इंसान को अपनी साँसों की कीमत मौत के करीब होने पर ही समझ आती है। पार्थ, जो अपने दोस्तों के साथ गोवर्धन पर्वत पर कृष्ण की खोई हुई वस्तु को ढूँढने आया है। अब एक नई मुसीबत में पड़ गया। अचानक से मौसम बदल गया और तेज़ हवा के साथ गोवर्धन पर्वत से बहुत सारे पत्थर एक के बाद एक, उन तीनों की तरफ़ गिरने लगे और रागिनी के पैर में चोट आ गई। तभी यश ने पार्थ को आवाज़ लगाई क्योंकि एक बड़ा सा पत्थर उसकी तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहा था।
पार्थ अपनी मौत को धीरे-धीरे नज़दीक आते देख रहा था। वह पत्थर इतना बड़ा था कि अगर टकरा जाए तो जान ही लेकर माने। पार्थ को इस वक्त अपनी जान से ज़्यादा, उसके पास खड़ी रागिनी की परवाह होने लगी| पार्थ के दिमाग में रागिनी के पापा की बात घूमने लगी कि उन्होंने रागिनी को इस हालत में सिर्फ इसलिए भेजा क्योंकि पार्थ उसके साथ है। पार्थ ने पलक झपकते ही रागिनी को खींचा और दूसरी तरफ़ हट गया। ये सब इतनी जल्दी हुआ कि यश ने तो डर कर अपनी आँखें ही बंद कर लीं थीं।
पार्थ- यश, जल्दी चल.. यहां रुकना ठीक नहीं है।
यश ने अपनी आँखें खोलकर देखा तो पार्थ और रागिनी सही सलामत थे लेकिन पत्थरों का गिरना बंद नहीं हुआ। तीनों ने भाग कर पर्वत की एक बड़ी सी चट्टान का सहारा ले लिया। थोड़ी ही देर में पत्थरों का गिरना तो बंद हो गया लेकिन चारों तरफ़ अंधेरा छा गया। आसपास उन तीनों के अलावा कोई अब भी दिखाई नहीं दे रहा। न इंसान, न ही कोई परिंदा। तभी रागिनी को वहां कुछ अजीब सा महसूस हुआ और उसने चट्टान की तरफ़ मुड़कर देखा।
रागिनी- पार्थ, यश.. यहां कुछ है।
रागिनी को उस चट्टान के एक कोने में गहरी दरार के अंदर कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया। पार्थ और यश ने भी उसे देखा और तीनों हैरान रह गए। पार्थ ने दरार की तरफ़ कांपते हुए हाथ बढ़ाया लेकिन यश ने उसे रोक लिया। यश को शक हुआ कि वहां कहीं कुछ ऐसा न हो जिससे उनको कोई नुकसान पहुंचे। पार्थ ने यश की तरफ़ देखा, मानो उसे भरोसा दिला रहा हो कि कुछ गलत नहीं होगा और फिर वह उस चमकती चीज़ को निकालने की कोशिश करने लगा। वो चीज़ एक बार में ही पार्थ के हाथ लग गई। जैसे ही पार्थ ने उसे बाहर खींचा तो तीनों की आँखें फटी की फटी रह गईं।
यश- पार्थ.. ये तो.. ये तो मोर पंख है!
रागिनी- ऐसा मोर पंख मैंने आज तक नहीं देखा। ये.. ये हो न हो, भगवान कृष्ण का ही मोर पंख है। कहीं इसे ही तो ढूँढने नहीं भेजा था कृष्ण ने तुम्हें?
