करने की ठान ली थी| हालांकि उसके मन में कई सवाल ज़रूर घूम रहा था कि उस डायरी में ऐसा क्या है जो प्रकाश ने दो लाख रुपए दे दिए? प्रकाश ने सीधे पार्थ से वो डायरी न मांग कर राहुल को डायरी लाने के लिए क्यों कहा? फिर राहुल ने नोटों की गड्डी की तरफ़ देखा और सवालों को मन से हटा दिया।
राहुल – अगर एडवांस में दो लाख दिए है तो फाइनल पेमेंट कितना मिलेगा? अगर प्रकाश सर इतने पैसे दे रहे हैं तो ये डायरी कोई मामूली डायरी नहीं होगी| मुझे क्या, मुझे सिर्फ पैसों से मतलब है|
राहुल जानता था कि पार्थ से उस डायरी को हासिल करना आसान नहीं होगा| उसे कोई टेढ़ी चाल चलनी होगी| उसने पार्थ को कॉल किया| वहीं पार्थ राहुल का कॉल देख कर थोड़ा हैरान हो गया| वो दोनों एक टीम में जरुर थे लेकिन एक दूसरे से बात करना पसंद नहीं करते थे। पार्थ ने सोचा कि अभी तो वह लीव पर चल रहा है, तो ये राहुल उसे क्यों कॉल कर रहा है? आखिर बात क्या है? पार्थ ने कॉल रिसीव की।
राहुल(फोन पे)– हैलो पार्थ! कैसे हो? कहाँ हो अभी? घर पर हो, तो मैं मिलने आ रहा हूँ|
पार्थ(फोन पे)– एक सांस में इतने सवाल? नहीं राहुल मैं दिल्ली में नहीं हूँ अभी। कुछ काम था?
पार्थ सोच में पड़ गया कि राहुल उस से मिलना क्यों चाहता है? आज से पहले तो वो कभी इतना फ़्रेंडली साउन्ड नहीं किया। वहीं राहुल मुद्दे की बात पर आने से पहले इधर-उधर की बातें करने लगा।
राहुल – अच्छा वेकेशन पर हो? कोई नहीं, इन्जॉय करो। मुझे तो बस ये पूछना था कि जब हम कुरुक्षेत्र गए थे तब याद है तुम्हें एक पुरानी डायरी मिली थी? तुमने उसे अभी भी संभालकर रखा है क्या?
राहुल के मुंह से डायरी का ज़िक्र सुनकर पार्थ के कान खड़े हो गए। उसे लगा ही नहीं था कि राहुल को वो डायरी याद भी होगी। पार्थ ने थोड़ा हिचकिचाते हुए राहुल से कहा कि हाँ वो डायरी उसके पास है। फिर उसने राहुल से पूछा कि वो डायरी के बारे में क्यों पूछ रहा है? जिस पर राहुल ने बात घुमाते हुए कहा कि उसे यूँ ही उस डायरी की याद आ गई तो उसने सोचा कि एक बार पूछ ले। राहुल ने पार्थ से वेकेशन के बाद मिलने के लिए कहा और कॉल कट कर दी।
उस को जो इंफॉर्मेशन चाहिए थी वो उसे मिल गयी थी| राहुल एक टाइम पर एक ही स्टेप लेना चाहता था| वहीं पार्थ के मन में खतरे की घंटी बजने लगी|
पार्थ(मन में) – राहुल ने कॉल कर के डायरी के बारे में क्यों पूछा? ये राहुल बहुत कनिंग है.. अगर उसने पूछा है तो ज़रूर इसके पीछे उसका कोई मकसद होगा।
पार्थ राहुल के बारे में सोच ही रहा था तभी रागिनी सड़क किनारे के बंदर की ओर इशारा करते हुए बोली,
रागिनी – पार्थ, उस बंदर को देखो| कैसा अजीब सा दिख रहा है। उसकी चाल।। उसकी चाल नॉर्मल नहीं लग रही न? ऐसा नहीं लग रहा जैसे वो तकलीफ में हो।
पार्थ ने जब उस बंदर को देखा तो उसे भी अजीब लगा| एक के बाद एक आसपास के सभी बंदरों को देख कर लगने लगा जैसे उनके शरीर में कोई दर्द उठ रहा हो। धीरे-धीरे उन लोगों ने सड़क किनारे चल रहीं गायों को भी दर्द में करहाते सुना।
पार्थ – बड़ी अजीब बात है या फिर शायद यहां कुछ तो गड़बड़ है।
तीनों जैसे-जैसे बढ़ते गए उन्हें हर जगह जानवरों, पक्षियों के दर्द में होने का एहसास होने लगा। मानो उस जगह अचानक ही बेज़ुबान जीवों को कोई अदृश्य शक्ति तकलीफ पहुंचा रही हो। आज से पहले वृन्दावन में ऐसी घटना नहीं घटी थी| तभी एक आदमी दौड़ता हुआ उन तीनों के पास आया और रोते हुए ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा “सब बर्बाद हो गया| सारी फसलें जल गयी हैं। पूरे साल की मेहनत बर्बाद हो गयी| इस साल एक रुपये की भी कमाई नहीं होगी| सब बर्बाद हो गया!”
