जब डर मन को घेर लेता है तब हर पल किसी अनहोनी का ही आभास होने लगता है। यश की चीख सुनकर पार्थ और रागिनी के साथ भी ऐसा ही हुआ। ​

​​यश(चिल्लाते हुए)- ​​पार्थ, रागिनी.. उधर देखो.. कितना बड़ा मेला लगा है। ​

​​यश ने तो एक पल के लिए उन दोनों की सांसें ही हलक में अटका दीं थीं। पार्थ और रागिनी ने भी मेले की तरफ़ देखा और फिर यश को घूरने लगे। ​

​​पार्थ- ​​मेला लगा है, ये बात तुम शांति से भी बता सकते थे न? चिल्लाने की क्या ज़रूरत थी? वैसे भी मेरी हार्टबीट बढ़ी हुई है। ऊपर से तेरी आवाज़ ने और डरा दिया मुझे। ​

​​रागिनी- ​​पार्थ एकदम ठीक कह रहा है। मुझे भी लगा कि न जाने अब कौन सी मुसीबत आ गई जो तुम इतनी ज़ोर से चिल्लाए। तुम पूरे कार्टून हो यश। ​ 
​​पार्थ और रागिनी से डांट खाने के बाद यश ने कहा कि उसे ज़ोरों की भूख लगी है। वैसे भी सुबह 7 बजे वो तीनों दिल्ली से निकले थे और तभी उन्होंने रास्ते में यश की मम्मी के हाथ की बनी कचौरी खाई थी। उसके बाद से अब शाम होने आई है, उन्होंने न रेस्ट किया और न ही कुछ खाया-पिया। पार्थ को यश पर हंसी आ गई और वह बोला कि उसे याद है कैसे बचपन में भी आधा घंटा खेलने के बाद पार्थ को भूख लगने लगती थी और खेल रोकना पड़ता था। यश को भी बचपन के दिन याद आ गए। तीनों ने डिसाइड किया कि कुछ देर यहीं मेले में रुक जाया जाए और कुछ खा पी के ही आगे बढ़ा जाए। ​

​​गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के लिए साल भर श्रद्धालु आते हैं और इसीलिए यहां उनके लिए मेले का आयोजन होता है। पार्थ, रागिनी और यश मेला ग्राउन्ड में इंटर करते ही खाने का स्टॉल ढूँढने लगे। यश को दूर एक स्टॉल दिखा और वह उसकी तरफ़ किसी छोटे बच्चे की तरह दौड़ा चला गया। पार्थ और रागिनी भी उसके पीछे जाने लगे कि तभी रागिनी का हाथ पीछे से किसी ने खींचा। वह मुड़ी तो उसे एक 5-6 साल का बच्चा दिखाई दिया। उस बच्चे ने रागिनी के हाथ को कसकर पकड़ लिया। उसकी मासूम आँखों में रागिनी खो गई और झुक कर उसे प्यार करने लगी। पार्थ भी रागिनी को बच्चे के साथ देख मुस्कुराने लगा। उसने भी झुक कर बच्चे के गाल सहलाये और पूछा कि क्या वह गुम हो गया है? बच्चे ने पार्थ को देखा और फिर रागिनी के गले लग गया। ​

​​पार्थ और रागिनी को समझ नहीं आया कि इतना छोटा बच्चा अकेला क्या कर रहा है? उन्होंने आसपास देखा तो कोई नहीं दिखा जो बच्चे के साथ हो। रागिनी ने उस बच्चे को गोद में उठा लिया और पार्थ से बोली, ​

​​रागिनी- ​​मुझे लगता है पार्थ की ये खो गया है। देखने में तो किसी अच्छे घर का लगता है। क्या करें? ये तो कुछ बोल भी नहीं रहा है। ​

​​पार्थ- ​​एक काम करते हैं, अनाउन्स्मेन्ट करवा देते हैं इसके बारे में। हो सकता है इसके पेरेंट्स भी इसे ढूंढ ही रहे हों। ​

​​पार्थ और रागिनी ने डिसाइड किया की वो दोनों बच्चे के गुम हो जाने की अनाउन्स्मेन्ट करवा देंगे। दोनों मेले में अनाउन्स्मेन्ट कहाँ से होती है, उस जगह के बारे में पता लगाने लगे। तभी वो बच्चा बोला, “मुझे भूख लगी है।”​