पार्थ कुछ बोल नहीं पाया, वह बस एक टक उस मोर पंख को देखता रहा और ऐसा करे भी कैसे न? हरे, नीले और सुनहरे रंगों से सजा वो मोर पंख ऐसे चमक उठा, जैसे दुनिया की सारी सुंदरता उसमें समय गई हो। पार्थ के हाथ अभी भी कांप रहे हैं। रागिनी ने पार्थ के हाथ पर अपना हाथ रखा। मानो उसे बताना चाह रही हो कि वो सपना नहीं देख रहा बल्कि सच में उसके हाथ में कृष्ण का मोर पंख है। पार्थ की आँखों से आँसू बहने लगे। उसने उस मोर पंख को अपने माथे से लगाया। यश, जिसे कृष्ण की डायरी और पार्थ के लिए उनके मेसेजस पर भरोसा नहीं था, उसे भी अब यकीन हो गया की ये सब सच है। यश ने पार्थ को गले लगाया और उससे माफ़ी मांगने लगा क्योंकि उसे बुरा लग रहा था कि उसने पार्थ की बातों को मज़ाक में लिया। पार्थ और यश का भरत मिलाप देख रागिनी ने दोनों को याद दिलाया कि खतरा अभी टला नहीं है और उन्हें मोर पंख को सेफ़ली यहां से लेकर जाना है। पार्थ और रागिनी के साथ-साथ अब यश भी समझ गया कि सच में बुरी शक्तियां उनके पीछे हैं। पार्थ ने अपने बैग में मोर पंख संभालकर रखा और वो तीनों वहाँ से निकलने लगे।
चारों तरफ़ तेज़ हवा चलने लगी। मानो उन तीनों को रोकने की पूरी कोशिश कर रही हो। पार्थ ने एक तरफ़ रागिनी और दूसरी तरफ़ से यश का हाथ पकड़ लिया और तीनों हिम्मत कर के बढ़ते रहे। तभी अचानक से हवा और तेज़ हो गई और यश का हाथ पार्थ के हाथ से छूटते ही वह हवा में उड़ने लगा। यश ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा।
यश- पार्थ, बचाओ... रागिनी बचाओ| ये.. ये क्या हो रहा है? बचाओ मुझे..
यश को हवा में देख कर रागिनी भी डर गई और उसकी चीख निकल गयी| पार्थ समझ गया कि कोई अदृश्य शक्ति है जो उन्हें चोट पहुंचाना चाहती है। पार्थ यश की तरफ़ देख रहा था कि तभी उसके हाथ से रागिनी का हाथ भी छूट गया और रागिनी भी हवा में उड़ने लगी| रागिनी को हवा में देख कर पार्थ की आँखें फटी की फटी रह गईं। वह अपने आसपास गुस्से और डर से देखने लगा।
पार्थ – क..क.. कौन है? मेरे दोस्तों को छोड़ दो। हिम्मत है तो मुझसे लड़ो। हिम्मत है तो सामने आओ।
पार्थ के चिल्लाने का कोई फायदा नहीं हुआ| वह अपने दोस्तों को कैसे बचाए, उसे समझ नहीं आ रहा था। वह कुछ सोच पाता कि तभी उसके पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गई और वह भी हवा में उड़ने लगा। पार्थ का बैग, जिसमें कृष्ण की जादुई डायरी और अब मोर पंख भी थे, नीचे गिर गया। पार्थ हवा में हाथ पैर मारने की कोशिश करने लगा लेकिन पलक झपकते ही वह पास के एक पेड़ से जा टकराया और धड़ाम से गिर गया। ज़ोर से गिरने की वजह से उसकी कमर और पैर में चोट आ गई और खून निकलने लगा। वह उठने की कोशिश करने लगा लेकिन उससे उठा नहीं जा रहा था। पार्थ का ध्यान अचानक से अपने बैग पर गया। उसने अपने आसपास देखा तो बैग उससे कुछ दूरी पर पड़ा था। पार्थ रेंगते हुए बैग तक पहुंचा और उसे खोलते ही उसने कृष्ण की जादुई डायरी निकाल ली।
पार्थ को लगा शायद वो डायरी उसकी मदद करे और यश और रागिनी को वह बचा पाए लेकिन डायरी के पन्ने पर कुछ भी लिख कर नहीं आया। पार्थ ने आसमान की तरफ़ देखा तो यश और रागिनी अभी भी हवा में थे और मदद के लिए चिल्ला रहे थे।
पार्थ ने फिर अपनी आँखें बंद कीं और हाथ जोड़कर कृष्ण से प्रार्थना करने लगा।