पार्थ उस आदमी की बात को सुन रहा था लेकिन उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा था| उसका ध्यान अभी भी बंदरों और कुत्तों के अजीब बर्ताव पर था| तभी वहां और भी लोग जमा होने लगे और कोई घरों के जलने की बात बताने लगा तो कोई फसलों के। पार्थ ये सब सुनकर हैरान रह गया। पार्थ ने एक आदमी से अपनी फसलें दिखाने के लिए कहा। मानो उसे अपनी आंखों से तसल्ली करनी हो कि ऐसा कैसे हो सकता है? रागिनी और यश उसे रोक रहे थे लेकिन पार्थ नहीं माना| पार्थ के पीछे रागिनी और यश को भी जाना पड़ा| वो आदमी उन तीनों को अपने खेत ले गया और बोला, “ये देखिये भईया, सुबह तक पूरा खेत हरा-भरा था| अभी पता नहीं कैसे सब जल कर राख हो गया| कुछ नहीं बचा। पिछले साल भी मेरे खेत में आग लग गयी थी, तब भी इतनी ख़राब हालत नहीं हुई थी जितनी इस बार।”
पार्थ उस आदमी के खेत को गौर से देखने लगा। पार्थ ने अपने करियर में खेतों में भी सर्वे किया है इसीलिए उसे खेती के बारे में भी थोड़ी जानकारी थी| उसने आज से पहले फसलों की इतनी बुरी हालत नहीं देखी थी| पार्थ को अपना डर सच होता दिखने लगा।
पार्थ – कृष्ण की चेतावनी सच हो रही है रागिनी.. उन्होंने कहा था की सब उजड़ जाएगा। लगता है बर्बादी की शुरुआत हो गई है। हमें वृंदावन वालों को अलर्ट करना होगा| जल्दी..
पार्थ दौड़ते हुए वापस बाज़ार में आ गया| रागिनी और यश को समझ नहीं आ रहा था कि पार्थ क्या करना चाह रहा है| वो दोनों पार्थ को समझाने की बहुत कोशिश कर रहे थे लेकिन पार्थ किसी की नहीं सुन रहा था| उसने बाज़ार में चिल्ला-चिल्ला कर सबको अपनी दुकानें बंद कर के घर लौटने के लिए कहा। वहां घूमने आए लोगों को उसने होटेल्स में लौटने के लिए कहा। हालांकि, कोई भी उसकी बात को सीरियसली नहीं ले रहा था| सबको लग रहा था कि शायद पार्थ कोई पागल है।
रागिनी – पार्थ, ये क्या कर रहे हो? तमाशा बनाना बंद करो। ऐसे कोई तुम्हारी बात नहीं सुनेगा।
पार्थ – रागिनी, मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि तूफ़ान आने वाला है| ये सब तूफ़ान के संकेत हैं। यहां कुछ बहुत बुरा होने वाला है। बुरी शक्तियां कुछ तो अनर्थ कर के रहेंगी। हमें सबको बचाना होगा और बुरी शक्तियों से लड़ना होगा।
रागिनी को अभी भी लग रहा कि पार्थ कुछ ज़्यादा ही ओवरथिंक कर रहा है। वहीं यश, पार्थ की बातें सुनकर अब डरने लग गया। वो बड़ी मुश्किल से गोवर्धन पर्वत के तूफ़ान से बचकर निकला था, अब दूसरे तूफ़ान में फंसना नहीं चाहता था| यश ने पार्थ से कहा कि अगर कुछ बुरा होने वाला है तो उन्हें सबसे पहले अपनी जान बचानी चाहिए। जिस पर पार्थ भड़क गया और यश से गुस्से में बोला कि अगर उसे डर लगता है तो वापस दिल्ली चला जाए अभी के अभी लेकिन पार्थ कहीं नहीं जाएगा। उसे कृष्ण ने जो ज़िम्मेदारी दी है, वह उसे निभाएगा। पार्थ ने कहा कि उसे कृष्ण पर भरोसा है।
क्या सच में यश, पार्थ और रागिनी को इस नई मुसीबत में छोड़कर चला जाएगा?
आखिर वृंदावन में किस तरह की बर्बादी होने के संकेत हैं?
क्या पार्थ बचा पाएगा मासूम लोगों को एक अनजाने तूफान से?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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