​​उसकी मिश्री सी मीठी आवाज़ सुनकर रागिनी का दिल ही पिघल गया और पार्थ ने कहा कि पहले इसको कुछ खिला दिया जाए, बाद में अनाउन्स्मेन्ट करवा देंगे। पार्थ और रागिनी यश के पास, खाने के स्टॉल में पहुंचे। यश पहले से ही पेट पूजा करने में लगा पड़ा था। पार्थ समझ गया कि यश को सच में ज़ोरों की भूख ही लगी होगी, वरना वो बिना उन दोनों के खाने नहीं लग पड़ता। पार्थ ने रागिनी को बच्चे के साथ बैठने के लिए कहा और वह खुद कुछ ऑर्डर करने चला गया। ​

​​रागिनी ने बच्चे को अपनी गोद में बैठा लिया और उसके साथ खेलने लगी। यश का ध्यान अपने खाने के अलावा कहीं और नहीं था। कुछ ही देर में पार्थ खाना लेकर आ गया। रागिनी अपने हाथों से उस बच्चे को खाना खिलाने लगी। पार्थ ये देखकर मुस्कुराने लगा और फिर उसने अपना मोबाइल निकाला और रागिनी और उस बच्चे की फोटो खींच ली। ​

​​रागिनी- ​​पता है पार्थ, इस बच्चे को अपने हाथों से निवाला खिलाने में मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरी दिनभर की थकान दूर हो गई। ​

​​उस बच्चे ने रागिनी का हाथ पकड़ लिया और उसके सिर पर अपना हाथ रख दिया। पार्थ और रागिनी को थोड़ा अजीब लगा लेकिन उन्होंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। फिर वह बच्चा रागिनी की गोद से उतरा और पलक झपकते ही वहां से भाग गया। पार्थ और रागिनी देखते ही रह गए। उन्होंने कुछ दूर तक उसे ढूँढने की भी कोशिश की लेकिन वो बच्चा उन्हें नहीं मिला। वो दोनों वापस यश के पास आ गए। उन्हें समझ नहीं आया कि कुछ देर पहले उनके साथ हुआ क्या? तभी पास से एक साधु महाराज गुज़रे और बोले, “ये कृष्ण की नगरी है, यहां जो होता है कृष्ण करता है। ये कृष्ण की नगरी है, सब उसकी लीला है।”​

​​पार्थ और रागिनी ने एक दूसरे को देखा, मानो जैसे उन्हें लगा हो कि कहीं वो बच्चा कृष्ण ही तो नहीं थे। तभी यश ने कहा कि अब होटल चलना चाहिए क्योंकि इतना खाने के बाद उसे नींद आ रही है। ​

​​तीनों मथुरा में अपने होटल लौट आए। रात हो गई थी और तीनों इतने थाके हुए थे कि अपने रूम्स में पहुंचते ही घोड़े बेच कर सो गए। अगले दिन उन्हें दिल्ली वापस निकलना था लेकिन रागिनी का मन वृंदावन घूमने का करने लगा। ​

​​रागिनी- ​​पार्थ, हमें मोर पंख मिल गया है और अब कोई टेंशन भी नहीं है। चलो न, अब यहां तक आए हैं तो वृंदावन भी घूम लेते हैं। मैं कभी भी वृंदावन नहीं गई। प्लीज़ चलो न। ​

​पार्थ भी रागिनी की बात से सहमत था लेकिन यश उन दोनों से उल्टा सोच रहा था​| ​वो सोच रहा था कि ​​उनकी यहां रह कर एक दिन में ही इतनी हालत खराब हो गई, अब एक दिन और रुकेंगे तो न जाने क्या हो जाए। ​​तीनों ​​डिसाइड कर ही रहे थे तभी पार्थ के बैग से रोशनी निकलने लगी। इस बार ये चमत्कार होते यश ने भी देखा। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। पार्थ ने बैग से जादुई डायरी निकाली और पढ़ना शुरू किया, ​

“​हे पार्थ​, ​कई बार हम कुछ शक्तियों से अंजान होते है और ​​उन्हें​​ समझने में गलती कर बैठते ​​हैं।​ ​वातावरण शांत हो जाए तो इसका मतलब ये नहीं कि सब कुछ ठीक हो गया​, ​शांति​…​आने वाले चक्रवात का संकेत भी हो सकती है​| ​ऐसे चक्रवातों में इतनी शक्ति होती है कि ये​​ सब कुछ बर्बाद कर सकते हैं​| ​तुम्हें सावधान रहना है पार्थ​| ​राधे राधे​|”