पार्थ- कृष्ण, मेरे दोस्तों की मदद कीजिए। रागिनी और यश मेरी वजह से इस मुसीबत में पड़े हैं। हमें नहीं पता कि हमारी लड़ाई किस से है लेकिन आप तो सब जानते हैं। प्लीज़ हमारी मदद कीजिए.. अगर रागिनी और यश को कुछ हो गया तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊँगा। प्लीज़ कोई तो रास्ता दिखाईए।
पार्थ ने प्रार्थना करने के बाद जैसे ही आँखें खोलीं वैसे ही उसने अपने बैग के अंदर मोर पंख को चमकते हुए देखा। उसने मोर पंख को हाथ में लिया और गौर से देखने लगा। उसे याद आया कि कृष्ण ने बताया था कि उनकी खोई हुई वस्तु बहुत पावरफुल है। पार्थ ने सोचा कि अगर सच में यही है कृष्ण कि खोई हुई वस्तु तो इसमें भी शक्ति होगी, लेकिन उसके मन में ये सवाल भी घूमने लगा कि एक मोर पंख क्या कर सकता है और इसे इस्तेमाल कैसे किया जाए? तभी पार्थ के कानों में किसी की आवाज़ सुनाई पड़ी, “पार्थ, विश्वास करो और आगे बढ़ो।”
इतना सुनते ही पार्थ की हिम्मत बढ़ गई और उसने बिना कुछ सोचे ही मोर पंख अपनी हथेली में रखकर हवा में उछाल दिया। देखते ही देखते उस मोर पंख से ऐसी सुनहरी रोशनी निकलने लगी, जो चारों दिशाओं में फैल गई और हवा की गति धीमी हो गई। यश और रागिनी भी ज़मीन पर सही सलामत उतर आए और कुछ ही पलों में जो चारों तरफ़ अंधेरा हुआ फैला था वो मिट गया। अपने आसपास ये सब होता देख, पार्थ, रागिनी और यश के होश उड़ गए। रागिनी और यश भागकर पार्थ के पास आ गए और तीनों एक दूसरे का हाथ कसकर पकड़कर, ये चमत्कार होता देखने लगे।
यश- ये.. ये सब कैसे हो रहा है पार्थ? मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा। ये सब मुमकिन है? वो मोर पंख, ये सब उसकी वजह से हो रहा है?
पार्थ- यकीन तो मुझे भी नहीं हो रहा लेकिन ये कृष्ण की लीला है। उन्होंने हमें बचाया है।
कुछ ही देर में, सब कुछ शांत हो गया और मोर पंख अपने आप ही पार्थ के हाथों में आ गया। पार्थ ने उसे अपने माथे से लगाया और बैग में रख लिया। तभी यश ने देखा कि जिस रास्ते पर उन्हें उन तीनों के अलावा कोई और नहीं दिखाई दे रहा था, उस पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगने लगी। सभी राधे राधे बोलते हुए गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा पूरी करने में मगन नज़र आए।
पार्थ, रागिनी और यश को सब सपने जैसा लगने लगा जैसे उन्होंने एक समय पर एक ही सपना देखा हो। तभी रागिनी ने कहा कि उन्हें भी गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा पूरी कर लेनी चाहिए और तीनों आगे बढ़ गए।
यश- पार्थ, तुम कितने लकी हो। तुम्हें भगवान कृष्ण ने चुना है। कैसा लगता है तुम्हें?
यश ने चलते-चलते पार्थ से सवाल पूछने शुरू किए, जिसके जवाब में पार्थ ने कहा कि उसे कभी डर लगता है और कभी बहुत गर्व महसूस होता है। पार्थ ने आगे कहा,
पार्थ- मुझे नहीं पता कि मैं दुनिया को बुरी शक्तियों से बचाने के लायक भी हूँ या नहीं लेकिन अगर कृष्ण ये चाहते हैं तो मैं अपनी जान की बाज़ी भी लगा दूंगा।हाँ, बचपन में अपने मम्मी पापा को खो चुका हूँ, इसलिए अब मुझे तुम दोनों को खोने का डर लगता है। मैं तुम दोनों को नहीं खो सकता।
रागिनी- तुम ये सब सोचना छोड़ दो पार्थ। हम तुम्हारे साथ हैं और हम तुम्हारी कमज़ोरी नहीं बनना चाहते। हमें अपनी ताकत समझो।
रागिनी की बात सुनकर पार्थ इमोशनल हो गया। तभी अचानक यश चिल्लाया…
ऐसा क्या हुआ, जिससे यश की एक बार फिर से चीख निकल पड़ी?
क्या अभी भी मंडरा रहा है पार्थ, रागिनी और यश पर खतरा?
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!
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