​​यश जादुई डायरी में अपने आप उभरते हुए शब्दों को देखकर दंग रह गया और ​​अब जाकर उसे पार्थ की सारी बातों पर ​​पूरी तरह से भरोसा हो गया। वहीं ​​पार्थ कृष्ण ​​के मेसेज से थोड़ा​​ परेशान हो गया​|  

​​पार्थ ​– ​कुछ गलत होने वाला है​| ​कृष्ण ने साफ कहा है कि अभी जो शांति लग रही है​, ​वो बहुत जल्द तूफान में बदलने वाली है​| ​हमें ​​घूमने​​ का प्लान कैंसिल करना चाहिए​​ और दिल्ली निकलना चाहिए। ​

​रागिनी​​, पार्थ की बात से बिल्कुल सहमत नहीं थी। उसने उसे समझाया कि हमें अब किसी भी चीज़ से डरना नहीं चाहिए और रही बात घूमने की तो एक दिन में कुछ नहीं हो जाएगा। यश ने भी पार्थ को समझाया कि अब तो उसके पास मोर पंख है, उसे डरने की क्या बात? पार्थ को हार माननी ही पड़ी और तीनों वृंदावन घूमने निकल पड़े। ​

​​वहीं दूसरी तरफ़ प्रकाश ​​जादुई ​​डायरी​​ पाने की प्लानिंग कर रहा था​| ​उसे ​​किसी भी हाल में जादुई ​​डायरी ​​हासिल करनी थी​| ​वो खुद पार्थ से ​​डायरी​​ नहीं ले सकता था​| ​उसने बहुत सोचा और फिर पार्थ के टीम मेट राहुल को कॉल किया। प्रकाश जानता था कि राहुल बहुत शातिर है और पैसों के लिए कुछ भी कर सकता है और उसकी पार्थ से पर्सनल खुन्नस भी है। पार्थ के पास से डायरी निकलवाने का काम राहुल अच्छे से कर लेगा। प्रकाश ने राहुल को एक कैफै में मिलने बुलाया। कुछ ही देर में दोनों कैफै पहुँच गए। राहुल ने प्रकाश को देखते ही उसके पैर छूए। ​

​​राहुल ​– ​सर​, ​कैसे हैं आप? आई एम सो हैप्पी कि आप ने मुझे मिलने बुलाया। ​​कोई खास बात है सर? ​

​​प्रकाश- ​​हाँ, ​​मैंने तुम्हें मेरा एक काम करने के लिए बुलाया है​| ​वो काम बहुत ​​ज़रूरी​​ है और तुम्हारे अलावा कोई ​​और ​​नहीं कर सकता​|

​​​प्रकाश ने फिर राहुल को बताया कि पार्थ के पास एक डायरी है जो प्रकाश को चाहिए। राहुल सोच में पड़ गया कि अपने भांजे से डायरी लेने की जगह प्रकाश ये काम उसे क्यों दे रहा है? उसे फिर याद आया की कहीं ये वही डायरी तो नहीं जो कुरुक्षेत्र में पार्थ को मिली थी? राहुल को शक होने लगा लेकिन वो सवाल जवाब करना शुरू करता उससे पहले ही प्रकाश ने उसका मुंह लालच से बंद कर दिया। ​

​​प्रकाश ​– ​ये ​​लो ​​दो लाख रुपए एडवांस​| ​बाकी के ​​डायरी ​​मिलने के बाद​| ​सिर्फ इतना ही नहीं​, ​काम हो गया तो तुम्हारा प्रमोशन भी हो जाएगा​| ​बस किसी को भी कानों कान खबर नहीं लगनी चाहिए​|

​राहुल ​​हैरान रह गया लेकिन इतने रुपए देखकर उसकी नियत भी डोल गई। ​

​​राहुल ​– ​आप जैसा चाहते हैं वैसा ही होगा सर। नेक्स्ट टाइम डायरी के साथ मिलूँगा। ​

​​फिर ​​राहुल ने प्रकाश ​​के पैर छूए​​ और ​​वहां से चला गया।​ ​प्रकाश ​​ने राहुल के जाने के बाद किसी को कॉल किया और कहा,​

​​प्रकाश- ​​ जाल बिछा दिया है, अब शिकार फंस जाएगा और न भी फंसा तो मेरे प्लान बी भी रेडी है।​

​​क्या प्रकाश का और बुरी शक्तियों का कोई कनेक्शन है?​

​​आखिर आने वाले किस तरह के तूफान की बात कृष्ण ने डायरी में लिखी?​

​​इन सभी सावलाओं के जवाब जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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